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बॉलीवुड का हरफनमौला खलनायक, जिसने बदला संवाद अदायगी का अंदाज

14 November 2022

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आपने सदाबहार अभिनेता और अभिनेत्रियों के बारे में तो सुना होगा लेकिन हम आज बात करेंगे सदाबहार खलनायक की..एक ऐसा खलनायक जिसने परदे पर सबसे ज्यादा बार नारद मुनि का किरदार निभाया...जिसकी संवाद अदायगी से ही एक अलग तरह की मक्कारी झलकती थी...जी हां, हम बात कर रहे हैं हिंदी सिनेमा के मशहूर खलनायकों में शुमार रहे जीवन की...छरहरी काया, लंबे कद और डायलॉग बोलने के अपने खास अंदाज से जीवन ने हिंदी सिनेमा में ऐसी छाप छोड़ी कि नई पीढ़ी के कलाकार उनकी नकल करते नजर आते हैं...उनकी जुबान से निकलने वाले डायलॉग उनके चेहरे के हावभाव से होकर जब गुजरते थे तो देखने वाले सिर्फ नफरत की नजर से देखते थे...और यही वो कलाकारी थी जो उनके अभिनय की एक अलग पहचान बन गई।

बॉलीवुड का हरफनमौला खलनायक, जिसने बदला संवाद अदायगी का अंदाज

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9 अक्तूबर 1964 की शाम यानि गुरु दत्त की मौत के ठीक एक दिन पहने आर्क रॉयल की बैठक फिल्म 'बहारे फिर भी आएंगी' की नायिका के मरने की कहानी लिखने का काम चल रहा था। अबरार ने बताया कि जब वो शाम को सात बजे के आसपास वहां पहुंचे तो माहौल बिल्कुल अलग था। गुरु दत्त शराब में डूबे हुए थे। उनके चेहरे पर तनाव और अवसाद साफ झलक रहे थे। उन्होंने गुरु के सहायक रतन से पूछा कि बात क्या है? अबरार ने बताया था कि उन दिनों गुरु दत्त और उनकी पत्नी के बीच काफी समय से अनबन चल रही थी। गुरु दत्त  अपनी निजी जिंदगी को लेकर परेशान थे। जब भी दोनों की फोन पर बात होती तो उसमें झगड़ा ही होता। हर फोन के बाद गुरु दत्त के चेहरे पर तनाव और गुस्सा दोनों बढ़ जाता था। 

1933 में नवाब बानो यानी निम्मी का जन्म आगरा के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था...उनकी मां वहीदन एक मशहूर गायिका थीं और पिता सेना में ठेकेदारी करते थे...गायिका होने के नाते निम्मी की मां फिल्म जगत से जुड़ी थीं...निम्मी को नवाब नाम उनकी दादी ने दिया था  और इसमें बानो उनकी मां ने जोड़ा था...निम्मी के मां के संबंध फिल्मकार महबूब खान और उनके परिवार से अच्छे थे...जब निम्मी 11 साल की थीं तभी उनकी मां का इंतेकाल हो गया...इसलिए उनकी देखरेख के लिए उन्हें उनकी नानी के घर एबटाबाद भेज दिया गया...

दोस्तों बॉलीवुड आज हम बात करेंगे 55 साल पुरानी एक ऐसी हिंदी फिल्म की जिसे एक देश में आज भी दिखाया जाता है...फिल्म के हीरो के शहर से रिश्ता रखने वाले को दुकानदार सामान में छूट देते हैं...इस फिल्म ने आनंद बख्शी जैसे गीतकार को कामयाबी की राह दिखाई और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने असिस्टेंट के तौर पर संगीत दिया था...चलिए ज्यादा वक्त जाया नहीं करते हैं और बताते हैं उस फिल्म का नाम...हम बात कर रहे हैं 1965 में रिलीज हुई फिल्म जब-जब फूल खिले की...मधुर संगीत, रोमांटिक कहानी और शशि कपूर -नंदा की जोड़ी ने इस फिल्म के जरिए सभी का मन मोह लिया। चलिए आज आपको बताते हैं इस फिल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों के बारे में...

मुमताज और जीनत अमान अपने जमाने की खूबसूरत और दिग्गज अभिनेत्रियां रही हैं। हालांकि जीनत के फिल्मों में आने से पहले मुमताज स्टार बन चुकी थीं...उनकी कई फिल्में धमाल मचा चुकी थीं और राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों को खूब भायी..मुमताज 60 के दशक से फिल्मों में थीं और 70 के दशक तक आते-आते उनका अपना रुतबा और स्टारडम अपनी चरम सीमा पर था। मुमताज को लगने लगा था कि उनका स्टारडम उनसे कोई नहीं छीन पाएगा, लेकिन उनका ये सपना जीनत अमान ने तोड़ दिया। 

आज बात करेंगे फिल्म मिस्टर इंडिया की...फिल्म की कहानी लिखी थी सलीम जावेद ने....लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्म अनिल कपूर के लिए नहीं बल्कि किसी और अभिनेता को ध्यान में रखकर लिखी गई थी. राजेश खन्ना से लेकर अमिताभ बच्चन से होते हुए सलीम-जावेद की जो कहानी अनिल कपूर तक आई, उसमें खासियत अनिल कपूर की ये रही कि उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए लिखे गए एक रोल को परदे पर यूं करके दिखा दिया कि कहीं से लगा ही नहीं कि ये रोल अनिल कपूर के लिए नहीं लिखा गया था...

दोस्तों बॉलीवुड में ऐसे कई खलनायक रहे हैं जिनके अभिनय को आज भी याद किया जाता है। कुछ किरदार तो अमर हो गए। ऐसा ही एक किरदार है फिल्म शोले के गब्बर सिंह का जिसे अमजद खान ने निभाया था...दोस्तों 45 साल बाद भी अगर शोले फिल्म किसी लिए याद की जाती है तो वो है उसके दमदार किरदार गब्बर सिंह की वजह से। अपनी हनकदार आवाज और खतरनाक चेहरे से दर्शकों के दिल में खौफ पैदा कर देने वाला गब्बर ही इस फिल्म का असली 'हीरो' माना जाता है। इसी भूमिका को निभाकर उस दौर के नवोदित कलाकार अमजद खान हर दर्शकों के दिल में अमर हो गए। एक जालिम खलनायक होने के बावजूद भी यह उस किरदार की लोकप्रियता ही थी कि गब्बर के नाम पर ही शोले के बाद आज तक आधा दर्जन फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गब्बर की भूमिका अमजद खान को कैसे मिली। किस तरह एक नए नवेले कलाकार ने जिसके नाम को भी उस फिल्म से पहले तक शायद ही कोई जानता हो इस खतरनाक किरदार को लोकप्रियता के शिखर तक पहुंचा दिया। तो आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही किस्से जो गब्बर के बारे में आपने तक शायद ही पहले सुने हों।

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