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कोरोनाः दूसरी लहर के चार महीने, पहली के एक साल पर भारी, जानें कैसे मची तबाही

देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब कमजोर पड़ने लगी है. चार महीने पहले 17 फरवरी से संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए थे. पहली लहर के एक साल पर दूसरी लहर के चार महीने कितने भारी पड़े, आइए समझते हैं...

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दूसरी लहर के चार महीनों में इतनी मौतें हुईं, जितनी सालभर में नहीं हुई थी. (फाइल फोटो-PTI)
दूसरी लहर के चार महीनों में इतनी मौतें हुईं, जितनी सालभर में नहीं हुई थी. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 17 फरवरी से बढ़ने शुरू हुए केस
  • 7 मई को आया दूसरी लहर का पीक

देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने लगी है. लेकिन दूसरी लहर ने भारत में जितनी तबाही मचाई, उतनी तबाही शायद कहीं और नहीं देखी गई. ऑक्सीजन के लिए सड़कों पर तड़पते लोग, अस्पताल में बेड के इंतजार में बैठे मरीज, दवाओं के लिए दर-दर भटकते मरीजों के परिजन. ये ऐसी तस्वीरें दूसरी लहर ने दिखाईं जिसकी कल्पना शायद किसी ने भी की नहीं होगी. कोरोना की जब पहली लहर आई थी, तब हम सबके लिए ये नई चुनौती थी, लेकिन इतनी बुरी तस्वीरें उस वक्त भी सामने नहीं आईं, जैसी तस्वीरें दूसरी लहर में देखने को मिलीं.

अब क्योंकि दूसरी लहर थोड़ी कमजोर पड़ने लगी है. ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि कोरोना की दूसरी लहर, पहली लहर से कितनी ज्यादा खतरनाक थी. लेकिन इसे समझने के लिए पहले ये पता लगाना जरूरी है कि दूसरी लहर की शुरुआत कब से हुई?

भारत में कोरोना संक्रमण का पहला केस 30 जनवरी 2020 को केरल में सामने आया था. पहली लहर का पीक 17 सितंबर को था. उस दिन 24 घंटे में 97,894 मामले सामने आए थे. उसके बाद पहली लहर कमजोर पड़ गई और पहली लहर के सबसे कम मामले 16 फरवरी 2021 को आए. 16 फरवरी को एक दिन में मात्र 9,121 केस मिले. लेकिन अगले दिन से मामले बढ़ने लगे और यहीं से हुई दूसरी लहर की शुरुआत.

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कोरोनाः पहली लहर बनाम दूसरी लहर

तारीख केस मौतें रिकवरी
30 जनवरी से 16 फरवरी 1.09 करोड़+ 1.55 लाख+ 1.06 करोड़+
17 फरवरी से 16 जून 1.87 करोड़+ 2.24 लाख+ 1.77 करोड़+
कुल 2.96 करोड़+ 3.79 लाख+ 2.83 करोड़+

(सोर्सः WHO)

जान और जहान, पढ़ें-देश में कोरोना की दूसरी लहर से कहां, कितना हुआ नुकसान?

दूसरी लहर जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी तेजी से गिरी भी
कोरोना की दूसरी लहर में पहली लहर के पीक से भी 4 गुना ज्यादा मामले सामने आने लगे थे. दूसरी लहर का पीक 7 मई को आया. उस दिन 24 घंटे में 4.14 लाख केस मिले थे और उसके बाद अगले दिन से ही कोरोना के मामलों में कमी आने लगी. 

एक राहत की बात ये भी है कि दूसरी लहर जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी ही तेजी से गिरी भी. इसको ऐसे समझते हैं कि पहली लहर में एक दिन में 50 हजार केस मिलने का आंकड़ा 30 जुलाई को पार कर गया था. उस दिन 52,123 केस आए थे. उसके बाद यहां से पीक तक यानी 17 सितंबर तक पहुंचने में 49 दिन का वक्त लगा. दोबारा 24 घंटे में 50 हजार से कम केस 26 अक्टूबर से आने शुरू हुए. यानी, पहली लहर में वापस से 30 जुलाई के स्तर पर पहुंचने में 88 दिन लग गए.

अब बात दूसरी लहर की. क्योंकि दूसरी लहर का पीक 4 लाख को पार कर गया. इसलिए यहां 50 हजार की जगह 1 लाख का आंकड़ा रखते हैं. दूसरी लहर में 5 अप्रैल को नए केस का आंकड़ा 1 लाख को पार कर गया था. उसके बाद पीक आया 7 मई को. उसके बाद 8 जून से हर दिन 1 लाख से कम केस आ रहे हैं. इस हिसाब से दूसरी लहर में 64 दिन में ही नए केस 1 लाख से कम आने लगे. इससे हम मान सकते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर की तुलना में ज्यादा जल्दी कमजोर पड़ी.

 

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