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- In The Desire Of Original Content, Big Cities Have Joined OTT, Yet The Status Of Family Entertainer Is Still With TV.
OTT vs TV में किसका पलड़ा भारी:ओरिजिनल कंटेंट की चाहत में बड़े शहरों ने ओटीटी का दामन थामा, लेकिन फैमिली एंटरटेनर का रुतबा अभी भी टीवी के पास
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- इंटरनेट ग्रोथ और कंटेंट स्ट्रैटजी से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स टीवी की व्यूअरशिप में सेंध लगाएंगे
देश के छोटे शहरों और कस्बों की ऑडियंस पर टीवी का राज है, मगर अब ओटीटी वहां भी अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रहा है। भारत में मनोरंजन के मैदान में एक दिलचस्प मुकाबले का बिगुल बज चुका है।
लॉकडाउन में फिल्मों और टीवी पर फ्रेश कंटेंट बंद हो गया। लिहाजा देश में चलना सीख रहे ओटीटी ने एकदम से दौड़ लगा दी है। ऐसे में थिएटर एक्सपीरियंस की ताकत फिल्मों को तो आगे बचा लेगी, मगर घर के टीवी स्क्रीन के लिए जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स और ओटीटी के बीच मुकाबला तय है।
टीवी के लिए खतरे की घंटी
टीवी को सास-बहू और पारिवारिक झगडों के सीरियल्स के लिए काफी कोसा गया है, लेकिन कुछ पारिवारिक सीरियल्स आज भी टीवी को बचा रहे हैं। हालांकि अब यह दृश्य बदल सकता है।
ओटीटी मतलब एडल्ट कंटेंट, ऐसी मान्यता है। मगर हकीकत ये भी है कि ओटीटी पर अभी जो शो पॉपुलर हैं, उनमें से ज्यादातर फैमिली के साथ देखे जा सकते हैं। यह टीवी के लिए खतरे की घंटी है। सत्यजीत रे से लेकर स्पोर्ट्स तक, ओटीटी पर सब आ रहा है।
- सत्यजीत रे की कहानियों पर आधारित ‘रे’ सीरीज नेटफ्लिक्स पर आ रही है।
- नेटफ्लिक्स ही स्पोर्ट्स ड्रामा ‘स्कैट गर्ल’ ला रहा है।
- जी-5 पर क्राइम थ्रिलर ‘सनफ्लावर’ चल रही है।
- हॉटस्टार पर 1984 के सिख विरोधी दंगों की कहानी ‘ग्रहण’ आ रही है।
ओटीटी ने शायद शुरू में एकदम से लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए एडल्ट कंटेंट पर जोर दिया था, मगर अभी के टॉप शो या आने वाले शोज में ज्यादातर फैमिली कंटेंट ही है। कुछ-कुछ एडल्ट भी आता रहेगा, पर उसके लिए पेरेंटल कंट्रोल भी संभव है।
टीवी एक आदत बन चुका है
‘भाभीजी घर पर हैं..’ सीरियल की प्रोड्यूसर बिनेफर कोहली ने बताया कि डेली सोप ओपेरा का अपना ऑडियंस है। लोग शो के तय समय पर टीवी देख लें और बाकी के समय में ओटीटी देखें, ऐसा भी हो सकता है। एक परिवार सारे ओटीटी के सब्सक्रिप्शन नहीं ले सकता, मगर एक ही डीटीएच के बुके में अपनी पसंद के कई चैनल देख सकता है।
टीवी कंटेंट में कुछ बदलाव तो लाना ही होगा
हालांकि बेनिफर मानती हैं कि टीवी कंटेंट में कुछ तो बदलाव लाना ही होगा। ऑडियंस के पैरामीटर में रहकर कहानियों और किरदारों को बदलना होगा। टीवी पर सिगरेट पीने वाली या अभद्र शब्दों का प्रयोग करने वाली महिलाएं नहीं आएंगी। फिर भी, महिला किरदारों को सशक्त तो बनाना ही होगा।
आगे की लड़ाई मुश्किल, छोटे शहरों का बड़ा रोल
