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आज का इतिहास:बॉम्बे में हुई थी भारत के पहले नियमित रेडियो प्रसारण केंद्र की शुरुआत, यही आगे चलकर ऑल इंडिया रेडियो बना

3 वर्ष पहले
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23 जुलाई 1927 को भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने बॉम्बे में रेडियो केंद्र का उद्घाटन किया। 1930 में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी का राष्ट्रीयकरण हुआ। जून 1936 में इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस को ऑल इंडिया रेडियो नाम दिया गया। इसी साल ऑल इंडिया रेडियो के जरिए पहले न्यूज बुलेटिन का प्रसारण हुआ था।

हालांकि देश में प्राइवेट तौर पर रेडियो क्लब 1923 से ही शुरू हो गए थे। जून 1923 में रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे और इसके 5 महीनों बाद कलकत्ता रेडियो क्लब की शुरुआत हुई। हालांकि इन दोनों के ट्रांसमीटर ज्यादा शक्तिशाली नहीं थे, इसलिए केवल आसपास के क्षेत्रों तक ही इनकी पहुंच थी।

आजादी के समय भारत में कुल 9 रेडियो स्टेशन थे, लेकिन पाकिस्तान अलग हुआ तो 3 रेडियो स्टेशन पाकिस्तान में चले गए। भारत के पास दिल्ली, बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, तिरुचिरापल्ली और लखनऊ के स्टेशन बचे। ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच तब केवल 11% आबादी तक ही थी। 1956 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी नाम दिया गया। अगले ही साल विविध भारती की शुरुआत हुई।

आज ऑल इंडिया रेडियो के जरिए 100 से भी ज्यादा देशों में 11 भारतीय और 16 विदेशी भाषाओं में रोजाना 56 घंटे के प्रोग्राम ब्रॉडकास्ट किए जाते हैं।
आज ऑल इंडिया रेडियो के जरिए 100 से भी ज्यादा देशों में 11 भारतीय और 16 विदेशी भाषाओं में रोजाना 56 घंटे के प्रोग्राम ब्रॉडकास्ट किए जाते हैं।

आज ऑल इंडिया रेडियो को दुनिया के सबसे बड़े मीडिया ऑर्गेनाइजेशन में गिना जाता है। भारत की 99.18% आबादी तक ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच है। 262 ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन के जरिए भारत के 91% इलाकों में ऑल इंडिया रेडियो के प्रोग्राम्स की पहुंच है।

अगर दुनिया में रेडियो की शुरुआत की बात करें तो इसकी शुरुआत 1900 के आरंभ से होती है। 24 दिसंबर 1906 को कनाडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अपना वॉयलिन बजाया। दूर समुद्र में तैर रहे जहाजों में रेडियो सेट पर उनके वॉयलिन की आवाज सुनाई दी। इस तरह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई।

हालांकि इसके पहले भी रेडियो वेव्स के जरिए संदेश तो भेजे जाते थे, लेकिन एक बार में केवल एक ही रेडियो सेट पर ये पहली बार हो रहा था, जब एक साथ कई रेडियो सेट पर संदेश भेजा गया। इसने ही पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग के आइडिया को जन्म दिया।

पहले विश्वयुद्ध में रेडियो तरंगों का इस्तेमाल खूब हुआ। धीरे-धीरे दुनिया में प्राइवेट रेडियो स्टेशन खुलने लगे। इंग्लैंड में बीबीसी की शुरुआत हुई।

आज चंद्रशेखर आजाद का जन्मदिन

आज भारत की आजादी की लड़ाई के उस जुझारू सिपाही का जन्मदिन है, जिसे अंग्रेज कभी जिंदा नहीं पकड़ पाए। अंग्रेजों ने जब आजाद को चारों ओर से घेर लिया तो उन्होंने खुद को गोली मार ली। जिंदगी भर अंग्रेजों की पहुंच से आजाद ये सिपाही मरते दम तक अंग्रेजों की पहुंच से दूर ही रहा।

23 जुलाई 1906 को जन्मे चंद्रशेखर मात्र 14 साल की उम्र में ही आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे। असहयोग आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें जज के सामने पेश किया गया। जब जज ने उनसे नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’ और पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ बताया। यहीं से चंद्रशेखर तिवारी चंद्रशेखर आजाद बन गए।

