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अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का जैसे-जैसे नियंत्रण बढ़ रहा है, भारत सरकार की चिंता भी बढ़ती जा रही है. भारत सरकार ने अफ़ग़ानिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए चेतावनी जारी की है.
हागिया सोफिया मस्जिद के फिर से खोले जाने की पहली सालगिरह के मौके पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा है कि "ये मस्जिद हमारी सभ्यता के पुनरुद्धार का प्रतीक है."
उन्होंने कहा, "अल्लाह का इसके लिए शुक्रिया, जिसने हमें ये दिन दिखाया.... मुझे उम्मीद है कि अजान, इबादत और क़ुरान-ए-पाक इस महान मस्जिद के गुंबदों से क़यामत तक जुदा नहीं होंगे."
अर्दोआन ने हागिया सोफिया मस्जिद में 86 साल के अंतराल के बाद पहली बार पढ़ी गई जुमे की नमाज का एक वीडियो भी अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है.
पिछले साल 24 जुलाई को हागिया सोफिया मस्जिद में 86 साल बाद पहली बार मुसलमानों ने नमाज पढ़ी थी.
इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो हागिया सोफ़िया असल में एक चर्च हुआ करता था जिसे छठी सदी में बाइज़ेंटाइन सम्राट जस्टिनियन ने बनवाया था.
लेकिन उस्मानिया साम्राज्य के उदय के साथ ही इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया.
इस्तांबुल में बने ग्रीक शैली के इस मस्जिद को स्थापत्य कला का अनूठा नमूना माना जाता है जिसने दुनिया भर में बड़ी इमारतों की डिज़ाइन पर अपनी छाप छोड़ी है.
इसके बाद उस्मानिया सल्तनत के ख़ात्मे के बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा का शासन आया जिन्होंने 1934 में इस मस्जिद (मूल रूप से हागिया सोफ़िया चर्च) को म्यूज़ियम बनाने का फ़ैसला किया.
पाशा के इस फ़ैसले को आधुनिक तुर्की के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक माना जाता है.
साल 1985 में हागिया सोफिया को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था.
मस्जिद होने के अलावा हागिया सोफ़िया तुर्की में सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी है.
बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी, महाराष्ट्र में 136 की मौत, गोवा में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त
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भारत के पश्चिमी घाट पर भारी बारिश
से बनी बाढ़ जैसी परिस्थितियों ने गोवा और महाराष्ट्र के लोगों के सामने परेशानियाँ
खड़ी कर दी हैं.
बताया गया है कि इन दोनों राज्यों के
बाढ़ प्रभावित इलाक़ों से लगभग दस हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना
पड़ा है.
एनडीआरएफ़ की टीमों के अलावा स्थानीय
प्रशासन भी लोगों की मदद करने में जुटा है.
पश्चिमी तट के निकटवर्ती इलाक़ों
में इस साल रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है.
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से भी
कुछ लोगों के लापता होने की ख़बरें हैं.
बताया गया है कि महाराष्ट्र में कम
से कम 136 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि गोवा में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हुए
हैं.
जानकारों के मुताबिक़, बाढ़ के यूँ तो कई कारण होते हैं, लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हुआ जलवायु परिवर्तन इस तरह की भारी वर्षा का सबसे बड़ा कारण माना जाता है.
बचावकर्मियों की टीम का नेतृत्व कर रहे अधिकारियों का कहना है कि कुछ इलाक़ों में बचावकर्मियों का पहुँचना भी मुश्किल हो गया है. भूस्खलन से सड़कें बंद हो गई हैं जिसमें मुंबई से गोवा का हाइवे भी शामिल है. अधिकारियों ने कहा है कि इस इलाक़े में हेलीकॉप्टर, गोताखोर और नौसेना की रेसक्यू टीमें भी उतारनी पड़ी हैं.
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि यह बाढ़ पिछले कई दशकों में सबसे भयानक रही है और इससे बहुत भारी तबाही मचाई है.
वहीं महाराष्ट्र में ज़्यादातर नदियाँ उफ़ान पर हैं जिनकी वजह से उनके तटबंध टूटने की संभावना है.
महाराष्ट्र में लगभग 90 हज़ार लोगों को अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाला गया है.
दक्षिण-पूर्व मुंबई के तलिये गाँव में भूस्खलन से ज़्यादातर घर ज़मींदोज़ हो गये हैं. एक अधिकारी ने यहाँ लगभग 42 लोगों के मारे जाने की जानकारी दी है.
मौसम विभाग के मुताबिक़, अगले कुछ दिनों तक इस इलाक़े में भारी बारिश जारी रहने की संभावना है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन घटनाओं पर दुख व्यक्त किया है.
उन्होंने ट्वीट किया, “महाराष्ट्र में भारी बारिश के चलते जो स्थिति बनी है, उस पर वे नज़र बनाये हुए हैं और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है.”
अमन के लिए अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति को पद छोड़ना होगा: तालिबान
तालिबान का कहना है कि वो अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर एकाधिकार नहीं चाहते हैं लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब तक कि काबुल में नई सरकार का गठन नहीं होगा और राष्ट्रपति अशरफ़ गनी पद से हटाए नहीं जाएंगे देश में शांति स्थापित नहीं होगी.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को लेकर तालिबान का स्टैंड स्पष्ट किया है.
सुहैल शाहीन तालिबान की ओर से अलग-अलग देशों के साथ वार्ता कर रहे प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी हैं.
अमेरिका और नेटो के सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान देश के अलग-अलग हिस्सों को लगातार अपने नियंत्रण में रहा है.
इसी हफ़्ते अमेरिकी सेना के एक सीनियर मिलिट्री जनरल मार्क मिले ने पेंटागन की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया था कि तालिबान को रणनीतिक बढ़त हासिल है.
जनरल मार्क मिले ने इस बात से इनकार नहीं किया कि तालिबान पूरे अफ़ग़ानिस्तान को अपने दखल में ले सकता है.
सुहैल शाहीन ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "जब बातचीत के बाद काबुल में ऐसी सरकार बनेगी जो सभी पक्षों को स्वीकार होगी और अशरफ़ गनी की सरकार चली जाएगी तो तालिबान अपने हथियार डाल देगा."
"मैं ये बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम सत्ता पर एकाधिकार नहीं चाहते हैं क्योंकि अतीत में अफ़ग़ानिस्तान में जिन सरकारों ने सारी ताक़त अपने हाथ में लेने की कोशिश की है, वे नाकाम सरकारें रही हैं."
सुहैल शाहीन ने तालिबान की अपनी हुकूमत को भी उन्हीं नाकाम सरकारों में गिना है. उन्होंने स्पष्ट किया कि "हम उसी फॉर्मूले को फिर से दोहराना नहीं चाहते हैं."
लेकिन तालिबान ने एक और बात साफ़ कर दी है कि राष्ट्रपति अशरफ़ गनी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
मंगलवार को बकरीद के मौके पर राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने अपने भाषण में तालिबान पर हमला करने की बात कही थी. जिसके जवाब में तालिबान ने अशरफ़ गनी को जंग का सौदागर करार दिया है.
सुहैल शाहीन का कहना है कि राष्ट्रपति अशरफ़ गनी मुल्क पर हुकूमत करने का हक खो चुके हैं. इसके अलावा तालिबान ने उन पर साल 2019 में चुनावी धांधली के जरिए जीत हासिल करने का इलजाम लगाया है.
पिछले आम चुनाव के बाद अशरफ़ गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह दोनों ने अपनी जीत का दावा किया था.
हालांकि दोनों के बीच समझौता हो गया जिसके बाद अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह को सरकार में नंबर दो का ओहदा दिया गया और सुलह समिति का मुखिया नियुक्त किया गया था.
