• Hindi News
  • Local
  • Bihar
  • Inside Story Of Deal Between Five Rebel LJP MP's And JDU Top Leadership In Bihar

LJP में टूट की इनसाइड स्टोरी:4 MLC, एक MLA की सीट के JDU के ऑफर पर बगावत को तैयार हुए पारस, सूरजभान के जरिए तय हुआ सबकुछ

पटना3 वर्ष पहलेलेखक: अमित जायसवाल
  • कॉपी लिंक

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में पिछले 4 दिनों से जो कुछ भी चल रहा है, इसकी पूरी पटकथा पिछले 5 महीने से लिखी जा रही थी। इसे लिखने वाले जनता दल यूनाइटेड (JDU) के शीर्ष नेता हैं। उन्होंने ही जातीय आधार पर बाहुबली और LJP के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को अपने भरोसे में लिया।

इनके जरिए ही JDU के नेता एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुए दिवंगत रामविलास पासवान के भाई व चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस तक पहुंचे। अंदर ही अंदर बातों और मुलाकातों का दौर चला। फिर जो कुछ हुआ, वो सबके सामने है।

भास्कर को जानकारी मिली है कि LJP से बगावत करने वाले सांसदों की JDU के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत के बाद एक बड़ा ऑफर तय हुआ है। बात बिहार के उच्च सदन की सीटों को लेकर है। इस बड़े ऑफर पर JDU आलाकमान की सहमति भी मिल चुकी है।

LJP के सभी बागियों के हिस्से एक-एक MLC सीट आएगी

बंद कमरे के अंदर हुई जिस ऑफर की जानकारी भास्कर को मिली है, उसके मुताबिक LJP में बगावत करने वाले 4 सांसदों के खाते में MLC की एक-एक सीट और एक सांसद के खाते में MLA की एक सीट जाएगी।

चिराग पासवान को जिस पर था विश्वास, उसने ही दगा दिया

LJP से जुड़े सूत्र बताते हैं कि चिराग पासवान को अपने चाचा से ज्यादा विश्वास सूरजभान सिंह पर था। JDU नेतृत्व के संपर्क में आने के बाद सूरजभान का मन बदल गया। वो उनके रंग में रंगते चले गए। अंदर ही अंदर LJP की जड़ों को काटने में जुट गए, जिसमें उन्हें सफलता भी मिल गई।

पार्टी तोड़ने की कोशिश उस वक्त भी हुई थी, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान जिंदा थे। हालांकि पार्टी टूटने के डर से वो सख्त कदम नहीं उठा पाते थे। इस वजह से चुनाव के टिकट बांटने के मामले में उन्हें सूरजभान सिंह और उनका साथ देने वाले नेताओं की बातों को जबरन मानना पड़ता था। चाचा पशुपति कुमार पारस और दिवंगत हो चुके सबसे छोटे चाचा रामचंद्र पासवान का भी यही हाल था।

चिराग पासवान अपने पिता के बिल्कुल विपरीत हैं। वो सख्त फैसले लेना जानते हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने टिकट बंटवारे में किसी को हस्तक्षेप नहीं करने दिया था। इस कारण पशुपति कुमार पारस, प्रिंस राज और सूरजभान समेत इनके गुट के नेताओं ने कहीं भी पार्टी की तरफ से प्रचार-प्रसार नहीं किया। अगर इनका साथ मिला होता तो शायद नतीजों में LJP की हालत बेहतर होती।

यह फोटो बुधवार शाम की है। पटना आने के बाद पशुपति कुमार पारस जदयू नेता व पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह से मिले।
यह फोटो बुधवार शाम की है। पटना आने के बाद पशुपति कुमार पारस जदयू नेता व पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह से मिले।

LJP के दलित वोट बैंक पर है JDU की नजर

बिहार में दलित वोट बैंक पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का कब्जा सबसे अधिक था। इस कारण चिराग पासवान गुट वाले LJP नेता मानते हैं कि अभी भी दलित वोट बैंक सबसे अधिक उनके पक्ष में है। इस बात का सबूत बीते साल के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट है, जिसमें LJP को करीब 25 लाख वोट मिले थे। इसमें सबसे अधिक वोट दलित और महादलित के ही थे। JDU को यही बात हजम नहीं हो रही है।

चिराग पासवान ने पहले से ही बिहार सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक रखा है। सरकार की नीतियों का लगातार विरोध करते रहे हैं। राज्य के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं। पार्टी में बगावत होने के बाद बुधवार को चिराग पासवान ने जब दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की तो सीधे तौर पर JDU के नेताओं पर निशाना साधा। स्पष्ट कहा कि था कि उनकी पार्टी को JDU नेताओं ने ही तोड़ा है। बुधवार की शाम पटना आने के बाद पशुपति कुमार पारस और JDU नेता जय कुमार सिंह के बीच मुलाकात भी हुई थी।

JDU ने कहा- यह सब अफवाह

हालांकि इस डील पर JDU की ओर से कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। JDU के मुख्य प्रवक्ता MLC संजय सिंह ने इस तरह की किसी भी डील से इनकार किया है। उन्होंने भास्कर से कहा कि LJP में जारी प्रकरण से JDU का कोई लेनादेना नहीं है। इस तरह की जो भी बातें कही जा रही हैं, वह कोरी अफवाह हैं।

.
खबरें और भी हैं...