ममता हिंसा पर ख़ामोश, धनखड़ का आरोप; टीएमसी बोली इसराइल और फ़लस्तीन जैसा दिखाना चाहते हैं
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राज्यपाल जगदीप धनखड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता
बनर्जी की पार्टी टीएमसी के बीच आरोप- प्रत्यारोप का दौर जारी है.
आरोपों की नई बौछार मंगलवार को हुई. राज्यपाल धनखड़ ने
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति को
दुरुस्त करने को कहा.
वहीं, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यपाल
प्रदेश की सही तस्वीर पेश नहीं कर रहे हैं. वो राज्य की स्थिति को ‘फ़लस्तीन और
इसराइल के बीच हुई जंग’ जैसा बताने की कोशिश में हैं.
राज्यपाल धनखड़ से सोमवार को
बीजेपी के विधायकों ने मुलाक़ात की थी और क़ानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया था. राज्यपाल
से मिलने के लिए बीजेपी के करीब 50 विधायक पहुंचे थे. इस मुलाक़ात के बाद बीजेपी
के बाकी विधायकों का राज्यपाल से मिलने नहीं जाने का मुद्दा बड़ी अटकल की वजह बन
गया था.
हालांकि, राज्यपाल धनखड़ ने शुभेंदु
अधिकारी की अगुवाई में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि वो प्रदेश में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति से वाकिफ हैं.
उन्होंने इसी क्रम में मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दो पन्ने का पत्र
लिखा और इसे ट्विटर पर पोस्ट भी किया.
राज्यपाल धनखड़ ने ट्विटर पर लिखा,
“ममता बनर्जी को बताया कि चुनाव के बाद की हिंसा पर चुप्पी और कोई कदम नहीं
उठाया जाना, मानवाधिकारों और महिलाओं के सम्मान पर हमला, संपत्ति को नुक़सान
पहुंचाया जाना, विपक्ष के नेताओं का लगातार उत्पीडन उत्पीड़न लोकतंत्र के लिए सही नहीं
है.”
उधर, ममता बनर्जी की
पार्टी ने भी राज्यपाल पर पलटवार किया. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक टीएमसी ने आरोप लगाया,
“राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक ऐसी तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं जैसे राज्य
में वैसी जंग चल रही है जैसे फ़लस्तीन और इसराइल के बीच हुई थी.”
तृणमूल कांग्रेस के नेता पहले भी
राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन पर आरोप लगाते रहे हैं.
टेस्ट चैंपियनशिप: ये हैं विराट की टीम के 15 खिलाड़ी
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भारतीय क्रिकेट टीम
ने आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के लिए 15 खिलाड़ियों के नाम तय कर लिए हैं.
प्लेइंग इलेवन का चयन इन्हीं 15 खिलाड़ियों में से किया जाएगा.
न्यूज़ीलैंड के
ख़िलाफ़ 18 जून से इंग्लैंड के साउथैम्पटन में होने वाले टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के लिए 15 खिलाड़ियों में दो विकेटकीपर और पांच तेज़ गेंदबाज़ों को जगह दी गई है.
फ़ाइनल के लिए तय
किए गए 15 खिलाड़ियों में कप्तान विराट कोहली और उप कप्तान अजिंक्य रहाणे के अलावा
ओपनर रोहित शर्मा, शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा और हनुमा विहारी हैं. इनके अलावा
विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत और ऋद्धिमान साहा को भी 15 खिलाड़ियों में जगह दी गई
है.
स्पिनर रविचंद्रन
अश्विन और रवीद्र जडेजा हैं. वहीं तेज़ गेंदबाज़ों में जसप्रीत बुमराह, ईशांत
शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और मोहम्मद सिराज हैं. टीम में टॉप ऑर्डर के
बल्लेबाज़ों के नाम तो कमोबेश तय माने जा रहे हैं लेकिन बीते कई दिनों से सोशल
मीडिया पर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनने वाले गेंदबाज़ों के नाम को लेकर अटकलें
जारी हैं.
आईसीसी ने पहली बार
टेस्ट क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन किया है. दो साल तक चले मुक़ाबलों के बाद भारत और न्यूज़ीलैंड ने फ़ाइनल में जगह बनाई है.