राष्ट्रपति अशरफ़ गनी को पद से हटाए जाने की तालिबान की मांग पर व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन प्साकी ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी एपी को बताया कि राष्ट्रपति बाइडन का समर्थन अफ़ग़ान राष्ट्रपति के साथ है.
बीस साल पहले जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी तो लड़कियों के तालीम हासिल करने पर पाबंदी लगा दी गई थी, शरिया क़ानून लागू था.
कई लोगों को तालिबान के उस दौर की वापसी का डर सता रहा है. जिन अफ़ग़ानों की आर्थिक स्थिति ठीक है, वे अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए वीजा का आवेदन दे रहे हैं.
अमेरिका और नेटो की सेना की 95 फीसदी वापसी पूरी हो गई है और 31 अगस्त तक इस काम को निपटा लिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है. लेकिन, स्वास्थ्य, रोज़गार और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों से ज़्यादा चर्चा पहचान से जुड़े सवालों की हो रही है. आप क्या सोचते हैं? क्या बुनियादी सवालों पर हावी हो रहा है पहचान का मुद्दा? बीबीसी हिंदी के कार्यक्रम इंडिया बोल में आज इसी पर चर्चा कर रहे हैं बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय.
अफ़ग़ानिस्तान के उपराष्ट्रपति और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच जुबानी जंग का एक और दौर शुरू हो गया है.
इमरान ख़ान सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ़ पर तंज कसते हुए अफ़ग़ान उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने शनिवार को कहा, "पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा/असुरक्षा सलाहकार को ये लगता है कि क्वेटा का शुरा (सलाहकार परिषद) एक चुनी संस्था है और काबुल की सरकार थोपी गई है."
"वे और उनके सहयोगी चाहे कुछ भी कर लें लेकिन पाकिस्तानी एजेंसियों के दामन पर अफ़ग़ानों के ख़ून के जो धब्बे हैं, वे नहीं धुल पाएंगे. सेना और आईएसआई जिस चरमपंथ को बढ़ावा दे रही है, उसे रोका जाना चाहिए."
इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति ने साल 1971 के युद्ध में भारत के सामने पाकिस्तान के आत्म-समर्पण की तस्वीर शेयर करते हुए बुधवार को कहा था, "हमारे इतिहास में ऐसी कोई तस्वीर नहीं है और ना ही कभी होगी. हाँ, कल मैं एक बार को हिल गया था क्योंकि एक रॉकेट मेरे ऊपर से उड़कर गया और कुछ मीटर की दूरी पर गिरा."
"लेकिन पाकिस्तान के प्रिय ट्विटर हमलावरों, तालिबान और आतंकवाद इस तस्वीर के आघात को ठीक नहीं कर सकते. कोई और तरीक़े खोजिए."
लेकिन इसके बाद मोईद युसुफ़ ने अफ़ग़ान उपराष्ट्रपति की ओर इशारा करते हुए गुरुवार को कहा, "इस तरह के मूर्खतापूर्ण बयानों के कारण अफ़ग़ानिस्तान हर दिन शर्मिंदा हो रहा है. अफ़ग़ान लोगों को इस बात को लेकर आश्वस्त रहना चाहिए कि माहौल खराब करने वाले इन लोगों के एजेंडे को सभी समझते हैं. शांति और स्थिरता के लिए अफ़ग़ानों को पाकिस्तान के समर्थन पर हम इस तरह के मुठ्ठी भर जहरीले लोगों का असर नहीं पड़ने देंगे."
उन्होंने कहा, "काबुल में माहौल ख़राब करने वाले इस तरह से कटुतापूर्ण और भ्रामक बयान उनकी तरफ़ से आते हैं जिन्हें बदनसीबी से अफ़ग़ान भाइयों और बहनों पर सीनियर अफसरों के रूप में थोप दिया गया है. ये लोग अपनी नाकामी से ध्यान हटाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को नुक़सान पहुंचाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं."
"अफ़ग़ानिस्तान में समग्र राजनीतिक स्थिरता के लिए पाकिस्तान पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसी भावना से प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने राष्ट्रपति अशरफ़ गनी से हालिया मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी मदद को लेकर सहमति जताई थी."
ब्रेकिंग न्यूज़दिल्ली की मेट्रो और बसें अब 100 फ़ीसदी सीटें भरकर चलेंगी, सिनेमा हॉल भी खुलेंगे
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दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी डीडीएमए ने
कोरोना से संबंधित प्रतिबंधों में कुछ बड़े बदलाव किये हैं.
डीडीएमए ने कहा है कि सोमवार से राज्यान्तरिक बसों को
100 फ़ीसदी भरकर चलने की अनुमति होगी.
दिल्ली मेट्रो में भी सोमवार से यात्रियों की संख्या थोड़ी बढ़ायी जायेगी. बताया गया है कि मेट्रो में अब 100 फ़ीसदी
सीटों को भरा जा सकेगा, हालांकि मेट्रो में खड़े होकर सफ़र करने की अनुमति अब भी
नहीं होगी.
कहा गया है कि सोमवार से मेट्रो और बसों में बैठने के
लिए जितनी सीटें होती हैं, उतने यात्री इनमें सफ़र कर सकेंगे.
दिल्ली में 26 जुलाई से सभी स्पा भी खुल जायेंगे, लेकिन स्पा में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी होनी चाहिए. इसके अलावा स्पा संचालकों को अपने सभी कर्मचारियों का पंद्रह दिन में एक बार आरटी-पीसीआर टेस्ट अवश्य कराना होगा.
डीडीएमए के अनुसार, सोमवार से शादी-ब्याह और अंतिम संस्कार में 100 लोगों को बुलाने की अनुमति होगी.
बी-टू-बी यानी बिज़नेस टू बिज़नेस श्रेणी की प्रदर्शनियाँ भी 26 जुलाई के बाद से लगाई जा सकेंगी, जिनमें सिर्फ़ व्यापारिक वर्ग के दर्शकों को जाने की अनुमति दी जायेगी.
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ये पाबंदियाँ लगाई गई थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे इन पाबंदियों को हटाया जा रहा है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिए राष्ट्रपति बाइडन ने की अहम घोषणा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान की सुरक्षा परिस्थितियों के मद्देनज़र शरणार्थियों की फौरी ज़रूरतों को पूरा करने के 10 करोड़ डॉलर के आपातकालीन फंड को मंज़ूरी दी है.
व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को लिए गए इस फ़ैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस आपातकालीन फंड का फ़ायदा अमेरिका आने के लिए स्पेशल वीज़ा के आवेदकों को भी होगा.
इसके अलावा राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिकी सरकार की एजेंसियों के लिए भी इसी उद्देश्य से 20 करोड़ डॉलर की मंज़ूरी दी है.
अमेरिका आने के लिए स्पेशल वीज़ा का आवेदन देने वाले हज़ारों अफ़ग़ानों को बाइडन प्रशासन वहाँ से हटाने की तैयारी शुरू कर रहा है.
इन अफ़ग़ानों ने अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सरकार के लिए काम किया था और अब ये आशंका जताई जा रही है कि तालिबान इनसे बदला ले सकता है.
इन अफ़ग़ान शरणार्थियों का पहला जत्था वर्जीनिया स्थित फोर्ट ली के सैनिक अड्डे जुलाई ख़त्म होने से पहले पहुंच सकता है. यहां उनके वीज़ा आवेदनों पर अंतिम प्रक्रिया पूरी की जाएगी और तब तक ये शरणार्थी यहीं रहेंगे.
पेंटागन ने सोमवार को बताया कि तकरीबन 2500 अफ़ग़ान सुरक्षाकर्मी वहां लाए जा सकते हैं. बाइडन प्रशासन अन्य जगहों पर भी विचार कर रहा है, जहाँ स्पेशल वीज़ा के अफ़ग़ान आवेदकों को लाया जा सकता है.
