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लेबनान को यूरोपीय संघ की चेतावनी, स्थिति संभाले नहीं तो लगाए जा सकते हैं प्रतिबंध
Dalati Nohra/Handout via REUTERSCopyright: Dalati Nohra/Handout via REUTERS
यूरोपीय संघ ने लेबनान के नेताओं को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
इस विषय पर चर्चा के लिए यूरोपीय संघ के विदेश नीति मामलों के प्रमुख जोसेप बुरेल ने बेरुत में लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन से मुलाक़ात की.
मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि संघ लेबनान की मदद करने के लिए तैयार है लेकिन इसके लिए पहले लेबनान को कदम उठाने होंगे.
जोसेप बुरेल ने कहा, "सुधारों की दिशा में जब तक प्रगति नहीं होती तब तक हम मदद नहीं कर सकते. मौजूदा संकट से देश को उबारने के लिए देश को तुरंत सुधारों की ज़रूरत है. हमारे पास संसाधन भी हैं और हम मदद करना भी चाहते हैं. लेकिन हम लेबनान की अधिक मदद कर सकें इसके लिए यहां सुधारों के लिए उठाए कदमों में तेज़ी लाए जाने की ज़रूरत है, आर्थिक संकट से उबरने के लिए ये ज़रूरी है."
उन्होंने कहा "हम प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं लेकिन ये फ़ैसला अब लेबनान के नेतृत्व पर निर्भर है."
जोसेप बुरेल ने अपनी यात्रा के दौरान लेबनान के अंतरिम प्रधानमंत्री हसन दियाब और प्रधानमंत्री साद हरीरी से भी मुलाक़ात की और सुधारों के लिए तुरंत कदम उठाने के लिए नए सरकार के गठन पर चर्चा की.
लेबनान में बीते कई महीनों से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच तनाव बढ़ा है.
बीते साल एक धमाके के बाद यहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद यहां की पूरी सरकार ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
उसके बाद अब तक यहां सरकार नहीं बन पाई है. इस कारण वहां राजनीतिक और आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हुई है और ऐसे में बीच लेबनान की मदद करने के लिए तैयार दूसरे देश उसकी मदद नहीं कर पा रहे हैं.
कश्मीर के नेताओं को पीएम मोदी के साथ बैठक का न्योता, नेता बोले- सोच कर बताएंगे
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नेशनल कॉन्फ़्रेंस, पीपल्स
डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने कहा है कि वो दिल्ली में
प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई वाली बैठक में हिस्सा लेने के बारे में विचार करेंगे.
जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं को 24
जून को होने वाली एक बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.
कहा जा रहा
है कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर से जुड़े फ़ैसले के संबंध में इस बैठक में चर्चा की जाएगी.
5 अगस्त साल 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद
से यह इस तरह की पहली बैठक होगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पीएम की अगुआई वाली इस
बैठक में गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे.
जम्मू-कश्मीर में ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि विधानसभा चुनावों की तैयारियां भी जल्द शुरू होंगी लेकिन यह कब तक होगी इसको लेकर संशय था.
लेकिन अब बैठक की ख़बर सामने आने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव की सीटों के परिसीमन आदि की चर्चा के लिए पहले पार्टियों के साथ चर्चा कर लेना चाहती है.
श्रीनगर से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार माजिद जहांगीर ने बताया कि यह एक तरह से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक ख़ामोशी को तोड़ने की कोशिश है और साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश जाएगा कि कश्मीर में चीज़ें सामान्य हैं.
चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष से की मुलाक़ात, कहा- फ़ैसले पर फिर से ग़ौर करें
लोक जनशक्ति पार्टी में चल रही खींचतान के बीच शनिवार को चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाक़ात की और अपना पक्ष रखा.
इस दौरान चिराग पासवान के साथ उनके कुछ समर्थक भी थे.
ओम बिड़ला से मुलाक़ात के बाद चिराग पासवान ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "मैंने उन्हें सच्चाई से अवगत कराया और उनसे कहा कि वो एलजेपी के निलंबित सासंद पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता चुनने के अपने फ़ैसले पर वो फिर से विचार करें."
चिराग पासवान ने इस फ़ैसले को ग़ैर-क़ानूनी करार दिया और कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता.
लोकसभा स्पीकर का कहना था कि सदन में पार्टी का नेता चुनने के लिए पार्टी ने बैठक की जिसके बाद जो कुछ हुआ उसके बारे में लोकसभा सचिवालय को जानकारी दी गई.
उन्होंने कहा कि इसके बाद उनके चुने नेता के नाम को स्वीकार किया गया है.
इस सप्ताह बुधवार को चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उन्हें खुद को सदन में पार्टी का नेता घोषित करने की अपील की थी.
साथ ही उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हैं और “यह पद सिर्फ़ दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का निधन हो जाए या राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं इस्तीफ़ा दे दे.”
हाल में एलजेपी के कुछ विधायकों ने पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया था. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने उन्हें सदन में पार्टी का नेता घोषित कर दिया था.
रूस की राजधानी में लगातार दूसरे दिन कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए हैं.
रूस में शनिवार को कोरोना संक्रमण के 17,906 नए मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से रिकॉर्ड 9,120 केवल मॉस्को में दर्ज किए गए हैं.
इसके साथ ही देश में संक्रमितों का कुल आंकड़ा अब 5,299,215 हो चुका है.
वहीं सरकार की कोरोना वायरस टास्क फोर्स ने शनिवार को कोविड-19 के कारण 466 लोगों की मौत की पुष्टि की है.
टास्क फोर्स के अनुसार देश में अब तक कोरोना से 128,911 लोगों की मौत हुई है.
वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने स्टेट स्टाटिस्टिक्स एजेंसी (ये एजेंसी सरकारी आंकड़ों से अलग आंकड़े रखती है) के हवाले से लिखा है कि
देश में अप्रैल 2020 से लेकर 2021 के बीच 270,000 लोगों की मौत हुई है.
बीबीसी इंडिया बोल, 19 जून 2021, ‘फ़्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह की यादें
बीबीसी इंडिया बोल, 19 जून 2021. भारत के मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात निधन हो गया.
1929 में अविभाजित भारत में जन्मे मिल्खा सिंह की कहानी जीवटता की कहानी है.