9 अगस्त 1925 को हुए काकोरी कांड में चंद्रशेखर आजाद भी शामिल थे। राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 10 क्रांतिकारियों ने लखनऊ से करीब 16 किलोमीटर की दूर स्थित काकोरी में इस घटना को अंजाम दिया था। क्रांतिकारियों ने सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को जबरदस्ती रुकवाकर उसमें रखा अंग्रेजों का पैसा लूट लिया था।

इस घटना से बौखलाई अंग्रेज पुलिस ने करीब 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन आजाद किसी तरह फरार होने में कामयाब हो गए। फरवरी 1931 में आजाद इलाहाबाद में थे। 27 फरवरी को अल्फ्रेड पार्क में आजाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठे थे, तभी वहां अंग्रेज पुलिस आ धमकी।

पुलिस ने उन्हें चारो ओर से घेर लिया और फायरिंग करने लगी। आजाद ने सुखदेव को भागने को कहा और अकेले ही पुलिस पर जवाबी फायरिंग करने लगे। जब आजाद के पास एक ही गोली बची तो उन्होंने वो खुद को मारी ली।

चंद्रशेखर आजाद ने इसी पेड़ के नीचे खुद को गोली मारी थी।
चंद्रशेखर आजाद ने इसी पेड़ के नीचे खुद को गोली मारी थी।

1903: फोर्ड ने बेची थी अपनी पहली कार

दुनिया की बेहद सफल कार कंपनी फोर्ड ने आज ही के दिन 1903 में अपनी पहली कार बेची थी। कंपनी द्वारा कॉमर्शियली बनाया गया ये पहला कार मॉडल था। शिकागो के डेंटिस्ट डॉक्टर अर्नस्ट फेनिंग ने 850 डॉलर में फोर्ड कंपनी की पहली कार मॉडल A खरीदी थी।

फोर्ड कंपनी की शुरुआत करने वाली हेनरी फोर्ड एक इंजीनियर थे और अलग-अलग मैकेनिकल कंपनियों में काम कर चुके थे। इससे पहले 1893 में फोर्ड एक छोटा सिंगल सिलेंडर इंजन डिजाइन कर चुके थे। इस इंजन को उन्होंने साइकिल के 4 पहियों पर फिट कर क्वाड्रासाइकिल बनाई थी। इसे फोर्ड द्वारा बनाया पहला व्हीकल माना जाता है।

अपनी बनाई क्वाड्रासाइकिल पर हेनरी फोर्ड।
अपनी बनाई क्वाड्रासाइकिल पर हेनरी फोर्ड।

1903 में उन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी और 12 लोगों के साथ मिलकर फोर्ड मोटर कंपनी की शुरुआत की। कंपनी ने इन्वेस्टर से मिले 28 हजार डॉलर की पूरी रकम अपने पहले मॉडल को बनाने में ही खर्च कर दी थी, लेकिन 3 महीनों में ही कंपनी को 37 हजार डॉलर का फायदा हुआ। 23 जुलाई 1903 को कंपनी ने अपनी पहली कार बेची। इसमें डबल सिलेंडर और 8 हॉर्सपॉवर का इंजन लगा था, जो 47 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से भाग सकती थी।

23 जुलाई के दिन हुईं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की अन्य घटनाएं…

2020: चीन ने अपने पहले मंगल मिशन की शुरुआत की। वेंचांग लॉन्च साइट से चीन ने तियानवन-1 लॉन्च किया।

2019: यूके की कंजर्वेटिव पार्टी ने बोरिस जॉनसन को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुना। अगले ही दिन जॉनसन यूके के प्रधानमंत्री बने।

2005: मिस्र के शर्म-अल-शेख के रिसॉर्ट में हुए बम धमाकों में 88 लोग मारे गए थे।

1962: यूरोप के लाखों लोगों ने सैटेलाइट टेलस्टार के जरिए पहली बार टीवी पर लाइव प्रसारण देखा था। इस घटना को सैटेलाइट कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है।

1904: चार्ल्स मेंचेस ने पहले आइसक्रीम कोन को बनाया था।

1829: अमेरिका के विलियम ऑस्टिन बर्ट ने टाइपोग्राफ का पेटेंट कराया, जिससे बाद में टाइपराइटर का विकास हुआ।

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