भारत में मंजूरी को लेकर अंतिम चरण में पहुंची फाइजर की वैक्सीन, कंपनी के सीईओ ने दी जानकारी
इस बीच लैंसेट के एक अध्ययन में कहा गया है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कारगर है। डेल्टा वेरिएंट वही कोरोना वायरस है जिसे पहली बार भारत में पहचाना गया है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। देश में कोरोना के खिलाफ तेजी से टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। इसी बीच अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने मंगलवार को बताया कि भारत में उनकी वैक्सीन को मंजूरी मिलना अंतिम चरण में है। एक वर्चुअल कार्यक्रम में बोलते हुए फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अल्बर्ट बौर्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कंपनी जल्द ही भारत सरकार के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देगी। फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने 15वें वार्षिक बायोफार्मा और हेल्थकेयर समिट में यह बात कही।
बता दें कि अमेरिका की इस वैक्सीन को फाइजर ने जर्मन फर्म बायोएनटेक के साथ साझेदारी में विकसित किया है। कोरोना के संक्रमण को रोकने में 90 फीसद से अधिक कारगर साबित हुई है। इस महीने की शुरुआत में नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य डॉ वीके पॉल ने कहा था कि भारत में फाइजर और मॉडर्न की वैक्सीन को मंजूरी देने पर विचार किया जा रहा है।
डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ है कारगर
इस बीच, लैंसेट के एक अध्ययन में कहा गया है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (कोविशील्ड) कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कारगर है। डेल्टा वेरिएंट वही कोरोना वायरस है जिसे पहली बार भारत में पहचाना गया। जो ब्रिटेन में पहली बार पाए जाने वाले अल्फा वेरिएंट की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को दोगुना कर देता है।
गौरतलब है कि भारत में अभी तीन वैक्सीन लगाई जा रही हैं। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद फाइजर चौथी वैक्सीन होगी, जो टीकाकरण में प्रयोग की जा सकेगी। बतातें चलें कि कोविशील्ड वैक्सीन को आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। स्थानीय स्तर पर इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया कर रहा है। इसके अलावा रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन भी लगाई जा रही है। भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर कोवैक्सीन बनाई है। यह भारत में बनी पहली स्वदेशी वैक्सीन है।