ऐसा शख़्स जो विभाजन के दंगों में बाल-बाल बचा, जो ट्रेन में बेटिकट सफ़र करते पकड़ा गया और जेल हुई, जिसने एक गिलास दूध के लिए सेना की दौड़ में हिस्सा लिया और जो बाद में भारत का सबसे महान एथलीट बना.
मिल्खा सिंह से जुड़ी ऐसी ही कई बातों को आज याद करेंगे बीबीसी इंडिया बोल में.
ब्रेकिंग न्यूज़कोरोना: तीसरी लहर की आशंका, केंद्र सरकार की राज्यों को चेतावनी
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भारत सरकार ने राज्यों से कहा है कि वो कोरोना वायरस महामारी की लहर को फैलने से रोकने के लिए लगाई पाबंदियों में ढील देते वक्त 'अत्यधिक सावधानी' बरतें.
गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों को चिट्ठी लिख राज्य सरकारों से गुज़ारिश की है कि कोरोना के मामले बढ़ने की सूरत में वो अपनी पूरी तैयारी रखें.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर का पीक अब कम हो रहा है और देश में कोरोना के मामले भी लगातार कम आ रहे हैं.
इस बीच राज्य सरकारें कोरोना के कारण लगाए प्रतिबंधों में ढील दे रही है और सड़कों पर ट्रैफिक दिखना भी अब शुरू हो गया है.
इधर, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस के प्रमुख रणदीप गुलेरिया ने पाबंदियों में ढील के बाद अधिक संख्या में लोगों के जमा होने को लेकर चिंता जताई है.
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अभी के हालातों से सीख न ली गई तो आने वाले छह से सात सप्ताह में देश कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर सकता है.
मिल्खा सिंह को राजकीय सम्मान के साथ मिली अंतिम विदाई
'फ़्लाइंग सिख' के नाम से जाने जाने वाले पूर्व भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया है.
शनिवार को चंडीगढ़ में बंदूकों की सलामी के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मिल्खा सिंह के घर जाकर उनके परिवार को सांत्वना दी और उनके प्रति सम्मान जताया
अरविंद शर्मा को बीजेपी संगठन में मिली जगह, बने प्रदेश उपाध्यक्ष
समीरात्मज मिश्र
बीबीसी हिंदी के लिए
पूर्व नौकरशाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
के क़रीबी रहे अरविंद कुमार शर्मा को यूपी बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया गया है.
राज्य बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की ओर से जारी सूची की गई सूची में अरविंद
शर्मा के अलावा अर्चना शर्मा और अमित वाल्मीकि को प्रदेश मंत्री नियुक्त किया गया
है.
अरविंद कुमार शर्मा गुजरात कैडर के आईएएस
अधिकारी रहे हैं और इसी साल जनवरी में वो नौकरी से इस्तीफ़ा देकर बीजेपी में शामिल
हुए थे.
माना जा रहा था का राज्य सरकार में उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी दी जाएगी
लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
अरविंद कुमार शर्मा के बीजेपी में शामिल होने के बाद ही वो
विधान परिषद के सदस्य भी चुने गए और तब इन कयासों को और बल मिला कि राज्य सरकार
में उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी जाएगी.
अरविंद कुमार शर्मा कोविड संक्रमण की दूसरी लहर
में लगातार सक्रिय रहे और वाराणसी समेत बल्कि पूर्वांचल के कई ज़िलों में उन्होंने
काफ़ी काम किया.
साल 1988 बैच के आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा ने केंद्र सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के सचिव पद पर रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस लिया था.
अरविंद पीएम मोदी के साथ तब से काम कर रहे हैं, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
साल 2001 से लेकर 2013 तक उन्होंने पीएम मोदी के साथ गुजरात में काम किया और मोदी के पीएम बनने के बाद वो केंद्र में आ गए.
साल 2014 में प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव रहे और बाद में पदोन्नत होकर सचिव बने.
संगठन में उपाध्यक्ष और दो सचिवों के अलावा पार्टी ने एक अन्य सूची भी जारी है जिसमें विभिन्न मोर्चों के पदाधिकारी घोषित किए गए हैं.
प्रांशु दत्त द्विवेदी को युवा मोर्चा, गीता शाक्य को महिला मोर्चा, कामेश्वर सिंह को किसान मोर्चा, नरेंद्र कश्यप को पिछड़ा वर्ग मोर्चा, कौशल किशोर को अनुसूचित जाति मोर्चा, संजय गोंड को अनुसूचित जनजाति मोर्चा और कुंवर बासित अली को अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
वाइन पर चीन के फ़ैसले के ख़िलाफ़ WTO में जाएगा ऑस्ट्रेलिया
Getty ImagesCopyright: Getty Images
ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि वो व्यापार से जुड़े चीन के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ औपचारिक तौर पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत करेगा.
ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन टेहान ने कहा, “हमें लगता है कि हमें उन मुद्दों को सुलझाने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए जिनसे हमारी अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा प्रभावित होता है. इस मामले में हमारा मानना है कि चीनी सरकार के फ़ैसले ने हमारी वाइन इंडस्ट्री को गंभीर नुक़सान पहुंचाया है.”
चीन ऑस्ट्रेलिया से अरबों डॉलर की वाइन खरीदता रहा है. लेकिन बीते साल उसने ऑस्ट्रेलिया से खरीदी जाने वाली वाइन पर लगने वाले आयात कर को 218 फीसदी तक बढ़ाने का फ़ैसला किया था. इसका सीधा असर ऑस्ट्रेलिया के निर्यात पर पड़ा.
चीन के आयात कर बढ़ाने के बाद ये व्यवसाय लगभग न के बराबर
ही रह गया है. चीन के इस फ़ैसले के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि इसके साथ
चीन ने ये दिखा दिया है कि वो किसी दूसरे देश के व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर
सकता है.
चीन की दलील है कि उसने वाइन पर आयात कर बढ़ाया
क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस इंडस्ट्री को सब्सिडी देकर वाइन की 'ग़ैर-क़ानूनी डंपिंग' कर रही है.
लेकिन जानकारों का मानना है कि कोरोना वायरस
की उत्पत्ति को लेकर जांच आगे बढ़ाने को ऑस्ट्रेलिया के सहमति देने के बाद चीन ने ये फ़ैसला लेकर अपनी प्रतिक्रिया जताई है.