साल 2001 में जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया तो इन अफ़ग़ानों ने अमेरिकी सरकार के लिए दुभाषिए और दूसरे काम किए थे. बाइडन प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि तकरीबन 18 हज़ार अफ़ग़ान नागरिकों ने स्पेशल वीज़ा के लिए आवेदन किया है.
30 साल पहले साल 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिसने भारत की तकदीर हमेशा के लिए बदल दी.
मीराबाई चानू के चैंपियन बनने की कहानी
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान को दिलाया भरोसा
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अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने शुक्रवार
को अमेरिका और अफ़ग़ानिस्तान के संबंधों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से
बात की.
अशरफ़ गनी ने बताया कि फ़ोन पर हुई इस बातचीत के
दौरान राष्ट्रपति बाइडन ने यह भरोसा दिलाया कि अमेरिका अफ़ग़ान नेशनल डिफ़ेंस एंड
सिक्योरिटी फ़ोर्स (एएनडीएसएफ़) का समर्थन जारी रखेगा.
ट्विटर पर गनी ने लिखा है कि हमें विश्वास है कि एएनडीएसएफ़
अफ़ग़ानिस्तान की रक्षा करने में सक्षम है.
गनी के अनुसार, दोनों नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अफ़ग़ान लोग अमन, शांति और सुरक्षा के लिए एकजुट हों. दोनों देशों के बीच स्थापित पुराने रिश्ते वैसे ही बने रहें. राजनयिक और आर्थिक साझेदारी भी बनी रहे. साथ ही पिछले 20 सालों में जो दोनों देशों ने मिलकर हासिल किया, उसे संरक्षित रखा जाये.
व्हाइट हाउस ने भी दोनों नेताओं की बातचीत के बाद एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति जो बाइडन और अशरफ़ गनी के बीच एक स्थायी द्विपक्षीय साझेदारी बनाये रखने को लेकर बात हुई.
बयान में कहा गया है कि जो बाइडन ने महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों सहित अफ़ग़ान लोगों के लिए विकास और मानवीय सहायता सहित अमेरिकी समर्थन बनाये रखने पर ज़ोर दिया.
बयान में ये भी कहा गया है कि बाइडन और गनी इस बात पर सहमत हुए कि तालिबान का मौजूदा आक्रमण समझौतों के ज़रिये समस्या को हल करने के विपरीत है.
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जो बाइडन ने इस बात पर भी फिर से ज़ोर दिया कि अमेरिका अफ़ग़ान फ़ोर्स को आत्म-रक्षा के लिए सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है.
दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
राष्ट्रपति गनी ने कहा है कि उन्होंने एक नया सिक्योरिटी प्लान बनाया है जिसके लागू होने के बाद मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियाँ बदलेंगी.
इस नये सिक्योरिटी प्लान के अंतर्गत एएनडीएसएफ़ बड़े शहरों, हवाई अड्डों, हाइवे, सीमा से सटे कस्बों जैसे महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थानों पर सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ायेगी.
पिछले दो महीने में 200 से ज़्यादा ज़िले तालिबान के कब्ज़े में चले गए हैं. इनमें कुछ महत्वपूर्ण सीमावर्ती कस्बे भी शामिल हैं.
लेकिन सरकार ने बड़े भरोसे से कहा है कि वो इन इलाक़ों को वापस अपने कब्ज़े में ले लेगी, जिनमें ख़ासतौर पर हेरात और कंधार प्रांत के सीमावर्ती कस्बे शामिल हैं.
आईसीएसई बोर्ड (काउंसिल फ़ॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग़्ज़ामिनेशंस) ने 10वीं और 12वीं क्लास के नतीजे शनिवार को घोषित कर दिए हैं.
दसवीं क्लास के नतीज़ों में लड़के और लड़कियों की बराबर भागीदारी रही है.
12वीं के नतीजों में लड़कों का रिजल्ट लड़कियों से 0.2 फीसदी से बेहतर रहा है.
बोर्ड ने कहा है कि इस बार की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रिज़ल्ट तैयार नहीं किया गया है और कोई मेरिट लिस्ट नहीं जारी की जाएगी.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए काउंसिल फ़ॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग़्ज़ामिनेशंस ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं.
बोर्ड ने वैकल्पिक मूल्यांकन नीति बनाई जिसके आधार पर ये रिजल्ट तैयार किया गया है.
आईसीएसई बोर्ड के चीफ़ एग़्ज़िक्यूटिव एंड सेक्रेटरी गेरी एराथून ने बताया, "दसवीं क्लास में लड़के और लड़कियों की सफलता का प्रतिशत 99.98 है. 12वीं क्लास की लड़कियों का रिजल्ट 99.86 फीसद है और लड़के 99.66 फीसदी पास हुए हैं."
रूस हथियारों की होड़ को लेकर पश्चिमी देशों पर बरसा
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ ने कहा है कि हाल के दशकों में पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों से ये सबक मिला है कि रूस की एकतरफ़ा रियायतों को कमज़ोरी समझा जाता है और ऐसी नई मांगें सामने रख दी जाती हैं, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
रूसी समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ शुक्रवार को रूस की विदेश नीति पर एक वेबीनार को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, "चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक परिस्थितियों में नीतियां बनाने के लिए दृढ़ता और बुद्धिमत्ता दोनों की ही ज़रूरत होती है. पश्चिमी देशों के साथ अपनी शर्तों पर सुलह की ज़रूरत को लेकर जो आवाज़ें उठ रही हैं, उन पर ग़ौर किया जा सकता है."
सर्गेई लावरोफ ने कहा, "80 के दशक और 90 के दशक की शुरुआत में मिले अनुभवों को देखते हुए मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे द्वारा दी गई किसी भी एक तरफ़ा रियायत को केवल कमज़ोरी समझा जाएगा. हमारे सहयोगी देशों को मालूम है कि ये कैसे किया जाता है."
"इसके बाद वे और ज़्यादा अस्वीकार्य मांगें रखने लगते हैं. यही वजह है कि हम एक स्वतंत्र और राष्ट्र को प्रमुखता देने वाली विदेश नीति पर अमल करते हैं. ये एक व्यावहारिक विदेश नीति है. हम धमकियों और चुनौतियों पर विचार नहीं करेंगे बल्कि हम उनके ख़िलाफ़ खड़े होते हैं."
हथियारों की रेस पर सर्गेई लावरोफ ने रूस का पक्ष रखा. उन्होंने कहा, "देश और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो कुछ भी ज़रूरी होगा और संप्रभुता को मज़बूत करने के लिए न तो हम अलगाव में रहेंगे और न ही किसी से उलझेंगे. मैं एक बार फिर से ये बात ज़ोर देकर कहता हूँ कि हम किसी को भी रूस को नए और महंगे हथियारों की दौड़ में खींचने की इजाजत नहीं देंगे."
सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस के पास अपनी सुरक्षा के लिए तमाम संसाधन हैं और वो अन्य देशों के साथ बराबरी के आधार पर सहयोग को लेकर तैयार है.
ब्रेकिंग न्यूज़पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चुनाव से पहले इमरान ख़ान का बड़ा बयान
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कश्मीर पर पाकिस्तान की घोषित नीति से अलग रुख अपनाते हुए कहा है कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को यह तय करने देगा कि वे पाकिस्तान में शामिल होना चाहते
हैं या फिर 'आज़ाद' होना चाहते हैं.
वहीं, भारत ने ज़ोर देकर कहा है कि जम्मू और कश्मीर हमेशा से
भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा.
