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Exclusive Interview: कोविन बड़ी-से-बड़ी संख्या को संभालने में सक्षम, डाटा पूरी तरह से सुरक्षित : आरएस शर्मा

भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता की एक मुख्य कड़ी कोविन प्लेटफार्म है। हर टीके का डाटा इस पर मौजूद है। लोगों को एसएमएस भेजकर इसकी पुष्टि करने से लेकर डिजिटल सर्टिफिकेट जारी करने के साथ यह आगे पड़नेवाले टीके के नाम और तारीख की याद दिलाता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 08:51 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 12:05 AM (IST)
Exclusive Interview:  कोविन बड़ी-से-बड़ी संख्या को संभालने में सक्षम, डाटा पूरी तरह से सुरक्षित : आरएस शर्मा
नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ आरएस शर्मा

भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता की एक मुख्य कड़ी कोविन प्लेटफार्म है। देश में लगने वाले हर टीके का डाटा इस पर मौजूद है। टीका लगने के बाद लोगों को एसएमएस भेजकर इसकी पुष्टि करने से लेकर डिजिटल सर्टिफिकेट जारी करने के साथ ही यह आगे पड़नेवाले टीके के नाम और तारीख की याद दिलाता है। यह प्लेटफार्म टीके की दूसरी डोज किसी भी दूसरे टीकाकरण केंद्र से लेने की सहूलियत भी देता है। सोमवार को 86 लाख डोज लगाने की पूरी प्रक्रिया को कोविन प्लेटफार्म बिना किसी दिक्कत के संभालने में सफल रहा। कोविन प्लेटफार्म की खूबियों, लोगों की दिक्कतों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों और भविष्य की तैयारियों पर इस प्लेटफार्म को चलाने वाली नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ आरएस शर्मा ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता नीलू रंजन से खुलकर बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश--

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 - कोविन प्लेटफार्म एक दिन में टीका लेने वाले 86 लाख से अधिक लोगों की जानकारी अपलोड करने और उन्हें सर्टिफिकेट जारी करने में सफल रहा। यह एक दिन में अधिकतम कितने लोगों का डाटा संभाल सकता है?

-जितना भी होगा, सब संभाल सकता है। उसकी चिंता नहीं कीजिए। दो-तीन करोड़.. जितना भी टीका लगे, कोई समस्या नहीं है।

-देश में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो कोविन पर रजिस्ट्रेशन करने या टीकाकरण केंद्र ढूंढने में सक्षम नहीं हैं? 

-ऐसे लोगों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए गए हैं। काल सेंटर शुरू किया गया है, जिस पर लोग फोन कर टीकाकरण केंद्र से लेकर टीके से संबंधित सभी जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके साथ ही कोविन प्लेटफार्म 14 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। हमारी कोशिश है कि टीकाकरण के लिए जनता को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो। कोविन दुनिया में एकमात्र ऐसा प्लेटफार्म बन गया है, जिस पर पांच महीने में 30 करोड़ डाटा अपलोड किया गया हो।

-टीका लगने के बाद भी कई लोगों को मैसेज नहीं आया है और कोविन प्लेटफार्म पर नोट वैक्सीनेटेड बता रहा है?

-टीका लगाते समय ही यह देखना चाहिए। यदि टीका लगाते समय कोविन प्लेटफार्म पर डिटेल्स नहीं डाले गए तो इसमें कोविन की गलती क्या है।

-गलती चाहे जिसकी भी हो, उसे ठीक करने की व्यवस्था है या नहीं?

-टीकाकरण में लगे सारे लोगों को इसकी ट्रेनिंग दी गई है। इसके बावजूद यदि कोई नहीं कर रहा है, तो स्थानीय स्तर पर उसकी शिकायत की जानी चाहिए।

-शिकायत करने पर इसे ठीक किया जा सकता है?

-क्यों नहीं किया जा सकता है। कोविन पर संबंधित व्यक्ति के टीकाकरण के डिटेल्स दोबारा दिए जा सकते हैं।

-झारखंड जैसे कुछ राज्य कई इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने की बात कह कर आफलाइन टीकाकरण की छूट मांग रहे हैं?

-80 फीसद लोग पहले रजिस्ट्रेशन कराए बिना ही टीका ले रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सब कुछ आनलाइन हो रहा है। लेकिन यह तय है कि जो भी टीकाकरण हो रहा है, उसका डाटा अपलोड करना होगा। देश में कनेक्टिविटी की समस्या नहीं है। केवल 25 हजार ऐसे गांव बचे हैं, जहां कनेक्टिविटी नहीं है। 100 करोड़ तो मोबाइल यूजर्स हैं। जहां तक मैं झारखंड को जानता हूं कि वहां कोई इलाका ऐसा नहीं है, जहां दूर-दूर तक कनेक्टिविटी नहीं हो। हो सकता है कि कुछ इलाकों में नहीं हो। मेरे पास आफलाइन की अनुमति देने की कोई मांग नहीं आई है।

-टीकाकरण महा अभियान के दौरान भी केवल 2,000 निजी टीकाकरण केंद्र ही सक्रिय थे। निजी क्षेत्र बड़े पैमाने पर टीकाकरण क्यों नहीं शुरू कर पा रहा है?

-निजी क्षेत्र को खुद वैक्सीन लेकर लगाना है। इसमें हम क्या कर सकते हैं? वे जो भी वैक्सीन लगाएंगे उसका डाटा कोविन पर आता रहेगा।

-कोविन के अलावा भी दूसरे एप से रजिस्ट्रेशन की सुविधा की बात आपने कही थी। कहां पहुंचा मामला?

-रजिस्ट्रेशन तो कोविन पर ही होगा, लेकिन वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में जानकारी के लिए आप पेटीएम, टेलीग्राम, मेकमाईट्रिप जैसे कई एप का सहारा ले सकते हैं। आप देख लें कि कहां क्या उपलब्ध है। फिर कोविन पर रजिस्टर कीजिए या फिर फोन से।

-कोविन प्लेटफार्म पर डाटा कितना सुरक्षित है?

-पूरी तरह से सुरक्षित है। कुछ दावे किए गए थे, लेकिन हमने जांच कराई तो उसमें कोई भी सच्चाई नहीं मिली।

-दुनिया के कई देशों को कोविन एप देने की कोशिश शुरू की गई है?

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन था कि यदि दुनिया का कोई भी देश कोविन लेना चाहता है या उससे कुछ सीखना चाहता है तो हमें उसकी मदद करनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने दूतावासों के माध्यम से इच्छुक देशों की जानकारी मांगी थी। उसी क्रम में पांच जुलाई को ग्लोबल कांफ्रेंस बुला रहे हैं। उसमें कोविन प्लेटफार्म के काम करने के तरीके और उसकी खूबियों के बारे में बताया जाएगा।

-कितने देशों के भाग लेने की उम्मीद है?

-अभी रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ है। उम्मीद है कि उसमें काफी देश भाग लेंगे।


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