WTC: न्यूज़ीलैंड ने जीता टॉस, पहले बॉलिंग का फ़ैसला
LIVE: भारत के मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह के निधन पर चंडीगढ़ में उनके घर के बाहर खेल विशेषज्ञ सौरभ दुग्गल से बात कर रहे हैं बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा.
ओवैसी ने नताशा, देवांगना और आसिफ़ को लेकर चिदंबरम को आडे़ हाथों लिया
ANICopyright: ANI
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े यूएपीए मामले में पिंजरा
तोड़ की कार्यकर्ताओं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ़
इक़बाल तन्हा को ज़मानत मिलने पर जब देश के पूर्व गृह मंत्री पी. चिंदबरम ने उनके
साहस की प्रशंसा की तो एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चिदंबरम को आड़े हाथों लिया.
ओवैसी ने ट्वीट करके यूएपीए जैसे कठोर क़ानून बनाने को लेकर
पी. चिदंबरम की आलोचना की है.
ओवैसी ने दो ट्वीट किए हैं. पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, “केवल तीन निरर्थक ट्वीट. जो ज़रूरी चीज़ है, उस पर एक शब्द भी नहीं बोला गया. पी.
चिदंबरम जादुई शब्द बोलिए: यूएपीए. आपने ही यूएपीए में संशोधन किया जिससे अनगिनत मुसलमानों और आदिवासियों की ज़िंदगियां तबाह हुईं. जब बीजेपी ने यूएपीए में संशोधन कर इसे और बदतर किया तो आपकी पार्टी ने राज्यसभा में साथ देने में कोई देरी नहीं की.''
अगले ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, “इन तीन युवाओं- नताशा, देवांगना और आसिफ़ से बीजेपी, कांग्रेस को माफ़ी मांगनी चाहिए न कि भारतीयों को प्रताड़ित करने और अनुचित तरीक़े से जेल भेजने के लिए ज़िम्मेदार लोग महज़ औपचारिकता पूरी करें.
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट करके नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और
आसिफ़ इक़बाल तन्हा का स्वागत करते हुए कहा था कि ‘आप लोग उदासीनता
और जड़ता के रेगिस्तान में आशा की हरियाली हैं.’
पी. चिदंबरम ने अगले ट्वीट में
लिखा कि ‘यह
दुखद है कि अदालतें पुलिस पर जितनी सख़्त कार्रवाई करती हैं, उनके
मालिक उतने ही अधिक दमनकारी होते जाते हैं. आख़िरकार सत्य की जीत होती है.’
म्यांमार के सैन्य शासक को लेकर UN में चीन और भारत रहे साथ
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म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद उसे हथियार ख़रीदने से
रोकने के एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने मुहर लगा दी है. लेकिन इस प्रस्ताव पर
मतदान के दौरान उसके पड़ोसी भारत और चीन समेत 36 देश अनुपस्थित रहे.
संयुक्त
राष्ट्र महासभा में मिलिट्री जुंटा की निंदा करते हुए यह प्रस्ताव लाया गया था.
इसके साथ ही
संयुक्त राष्ट्र ने आंग सान सू ची समेत राजनेताओं को रिहा करने और शांतिपूर्ण
प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा रोकने की मांग की है.
यह प्रस्ताव
क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं है लेकिन इसका राजनीतिक महत्व है.
म्यांमार पर
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्जनर ने कहा कि ‘बड़े स्तर पर गृह युद्ध का ख़तरा वास्तविक
है.
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193 सदस्यों वाली
संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब इस प्रस्ताव को पेश किया गया तो उसके समर्थन में
119 देशों ने मतदान किया जबकि इकलौते बेलारूस ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया और 36
देश इस दौरान अनुपस्थित रहे, इनमें रूस और चीन भी शामिल हैं.
रूस और चीन
म्यांमार के सबसे बड़े हथियार निर्यातक देश हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत टीएस त्रिमूर्ति ने इस
मौके पर कहा कि इस प्रस्ताव को पेश करके यह नहीं मान लेना चाहिए कि ‘म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मज़बूत करने की दिशा में हमारे
संयुक्त प्रयास अनुकूल नहीं हैं.’
साथ ही त्रिमूर्ति ने कहा कि ‘म्यांमार की
स्थिति को लेकर भारत का स्टैंड साफ़ और एक है.म्यांमार
में बदलते हालात को लेकर हम अपनी गहरी चिंताएं जता चुके हैं. हम हिंसा के इस्तेमाल
की निंदा करते हैं और अधिक संयम का आग्रह करते हैं.’
काबुल एयरपोर्ट की ज़िम्मेदारी तुर्की को? अमेरिका भी सहमत
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सालिवन ने बताया
है कि इस सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप
तैय्यप अर्दोआन के बीच हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि अफ़ग़ानिस्तान से
अमेरिकी जवानों की वापसी के बाद तुर्की काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में अहम भूमिका
निभाएगा.
हालांकि, सालिवन ने बताया कि तुर्की के रूस से एस-400
मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीदने के मुद्दे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. नेटो
सहयोगियों के बीच यह मुद्दा काफ़ी समय से तनाव की वजह बना हुआ है.
सालिवन ने बताया कि सोमवार को नेटो सम्मेलन के दौरान बाइडन
और अर्दोआन के बीच हुई बैठक में अफ़ग़ानिस्तान मुद्दे पर चर्चा हुई.
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अर्दोआन ने इस दौरान एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए अमेरिका का सहयोग मांगा और बाइडन ने कहा कि वो उन्हें हर मदद मुहैया कराने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
सालिवन ने अमेरिका की ओर से बैठक की पहली जानकारी देते हुए
कहा, “नेताओं की ओर से साफ़ प्रतिबद्धता
जताते हुए कहा गया कि तुर्की हामिद करज़ई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सुरक्षा में
अहम भूमिका निभाएगा और हम इस पर काम कर रहे हैं कि इसे कैसे अंजाम दिया जाए.”
विवादास्पद मुद्दे
तुर्की और अमेरिका के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी भी रही
है. इनमें रूस से मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीदना, सीरिया और पूर्वी भूमध्यसागर पर
नीतियों में मतभेद जैसे मुद्दे शामिल हैं.
बाइडन और अर्दोआन की पहली आमने-सामने की बैठक में इन मुद्दों
पर किसी बड़े परिवर्तन की संभावना बहुत कम थी.