25 जुलाई को होने वाले चुनाव से पहले पाकिस्तान प्रशासित
कश्मीर के तरार खाल इलाक़े में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने
विपक्ष के एक नेता के दावे को भी ख़ारिज किया, जिसमें उन्होने कहा था कि उनकी
सरकार कश्मीर को पाकिस्तान का प्रांत बनाने की योजना पर काम कर रही है.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की नेता मरियम नवाज़
ने 18 जुलाई को पीओके में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर की
स्थिति को बदलने और इसे एक प्रांत बनाने का निर्णय लिया गया है.
इमरान ख़ान ने अपने संबोधन में कहा कि वो ऐसी किसी भी बात
को ख़ारिज करते हैं. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह सब बातें कहां से कही जा
रही हैं.”
इमरान ख़ान ने अपने संबोधन में कहा कि एक दिन आएगा जब कश्मीरियों को संयुक्त
राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप अपना भविष्य तय करने की अनुमति होगी. उन्होंने यह
उम्मीद भी जताई कि उस दिन कश्मीरी पाकिस्तान में रहने का फ़ैसला करेंगे.
2019-2020 में दो साल के मुकाबले घटी बेरोज़गारी: भारत सरकार के आंकड़े
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भारतीय सांख्यिकी कार्यालय के हाल
के आँकड़ों के अनुसार साल 2019-20 में 2018-2019 और 2017-2018 के मुकाबले
बेरोज़गारी दर में कुल मिलाकर कमी आई है.
एनएसओ के पीरियॉडिक लेबर फ़ोर्स
सर्वे (पीएलएफ़एस) की तीसरी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2019 और जून 2020 के
बीच बेरोज़गारी दर गिरकर 4.8 फ़ीसदी हो गई.
साल 2018-19 में इसी अवधि में
बेरोज़गारी दर 5.8 और 2017-18 में 6.1 फ़ीसदी थी.
ब्रेकिंग न्यूज़मीराबाई चानू ने भारत को दिलाया टोक्यो में पहला मेडल, सिल्वर जीतकर रचा इतिहास
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भारतीय वेटलिफ़्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिला दिया है.
चानू ओलंपिक में वेटलिफ़्टिंग में सिल्वर मेडल लाने वाली पहली भारतीय एथलीट हैं.
उन्होंने 49 किलोग्राम भार में यह पदक जीता है. इस वर्ग में चीन की होऊ ज़हुई ने गोल्ड और इंडोनेशिया की विंडी असाह ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता.
चानू ने कुल 202 किलोग्राम भार उठाकर भारत को सिल्वर मेडल दिलाया.
एक सैन और किम जे ने पूरे मैच के दौरान शानदार प्रदर्शन
किया. जिसकी वजह से भारतीय जोड़ी को काफी चुनौती मिली. पहले दो सेटों में दक्षिण कोरियाई
जोड़ी, भारतीय जोड़ी पर हावी रही.
हालांकि, दीपिका और प्रवीण ने तीसरे सेट में वापसी की और उन्होंने स्कोर
को 4-2 तक पहुंचा दिया था. लेकिन चौथे सेट में एन सैन और किम की जोड़ी ने कुल 36 प्वाइंट्स
बनाए और मैच अपने नाम कर लिया.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई की
ख़बर के अनुसार, इससे पहले शनिवार को दीपिका कुमारी और प्रवीण जाधव की टीम ने
प्री-क्वार्टर फाइनल में लिन चिया-एन और तांग चिह-चुन की चीनी ताइपे जोड़ी को हराकर
क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
चीन ने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पर लगाई पाबंदी, फिर बढ़ा दोनों देशों में तनाव
चीन ने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रोस समेत कई अमेरिकी नागरिकों पर पाबंदी
लगा दी है.
चीन ने यह फ़ैसला अमेरिका के उस कदम के जवाब में उठाया है जिसके तहत अमेरिका
ने हॉन्ग कॉन्ग में चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
चीन का यह ऐलान उसी दिन सामने आया है जिस दिन अमेरिका की उप विदेश मंत्री
वेंडी शर्मन चीन दौरे पर जाने वाली हैं.
बाइडन प्रशासन ने चीन के इस फ़ैसले को ‘निरर्थक’ और ‘निराशावादी’ क़रार दिया है.
अमेरिकी ने हॉन्ग कॉन्ग में चीनी अधिकारियों पर पाबंदी उस इलाके में हुई कार्रवाइयों
में उनकी कथित भूमिका को लेकर लगाई थी.
अमेरिका ने हॉन्ग कॉन्ग में कारोबार करने वाले अपने नागरिकों को भी वहाँ मौजूद
ख़तरों को लेकर चेताया था.
इससे पहले क्या-क्या हुआ था?
हॉन्ग कॉन्ग में पिछले साल बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए थे
जिसके बाद चीन ने वहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू कर दिया था.
इस क़ानून में हड़ताल,
विरोध प्रदर्शन और विदेशी ताकतों से मेलजोल को अपराध माना गया है और इनके लिए किसी
को उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है.
अपनी हालिया पाबंदियों का ऐलान करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि
अमेरिकी प्रतिबंध ‘हॉन्ग कॉन्ग में कारोबार के माहौल को बेबुनियाद तरीके से
बदनाम करने के लिए’ लगाए हैं और ये ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों
के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करते है.’
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि जवाबी कार्रवाई के तौर पर वो अमेरिकी वाणिज्य
मंत्री विल्बर रोस समेत अमेरिका के सात नागरिकों और संगठनों पर प्रतिबंध लगा रहा
है.
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में विल्बर रोस ने उन चीनी कंपनियों की संख्या बढ़ा दी
थी जो पहले लाइसेंस लिए बिना अमेरिकी कंपनियों के साथ कारोबार नहीं सकतीं. इनमें
चीन की नामी कंपनी ख़्वावे भी शामिल थी.
ट्रंप प्रशासन में और बिगड़ गए थे रिश्ते
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिका चीन के
इन प्रतिबंधों के बाद भी ‘अडिग’ है.
साकी ने कहा, “ये पाबंदियाँ ताज़ा उदाहरण हैं कि चीन कैसे राजनीतिक संदेश भेजने के लिए लोगों,
कंपनियों और सिविल सोसायटी संस्थानों को सज़ा देता है.”
चीन और अमेरिका के रिश्ते पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन काल से और
ज़्यादा बिगड़ने लगे थे.
इसके बाद से अब तक दोनों देशों के सम्बन्ध कोरोना वायरस
के स्रोत, मानवाधिकार और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण ही बने हुए
हैं.
इन सबके बीच अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन चीन जाने वाली हैं.
कोरोना: 24 घंटों में 39 हज़ार से ज़्यादा मामले, 546 की मौत
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भारत में पिछले 24 घंटों में
कोरोना संक्रमण के 39,097 नए मामले सामने आए हैं और 546 लोगों की
मौत हो गई है.
बीते एक
दिन में डिस्चार्ज होने वाले लोगों की संख्या 35,087 रही है.
इसके साथ
ही भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर तीन करोड़ 13 लाख से ज़्यादा हो गई है.
वहीं, अब तक कुल चार
लाख 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. भारत
में कुल सक्रिय मामले 4,08,977 हो गए हैं.
वैक्सीनेशन
की बात करें तो कुल वैक्सीनेशन 42 करोड़ 78 लाख से अधिक है.
लाइव रिपोर्टिंग
रिपोर्टर- विभुराज और प्रशांत चाहल
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बीबीसी के इस लाइव पेज से जुड़ने के लिए आपका शुक्रिया. यह लाइव पेज अब यहीं बंद हो रहा है. 25 जुलाई, रविवार की बड़ी ख़बरों और लाइव अपडेट्स के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं.
दानिश सिद्दीक़ी की मौत के बाद अफ़ग़ानिस्तान में भारतीयों के लिए सरकार की चेतावनी
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का जैसे-जैसे नियंत्रण बढ़ रहा है, भारत सरकार की चिंता भी बढ़ती जा रही है. भारत सरकार ने अफ़ग़ानिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए चेतावनी जारी की है.