प्वाइंट टेबल में भारतीय टीम पहले नंबर पर
रही लेकिन रैंकिंग में न्यूज़ीलैंड पहले नंबर पर है. इस मैच में जो भी टीम जीतेगी,
वो रैंकिंग के पहले पायदान और चैंपियनशिप दोनों पर कब्ज़ा कर लेगी.
उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच एक
वायरल वीडियो को लेकर 'वार-पलटवार' देखने को मिला.
ये वीडियो एक
बुजुर्ग मुसलमान की दिल्ली के करीब ग़ाज़ियाबाद में हुई कथित पिटाई और उनके साथ हुए कथित दुर्व्यवहार से जुड़ा था. राहुल
गांधी ने मंगलवार को इस घटना से जुड़ी एक ख़बर के हिस्से साथ ट्विटर पर टिप्पणी
की.
राहुल गांधी ने
लिखा, “मैं ये मानने को
तैयार नहीं हूं कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं. ऐसी क्रूरता मानवता से
कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है.”
कुछ देर बार उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर ही पलटवार किया. उन्होंने
राहुल गांधी पर मानवता को शर्मसार करने का आरोप लगाया.
योगी आदित्यनाथ ने
लिखा, “प्रभु श्री राम की पहली सीख है-"सत्य बोलना" जो
आपने कभी जीवन में किया नहीं. शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप
समाज में जहर फैलाने में लगे हैं.सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें.”
ग़ाज़ियाबाद पुलिस
ने भी मंगलवार को एक बयान जारी किया था. पुलिस के मुताबिक ये घटना पांच जून की थी
और इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
चिराग समर्थकों का पटना में हंगामा, बाग़ी सांसदों पर बिफ़रे, नीतीश पर भी निशाना
नीरज सहाय
पटना से बीबीसी हिन्दी के लिए
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लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान के समर्थन में मंगलवार को पार्टी के पटना मुख्यालय में जमकर हंगामा हुआ.
चिराग पासवान के समर्थकों ने पार्टी के पांच सांसदों के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया और कार्यालय में लगे पोस्टर और बैनरों में लगे सांसद पशुपति नाथ पारस, महबूब अली कैसर, प्रिंस राज, वीणा सिंह और चंदन सिंह की तस्वीरों पर कालिख पोत दिया.
इसके पूर्व उन्होंनें पार्टी कार्यालय में सांसद पशुपति नाथ पारस का पुतला भी फूँका. एलजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अमर आज़ाद ने पूरे घटनाक्रम को एक साज़िश बताया.
उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिराग पासवान के परिवार को मिलाकर कटप्पा और विभीषण की तरह काम किया है. हमारे नेता चिराग हैं और आगे भी रहेंगे. अगर कोई दिक्कत थी ती उनको चिराग जी से बात करनी चाहिए थी, लेकिन उनको ही उलटे बेइज़्ज़त किया गया. रामविलास पासवान ने जिस पार्टी को खून पसीना बहाकर सींचा उसे ही बर्बाद करने में लग गए. दलित- पासवान के नेता पहले रामविलास पासवान थे और अब चिराग पासवान हैं. राज्य के दलित चिराग जी के साथ हैं उनके लिए जान देने के लिए तैयार हैं ".
उधर छात्र एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजीव सरदार ने कहा कि चिराग पासवान जी को न्याय दिलाने के लिए ही हमलोगों ने धोखेबाजों के चेहरे पर कालिख पोती है.
उन्होंने कहा, "रामविलास पासवान के सपनों को चिराग पासवान ही आगे ले जा सकते हैं. जो भी आज सांसद बने हैं वे चिराग पासवान की बदौलत हैं. हम लोग चिराग पासवान के साथ थे और आगे भी रहेंगे."
सोमवार को पार्टी में फूट के सतह पर आने के एक दिन बाद चिराग पासवान गुट ने पाँचों बाग़ी सांसदों को निष्कासित कर दिया.
वहीं चिराग पासवान के चाचा और पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस के गुट ने चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटा दिया.
दिल्ली में ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर पारस गुट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का एलान किया.
साथ ही ये चर्चा है कि आगामी चार- पांच दिनों के अंदर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा.
सोमवार को बाग़ी सांसदों ने पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता चुना था जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने मान्यता दे दी थी.
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पारस गुट ने चिराग को अध्यक्ष पद से हटाया, चिराग गुट का भी पलटवार
लोक जनशक्ति पार्टी में ‘चाचा और भतीजा’ के बीच ‘सियासी
जंग’ और तीखी हो गई है.