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बैठक के बाद दोनों नेता बहुत उत्साहित दिखे हालांकि बैठक
में क्या ठोस प्रगति हुई इस पर कोई घोषणा नहीं की गई.
सहयोग का एक ख़ास क्षेत्र अफ़ग़ानिस्तान ज़रूर रहा, जहाँ पर
तुर्की ने अमेरिका और नेटो सुरक्षाबलों के जाने के बाद आने वाले हफ़्तों में काबुल
एयरपोर्ट की सुरक्षा का प्रस्ताव दिया है.
पश्चिमी सुरक्षाबलों के जाने के बाद एयरपोर्ट की सुरक्षा
कूटनयिक मिशनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है.
बीते सप्ताह तालिबान प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिकी
सुरक्षाबलों के जाने के 2020 सौदे के तहत अफ़ग़ानिस्तान से तुर्की को भी जाना
चाहिए.
सालिवन ने कहा कि तालिबान की टिप्पणी अमेरिका की ‘विस्तृत और प्रभावी’ सुरक्षा योजना को रोक
नहीं सकती है.
कोरोना की तीसरी लहर भारत में अक्तूबर में हो सकती है शुरू: रॉयटर्स पोल
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक पोल
के अनुसार, भारत में कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर अक्तूबर में आ सकती है.
हालांकि ऐसा माना गया है कि इस बार इसे ठीक से नियंत्रित
किया जा सकेगा और महामारी एक और साल के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरा
रहेगी.
40 विशेषज्ञों के 3 से 17 जून के बीच किए गए सर्वे में पाया
गया है कि टीकाककरण के कारण ताज़ा लहर में थोड़ी सुरक्षा रहेगी.
सर्वे में शामिल 85% विशेषज्ञों का कहना है कि अगली लहर अक्तूबर में आएगी जबकि
तीन लोगों का कहना है कि यह अगस्त की शुरुआत में और सितंबर के मध्य में शुरू हो
सकती है.
बाक़ी तीन विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवंबर से फ़रवरी के
बीच में आ सकती है.
अधिक नियंत्रित होने की संभावना
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70 फ़ीसदी विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी नई लहर इस बार
पिछले की तुलना में अच्छे से नियंत्रित होगी.
एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, “यह बहुत अधिक नियंत्रित होगी और मामले बहुत कम
होंगे क्योंकि अधिक टीकाकरण हो चुका होगा और दूसरी लहर से बहुत हद तक प्राकृतिक
इम्युनिटी आ चुकी होगी.”
जब सर्वे के दौरान यह पूछा गया कि 18 साल या उससे कम उम्र
के बच्चों को अधिक ख़तरा होगा तो तक़रीबन दो तिहाई विशेषज्ञों यानी 26 से 40 ने
इसका जवाब हाँ में दिया. लेकिन 14 विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को ख़तरा नहीं
है.
इस सप्ताह की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ
अधिकारी ने कहा था कि बच्चों को संक्रमण से ख़तरा है लेकिन विश्लेषण बताता है कि
उनके स्वास्थ्य पर कम ख़तरा है.
इसराइल से वैक्सीन लेने से फ़लस्तीनियों ने किया इनकार
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इसराइल के
10 लाख कोविड वैक्सीन देने के सौदे को फ़लस्तीनी प्रशासन ने रद्द कर दिया है.
प्रशासन
ने कहा है कि फ़ाइज़र की वैक्सीन एक्सपायरी डेट के बहुत नज़दीक है.
इससे
पहले इसराइल ने कहा था कि अधिक पुरानी वैक्सीन की अब ज़रूरत नहीं है और इन्हें
फ़लस्तीनी टीकाकरण कार्यक्रम में तेज़ी लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसके
बदले में फ़लस्तीनियों को इसराइल को उतनी ही वैक्सीन देनी होगी जितनी उसे इस साल
के आख़िर में फ़ाइज़र संगठन से मिलने की उम्मीद है.
इसराइल
से टीके की जब पहली खेप पहुंची तो फ़लस्तीनी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें जितनी
उम्मीद थी एक्सपायरी डेट उससे भी अधिक पास है.
उन्होंने कहा
कि इन्हें इस्तेमाल के लिए बहुत समय नहीं है और इसलिए सौदे को रद्द कर दिया गया.
फ़लस्तीनी
प्रशासन के प्रवक्ता इब्राहिम मेलहेम ने कहा था कि 90,000 टीकों की शुरुआती
डिलीवरी ‘सौदे की विशेषताओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है और प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायेह के
अनुसार उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को सौदे को रद्द करने के निर्देश दिए.’
मेलहेम
ने कहा कि इसके बजाय प्रशासन सीधे फ़ाइज़र को दिए ऑर्डर के लिए इंतज़ार करेगा.
शुक्रवार
को किए गए ट्वीट में इसराइल के नए स्वास्थ्य मंत्री नित्ज़ान होरोवित्ज़ ने कहा था
कि ‘कोरोना वायरस किसी सीमा को नहीं जानता है और लोगों के बीच
भेद नहीं करता है.’
उन्होंने कहा था कि ‘वैक्सीन को लेकर महत्वपूर्ण अदला-बदली’ दोनों के हितों में है
और उन्होंने उम्मीद जताई थी कि ‘इसराइल और
फ़लस्तीन के बीच सहयोग और अन्य क्षेत्रों में भी होगा.’
लाइव रिपोर्टिंग
रिपोर्टर- सिंधुवासिनी और मानसी दाश
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धन्यवाद
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लेबनान को यूरोपीय संघ की चेतावनी, स्थिति संभाले नहीं तो लगाए जा सकते हैं प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने लेबनान के नेताओं को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
इस विषय पर चर्चा के लिए यूरोपीय संघ के विदेश नीति मामलों के प्रमुख जोसेप बुरेल ने बेरुत में लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन से मुलाक़ात की.
मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि संघ लेबनान की मदद करने के लिए तैयार है लेकिन इसके लिए पहले लेबनान को कदम उठाने होंगे.
जोसेप बुरेल ने कहा, "सुधारों की दिशा में जब तक प्रगति नहीं होती तब तक हम मदद नहीं कर सकते. मौजूदा संकट से देश को उबारने के लिए देश को तुरंत सुधारों की ज़रूरत है. हमारे पास संसाधन भी हैं और हम मदद करना भी चाहते हैं. लेकिन हम लेबनान की अधिक मदद कर सकें इसके लिए यहां सुधारों के लिए उठाए कदमों में तेज़ी लाए जाने की ज़रूरत है, आर्थिक संकट से उबरने के लिए ये ज़रूरी है."