‘बालिका वधु’ और ‘दीया और बाती हम ’ जैसी कई सुपरहिट टीवी सीरियल्स के राइटर रघुवीर शेखावत ने बताया कि ओटीटी के लिए आगे की लडाई मुश्किल है। छोटे शहरों और कस्बों के ऑडियंस में पैठ बनाना कोई आसान काम नहीं है। छोटे शहरों में जॉइंट फैमिली होती हैं। यहां प्राइवेसी नाम की चीज नहीं होती। ओटीटी का कंटेंट देखना है तो अलग कमरे में बंद हो जाना पड़ेगा। हमारे घरों में अलग कमरे सबको नसीब नहीं होते।
टीवी वही दिखाता है जो घर में होता है
टीवी में वो चीजें आती हैं, जो शायद हर फैमिली में होती है। शेखावत कहते हैं कि यही टीवी की सबसे बड़ी ताकत है। सास-बहू के पारिवारिक क्लेश, दूसरी ओर पूरे परिवार का प्यार, नई पीढ़ी और परंपरा में टकराव आज कहां नहीं है? और यही तो टीवी दिखाता है।
रघुवीर का यह भी मानना है कि ओटीटी की वजह से टीवी के सालों साल लंबे चलने वाले सीरियल के फॉर्मेट को अभी खतरा नहीं है। वह कहते है कि कोई टीवी शो लंबा चलेगा या नहीं, यह टीआरपी तय करती है। ज्यादा टीआरपी वाला शो कोई क्यों खत्म करेगा।
हालांकि रघुवीर स्वीकार करते हैं कि आज युवा के हाथ में मोबाइल का पावर है। उसे कोई परवाह नहीं कि घर में टीवी का रिमोट किसके पास है। हॉटस्टार नहीं मिला तो वह यूट्यूब देख लेगा। इस पीढ़ी के दर्शकों को वापस लाने के प्रयास सफल नहीं हुए है।
टीवी का पलड़ा आज भारी है, मगर कल नहीं रहेगा
प्रोड्यूसर और ट्रेड एनालिस्ट गिरीश जौहर ने माना कि लॉन्ग टर्म में ओरिजिनल फाइट ओटीटी और टीवी के बीच ही होगी। आज इंफ्रास्ट्रक्चर और प्राइस के हिसाब से टीवी का पलड़ा भारी है। टीवी घर-घर पहुंच चुका है। रेट्स भी अफोर्डेबल हैं। दूसरी तरफ ओटीटी का सारा आधार इंटरनेट कनेक्टिविटी है। अगर सही स्पीड नहीं है, तो वेब सीरीज देखने का कोई मजा नहीं।
5G के बाद और बढ़ेगा ओटीटी
ओटीटी के लिए इंटरनेट स्पीड की समस्या कुछ ही समय की मेहमान है। 5G आ रहा है। ओटीटी अपनी कंटेंट लाइब्रेरी भी रिच कर रहे हैं। वह हर क्लास की कंटेंट ले आएंगे। रीजनल ओटीटी भी तेजी से बढ़ रहा है।
दर्शक का टेस्ट भी बदलेगा। आज जो टीनएजर्स मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं, वे कल कंटेंट कंज्यूम करेंगे। ये नए दर्शक ओटीटी ज्यादा पसंद करेंगे।
प्राइस के इश्यू पर जौहर ने बताया कि वैसे भी लोग ज्यादातर ओटीटी मोबाइल कंपनियों के बंडल पैकेज के साथ देखते हैं। आने वाले समय में पूरी तरह से पे-पर-व्यू मॉडल आएगा। जो देखना है, उतने ही पैसे देने होंगे। टीवी पर बुके के नाम पर आधे चैनल वो ही थमा दिए जाते हैं, जो हमारे किसी काम के नहीं होते।
ओटीटी फैमिली शो लाएगा, टीवी एडल्ट कंटेंट नहीं ला पाएगा
कंटेंट एक्सचेंज के हिसाब से ओटीटी का पलड़ा भारी है। ओटीटी पर ‘बंदिश बैंडिट्स’ और ‘पंचायत’ आ चुका है। आगे भी ऐसे शो आएंगे, लेकिन टीवी पर कभी एडल्ट कंटेंट नहीं आएगा। ओटीटी टीवी चैनल के कंटेंट ला सकता है, लेकिन टीवी ओटीटी की जगह कभी नहीं ले पाएगा।
गिरीश जौहर कहते हैं कि टीवी को बच कर रहना है, तो बदलना होगा। टी-20 आने के बाद लोग वन-डे भी भूल रहे हैं। 10 एपिसोड वाली सीरीज आदत बन जाएगी तो सालों तक एक कहानी में लोगों का इंटरेस्ट बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
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