पार्टी में चिराग़ पासवान के धड़े ने पाँच बाग़ी सांसदों को निष्कासित कर दिया है.
वहीं बाग़ी सांसदों के गुट ने चिराग़ पासवान को अध्यक्ष पद से हटा दिया है.
एक दिन पहले सोमवार को चिराग़ के चाचा और पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति
कुमार पारस की अगुआई वाले गुट ने चिराग़ को हटाकर पारस को पार्टी के संसदीय दल का नेता चुन लिया था जिस पर लोकसभा
से भी अधिसूचना जारी हो गई.
वहीं, चिराग़ गुट ने
भी मंगलवार को दूसरे पक्ष पर पलटवार किया है. चिराग के समर्थन वाले धड़े ने पार्टी
के पांच सांसदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
चिराग गुट की ओर से
अब्दुल खालिक़ के हस्ताक्षर से एक प्रस्ताव जारी किया गया है.
इसमें बताया गया है,
“ पार्टी की
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने एक मत से फ़ैसला किया है कि सांसद पशुपति कुमार
पारस, सांसद बीना देवी, सांसद चौधरी महबूब अली, सांसद चंदन सिंह और सांसद प्रिंस
राज को तत्काल प्रभाव से लोक जनशक्ति पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया
है.”
पत्र में आगे बताया
गया है, “ आने वाले विधानसभा
चुनाव में पार्टी की ओर से सभी फ़ैसले लेने के लिए एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
चिराग पासवान को अधिकृत किया गया है.”
कोरोना महामारी की वजह से भारत के मुसलमान इस
बार हज नहीं कर पाएंगे.
सऊदी अरब ने इस बार विदेशियों के लिए हज
यात्रा रद्द कर दी है. सऊदी अरब ने ये फ़ैसला बीते हफ़्ते लिया था.
हज कमेटी ऑफ़ इंडिया ने इस फ़ैसले की जानकारी
देते हुए बताया है कि इस साल हज के लिए जो आवेदन मिले थे, उन्हें रद्द करने का
फ़ैसला किया गया है.
इस बार सिर्फ़ सऊदी अरब के लोगों को ही हज की इजाज़त मिली है. हज करने वाले लोगों की संख्या भी तय कर दी गई है. सिर्फ़ 1442 लोगों को इजाज़त मिली है.
पापा की बनाई पार्टी और परिवार को साथ रखने में असफल रहा: चिराग़ पासवान
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लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग़ पासवान ने पार्टी में फूट को लेकर निराशा जाहिर करते हुए एक ट्वीट किया है.
ट्वीट में उन्होंने कहा है कि वो पापा की बनाई पार्टी और परिवार को साथ रखने में सफल नहीं हो पाए.
चिराग पासवान ने लिखा, "पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं. एक पुराना पत्र साझा करता हूं."
चिराग पासवान ने इस ट्वीट के साथ एक पुराना पत्र भी शेयर किया है. पत्र में लिखी तारीख़ के मुताबिक ये पत्र उन्होंने अपने चाचा पशुपति पारस को 29 मार्च, 2021 को लिखा था.
पत्र में चिराग़ पासवान ने अपने चाचा के साथ संबंधों में आई खटास का ज़िक्र किया है. उनसे चल रही अनबन से जुड़ी कुछ घटनाएं भी लिखी हैं.
सोमवार को लोक जनशक्ति पार्टी के 6 में 5 सांसदों ने चिराग़ पासवान के खिलाफ़ बगावत कर दी थी और चिराग़ की जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित कर दिया था.
गलवान संघर्ष: सेना ने कहा- ‘याद रहेगा गलवान का बलिदान’, सोनिया ने दी सरकार को नसीहत
गलवान संघर्ष की
पहली बरसी पर भारतीय सेना ने कहा है कि ‘सबसे दुर्गम’
ऊंचाई वाले इलाक़े में लड़ते हुए जान देने वाले सैनिकों का ‘सर्वोच्च
बलिदान’ देश की यादों में ‘अनंतकाल’
तक बना रहेगा.
गलवान संघर्ष का एक
साल पूरा होने के मौके पर सेना ने उन सैनिकों को याद किया, जिनकी संघर्ष में मौत
हो गई थी.
भारतीय सेना ने
ट्विटर पर जानकारी दी, “सेना
प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना की सभी रैंक ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि
दी जिन्होंने लद्दाख की गलवान घाटी में देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की
रक्षा करते हुएसर्वोच्च बलिदान
दिया.”
