कोरोना महामारी लोगों पर कहर बनकर टूट रही है. लॉकडाउन की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हुई है. आम आदमी को प्राइवेट स्कूलों की महंगी शिक्षा की जगह सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली मुफ्त शिक्षा रास आ रही है. कोरोना काल में एक ओर जहां लोगों की आमदनी घटी, वहीं ऑनलाइन शिक्षा पर लोगों का भरोसा भी नहीं है.
अहमदाबाद के सीटीएम इलाके में रहने वाले जयेश पंचाल अपने बच्चों को अहमदाबाद नगर निगम की ओर से संचालित सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं. लेथ मशीन पर काम करने वाले जयेश पंचाल, महीनेभर में मुश्किल से 12,000 कमाते हैं. लॉकडाउन और कोरोना की दूसरी लहर में जब उनकी कमाई बंद हुई, तो असर उनकी जेब पर पड़ा.
उन्होंने तय किया कि अब वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल नहीं, सरकारी स्कूल में शिक्षा दिलाएंगे. नगर निगम की ओर से संचालित स्कूल में फीस नहीं देनी पड़ती है, वहीं घर में ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए, बच्चों को शिक्षा दी जा रही है.
निजी स्कूल के टीचर ने की आत्महत्या, दो साल से सैलरी नहीं मिलने से था परेशान
बीते डेढ़ साल से लोग कोरोना संक्रमण की मार से जूझ रहे हैं. लोगों ने महामारी के दौरान अपने परिजनों को खोया है, वहीं बेरोजगारी का कहर भी परिवारों पर टूटा है. लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी इसका असर हुआ है. महंगी शिक्षा की वजह से अब पढ़ाई पर भी इसकी आंच देखने को मिल रही है.
प्राइवेट स्कूलों में जहां बेतहाशा फीस बढ़ी है, वहीं बच्चों को पढ़ाने में एक तबका अब महंगे स्कूलों में जाने से कतरा रहा है. महंगी फीस और किताबों का खर्च उठाने में मध्यम वर्ग की कमर टूट रही है.
सरकारी स्कूलों में 15,700 नए एडमिशन
अहमदाबाद नगर निगम की ओर से सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक सरकारी स्कूलों में कुल 15,700 नए छात्रों का एडमिशन हुआ है. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से अभिभावकों की आमदनी कम हुई है. यही वजह है कि अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस भरने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. वैसे बीते साल फीस में 25 फीसदी कटौती सरकार ने की थी, लेकिन इस बार अब तक सरकार ने फीस को लेकर कोई फैसला नहीं किया है.
सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए वेटिंग!
लॉकडाउन और कोरोना की वजह से लोगों की सैलरी में कटौती हुई है. प्राइवेट स्कूल में ऑनलाइन पढ़ाई से बेहतर है कि मुफ्त में सरकारी स्कूल में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना. खर्च कर्म होने की वजह से लोग सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि इन स्कूलों में पढ़ाई के लिए कई छात्रों का नाम वेटिंग में चल रहा है.