और पढ़ेंतुर्की: हागिया सोफ़िया मस्जिद की पहली सालगिरह पर क्या बोले राष्ट्रपति अर्दोआन
हागिया सोफिया मस्जिद के फिर से खोले जाने की पहली सालगिरह के मौके पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा है कि "ये मस्जिद हमारी सभ्यता के पुनरुद्धार का प्रतीक है."
उन्होंने कहा, "अल्लाह का इसके लिए शुक्रिया, जिसने हमें ये दिन दिखाया.... मुझे उम्मीद है कि अजान, इबादत और क़ुरान-ए-पाक इस महान मस्जिद के गुंबदों से क़यामत तक जुदा नहीं होंगे."
अर्दोआन ने हागिया सोफिया मस्जिद में 86 साल के अंतराल के बाद पहली बार पढ़ी गई जुमे की नमाज का एक वीडियो भी अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है.
पिछले साल 24 जुलाई को हागिया सोफिया मस्जिद में 86 साल बाद पहली बार मुसलमानों ने नमाज पढ़ी थी.
इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो हागिया सोफ़िया असल में एक चर्च हुआ करता था जिसे छठी सदी में बाइज़ेंटाइन सम्राट जस्टिनियन ने बनवाया था.
लेकिन उस्मानिया साम्राज्य के उदय के साथ ही इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया.
इस्तांबुल में बने ग्रीक शैली के इस मस्जिद को स्थापत्य कला का अनूठा नमूना माना जाता है जिसने दुनिया भर में बड़ी इमारतों की डिज़ाइन पर अपनी छाप छोड़ी है.
इसके बाद उस्मानिया सल्तनत के ख़ात्मे के बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा का शासन आया जिन्होंने 1934 में इस मस्जिद (मूल रूप से हागिया सोफ़िया चर्च) को म्यूज़ियम बनाने का फ़ैसला किया.
पाशा के इस फ़ैसले को आधुनिक तुर्की के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक माना जाता है.
साल 1985 में हागिया सोफिया को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था.
मस्जिद होने के अलावा हागिया सोफ़िया तुर्की में सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी है.
बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी, महाराष्ट्र में 136 की मौत, गोवा में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त
भारत के पश्चिमी घाट पर भारी बारिश से बनी बाढ़ जैसी परिस्थितियों ने गोवा और महाराष्ट्र के लोगों के सामने परेशानियाँ खड़ी कर दी हैं.
बताया गया है कि इन दोनों राज्यों के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों से लगभग दस हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा है.
एनडीआरएफ़ की टीमों के अलावा स्थानीय प्रशासन भी लोगों की मदद करने में जुटा है.
पश्चिमी तट के निकटवर्ती इलाक़ों में इस साल रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है.
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से भी कुछ लोगों के लापता होने की ख़बरें हैं.
बताया गया है कि महाराष्ट्र में कम से कम 136 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि गोवा में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हुए हैं.
जानकारों के मुताबिक़, बाढ़ के यूँ तो कई कारण होते हैं, लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हुआ जलवायु परिवर्तन इस तरह की भारी वर्षा का सबसे बड़ा कारण माना जाता है.
बचावकर्मियों की टीम का नेतृत्व कर रहे अधिकारियों का कहना है कि कुछ इलाक़ों में बचावकर्मियों का पहुँचना भी मुश्किल हो गया है. भूस्खलन से सड़कें बंद हो गई हैं जिसमें मुंबई से गोवा का हाइवे भी शामिल है. अधिकारियों ने कहा है कि इस इलाक़े में हेलीकॉप्टर, गोताखोर और नौसेना की रेसक्यू टीमें भी उतारनी पड़ी हैं.
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि यह बाढ़ पिछले कई दशकों में सबसे भयानक रही है और इससे बहुत भारी तबाही मचाई है.
वहीं महाराष्ट्र में ज़्यादातर नदियाँ उफ़ान पर हैं जिनकी वजह से उनके तटबंध टूटने की संभावना है.
महाराष्ट्र में लगभग 90 हज़ार लोगों को अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाला गया है.
दक्षिण-पूर्व मुंबई के तलिये गाँव में भूस्खलन से ज़्यादातर घर ज़मींदोज़ हो गये हैं. एक अधिकारी ने यहाँ लगभग 42 लोगों के मारे जाने की जानकारी दी है.
मौसम विभाग के मुताबिक़, अगले कुछ दिनों तक इस इलाक़े में भारी बारिश जारी रहने की संभावना है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन घटनाओं पर दुख व्यक्त किया है.
उन्होंने ट्वीट किया, “महाराष्ट्र में भारी बारिश के चलते जो स्थिति बनी है, उस पर वे नज़र बनाये हुए हैं और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है.”
अमन के लिए अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति को पद छोड़ना होगा: तालिबान
तालिबान का कहना है कि वो अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर एकाधिकार नहीं चाहते हैं लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब तक कि काबुल में नई सरकार का गठन नहीं होगा और राष्ट्रपति अशरफ़ गनी पद से हटाए नहीं जाएंगे देश में शांति स्थापित नहीं होगी.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को लेकर तालिबान का स्टैंड स्पष्ट किया है.
सुहैल शाहीन तालिबान की ओर से अलग-अलग देशों के साथ वार्ता कर रहे प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी हैं.
अमेरिका और नेटो के सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान देश के अलग-अलग हिस्सों को लगातार अपने नियंत्रण में रहा है.
इसी हफ़्ते अमेरिकी सेना के एक सीनियर मिलिट्री जनरल मार्क मिले ने पेंटागन की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया था कि तालिबान को रणनीतिक बढ़त हासिल है.
जनरल मार्क मिले ने इस बात से इनकार नहीं किया कि तालिबान पूरे अफ़ग़ानिस्तान को अपने दखल में ले सकता है.
सुहैल शाहीन ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "जब बातचीत के बाद काबुल में ऐसी सरकार बनेगी जो सभी पक्षों को स्वीकार होगी और अशरफ़ गनी की सरकार चली जाएगी तो तालिबान अपने हथियार डाल देगा."
"मैं ये बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम सत्ता पर एकाधिकार नहीं चाहते हैं क्योंकि अतीत में अफ़ग़ानिस्तान में जिन सरकारों ने सारी ताक़त अपने हाथ में लेने की कोशिश की है, वे नाकाम सरकारें रही हैं."
सुहैल शाहीन ने तालिबान की अपनी हुकूमत को भी उन्हीं नाकाम सरकारों में गिना है. उन्होंने स्पष्ट किया कि "हम उसी फॉर्मूले को फिर से दोहराना नहीं चाहते हैं."
लेकिन तालिबान ने एक और बात साफ़ कर दी है कि राष्ट्रपति अशरफ़ गनी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
मंगलवार को बकरीद के मौके पर राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने अपने भाषण में तालिबान पर हमला करने की बात कही थी. जिसके जवाब में तालिबान ने अशरफ़ गनी को जंग का सौदागर करार दिया है.
सुहैल शाहीन का कहना है कि राष्ट्रपति अशरफ़ गनी मुल्क पर हुकूमत करने का हक खो चुके हैं. इसके अलावा तालिबान ने उन पर साल 2019 में चुनावी धांधली के जरिए जीत हासिल करने का इलजाम लगाया है.
पिछले आम चुनाव के बाद अशरफ़ गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह दोनों ने अपनी जीत का दावा किया था.
हालांकि दोनों के बीच समझौता हो गया जिसके बाद अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह को सरकार में नंबर दो का ओहदा दिया गया और सुलह समिति का मुखिया नियुक्त किया गया था.
