अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर के लिए और जमीन को खरीदने का राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लिया गया फैसला आजकल विवाद में हैं। इसमें विपक्ष घोटाले का आरोप लगा रहा है। अभी तक तीन स्थानों पर ट्रस्ट ने जमीन क्रय की है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साढ़े छब्बीस करोड़ का जो 180 बिस्वा भूखंड को क्रय किया है वह काफी कीमती है जिसकी कीमत अयोध्या में चल रहे बाजार भाव से इस समय 60 करोड़ से ऊपर की आंकी जा रही है।

यह भूखंड अयोध्या के बाग बिजेसी गांव में है और जिसकी गाटा संख्या 242/1,2, 243, 244, 246 रकबा 2.334 हेक्टेयर जमीन कुसुम पाठक व हरीश पाठक के नाम दर्ज रही है। इसमें से ट्रस्ट ने 80 बिस्वा जमीन सीधे पाठक दंपति से खरीदी तथा सौ बिस्वा जमीन सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी से। ये दोनों खरीदारी 20 मार्च 2021 को 26.5 करोड़ रुपए बैंक से भुगतान करके की गई है ।

भूखंड अयोध्या के रेलवे स्टेशन के दक्षिणी द्वार और राष्ट्रीय राजमार्ग के महोबरा बाजार से बनने वाले राम जन्मभूमि मंदिर तक फोर लेन की एलिवेटेड रोड के पूर्व में है। इन दिनों यहां अमरूद का बाग है, जिससे रेलवे और सड़क मार्ग से राम मंदिर बन जाने पर यह भूखंड महत्वपूर्ण स्थान पर होगा। भूमि व्यवसाय में लगे अयोध्या के गुड्डू बताते हैं कि राम मंदिर के बनते ही तथा अयोध्या के नए रेलवे स्टेशन के बनने और दक्षिणी गेट के प्रारंभ होने से इस भूखंड की कीमत 1 अरब के ऊपर होगी ।

इस भूखंड के मालिक पाठक दंपति बस्ती जिले के हर्रिया तहसील के पठकापुर गांव के मूल निवासी हैं। उनके खिलाफ अयोध्या की कैंट पुलिस ने भगोड़ा घोषित करने के लिए धारा 174आ के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत कि या है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम फैजाबाद ने वर्ष 2019 से गैर जमानती वारंट जारी कर रखा है जिसे पुलिस आजतक तामील नई करा पाई है। हालांकि उनका फैजाबाद का मकान कुर्क किया जा चुका है। इन पर कई करोड़ रुपए के गबन, धोखाधड़ी का आरोप न्यायालय में विचाराधीन है तथा पुलिस इन्हें अबतक गिरफ्तार नही कर सकी है।

हरीश पाठक ने उकतिभूखंड का एक भाग का प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी आदि से 2 करोड़ रुपए में वर्ष 2011 से कर रखा था परंतु राजस्व न्यायालय में एक विवाद के कारण बैनामा संभव नही हो पा रहा था। इसी न्यायालय के विवाद को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने सत्ता और प्रशासन में प्रभाव बनाकर निपटारा करवा दिया। निपटारा होते ही पाठक दंपति व प्रॉपर्टी डीलर से 20 मार्च को एक ही दिन में एग्रीमेंट सेल का निरस्तीकरण कराकर प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी के नाम बैनामा करवाया और उनसे फिर ट्रस्ट के नाम रजिस्टर एग्रीमेंट करवाया। बैनामा लिखवाने के समय बैंक के माध्यम से पैसे का लेनदेन पारदर्शिता के लिए कराया गया।

कुल मिलाकर अब यह साफ हो गया है कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्रभाव का इस्तेमाल करके 180 बिस्वा जमीन 26.5 करोड़ में लिखवा ली जिसकी बाजार में कीमत इस समय 60 करोड़ के आसपास है जो निर्माणाधीन मंदिर, रेलवे स्टेशन, फोर लेन सड़क निर्माण के बाद 1 अरब हो जाएगी।
प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी का आरोप है कि अयोध्या के जिलाधिकारी व एडीएम भी मंदिर निर्माण के लिए जमीन का सौदा करने के लिए मुझसे कई बार मेरे आवास पर मिल चुके है और मैंने मंदिर के लिए समर्पण निधि 51000 रुपए दिए हैं। हमलोग मंदिर निर्माण के समर्थक हैं और हमारी मंदिर में आस्था है।

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसके पहले 2 जमीन खरीदी हैं जो रामकोट वार्ड गाटा संख्या 135, जिसे 20 फरवरी को महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य से दीप नारायण उपाध्याय ने 20 लाख में खरीदी और 11 मई को ट्रस्ट को ढाई करोड़ रुपए में बैनामा कर दिया। इसी तरह 676 वर्ग मीटर जमीन खरीद कर ट्रस्ट को 1 करोड़ रुपए में बेच दिया। दीप नारायण उपाध्याय अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का करीबी बताया जाता है।

विपक्षी दल के नेताओं का आरोप है कि प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी ने जिस जमीन को 2 करोड़ में खरीदा था उसी जमीन को 18.5 करोड़ में ट्रस्ट को बेचा गया तथा प्रॉपर्टी डीलर दीप नारायण उपाध्याय ने जिस जमीन को 20 लाख में खरीदा उसे दो महीने बाद 2.5 करोड़ रुपए में बेच दिया।
अयोध्या में श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के बाद से ही ट्रस्ट के विरोध कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा था वही लोग अब फिर जमीन के क्रय का विरोध कर रहे है।

ट्रस्ट के किसी सदस्य ने जमीन के क्रय का विरोध नहीं किया है, उल्टे वे समर्थन में आ गए हैं। प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी के पिता इरफान अंसारी का कहना है कि सौदे में मिले 17 करोड़ में 5.5 करोड़ रुपए तो टैक्स में ही कट जाएगा बैनामा और एग्रीमेंट पर सभ्रांत व्यक्ति के नाते मेयर ऋषिकेष तथा डॉक्टर अनिल मिश्र को दस्तावेज का गवाह बनाया गया था। उन्होंने कहा कि भव्य राम मंदिर के निर्माण में अगल-बगल के मंदिर को हटाना है और उन्हें बसाने के लिए जमीन की आवश्यकता ट्रस्ट को थी इसलिए मैंने रियायती दर पर ट्रस्ट को जमीन दिलवाई है। इस जमीन पर किसी प्रकार का सौदा नहीं हुआ है। आरोप लगाने वालों को पहले जांच कर लेनी चाहिए थी कि हमलोग अयोध्या में भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण देखना चाहते हैं।