उन्होंने कहा "हम प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं लेकिन ये फ़ैसला अब लेबनान के नेतृत्व पर निर्भर है."
जोसेप बुरेल ने अपनी यात्रा के दौरान लेबनान के अंतरिम प्रधानमंत्री हसन दियाब और प्रधानमंत्री साद हरीरी से भी मुलाक़ात की और सुधारों के लिए तुरंत कदम उठाने के लिए नए सरकार के गठन पर चर्चा की.
लेबनान में बीते कई महीनों से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच तनाव बढ़ा है.
बीते साल एक धमाके के बाद यहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद यहां की पूरी सरकार ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
उसके बाद अब तक यहां सरकार नहीं बन पाई है. इस कारण वहां राजनीतिक और आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हुई है और ऐसे में बीच लेबनान की मदद करने के लिए तैयार दूसरे देश उसकी मदद नहीं कर पा रहे हैं.
कश्मीर के नेताओं को पीएम मोदी के साथ बैठक का न्योता, नेता बोले- सोच कर बताएंगे
नेशनल कॉन्फ़्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने कहा है कि वो दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई वाली बैठक में हिस्सा लेने के बारे में विचार करेंगे.
जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं को 24 जून को होने वाली एक बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.
कहा जा रहा है कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर से जुड़े फ़ैसले के संबंध में इस बैठक में चर्चा की जाएगी.
5 अगस्त साल 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से यह इस तरह की पहली बैठक होगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पीएम की अगुआई वाली इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे.
जम्मू-कश्मीर में ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि विधानसभा चुनावों की तैयारियां भी जल्द शुरू होंगी लेकिन यह कब तक होगी इसको लेकर संशय था.
लेकिन अब बैठक की ख़बर सामने आने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव की सीटों के परिसीमन आदि की चर्चा के लिए पहले पार्टियों के साथ चर्चा कर लेना चाहती है.
श्रीनगर से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार माजिद जहांगीर ने बताया कि यह एक तरह से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक ख़ामोशी को तोड़ने की कोशिश है और साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश जाएगा कि कश्मीर में चीज़ें सामान्य हैं.
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चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष से की मुलाक़ात, कहा- फ़ैसले पर फिर से ग़ौर करें
लोक जनशक्ति पार्टी में चल रही खींचतान के बीच शनिवार को चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाक़ात की और अपना पक्ष रखा.
इस दौरान चिराग पासवान के साथ उनके कुछ समर्थक भी थे.
ओम बिड़ला से मुलाक़ात के बाद चिराग पासवान ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "मैंने उन्हें सच्चाई से अवगत कराया और उनसे कहा कि वो एलजेपी के निलंबित सासंद पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता चुनने के अपने फ़ैसले पर वो फिर से विचार करें."
चिराग पासवान ने इस फ़ैसले को ग़ैर-क़ानूनी करार दिया और कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता.
लोकसभा स्पीकर का कहना था कि सदन में पार्टी का नेता चुनने के लिए पार्टी ने बैठक की जिसके बाद जो कुछ हुआ उसके बारे में लोकसभा सचिवालय को जानकारी दी गई.
उन्होंने कहा कि इसके बाद उनके चुने नेता के नाम को स्वीकार किया गया है.
इस सप्ताह बुधवार को चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उन्हें खुद को सदन में पार्टी का नेता घोषित करने की अपील की थी.
साथ ही उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हैं और “यह पद सिर्फ़ दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का निधन हो जाए या राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं इस्तीफ़ा दे दे.”
हाल में एलजेपी के कुछ विधायकों ने पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया था. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने उन्हें सदन में पार्टी का नेता घोषित कर दिया था.
और पढ़ें -चिराग पासवान बनाम पशुपति कुमार पारस की लड़ाई में लोजपा का असली वारिस कौन? क्या कहते हैं नियम?
रूस: राजधानी मॉस्को में कोरोना के रिकॉर्ड मामले
रूस की राजधानी में लगातार दूसरे दिन कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए हैं.
रूस में शनिवार को कोरोना संक्रमण के 17,906 नए मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से रिकॉर्ड 9,120 केवल मॉस्को में दर्ज किए गए हैं.
इसके साथ ही देश में संक्रमितों का कुल आंकड़ा अब 5,299,215 हो चुका है.
वहीं सरकार की कोरोना वायरस टास्क फोर्स ने शनिवार को कोविड-19 के कारण 466 लोगों की मौत की पुष्टि की है.
टास्क फोर्स के अनुसार देश में अब तक कोरोना से 128,911 लोगों की मौत हुई है.
वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने स्टेट स्टाटिस्टिक्स एजेंसी (ये एजेंसी सरकारी आंकड़ों से अलग आंकड़े रखती है) के हवाले से लिखा है कि देश में अप्रैल 2020 से लेकर 2021 के बीच 270,000 लोगों की मौत हुई है.
बीबीसी इंडिया बोल, 19 जून 2021, ‘फ़्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह की यादें
बीबीसी इंडिया बोल, 19 जून 2021. भारत के मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात निधन हो गया.
1929 में अविभाजित भारत में जन्मे मिल्खा सिंह की कहानी जीवटता की कहानी है.
ऐसा शख़्स जो विभाजन के दंगों में बाल-बाल बचा, जो ट्रेन में बेटिकट सफ़र करते पकड़ा गया और जेल हुई, जिसने एक गिलास दूध के लिए सेना की दौड़ में हिस्सा लिया और जो बाद में भारत का सबसे महान एथलीट बना.
मिल्खा सिंह से जुड़ी ऐसी ही कई बातों को आज याद करेंगे बीबीसी इंडिया बोल में.
ब्रेकिंग न्यूज़कोरोना: तीसरी लहर की आशंका, केंद्र सरकार की राज्यों को चेतावनी
भारत सरकार ने राज्यों से कहा है कि वो कोरोना वायरस महामारी की लहर को फैलने से रोकने के लिए लगाई पाबंदियों में ढील देते वक्त 'अत्यधिक सावधानी' बरतें.
गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों को चिट्ठी लिख राज्य सरकारों से गुज़ारिश की है कि कोरोना के मामले बढ़ने की सूरत में वो अपनी पूरी तैयारी रखें.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर का पीक अब कम हो रहा है और देश में कोरोना के मामले भी लगातार कम आ रहे हैं.
इस बीच राज्य सरकारें कोरोना के कारण लगाए प्रतिबंधों में ढील दे रही है और सड़कों पर ट्रैफिक दिखना भी अब शुरू हो गया है.
तीसरी लहर की आशंका
इधर, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस के प्रमुख रणदीप गुलेरिया ने पाबंदियों में ढील के बाद अधिक संख्या में लोगों के जमा होने को लेकर चिंता जताई है.
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अभी के हालातों से सीख न ली गई तो आने वाले छह से सात सप्ताह में देश कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर सकता है.
मिल्खा सिंह को राजकीय सम्मान के साथ मिली अंतिम विदाई
'फ़्लाइंग सिख' के नाम से जाने जाने वाले पूर्व भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया है.
शनिवार को चंडीगढ़ में बंदूकों की सलामी के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मिल्खा सिंह के घर जाकर उनके परिवार को सांत्वना दी और उनके प्रति सम्मान जताया
कुछ ही दिन पहले हुआ था पत्नी का निधन
91 वर्षीय मिल्खा सिंह कोविड-19 से जूझ रहे थे और चडीगढ़ के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.शुक्रवार रात उन्होंने अंतिम साँस ली.
मिल्खा सिंह के निधन पर फ़िल्म, राजनीति और खेल जगत की हस्तियां शोक मना रही हैं.
कुछ दिनों पहले उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान रहीं निर्मल सिंह का भी इसी हफ़्ते 13 जून को निधन हो गया था. वो भी कोरोना संक्रमित थीं.
मिल्खा सिंह और निर्मल सिंह दोनों ही चंडीगढ़ के पीजीआई में भर्ती थे.
'मिल्खा सिंह जब ग्राउंड पर आते थे तो स्टेडियम का माहौल दिवाली जैसा हो जाता था. उन्होंने हमेशा प्रेरित किया.'
भारतीय एथलीट प्रवीण कुमार ने बीबीसी संवाददाता सरबजीत धालीवाल से बातचीत में मिल्खा सिंह से जुड़े दिलचस्प किस्से साझा किए.
अरविंद शर्मा को बीजेपी संगठन में मिली जगह, बने प्रदेश उपाध्यक्ष
समीरात्मज मिश्र
बीबीसी हिंदी के लिए
पूर्व नौकरशाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़रीबी रहे अरविंद कुमार शर्मा को यूपी बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया गया है.
राज्य बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की ओर से जारी सूची की गई सूची में अरविंद शर्मा के अलावा अर्चना शर्मा और अमित वाल्मीकि को प्रदेश मंत्री नियुक्त किया गया है.
अरविंद कुमार शर्मा गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं और इसी साल जनवरी में वो नौकरी से इस्तीफ़ा देकर बीजेपी में शामिल हुए थे.
माना जा रहा था का राज्य सरकार में उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
अरविंद कुमार शर्मा के बीजेपी में शामिल होने के बाद ही वो विधान परिषद के सदस्य भी चुने गए और तब इन कयासों को और बल मिला कि राज्य सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी जाएगी.
अरविंद कुमार शर्मा कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में लगातार सक्रिय रहे और वाराणसी समेत बल्कि पूर्वांचल के कई ज़िलों में उन्होंने काफ़ी काम किया.
लंबे समय से नरेंद्र मोदी के साथ हैं अरविंद शर्मा
साल 1988 बैच के आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा ने केंद्र सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के सचिव पद पर रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस लिया था.
अरविंद पीएम मोदी के साथ तब से काम कर रहे हैं, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
साल 2001 से लेकर 2013 तक उन्होंने पीएम मोदी के साथ गुजरात में काम किया और मोदी के पीएम बनने के बाद वो केंद्र में आ गए.
साल 2014 में प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव रहे और बाद में पदोन्नत होकर सचिव बने.
संगठन में उपाध्यक्ष और दो सचिवों के अलावा पार्टी ने एक अन्य सूची भी जारी है जिसमें विभिन्न मोर्चों के पदाधिकारी घोषित किए गए हैं.
प्रांशु दत्त द्विवेदी को युवा मोर्चा, गीता शाक्य को महिला मोर्चा, कामेश्वर सिंह को किसान मोर्चा, नरेंद्र कश्यप को पिछड़ा वर्ग मोर्चा, कौशल किशोर को अनुसूचित जाति मोर्चा, संजय गोंड को अनुसूचित जनजाति मोर्चा और कुंवर बासित अली को अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
कोवोवैक्स और बायोलॉजिकल ई: भारत में आएंगी दो नई वैक्सीन
कई देशों में वैक्सीन की कमी की ख़बरों के बीच भारत इस साल के आख़िर तक अपने नागरिकों को दो नई वैक्सीन देने वाला है.
और पढ़ेंवाइन पर चीन के फ़ैसले के ख़िलाफ़ WTO में जाएगा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि वो व्यापार से जुड़े चीन के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ औपचारिक तौर पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत करेगा.
ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन टेहान ने कहा, “हमें लगता है कि हमें उन मुद्दों को सुलझाने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए जिनसे हमारी अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा प्रभावित होता है. इस मामले में हमारा मानना है कि चीनी सरकार के फ़ैसले ने हमारी वाइन इंडस्ट्री को गंभीर नुक़सान पहुंचाया है.”
चीन ऑस्ट्रेलिया से अरबों डॉलर की वाइन खरीदता रहा है. लेकिन बीते साल उसने ऑस्ट्रेलिया से खरीदी जाने वाली वाइन पर लगने वाले आयात कर को 218 फीसदी तक बढ़ाने का फ़ैसला किया था. इसका सीधा असर ऑस्ट्रेलिया के निर्यात पर पड़ा.
चीन के आयात कर बढ़ाने के बाद ये व्यवसाय लगभग न के बराबर ही रह गया है. चीन के इस फ़ैसले के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि इसके साथ चीन ने ये दिखा दिया है कि वो किसी दूसरे देश के व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है.
चीन की दलील है कि उसने वाइन पर आयात कर बढ़ाया क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस इंडस्ट्री को सब्सिडी देकर वाइन की 'ग़ैर-क़ानूनी डंपिंग' कर रही है.