लेह स्थित 14वीं कोर
में भी गलवान में मारे गए सैनिकों को याद किया गया.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मारे गए सैनिकों को याद किया है. वहीं कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संघर्ष में जान देने वाले सैनिकों के परिजन को अब भी ‘जवाब का इंतज़ार है.’
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बयान जारी कर कहा है कि कांग्रेस पार्टी ‘सरकार से गुजारिश करती है कि वो देश को भरोसे में लें और ये तय करें कि उनके उठाए कदम उन सैनिकों से किए गए वादों के मुताबिक हों जो बहादुरी और दृढ़ता के साथ सीमा पर डटे हैं.’
वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि 20 ‘शहीद जवानों के परिवार को अब भी जवाब का इंतज़ार है.’
लद्दाख क्षेत्र की
गलवान घाटी में बीते साल 15 जून को चीन की सेना के साथ हुए संघर्ष में भारतीय सेना
के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी.
इस संघर्ष के कई महीनों बाद इस साल फरवरी में चीन
ने जानकारी दी थी कि संघर्ष में उसके भी पांच सैनिक मारे गए थे. दोनों देशों के
बीच करीब पांच दशक में पहली बार ऐसा संघर्ष हुआ था.
उसके बाद से दोनों देशों के
बीच तनाव बना हुआ है. मामले को सुलझाने के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की
कई बैठकें हो चुकी हैं.
गलवान
घाटी में चीन की सेना के साथ संघर्ष में भारतीय मोर्चे की अगुवाई 16 बिहार
रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफ़िसर कर्नल बी संतोष बाबू कर रहे थे. उन्हें मरणोपरांत
महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. चार अन्य सैनिकों को मरणोपरांत वीर चक्र से
सम्मानित किया गया.
सेना
प्रमुख जनरल नरवणे ने बीते महीने कहा था कि भारत ने विश्वास बहाली विकल्प खुले रखे
हैं लेकिन भारतीय सेना किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद
संजय सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बीजेपी ने उन पर हमला कराया है.
उन्होंने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने
एक वीडियो जारी किया है जिसमें वो आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू
के उनके आवास पर यह हमला किया गया है.
इसके बाद उन्होंने कहा, “मैं बहुत साफ़तौर पर भारतीय जनता पार्टी से कहना चाहता हूं
कि आप जितने चाहे हमले करवा लो. चाहे मेरी हत्या करवा लो लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम
भगवान श्रीराम के नाम पर बनने वाले मंदिर में अगर चंदा चोरी करोगे तो एक नहीं एक हज़ार
बार बोलूंगा. यह 115 करोड़ हिंदुओं का अपमान है, राम भक्तों का अपमान है जिन्होंने
प्रभु श्रीराम के भव्य निर्माण के लिए चंदा दिया है. चंदा चोरों को पकड़कर जेल में
डालना चाहिए.”
संजय सिंह के आरोपों के बाद नई दिल्ली के डीसीपी दीपक यादव ने समाचार एजेंसी
एएनआई से कहा है कि ‘आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के घर
के बाहर लगी नेमप्लेट को ख़राब करने की कोशिश की गई थी. दो लोगों को हिरासत में
लिया गया है. किसी को कोई शारीरिक चोट नहीं आई है. आगे की जांच जारी है.”
सऊदी अरब और ईरान भाई की तरह, उन्हें मिलकर काम करना चाहिए- ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद
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ईरान के पूर्व राष्ट्रपति
महमूद अहमदीनेजाद ने सऊदी अरब के टीवी चैनल अल-अरबिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में सऊदी अरब और ईरान
को भाई और पड़ोसी के तौर पर बताया है.
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तमाम
असहमतियों के बावजूद कई ऐसी समानताएं हैं जिससे दोनों एकजुट रह सकते हैं.
उन्होंने अपने
साक्षात्कार में कहा, “मैं सऊदी अरब और ईरान के बीच प्रतिद्वंद्विता को दोनों पक्षों के लिए अहितकर
मानता हूं. हम भाई और पड़ोसी हैं और हमारे बीच समानताएं, मतभेदों की तुलना में
कहीं अधिक हैं.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा
कि तेहरान और रियाद को इलाक़े के प्रबंधन के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए.