राष्ट्रपति अशरफ़ गनी को पद से हटाए जाने की तालिबान की मांग पर व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन प्साकी ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी एपी को बताया कि राष्ट्रपति बाइडन का समर्थन अफ़ग़ान राष्ट्रपति के साथ है.
बीस साल पहले जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी तो लड़कियों के तालीम हासिल करने पर पाबंदी लगा दी गई थी, शरिया क़ानून लागू था.
कई लोगों को तालिबान के उस दौर की वापसी का डर सता रहा है. जिन अफ़ग़ानों की आर्थिक स्थिति ठीक है, वे अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए वीजा का आवेदन दे रहे हैं.
अमेरिका और नेटो की सेना की 95 फीसदी वापसी पूरी हो गई है और 31 अगस्त तक इस काम को निपटा लिया जाएगा.
बीबीसी इंडिया बोल, 24 जुलाई 2021. यूपी में क्या बुनियादी सवालों पर हावी हो रहा पहचान का मुद्दा?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है. लेकिन, स्वास्थ्य, रोज़गार और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों से ज़्यादा चर्चा पहचान से जुड़े सवालों की हो रही है. आप क्या सोचते हैं? क्या बुनियादी सवालों पर हावी हो रहा है पहचान का मुद्दा? बीबीसी हिंदी के कार्यक्रम इंडिया बोल में आज इसी पर चर्चा कर रहे हैं बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय.
पाकिस्तानी एजेंसियों के दामन पर अफ़ग़ानों के ख़ून के धब्बे- अफ़ग़ान उपराष्ट्रपति
अफ़ग़ानिस्तान के उपराष्ट्रपति और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच जुबानी जंग का एक और दौर शुरू हो गया है.
इमरान ख़ान सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ़ पर तंज कसते हुए अफ़ग़ान उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने शनिवार को कहा, "पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा/असुरक्षा सलाहकार को ये लगता है कि क्वेटा का शुरा (सलाहकार परिषद) एक चुनी संस्था है और काबुल की सरकार थोपी गई है."
"वे और उनके सहयोगी चाहे कुछ भी कर लें लेकिन पाकिस्तानी एजेंसियों के दामन पर अफ़ग़ानों के ख़ून के जो धब्बे हैं, वे नहीं धुल पाएंगे. सेना और आईएसआई जिस चरमपंथ को बढ़ावा दे रही है, उसे रोका जाना चाहिए."
इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति ने साल 1971 के युद्ध में भारत के सामने पाकिस्तान के आत्म-समर्पण की तस्वीर शेयर करते हुए बुधवार को कहा था, "हमारे इतिहास में ऐसी कोई तस्वीर नहीं है और ना ही कभी होगी. हाँ, कल मैं एक बार को हिल गया था क्योंकि एक रॉकेट मेरे ऊपर से उड़कर गया और कुछ मीटर की दूरी पर गिरा."
"लेकिन पाकिस्तान के प्रिय ट्विटर हमलावरों, तालिबान और आतंकवाद इस तस्वीर के आघात को ठीक नहीं कर सकते. कोई और तरीक़े खोजिए."
लेकिन इसके बाद मोईद युसुफ़ ने अफ़ग़ान उपराष्ट्रपति की ओर इशारा करते हुए गुरुवार को कहा, "इस तरह के मूर्खतापूर्ण बयानों के कारण अफ़ग़ानिस्तान हर दिन शर्मिंदा हो रहा है. अफ़ग़ान लोगों को इस बात को लेकर आश्वस्त रहना चाहिए कि माहौल खराब करने वाले इन लोगों के एजेंडे को सभी समझते हैं. शांति और स्थिरता के लिए अफ़ग़ानों को पाकिस्तान के समर्थन पर हम इस तरह के मुठ्ठी भर जहरीले लोगों का असर नहीं पड़ने देंगे."
उन्होंने कहा, "काबुल में माहौल ख़राब करने वाले इस तरह से कटुतापूर्ण और भ्रामक बयान उनकी तरफ़ से आते हैं जिन्हें बदनसीबी से अफ़ग़ान भाइयों और बहनों पर सीनियर अफसरों के रूप में थोप दिया गया है. ये लोग अपनी नाकामी से ध्यान हटाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को नुक़सान पहुंचाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं."
"अफ़ग़ानिस्तान में समग्र राजनीतिक स्थिरता के लिए पाकिस्तान पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इसी भावना से प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने राष्ट्रपति अशरफ़ गनी से हालिया मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी मदद को लेकर सहमति जताई थी."
ब्रेकिंग न्यूज़दिल्ली की मेट्रो और बसें अब 100 फ़ीसदी सीटें भरकर चलेंगी, सिनेमा हॉल भी खुलेंगे
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी डीडीएमए ने कोरोना से संबंधित प्रतिबंधों में कुछ बड़े बदलाव किये हैं.
डीडीएमए ने कहा है कि सोमवार से राज्यान्तरिक बसों को 100 फ़ीसदी भरकर चलने की अनुमति होगी.
दिल्ली मेट्रो में भी सोमवार से यात्रियों की संख्या थोड़ी बढ़ायी जायेगी. बताया गया है कि मेट्रो में अब 100 फ़ीसदी सीटों को भरा जा सकेगा, हालांकि मेट्रो में खड़े होकर सफ़र करने की अनुमति अब भी नहीं होगी.
कहा गया है कि सोमवार से मेट्रो और बसों में बैठने के लिए जितनी सीटें होती हैं, उतने यात्री इनमें सफ़र कर सकेंगे.
दिल्ली में 26 जुलाई से सभी स्पा भी खुल जायेंगे, लेकिन स्पा में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी होनी चाहिए. इसके अलावा स्पा संचालकों को अपने सभी कर्मचारियों का पंद्रह दिन में एक बार आरटी-पीसीआर टेस्ट अवश्य कराना होगा.
डीडीएमए के अनुसार, सोमवार से शादी-ब्याह और अंतिम संस्कार में 100 लोगों को बुलाने की अनुमति होगी.
बी-टू-बी यानी बिज़नेस टू बिज़नेस श्रेणी की प्रदर्शनियाँ भी 26 जुलाई के बाद से लगाई जा सकेंगी, जिनमें सिर्फ़ व्यापारिक वर्ग के दर्शकों को जाने की अनुमति दी जायेगी.
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ये पाबंदियाँ लगाई गई थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे इन पाबंदियों को हटाया जा रहा है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिए राष्ट्रपति बाइडन ने की अहम घोषणा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान की सुरक्षा परिस्थितियों के मद्देनज़र शरणार्थियों की फौरी ज़रूरतों को पूरा करने के 10 करोड़ डॉलर के आपातकालीन फंड को मंज़ूरी दी है.
व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को लिए गए इस फ़ैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस आपातकालीन फंड का फ़ायदा अमेरिका आने के लिए स्पेशल वीज़ा के आवेदकों को भी होगा.
इसके अलावा राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिकी सरकार की एजेंसियों के लिए भी इसी उद्देश्य से 20 करोड़ डॉलर की मंज़ूरी दी है.
अमेरिका आने के लिए स्पेशल वीज़ा का आवेदन देने वाले हज़ारों अफ़ग़ानों को बाइडन प्रशासन वहाँ से हटाने की तैयारी शुरू कर रहा है.
इन अफ़ग़ानों ने अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सरकार के लिए काम किया था और अब ये आशंका जताई जा रही है कि तालिबान इनसे बदला ले सकता है.
इन अफ़ग़ान शरणार्थियों का पहला जत्था वर्जीनिया स्थित फोर्ट ली के सैनिक अड्डे जुलाई ख़त्म होने से पहले पहुंच सकता है. यहां उनके वीज़ा आवेदनों पर अंतिम प्रक्रिया पूरी की जाएगी और तब तक ये शरणार्थी यहीं रहेंगे.