लेकिन जानकारों का मानना है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच आगे बढ़ाने को ऑस्ट्रेलिया के सहमति देने के बाद चीन ने ये फ़ैसला लेकर अपनी प्रतिक्रिया जताई है.
WTC: न्यूज़ीलैंड ने जीता टॉस, पहले बॉलिंग का फ़ैसला
इंग्लैंड के साउथेम्प्टन में होने वाले आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बॉलिंग करने का फ़ैसला लिया है.
पहले दिन का मैच बारिश के कारण नहीं हो पाया था लेकिन आज मौसम साफ़ है.
भारत की टीम: विराट कोहली (कैप्टन), ऋषभ पंत (विकेटकीपर), रोहित शर्मा, शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, रविंद्र जडेजा, रविंद्र जडेजा, ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह.
न्यूज़ीलैंड की टीम: केन विलियमसन (कैप्टन), बीजे वॉल्टिंग (विकेटकीपर), टॉम लाथम, डेवन कॉन्वे, रॉस टेलर, हेनरी निकोल्स, कॉलिन डी ग्रैंडहोम, काइली जैमिसन, नील वेग्नर, टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट.
मिल्खा सिंह को कैसे याद कर रहे हैं लोग?
LIVE: भारत के मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह के निधन पर चंडीगढ़ में उनके घर के बाहर खेल विशेषज्ञ सौरभ दुग्गल से बात कर रहे हैं बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा.
ओवैसी ने नताशा, देवांगना और आसिफ़ को लेकर चिदंबरम को आडे़ हाथों लिया
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े यूएपीए मामले में पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ताओं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा को ज़मानत मिलने पर जब देश के पूर्व गृह मंत्री पी. चिंदबरम ने उनके साहस की प्रशंसा की तो एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चिदंबरम को आड़े हाथों लिया.
ओवैसी ने ट्वीट करके यूएपीए जैसे कठोर क़ानून बनाने को लेकर पी. चिदंबरम की आलोचना की है.
ओवैसी ने दो ट्वीट किए हैं. पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, “केवल तीन निरर्थक ट्वीट. जो ज़रूरी चीज़ है, उस पर एक शब्द भी नहीं बोला गया. पी. चिदंबरम जादुई शब्द बोलिए: यूएपीए. आपने ही यूएपीए में संशोधन किया जिससे अनगिनत मुसलमानों और आदिवासियों की ज़िंदगियां तबाह हुईं. जब बीजेपी ने यूएपीए में संशोधन कर इसे और बदतर किया तो आपकी पार्टी ने राज्यसभा में साथ देने में कोई देरी नहीं की.''
अगले ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, “इन तीन युवाओं- नताशा, देवांगना और आसिफ़ से बीजेपी, कांग्रेस को माफ़ी मांगनी चाहिए न कि भारतीयों को प्रताड़ित करने और अनुचित तरीक़े से जेल भेजने के लिए ज़िम्मेदार लोग महज़ औपचारिकता पूरी करें.
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट करके नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा का स्वागत करते हुए कहा था कि ‘आप लोग उदासीनता और जड़ता के रेगिस्तान में आशा की हरियाली हैं.’
पी. चिदंबरम ने अगले ट्वीट में लिखा कि ‘यह दुखद है कि अदालतें पुलिस पर जितनी सख़्त कार्रवाई करती हैं, उनके मालिक उतने ही अधिक दमनकारी होते जाते हैं. आख़िरकार सत्य की जीत होती है.’
मिल्खा सिंह के निधन पर फ़रहान अख़्तर ने लिखी भावुक पोस्ट
भारत के मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह के निधन पर फ़िल्म, राजनीति और खेल जगत की हस्तियों ने दुख जताया है.
और पढ़ेंम्यांमार के सैन्य शासक को लेकर UN में चीन और भारत रहे साथ
म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद उसे हथियार ख़रीदने से रोकने के एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने मुहर लगा दी है. लेकिन इस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान उसके पड़ोसी भारत और चीन समेत 36 देश अनुपस्थित रहे.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मिलिट्री जुंटा की निंदा करते हुए यह प्रस्ताव लाया गया था.
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने आंग सान सू ची समेत राजनेताओं को रिहा करने और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा रोकने की मांग की है.
यह प्रस्ताव क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं है लेकिन इसका राजनीतिक महत्व है.
म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्जनर ने कहा कि ‘बड़े स्तर पर गृह युद्ध का ख़तरा वास्तविक है.
193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब इस प्रस्ताव को पेश किया गया तो उसके समर्थन में 119 देशों ने मतदान किया जबकि इकलौते बेलारूस ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया और 36 देश इस दौरान अनुपस्थित रहे, इनमें रूस और चीन भी शामिल हैं.
रूस और चीन म्यांमार के सबसे बड़े हथियार निर्यातक देश हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत टीएस त्रिमूर्ति ने इस मौके पर कहा कि इस प्रस्ताव को पेश करके यह नहीं मान लेना चाहिए कि ‘म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मज़बूत करने की दिशा में हमारे संयुक्त प्रयास अनुकूल नहीं हैं.’
साथ ही त्रिमूर्ति ने कहा कि ‘म्यांमार की स्थिति को लेकर भारत का स्टैंड साफ़ और एक है.म्यांमार में बदलते हालात को लेकर हम अपनी गहरी चिंताएं जता चुके हैं. हम हिंसा के इस्तेमाल की निंदा करते हैं और अधिक संयम का आग्रह करते हैं.’
क़ुरैशी ने कहा था- उनका ख़ून खौल रहा है पर फिर नहीं माने अफ़ग़ानिस्तान के NSA
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हम्दुल्लाह मोहिब ने एक बार फिर ऐसी टिप्पणी की है जिसकी पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने निंदा की है.
और पढ़ेंकाबुल एयरपोर्ट की ज़िम्मेदारी तुर्की को? अमेरिका भी सहमत
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सालिवन ने बताया है कि इस सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के बीच हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी जवानों की वापसी के बाद तुर्की काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा.
हालांकि, सालिवन ने बताया कि तुर्की के रूस से एस-400 मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीदने के मुद्दे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. नेटो सहयोगियों के बीच यह मुद्दा काफ़ी समय से तनाव की वजह बना हुआ है.