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अल अरबिया के वरिष्ठ समाचार प्रस्तुतकर्ता ताहेर बराक के साथ अपने विशेष साक्षात्कार के दौरान पूर्व ईरानी राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ की ही तरह एक क्षेत्रीय संघ की स्थापना का भी आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि लोगों के हितों के लिए संघ के निर्माण के लिए यूरोप ने लंबे समय तक बहुत संषर्ष किया है.
उन्होंने कहा अंतरराष्ट्रीय ताक़तें इस क्षेत्र को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं. यह क्षेत्र जो कि ऊर्जा और संस्कृति के लिहाज़ से समृद्ध है और इन ताक़तों के मक़सद के कारण इस क्षेत्र में समस्या पैदा हो रही है.
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने एकबार फिर चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया है लेकिन देश की गार्जियन काउंसिल ने उन्हें इसके लिए अयोग्य घोषित कर दिया है.
ब्रेकिंग न्यूज़बिहार- कोरोना के कारण लगी पाबंदियों में ढील
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कोरोना संक्रमण के मामलों में बीते एक सप्ताह से गिरावट दर्ज की जा रही है. जिसके बाद कई राज्यों ने अपने यहां लागू सख़्त पाबंदियों में राहत देने की घोषणा की है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी आज राज्य में लागू पाबंदियों में राहत देने की घोषणा की.
इसके साथ ही अब बिहार राज्य में 16 जून से लेकर 22 जून तक प्रतिबंधों में ढील देते हुए सरकारी और ग़ैर-सरकारी कार्यालय शाम पांच बजे तक खुलेंगे.
दुकानें भी शाम छह बजे तक खुली रहेंगी.
हालांकि सावधानी बरतते हुए अभी भी रात्रि कर्फ़्यू लागू रहेगा. देर शाम आठ बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक रात्रि कर्फ़्यू लागू रहेगा.
ब्रेकिंग न्यूज़सुप्रीम कोर्ट ने इटली के नौसैनिकों के हाथों मारे गए मछुआरों के मामले को बंद करने को कहा
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सुप्रीम
कोर्ट ने मंगलवार को इटली के दो नौसैनिकों द्वारा मारे गए दो मछुआरों की हत्या के सभी
मामलों को बंद करने का आदेश दिया.
साल 2012
में केरल के नज़दीक दक्षिणी तट पर मिलिमिलियानो लातोरे और सल्वातोरे जिरोने ने दो
मछुआरों को गोली मार दी थी. उनका कहना था कि उन्होंने उन्हें समुद्री लुटेरे समझ
लिया था.
सुप्रीम
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 10 करोड़ रुपये का मुआवज़ा पहले ही इटली सरकार
द्वारा दिया जा चुका है.
ब्रेकिंग न्यूज़दिल्ली दंगा: यूएपीए के तहत दर्ज मामले में पिंजड़ा तोड़ कार्यकर्ताओं और जामिया के छात्र को ज़मानत
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गैरकानूनी गतिविधियां
(रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ़्तार किए गए पिंजड़ा तोड़ संगठन की
कार्यकर्ताओं देवांगना कलीता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल
तन्हा को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को ज़मानत दे दी.
इन लोगों
को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांप्रदायिक दंगा मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
बीबीसी
संवाददाता कीर्ति दुबे के मुताबिक़, इन सभी को दंगों से जुड़ी एफ़आईआर नंबर 59 में
ज़मानत मिली है जिसमें यूएपीए की धाराएं लगी थीं.
तीनों को
कई और मामलों में ज़मानत मिल चुकी है जिसके बाद अब ये जेल से बाहर आ सकते हैं.
हाई कोर्ट
ने तीनों अभियुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपना पासपोर्ट जमा करें और न ही
गवाहों को प्रभावित करें और न ही सबूतों से छेड़खानी करें.
अमेरिका-रूस: मुलाक़ात से पहले बाइडन ने पुतिन को बताया 'क़ाबिल विरोधी'
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अमेरिकी
राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात से पहले
उन्हें एक ‘क़ाबिल विरोधी’ बताया है.
रूस के
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच 16 जून को जिनेवा में मुलाक़ात होने वाली
है.
16 जून को होने
वाली इस मुलाक़ात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि वह व्लादिमिर पुतिन के
साथ मिलकर उन क्षेत्रों पर काम करने को लेकर आशांवित हैं जिससे दोनों देशों को
फ़ायदा हो और जो दोनों देशों के हित में हो.
