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दैनिक भास्कर पर IT रेड:सरकार अपना काम कर रही है, पिछले कुछ समय से हम अपना काम कैसे कर रहे हैं उसे जांचने के लिए पेश हैं दैनिक भास्कर की 10 रिपोर्ट्स

3 वर्ष पहले
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दैनिक भास्कर जनसरोकार से जुड़े मुद्दे हमेशा से उठाता रहा है। पिछले 6 महीने में हमने ऐसी कई रिपोर्ट्स की हैं जिनमें जनता के हक की आवाज बुलंद की गई। हमने सरकार और सिस्टम को कठघरे में खड़ाकर कठिन सवाल पूछे। इन सवालों को उठाने वाली 10 रिपोर्ट्स एक बार फिर आपके सामने ला रहे हैं। आज यह इसलिए मौजूं है क्योंकि हम पर आयकर विभाग की रेड चल रही है। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन हम मानते हैं कि हमारे काम का सही मूल्यांकन केवल पाठक कर सकते हैं। देखिए ये 10 रिपोर्ट्स...

1. UP में गंगा किनारे मिले 2000 से ज्यादा शव
दैनिक भास्कर के 30 रिपोर्टर्स ने UP के 27 जिलों में गंगा किनारे घाट और गांवों का जायजा लिया। गंगा UP के इन्हीं जिलों में 1140 किमी का सफर तय करते हुए बिहार में दाखिल होती है। इनमें कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, गाजीपुर और बलिया में हालात बेहद खराब मिले। उन्नाव में रेत में दो जगहों पर 900 से ज्यादा शव दफन पाए गए।

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2. राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी
दैनिक भास्कर को राजस्थान के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल डस्टबिन में मिलीं। इनमें करीब 2,500 से भी ज्यादा डोज थे। भास्कर टीम की पड़ताल में 500 से ज्यादा वायल 20% से 75% तक भरे मिले। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में 16 जनवरी से 17 मई तक 11.50 लाख से ज्यादा कोविड डोज बर्बाद कर दिए गए।

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3. UP के गांवों में कोविड की जांच नहीं
हम उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के 13 गांवों में पहुंचे। हर गांव में 1 से 7 हजार तक की आबादी है। इन सभी गांवों में पिछले एक-डेढ़ महीने से मौतें अचानक बढ़ गई थीं। मरने वाले सभी खांसी-बुखार से पीड़ित थे। क्या इन्हें कोरोना था? टेस्ट ही नहीं हुए तो कैसे पता चलता। कोरोना जैसी महामारी में भी गांवों के लोग सिर्फ झोलाछापों के भरोसे थे।

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4. गुजरात में कोरोना से मौतों का सच
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अहमदाबाद समेत पूरे राज्य में शवों के ढेर लगे रहे। इसके बावजूद सरकारी आंकड़ों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा बहुत कम बताया गया। अहमदाबाद की ही बात करें तो यहां के 1,200 बेड वाले सिविल कोविड अस्पताल में रोज इतनी मौतें हुईं कि इसका आंकड़ा पूरे गुजरात में रोजाना होने वाली मौतों से ज्यादा था।

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5. बिहार में वैक्सीनेशन के आंकड़ों में हेर-फेर
राज्य सरकार ने जून के 17 दिनों में वैक्सीनेशन के 8.93 लाख फर्जी आंकड़े दर्ज कर दिए। ताकि बिहार वैक्सीनेशन की रफ्तार में देश के अन्य राज्यों से पीछे न छूट जाए। फर्जी आंकड़े एक दिन नहीं, हर दिन जोड़े जा रहे थे। 17 जून को जोड़े गए फर्जी आंकड़ों की संख्या बढ़कर तीन लाख से ऊपर चली गई। दैनिक भास्कर ने पड़ताल कर सरकार के इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था।

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6. पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से सरकार की कमाई बढ़ी
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से जब देश में ज्यादातर लोगों की आमदनी घट रही थी, तब राहत देने की बजाय सरकार ने महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ डाल दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि पहली बार सरकार की आयकर से ज्यादा कमाई पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से हुई। जनता को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट के रूप में 5.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा चुकाने पड़े।

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7. पेट्रोल-डीजल 100 रुपए के पार
पेट्रोल के बाद डीजल की कीमतें भी 100 रुपए/लीटर को पार कर गईं। इससे राजस्थान के श्रीगंगानगर में डीजल 100.06 रुपए हो गए। वहीं पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पेट्रोल पहले ही 100 रुपए के पार बिकने लगा था। 2 मई को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। उसके दो दिन बाद से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने शुरू हो गए थे।

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8. ऑक्सीजन की कमी से मौतों की हकीकत
केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में देश में किसी की भी मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं थी। सरकार के बयान के बाद देशभर में बवाल मच गया। बवाल मचना लाजमी भी था, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा था। रोज अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौतों की खबरें आ रही थीं।

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9. देश में कोरोना से मौतें कम बताने की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का अनुमान था कि दुनिया में कोरोना की वजह से मौत के आंकड़े आधिकारिक संख्या से 2 से 3 गुना ज्यादा हो सकते हैं। भारत में आधिकारिक रूप से कम मौतें रिपोर्ट होने की आशंका और ज्यादा है। एमोरी यूनिवर्सिटी की महामारी वैज्ञानिक कायोका शियोडा का कहना था कि भारत में कोरोना से कई मौतें घर पर हो रही हैं, ये मौतें आधिकारिक आंकड़ों से बाहर हो जाती हैं।

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10. कोरोना में मंत्रियों के ट्वीट्स का एनालिसिस
मोदी सरकार सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहती आई है। सरकारी फैसलों के प्रचार से लेकर हो रही आलोचनाओं के जवाब तक में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। देश में कोरोना की लहर के दौरान सरकार सोशल मीडिया पर क्या कर रही थी? ये जानने के लिए हमने मोदी कैबिनेट के 10 बड़े मंत्रियों के 1 से 14 मई के दौरान किए गए ट्वीट का एनालिसिस किया।

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