सालिवन ने बताया कि सोमवार को नेटो सम्मेलन के दौरान बाइडन और अर्दोआन के बीच हुई बैठक में अफ़ग़ानिस्तान मुद्दे पर चर्चा हुई.
अर्दोआन ने इस दौरान एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए अमेरिका का सहयोग मांगा और बाइडन ने कहा कि वो उन्हें हर मदद मुहैया कराने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
सालिवन ने अमेरिका की ओर से बैठक की पहली जानकारी देते हुए कहा, “नेताओं की ओर से साफ़ प्रतिबद्धता जताते हुए कहा गया कि तुर्की हामिद करज़ई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा और हम इस पर काम कर रहे हैं कि इसे कैसे अंजाम दिया जाए.”
विवादास्पद मुद्दे
तुर्की और अमेरिका के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी भी रही है. इनमें रूस से मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीदना, सीरिया और पूर्वी भूमध्यसागर पर नीतियों में मतभेद जैसे मुद्दे शामिल हैं.
बाइडन और अर्दोआन की पहली आमने-सामने की बैठक में इन मुद्दों पर किसी बड़े परिवर्तन की संभावना बहुत कम थी.
बैठक के बाद दोनों नेता बहुत उत्साहित दिखे हालांकि बैठक में क्या ठोस प्रगति हुई इस पर कोई घोषणा नहीं की गई.
सहयोग का एक ख़ास क्षेत्र अफ़ग़ानिस्तान ज़रूर रहा, जहाँ पर तुर्की ने अमेरिका और नेटो सुरक्षाबलों के जाने के बाद आने वाले हफ़्तों में काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा का प्रस्ताव दिया है.
पश्चिमी सुरक्षाबलों के जाने के बाद एयरपोर्ट की सुरक्षा कूटनयिक मिशनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है.
बीते सप्ताह तालिबान प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिकी सुरक्षाबलों के जाने के 2020 सौदे के तहत अफ़ग़ानिस्तान से तुर्की को भी जाना चाहिए.
सालिवन ने कहा कि तालिबान की टिप्पणी अमेरिका की ‘विस्तृत और प्रभावी’ सुरक्षा योजना को रोक नहीं सकती है.
कोरोना की तीसरी लहर भारत में अक्तूबर में हो सकती है शुरू: रॉयटर्स पोल
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक पोल के अनुसार, भारत में कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर अक्तूबर में आ सकती है.
हालांकि ऐसा माना गया है कि इस बार इसे ठीक से नियंत्रित किया जा सकेगा और महामारी एक और साल के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरा रहेगी.
40 विशेषज्ञों के 3 से 17 जून के बीच किए गए सर्वे में पाया गया है कि टीकाककरण के कारण ताज़ा लहर में थोड़ी सुरक्षा रहेगी.
सर्वे में शामिल 85% विशेषज्ञों का कहना है कि अगली लहर अक्तूबर में आएगी जबकि तीन लोगों का कहना है कि यह अगस्त की शुरुआत में और सितंबर के मध्य में शुरू हो सकती है.
बाक़ी तीन विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवंबर से फ़रवरी के बीच में आ सकती है.
अधिक नियंत्रित होने की संभावना
70 फ़ीसदी विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी नई लहर इस बार पिछले की तुलना में अच्छे से नियंत्रित होगी.
एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, “यह बहुत अधिक नियंत्रित होगी और मामले बहुत कम होंगे क्योंकि अधिक टीकाकरण हो चुका होगा और दूसरी लहर से बहुत हद तक प्राकृतिक इम्युनिटी आ चुकी होगी.”
जब सर्वे के दौरान यह पूछा गया कि 18 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को अधिक ख़तरा होगा तो तक़रीबन दो तिहाई विशेषज्ञों यानी 26 से 40 ने इसका जवाब हाँ में दिया. लेकिन 14 विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को ख़तरा नहीं है.
इस सप्ताह की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि बच्चों को संक्रमण से ख़तरा है लेकिन विश्लेषण बताता है कि उनके स्वास्थ्य पर कम ख़तरा है.
इसराइल से वैक्सीन लेने से फ़लस्तीनियों ने किया इनकार
इसराइल के 10 लाख कोविड वैक्सीन देने के सौदे को फ़लस्तीनी प्रशासन ने रद्द कर दिया है.
प्रशासन ने कहा है कि फ़ाइज़र की वैक्सीन एक्सपायरी डेट के बहुत नज़दीक है.
इससे पहले इसराइल ने कहा था कि अधिक पुरानी वैक्सीन की अब ज़रूरत नहीं है और इन्हें फ़लस्तीनी टीकाकरण कार्यक्रम में तेज़ी लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसके बदले में फ़लस्तीनियों को इसराइल को उतनी ही वैक्सीन देनी होगी जितनी उसे इस साल के आख़िर में फ़ाइज़र संगठन से मिलने की उम्मीद है.
इसराइल से टीके की जब पहली खेप पहुंची तो फ़लस्तीनी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें जितनी उम्मीद थी एक्सपायरी डेट उससे भी अधिक पास है.
उन्होंने कहा कि इन्हें इस्तेमाल के लिए बहुत समय नहीं है और इसलिए सौदे को रद्द कर दिया गया.
फ़लस्तीनी प्रशासन के प्रवक्ता इब्राहिम मेलहेम ने कहा था कि 90,000 टीकों की शुरुआती डिलीवरी ‘सौदे की विशेषताओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है और प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायेह के अनुसार उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को सौदे को रद्द करने के निर्देश दिए.’
मेलहेम ने कहा कि इसके बजाय प्रशासन सीधे फ़ाइज़र को दिए ऑर्डर के लिए इंतज़ार करेगा.
शुक्रवार को किए गए ट्वीट में इसराइल के नए स्वास्थ्य मंत्री नित्ज़ान होरोवित्ज़ ने कहा था कि ‘कोरोना वायरस किसी सीमा को नहीं जानता है और लोगों के बीच भेद नहीं करता है.’
उन्होंने कहा था कि ‘वैक्सीन को लेकर महत्वपूर्ण अदला-बदली’ दोनों के हितों में है और उन्होंने उम्मीद जताई थी कि ‘इसराइल और फ़लस्तीन के बीच सहयोग और अन्य क्षेत्रों में भी होगा.’