पेंटागन ने सोमवार को बताया कि तकरीबन 2500 अफ़ग़ान सुरक्षाकर्मी वहां लाए जा सकते हैं. बाइडन प्रशासन अन्य जगहों पर भी विचार कर रहा है, जहाँ स्पेशल वीज़ा के अफ़ग़ान आवेदकों को लाया जा सकता है.
साल 2001 में जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया तो इन अफ़ग़ानों ने अमेरिकी सरकार के लिए दुभाषिए और दूसरे काम किए थे. बाइडन प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि तकरीबन 18 हज़ार अफ़ग़ान नागरिकों ने स्पेशल वीज़ा के लिए आवेदन किया है.
मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण का फ़ैसला क्यों लिया था?
30 साल पहले साल 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिसने भारत की तकदीर हमेशा के लिए बदल दी.
मीराबाई चानू के चैंपियन बनने की कहानी
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान को दिलाया भरोसा
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने शुक्रवार को अमेरिका और अफ़ग़ानिस्तान के संबंधों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से बात की.
अशरफ़ गनी ने बताया कि फ़ोन पर हुई इस बातचीत के दौरान राष्ट्रपति बाइडन ने यह भरोसा दिलाया कि अमेरिका अफ़ग़ान नेशनल डिफ़ेंस एंड सिक्योरिटी फ़ोर्स (एएनडीएसएफ़) का समर्थन जारी रखेगा.
ट्विटर पर गनी ने लिखा है कि हमें विश्वास है कि एएनडीएसएफ़ अफ़ग़ानिस्तान की रक्षा करने में सक्षम है.
गनी के अनुसार, दोनों नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अफ़ग़ान लोग अमन, शांति और सुरक्षा के लिए एकजुट हों. दोनों देशों के बीच स्थापित पुराने रिश्ते वैसे ही बने रहें. राजनयिक और आर्थिक साझेदारी भी बनी रहे. साथ ही पिछले 20 सालों में जो दोनों देशों ने मिलकर हासिल किया, उसे संरक्षित रखा जाये.
व्हाइट हाउस ने भी दोनों नेताओं की बातचीत के बाद एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति जो बाइडन और अशरफ़ गनी के बीच एक स्थायी द्विपक्षीय साझेदारी बनाये रखने को लेकर बात हुई.
बयान में कहा गया है कि जो बाइडन ने महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों सहित अफ़ग़ान लोगों के लिए विकास और मानवीय सहायता सहित अमेरिकी समर्थन बनाये रखने पर ज़ोर दिया.
बयान में ये भी कहा गया है कि बाइडन और गनी इस बात पर सहमत हुए कि तालिबान का मौजूदा आक्रमण समझौतों के ज़रिये समस्या को हल करने के विपरीत है.
जो बाइडन ने इस बात पर भी फिर से ज़ोर दिया कि अमेरिका अफ़ग़ान फ़ोर्स को आत्म-रक्षा के लिए सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है.
दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
राष्ट्रपति गनी ने कहा है कि उन्होंने एक नया सिक्योरिटी प्लान बनाया है जिसके लागू होने के बाद मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियाँ बदलेंगी.
इस नये सिक्योरिटी प्लान के अंतर्गत एएनडीएसएफ़ बड़े शहरों, हवाई अड्डों, हाइवे, सीमा से सटे कस्बों जैसे महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थानों पर सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ायेगी.
पिछले दो महीने में 200 से ज़्यादा ज़िले तालिबान के कब्ज़े में चले गए हैं. इनमें कुछ महत्वपूर्ण सीमावर्ती कस्बे भी शामिल हैं.
लेकिन सरकार ने बड़े भरोसे से कहा है कि वो इन इलाक़ों को वापस अपने कब्ज़े में ले लेगी, जिनमें ख़ासतौर पर हेरात और कंधार प्रांत के सीमावर्ती कस्बे शामिल हैं.
ICSE बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित
आईसीएसई बोर्ड (काउंसिल फ़ॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग़्ज़ामिनेशंस) ने 10वीं और 12वीं क्लास के नतीजे शनिवार को घोषित कर दिए हैं.
दसवीं क्लास के नतीज़ों में लड़के और लड़कियों की बराबर भागीदारी रही है. 12वीं के नतीजों में लड़कों का रिजल्ट लड़कियों से 0.2 फीसदी से बेहतर रहा है.
बोर्ड ने कहा है कि इस बार की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रिज़ल्ट तैयार नहीं किया गया है और कोई मेरिट लिस्ट नहीं जारी की जाएगी.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए काउंसिल फ़ॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग़्ज़ामिनेशंस ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं.
बोर्ड ने वैकल्पिक मूल्यांकन नीति बनाई जिसके आधार पर ये रिजल्ट तैयार किया गया है.
आईसीएसई बोर्ड के चीफ़ एग़्ज़िक्यूटिव एंड सेक्रेटरी गेरी एराथून ने बताया, "दसवीं क्लास में लड़के और लड़कियों की सफलता का प्रतिशत 99.98 है. 12वीं क्लास की लड़कियों का रिजल्ट 99.86 फीसद है और लड़के 99.66 फीसदी पास हुए हैं."
रूस हथियारों की होड़ को लेकर पश्चिमी देशों पर बरसा
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ ने कहा है कि हाल के दशकों में पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों से ये सबक मिला है कि रूस की एकतरफ़ा रियायतों को कमज़ोरी समझा जाता है और ऐसी नई मांगें सामने रख दी जाती हैं, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
रूसी समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ शुक्रवार को रूस की विदेश नीति पर एक वेबीनार को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, "चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक परिस्थितियों में नीतियां बनाने के लिए दृढ़ता और बुद्धिमत्ता दोनों की ही ज़रूरत होती है. पश्चिमी देशों के साथ अपनी शर्तों पर सुलह की ज़रूरत को लेकर जो आवाज़ें उठ रही हैं, उन पर ग़ौर किया जा सकता है."
सर्गेई लावरोफ ने कहा, "80 के दशक और 90 के दशक की शुरुआत में मिले अनुभवों को देखते हुए मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे द्वारा दी गई किसी भी एक तरफ़ा रियायत को केवल कमज़ोरी समझा जाएगा. हमारे सहयोगी देशों को मालूम है कि ये कैसे किया जाता है."
"इसके बाद वे और ज़्यादा अस्वीकार्य मांगें रखने लगते हैं. यही वजह है कि हम एक स्वतंत्र और राष्ट्र को प्रमुखता देने वाली विदेश नीति पर अमल करते हैं. ये एक व्यावहारिक विदेश नीति है. हम धमकियों और चुनौतियों पर विचार नहीं करेंगे बल्कि हम उनके ख़िलाफ़ खड़े होते हैं."
हथियारों की रेस पर सर्गेई लावरोफ ने रूस का पक्ष रखा. उन्होंने कहा, "देश और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जो कुछ भी ज़रूरी होगा और संप्रभुता को मज़बूत करने के लिए न तो हम अलगाव में रहेंगे और न ही किसी से उलझेंगे. मैं एक बार फिर से ये बात ज़ोर देकर कहता हूँ कि हम किसी को भी रूस को नए और महंगे हथियारों की दौड़ में खींचने की इजाजत नहीं देंगे."
सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस के पास अपनी सुरक्षा के लिए तमाम संसाधन हैं और वो अन्य देशों के साथ बराबरी के आधार पर सहयोग को लेकर तैयार है.
ब्रेकिंग न्यूज़पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चुनाव से पहले इमरान ख़ान का बड़ा बयान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कश्मीर पर पाकिस्तान की घोषित नीति से अलग रुख अपनाते हुए कहा है कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को यह तय करने देगा कि वे पाकिस्तान में शामिल होना चाहते हैं या फिर 'आज़ाद' होना चाहते हैं.