बेल्जियम में
नाटो शिखर सम्मेलन में व्लादिमिर पुतिन संग अपनी पुरानी मुलाक़ातों का उल्लेख करते
हुए जो बाइडन ने कहा कि रूस के नेता पुतिन तेज़-तर्रार, सख़्त और एक योग्य विरोधी
रहे हैं.
अमेरिका और रूस
के संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण हैं. दोनों देश मानते हैं कि उनके आपसी संबंध अब
तक के सबसे ख़राब दौर में हैं.
रूस ने हाल ही
में अमेरिका को ऐसे देशों की सूची में डाला दिया था, जिसके संबंध उनसे दोस्ताना नहीं है. इन्हें
आधिकारिक तौर पर 'अनफ्रेंडली स्टेट' की संज्ञा दी जाती है. दोनों ही देशों में कोई राजदूत नहीं
है.
वहीं, क्रीमिया पर कब्ज़ा करने से लेकर अमेरिकी चुनावों में कथित
दखल तक, हर चीज़ के लिए
रूसी अधिकारियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है.
मार्च में एक
इंटरव्यू में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने व्लादिमीर पुतिन को “हत्यारा” तक कह दिया था.
ऐसे माहौल में, जब से जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पुतिन और बाइडन की ये पहली मुलाक़ात
है.
ब्रेकिंग न्यूज़कोरोना संक्रमण के मामले 75 दिनों बाद सबसे कम पाए गए
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देश में लगातार रोज़ाना कोरोना संक्रमण के मामलों की दर का
गिरना जारी है. मंगलवार को देश में कोरोना संक्रमण के 60,471 नए मामलों का पता चला
जबकि 2726 लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हुई है.
31 मार्च के बाद यह सबसे कम कोरोना संक्रमण के मामले हैं.
अब तक देश में कुल संक्रमण के मामले 2.95 करोड़ से अधिक हो
चुके हैं जबकि इसके कारण 3.77 लाख लोगों की मौत हुई है.
वहीं, देश में अब तक 25 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का
टीका लग चुका है.
यरुशलम में आज यहूदियों का मार्च, हमास दे चुका है चेतावनी
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यरुशलम में यहूदी राष्ट्रवादियों के मंगलवार को निकलने जा
रहे मार्च से पहले 2,000 अतिरिक्त पुलिस बलों को पूर्वी यरुशलम में तैनात किया गया
है.
इसराइल की नई सरकार ने सोमवार को मार्च के नए रूट को अनुमति
दे दी थी. यह मार्च अब शहर के मुस्लिम क्वार्टर से नहीं गुज़रेगा लेकिन अरब
मार्केट से गुज़रेगा.
सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री ओमेर बार-लेव का कहना है कि जुलूस
निकालना एक लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन फ़लस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायैह ने
कहा है कि मार्च के ‘खतरनाक नतीजे’ होंगे.
हमास और अन्य फ़लस्तीनी समूह इसे पहले ही ‘क्रोध का दिन’घोषित कर चुके हैं. इस मार्च को इसराइल के नए प्रधानमंत्री नेफ़्टाली
बैनेट के नए गठबंधन के लिए शुरुआती परीक्षा बताया जा रहा है.
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ये मार्च गुरुवार नौ जून को होना था लेकिन सुरक्षा कारणों से पुलिस ने इसकी
अनुमति नहीं दी थी.
ग़ज़ा का नियंत्रण करने वाले फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने धमकी दी थी कि अगर
मार्च निकलता है तो आगे टकराव होगा.
वैसे तो इस
मार्च का आयोजन महीने भर पहले ही होना था लेकिन संघर्ष के कारण इसे टाल दिया गया
था.
बीते महीने
इसराइल और ग़ज़ा के बीच 11 दिनों तक चले संघर्ष में कम से कम 242 फ़लस्तीनियों की
और इसराइल में 13 लोगों की मौत
हुई थी.
यरुशलम मार्च को लेकर विवाद क्यों?
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इस साल का
यरुशलम दिवस पर मार्च रमज़ान महीने के आख़िरी दिनों में यानी 10 मई को निकाला जाना था जो कि ग़ज़ा
संघर्ष के कारण नहीं निकाला जा सका.
