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भारत ने प्लेइंग-11 चुनने में गलती की?:स्विंग और सीमिंग कंडीशन में चौथे तेज गेंदबाज की कमी खली, रवींद्र जडेजा को मिले सिर्फ 7.2 ओवर

साउथैम्पटन3 वर्ष पहले
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न्यूजीलैंड दुनिया का पहला वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन बन गया है। फाइनल मुकाबले के रिजर्व डे में कीवी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को 8 विकेट से हरा दिया। इस नतीजे के बाद यह बहस शुरू हो गई है कि क्या टीम इंडिया ने फाइनल के लिए प्लेइंग-11 चुनने में गलती कर दी? साथ ही भारतीय टीम की बल्लेबाजी प्लानिंग भी सवालों के घेरे में है।

पहली पारी में 7.2 ओवर ही कर पाए जडेजा
भारतीय टीम इस मैच में तीन तेज गेंदबाज और दो स्पिनर्स के साथ उतरी, लेकिन पांचवें गेंदबाज रवींद्र जडेजा टीम के खास काम नहीं आए। न्यूजीलैंड की पहली पारी में भारत ने 99.2 ओवर गेंदबाजी की। जडेजा ने इसमें सिर्फ 7.2 ओवर फेंके। ये 7 ओवर भी उन्हें इसलिए मिले क्योंकि भारत दूसरी नई गेंद लेने से पहले ईशांत शर्मा और मोहम्मद शमी को कुछ आराम देना चाहता था। टीम के एक अन्य स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने दो विकेट जरूर लिए, लेकिन उन्हें भी सिर्फ 15 ओवर की गेंदबाजी मिली। करीब 100 ओवर में अगर दो स्पिनर मिलकर सिर्फ 22 ओवर करें तो यह साफ है कि परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं थी।

दूसरी पारी में अश्विन ने असरदार गेंदबाजी की, लेकिन जडेजा इस बार भी कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए। दूसरी पारी में अश्विन ने 10 ओवर में दो विकेट लिए। वहीं, जडेजा 8 ओवर में कोई विकेट हासिल नहीं कर सके।

लंबे स्पेल में थके भारतीय तेज गेंदबाज
दो स्पिनर शामिल करने के कारण साउथैम्पटन की परिस्थितियों में भारतीय तेज गेंदबाजों को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। न्यूजीलैंड की पहली पारी में ईशांत ने 25 तो शमी और बुमराह ने 26-26 ओवर की गेंदबाजी की। कीवी पारी के आखिरी दौर में भारत के तेज गेंदबाज थके हुए नजर आए और उन्हें चौथे साथी की कमी सबसे ज्यादा महसूस हुई। मुमकिन है कि अगर शार्दूल ठाकुर या मोहम्मद सिराज में से कोई एक मौजूद होता तो भारतीय टीम को पहली पारी के आधार पर लीड नहीं खानी पड़ती और मैच का नतीजा बदल भी सकता था।

न्यूजीलैंड के पास हमेशा मौजूद रहा एक फ्रेश तेज गेंदबाज
भारत के उलट न्यूजीलैंड की टीम इस मुकाबले में आउट एंड आउट पेस अटैक के साथ उतरी। अनुभवी टिम साउदी, ट्रेंट बोल्ट, नील वैगनर और काइल जेमिसन कीवी टीम के पेस अटैक का हिस्सा रहे। इनका साथ देने के लिए ऑलराउंडर कोलिन डि ग्रैंडहोम भी मौजूद थे। यानी हर समय न्यूजीलैंड के पास कम से कम दो तेज गेंदबाज पूरी एनर्जी के साथ बॉलिंग करने के लिए मौजूद थे। भारत की पहली पारी में न्यूजीलैंड के किसी भी गेंदबाज को 22 से ज्यादा ओवर नहीं फेंकने पड़े।

बल्लेबाजी में भी खास कमाल नहीं कर सके जडेजा-अश्विन
जडेजा और अश्विन को प्लेइंग-11 में शामिल करने के पीछे यह तर्क भी दिया गया कि दोनों मिलकर लोअर ऑर्डर में अच्छी बल्लेबाजी कर सकते हैं, लेकिन इस मोर्चे पर भी निराशा झेलनी पड़ी। दोनों ने मिलकर चार पारियों में सिर्फ 50 रन बनाए। यानी 15 का औसत।

तीसरी पारी में भारत की रणनीति समझ से परे
दो स्पिनर्स का चुनाव इस मैच में टीम इंडिया की इकलौती गलती नहीं रही। दूसरी पारी की बल्लेबाजी में प्लानिंग की कमी भी साफ देखी जा सकती है। तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि मैच बचाने या जीतने के लिए कम से कम 175 रन की लीड लेनी जरूरी थी। साथ ही चौथी पारी में न्यूजीलैंड को 40 से ज्यादा ओवर देना खतरनाक रहा। इसके बावजूद भारतीय बल्लेबाज किसी रणनीति के साथ खेलते हुए नजर नहीं आए। जिस तरह ऋषभ पंत और अश्विन ने अपने विकेट फेंके, इससे साफ जाहिर है कि भारतीय प्लेयर्स ने क्रीज पर समय बिताने की अहमियत नहीं समझी।

इससे पहले कप्तान विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे भी किसी खास मकसद से बल्लेबाजी करते हुए नहीं दिखे। वे न तो आक्रामक खेलते नजर आए और न ही रक्षात्मक।

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