वहीं, भारत ने ज़ोर देकर कहा है कि जम्मू और कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा.
25 जुलाई को होने वाले चुनाव से पहले पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के तरार खाल इलाक़े में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने विपक्ष के एक नेता के दावे को भी ख़ारिज किया, जिसमें उन्होने कहा था कि उनकी सरकार कश्मीर को पाकिस्तान का प्रांत बनाने की योजना पर काम कर रही है.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की नेता मरियम नवाज़ ने 18 जुलाई को पीओके में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर की स्थिति को बदलने और इसे एक प्रांत बनाने का निर्णय लिया गया है.
इमरान ख़ान ने अपने संबोधन में कहा कि वो ऐसी किसी भी बात को ख़ारिज करते हैं. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह सब बातें कहां से कही जा रही हैं.”
इमरान ख़ान ने अपने संबोधन में कहा कि एक दिन आएगा जब कश्मीरियों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप अपना भविष्य तय करने की अनुमति होगी. उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि उस दिन कश्मीरी पाकिस्तान में रहने का फ़ैसला करेंगे.
2019-2020 में दो साल के मुकाबले घटी बेरोज़गारी: भारत सरकार के आंकड़े
भारतीय सांख्यिकी कार्यालय के हाल के आँकड़ों के अनुसार साल 2019-20 में 2018-2019 और 2017-2018 के मुकाबले बेरोज़गारी दर में कुल मिलाकर कमी आई है.
एनएसओ के पीरियॉडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे (पीएलएफ़एस) की तीसरी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2019 और जून 2020 के बीच बेरोज़गारी दर गिरकर 4.8 फ़ीसदी हो गई.
साल 2018-19 में इसी अवधि में बेरोज़गारी दर 5.8 और 2017-18 में 6.1 फ़ीसदी थी.
ब्रेकिंग न्यूज़मीराबाई चानू ने भारत को दिलाया टोक्यो में पहला मेडल, सिल्वर जीतकर रचा इतिहास
भारतीय वेटलिफ़्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिला दिया है.
चानू ओलंपिक में वेटलिफ़्टिंग में सिल्वर मेडल लाने वाली पहली भारतीय एथलीट हैं.
उन्होंने 49 किलोग्राम भार में यह पदक जीता है. इस वर्ग में चीन की होऊ ज़हुई ने गोल्ड और इंडोनेशिया की विंडी असाह ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता.
चानू ने कुल 202 किलोग्राम भार उठाकर भारत को सिल्वर मेडल दिलाया.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दी बधाई
मेडल जीतने के बाद चानू सोशल मीडिया पर छा गई हैं. हर आम से लेकर ख़ास व्यक्ति उन्हें बधाई दे रहा है और उनका शुक्रिया अदा कर रहा है.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है.
टोक्यो ओलंपिक 2020: दीपिका कुमारी और प्रवीण जाधव की जोड़ी क्वार्टर फ़ाइनल में हारी
टोक्यो ओलंपिक 2020 के तीरंदाज़ी के मिक्स्ड डबल्स में भारत की दीपिका कुमारी और प्रवीण जाधव की जोड़ी क्वार्टर फ़ाइनल में मुक़ाबला हार गई है.
क्वार्टर फाइनल में दक्षिण कोरिया की एन सैन और किम जे देओक की जोड़ी ने उन्हें 6-2 से मात दी.
एक सैन और किम जे ने पूरे मैच के दौरान शानदार प्रदर्शन किया. जिसकी वजह से भारतीय जोड़ी को काफी चुनौती मिली. पहले दो सेटों में दक्षिण कोरियाई जोड़ी, भारतीय जोड़ी पर हावी रही.
हालांकि, दीपिका और प्रवीण ने तीसरे सेट में वापसी की और उन्होंने स्कोर को 4-2 तक पहुंचा दिया था. लेकिन चौथे सेट में एन सैन और किम की जोड़ी ने कुल 36 प्वाइंट्स बनाए और मैच अपने नाम कर लिया.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई की ख़बर के अनुसार, इससे पहले शनिवार को दीपिका कुमारी और प्रवीण जाधव की टीम ने प्री-क्वार्टर फाइनल में लिन चिया-एन और तांग चिह-चुन की चीनी ताइपे जोड़ी को हराकर क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
चीन ने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पर लगाई पाबंदी, फिर बढ़ा दोनों देशों में तनाव
चीन ने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रोस समेत कई अमेरिकी नागरिकों पर पाबंदी लगा दी है.
चीन ने यह फ़ैसला अमेरिका के उस कदम के जवाब में उठाया है जिसके तहत अमेरिका ने हॉन्ग कॉन्ग में चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
चीन का यह ऐलान उसी दिन सामने आया है जिस दिन अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन चीन दौरे पर जाने वाली हैं.
बाइडन प्रशासन ने चीन के इस फ़ैसले को ‘निरर्थक’ और ‘निराशावादी’ क़रार दिया है.
अमेरिकी ने हॉन्ग कॉन्ग में चीनी अधिकारियों पर पाबंदी उस इलाके में हुई कार्रवाइयों में उनकी कथित भूमिका को लेकर लगाई थी.
अमेरिका ने हॉन्ग कॉन्ग में कारोबार करने वाले अपने नागरिकों को भी वहाँ मौजूद ख़तरों को लेकर चेताया था.
इससे पहले क्या-क्या हुआ था?
हॉन्ग कॉन्ग में पिछले साल बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद चीन ने वहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू कर दिया था.
इस क़ानून में हड़ताल, विरोध प्रदर्शन और विदेशी ताकतों से मेलजोल को अपराध माना गया है और इनके लिए किसी को उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है.
अपनी हालिया पाबंदियों का ऐलान करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध ‘हॉन्ग कॉन्ग में कारोबार के माहौल को बेबुनियाद तरीके से बदनाम करने के लिए’ लगाए हैं और ये ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करते है.’
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि जवाबी कार्रवाई के तौर पर वो अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रोस समेत अमेरिका के सात नागरिकों और संगठनों पर प्रतिबंध लगा रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में विल्बर रोस ने उन चीनी कंपनियों की संख्या बढ़ा दी थी जो पहले लाइसेंस लिए बिना अमेरिकी कंपनियों के साथ कारोबार नहीं सकतीं. इनमें चीन की नामी कंपनी ख़्वावे भी शामिल थी.
ट्रंप प्रशासन में और बिगड़ गए थे रिश्ते
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिका चीन के इन प्रतिबंधों के बाद भी ‘अडिग’ है.
साकी ने कहा, “ये पाबंदियाँ ताज़ा उदाहरण हैं कि चीन कैसे राजनीतिक संदेश भेजने के लिए लोगों, कंपनियों और सिविल सोसायटी संस्थानों को सज़ा देता है.”
चीन और अमेरिका के रिश्ते पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन काल से और ज़्यादा बिगड़ने लगे थे.
इसके बाद से अब तक दोनों देशों के सम्बन्ध कोरोना वायरस के स्रोत, मानवाधिकार और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण ही बने हुए हैं.
इन सबके बीच अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन चीन जाने वाली हैं.
कोरोना: 24 घंटों में 39 हज़ार से ज़्यादा मामले, 546 की मौत
भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 39,097 नए मामले सामने आए हैं और 546 लोगों की मौत हो गई है.
बीते एक दिन में डिस्चार्ज होने वाले लोगों की संख्या 35,087 रही है.
इसके साथ ही भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर तीन करोड़ 13 लाख से ज़्यादा हो गई है.
वहीं, अब तक कुल चार लाख 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. भारत में कुल सक्रिय मामले 4,08,977 हो गए हैं.
वैक्सीनेशन की बात करें तो कुल वैक्सीनेशन 42 करोड़ 78 लाख से अधिक है.