उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ में कोरोना जांच घोटाले का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। जहां राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घेराबंदी करते हुए हुए कहा था कि यह घोटाला उनके मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले का है, वहां अब जो तथ्य सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि 30 अप्रैल को कुंभ अवधि समाप्त होने के बाद भी कंपनियां 15 मई तक कोरोना फर्जीवाड़ा में लगी रहीं।

कोरोना जांच के काम में लगी मैक्स कॉरपोरेट सर्विस ने कुंभ मेला खत्म होने के बाद 15 मई तक 51 हजार से ज्यादा कोरोना जांच पोर्टल पर दर्ज कराईं।ं एक ही नमूने की जांच कई बार दर्ज की गई है। मसलन 27 हजार 197 नमूने लेने के बाद उनको 73 हजार 551 तक दर्शाया गया है। साथ ही एक ही पते और फोन नंबर पर कई लोगों का नाम दर्ज किया गया है।

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के अलावा दूसरे राज्यों राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के शहरों में भी कोरोना जांच करने के रेकॉर्ड दर्ज किए गए। इस फर्जीवाड़े में जिन कंपनियों की जांच की जा रही है, उनमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विस, नलवा लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और डॉ लालचंदानी लैब शामिल हैं। हरिद्वार के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर शंभू कुमार झा के मुताबिक इन कंपनियों ने कोरोना जांच के गलत तथ्य पेश किए हैं। प्रारंभिक जांच में विशेष जांच दल को जो तथ्य सामने दिखाई दिए, उनसे साफ है कि एक प्रयोगशाला ने हरिद्वार और देहरादून की सीमा के पास नेपाली फार्म के पते पर 3825 व्यक्तियों की जांच की। वहीं एक फोन नंबर पर 56 व्यक्तियों की जांच दर्ज हैं।

हरिद्वार जिले के खानपुर विकासखंड के एक व्यक्ति ने जिलाधिकारी को लिखित शिकायत में कहा है कि उसके मोबाइल नंबर पर दो बार कोरोना की जांच का नमूना लेने और दो बार कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने का संदेश आया है। शिकायतकर्ता अश्विनी कुमार ने बताया कि एक संदेश में उनका पता मथाना उत्तर प्रदेश और दूसरे में मथुरा बताया गया है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने कुंभ के समय मेला प्रशासन को रोजाना 50 हजार आरटीपीसीआर जांच करने के निर्देश दिए थे। तब हरिद्वार में कुंभ के दौरान राज्य के मुख्य सचिव ने बताया था कि हरिद्वार जनपद में शामिल कुंभ क्षेत्र में रोजाना 35 हजार जांच की जा रही हैं। शेष 15 हजार जांच कुंभ क्षेत्र में शामिल पौड़ी, टिहरी और देहरादून जनपदों के क्षेत्रों में की जा रही हैं। तब राज्य के मुख्य सचिव को भी यह नहीं मालूम होगा कि कुंभ क्षेत्र में कोरोना जांच में लगी कंपनियां किस तरह से फर्जीवाड़े में लगी हुई हैं।

कुंभ क्षेत्र में मेला अवधि के दौरान वही व्यक्ति आ सकता था, जिसके पास 72 घंटे पूर्व की कोरोना की आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट हो। राज्य सरकार ने रोजाना 50 हजार कोरोना जांच का आंकड़ा पूरा करने के लिए कुंभ मेले के दौरान सरकारी और निजी क्षेत्र की कुल 34 प्रयोगशालाओं को जांच का जिम्मा दिया था। इन सभी एजंसियों ने कुंभ के दौरान छह लाख से ज्यादा कोरोना जांच करने का दावा किया था।

राज्य सरकार ने एक आरटीपीसीआर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 500 तथा एंटीजन जांच के लिए 354 कंपनियों को देने तय किए थे। ये कंपनियां नोट छापने के चक्कर में फर्जीवाड़े में लग गईं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस घोटाले को अपने मुख्यमंत्री पद संभालने से पहले का बता रहे हैं। तीरथ सिंह ने 10 मार्च को कुर्सी संभाली थी। आरोपी मैक्स कॉरपोरेट सर्विस को कोरोना की जांच की इजाजत 26 मार्च 2021 में दी गई थी। यह बताया गया है कि इस कंपनी की ओर से उसके एक सहयोगी ने 11 जनवरी को कोरोना जांच के लिए आवेदन किया था।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार तो सरकार होती है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठता है, इस पर निर्भर नहीं होता। यह घोटाला कब हुआ, उसकी अवधि के बारे में सही तथ्य सामने आने चाहिए और दोषी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कुंभ के दौरान कोरोना जांच घोटाले ने स्पष्ट कर दिया है कि कुंभ और कोरोना को लेकर राज्य सरकार ने तीर्थयात्रियों के आने के आंकड़ों तथा कोरोना जांच के आंकड़ों का जो फर्जीवाड़ा किया। कभी भी राज्य सरकार ने कुंभ और कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया। लिहाजा हजारों जानें चली गईं। उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए या चुनाव आयोग राज्य में तुरंत चुनाव कराए ताकि एक विश्वसनीय और पारदर्शी सरकार राज्य में बन सके और वह इन सब घोटालों की जांच करें क्योंकि वर्तमान सरकार अपना विश्वास खो चुकी है।