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योगी संग लंच के बाद केशव का यू-टर्न:UP के डिप्टी CM मौर्य बोले- CM के साथ थे, हैं और रहेंगे; 11 दिन पहले कहा था- CM का फेस दिल्ली तय करेगा

लखनऊ3 वर्ष पहले
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UP के CM योगी आदित्यनाथ मंगलवार को केशव प्रसाद मौर्य के घर लंच के लिए पहुंचे थे। - Dainik Bhaskar
UP के CM योगी आदित्यनाथ मंगलवार को केशव प्रसाद मौर्य के घर लंच के लिए पहुंचे थे।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने उस बयान से किनारा कर लिया है, जिसमें कहा था कि यूपी में सीएम चेहरा कौन होगा, यह दिल्ली ही तय करेगा। इस बयान के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। लेकिन सीएम योगी मंगलवार को केशव के घर पहुंचे जिसके बाद उनके सुर बदल गए हैं। मौर्य ने कहा है कि वह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे। यदि बीच में कोई दीवार आई तो उसे गिरा देंगे।

केशव ने मीडिया में आ रहे उस बयान को खारिज कर दिया है जिसमें यह बताया जा रहा था कि उनमें और योगी के बीच अनबन है। केशव मौर्य के बयानों में यह बदलाव सोमवार की उस घटना के बाद आया है, जिसमें सीएम योगी उनके घर पहुंचे थे। उनके साथ संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सह सर कार्यवाह कृष्णगोपाल और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी मौजूद थे।

साढ़े 4 साल में पहली बार केशव के घर गए सीएम योगी
मंगलवार की दोपहर अचानक आई एक खबर ने सियासी हलचल पैदा कर दी थी। खबर थी, सीएम योगी आदित्यनाथ का उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्य के आवास पर पहुंचने की। मंगलवार की दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत संघ के बड़े पदाधिकारियों ने डिप्टी सीएम केशव मौर्य के घर पहुंचकर भोजन किया और उनके बेटे-बहू को आशीर्वाद दिया।

हालांकि केशव मौर्य की ओर से इसे पारिवारिक कार्यक्रम बताया गया। लेकिन सियासी हलके में इस बात को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई कि आखिर ऐसा क्या था जिसकी वजह से सीएम को महज 4 कदम चलने में साढ़े चार साल लग गए। दरअसल, केशव मौर्य का आवास, सीएम आवास से बेहद करीब है।

ऑल इज वेल का संदेश देने की कोशिश
कहा जा रहा है कि केशव मौर्य के बयानों में जो बदलाव आया है ये सीएम योगी और संघ के बड़े पदाधिकारियों के उनके घर पहुंचने के बाद से ही आया है। इसके पीछे की कहानी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश है।

बहाना भले ही केशव मौर्य के पुत्र के विवाह के बाद भोज का था लेकिन जिस तरह से मौर्य के आवास पर सीएम योगी समेत संघ और भाजपा के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हुआ उससे यह साफ संकेत मिला कि यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर संघ और भाजपा नेतृत्व किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। पार्टी औऱ संघ दोनों चाहते हैं कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि पार्टी के बड़े नेताओं में मतभेद नहीं है।

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