सालों से इसराइल और फ़लस्तीनियों की आलोचना करने वाले मानते
रहे हैं कि मार्च का ये रूट भड़काने वाला है. मार्च से पहले स्थानीय अरब लोगों को
अपनी दुकानें बंद करनी पड़ती हैं ताकि मार्च के दौरान किसी तरह के विवाद को रोका
जा सके.
यहूदी इस रूट में किसी तरह का बदलाव नहीं चाहते. लेकिन
फ़लस्तीनी इसका विरोध में करते हैं.
यरुशलम दिवस के
दिन हर साल इसराइलियों और फ़लस्तीनियों में विवाद होता है और अमूमन हर साल थोड़ी
बहुत हिंसा भी होती है.
क्यों अहम है यरुशलम दिवस?
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5 जून 1967 को अरब-इसराइल के बीच छह दिनों का युद्ध हुआ
था जिसके बाद उसने पूर्वी यरुशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
इस युद्ध के लिए इसराइल ने पहले से काफी तैयारी की थी. वो
परमाणु हथियार हासिल करने के क़रीब पहुंच गया था और उसने फ़्रांस से विमान और
ब्रिटेन से टैंक हासिल किए थे.
युद्ध के पांच दिनों में इसराइल ने मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को उखाड़
फेंका. उसने मिस्र से गज़ा पट्टी और सिनाई, सीरिया से गोलन पहाड़ियों और जॉर्डन से वेस्ट बैंक और
पूर्वी यरूशलम के इलाक़े छीन लिए.
इस युद्ध के बाद दो हज़ार साल में पहली बार यहूदियों के
पवित्र स्थान यरूशलम पर यहूदियों का कब्ज़ा हुआ था. इसके बाद इसराइल ने पूरे शहर
को अपनी राजधानी माना और यहां से फ़लस्तीनियों को बड़े पैमाने पर यहां से बेदखल
होना पड़ा.
इसी दिन की याद में यहूदी हर साल यरुशलम दिवस के तौर पर
मनाते हैं.हिब्रू कैलेंडर के अनुसार ये दिन अय्यार कैलेंडर के 28वें दिन पर पड़ता है. यहूदी मानते हैं
कि इस दिन पश्चिमी यरुशलम और पूर्वी यरुशलम एक हो गए थे.
इस दिन हज़ारों की संख्या में इसराइली युवा झंडा मार्च
(फ्लैग मार्च) निकालते हैं. वो हाथों में झंडे लिए राष्ट्रवादी गीत गाते हुए
दमिश्क गेट से दाख़िल होते हैं और यरुशलम की पुरानी गलियों से होते हुए वेस्टर्न
वॉल तक पहुंचते हैं.
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इस सालाना मार्च
में हज़ारों यहूदी यरुशलम के मुसलमान बहुल इलाक़ों से होते हुए वेस्टर्न वॉल की
तरफ जाते हैं. वेस्टर्न वॉल यहूदियों की सबसे पवित्र मानी जाने वाले माउंट मंदिर
की दीवार है.
यहूदी मानते हैं
कि यह मंदिर उस पवित्र पत्थर (डोम ऑफ़ रॉक) की जगह है जहां से दुनिया की शुरुआत
हुई थी.
अंग्रेज़ी
कैलेंडर के अनुसार ये तारीख़ हर साल बदलती है. इस साल यरुशलम दिवस 10 मई को मनाया जाना था.
पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़ा करने के बाद साल 1980 में इसराइल ने
यरुशलम क़ानून पारित कर दोनों जगहों के एक होने को क़ानूनी तौर पर वैध बनाया.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका समर्थन नहीं करता.
फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आज़ाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते
हैं.
इमरान ख़ान के कश्मीर पर बदलते बयान पर राष्ट्रपति अल्वी बोले
पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ़
अल्वी ने कहा है कि भारत प्रशासित कश्मीर पर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयानों में
बदलाव कोई यू-टर्न नहीं है बल्कि एक नेता को अपना रवैया परिस्थितियों के हिसाब से
बदलते रहना चाहिए.
राष्ट्रपति अल्वी ने यह बात डॉन न्यूज़
टीवी को दिए अपने इंटरव्यू में कही.
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बीते महीने
यह कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ तब तक संबंध सामान्य करने की दिशा में आगे
नहीं बढ़ेगा जब तक कि वह कश्मीर की अर्ध-स्वायत्तता दोबारा लागू नहीं करता जो कि
उनसे छीनना एक ‘विश्वासघात’ था.
इसके बाद इस महीने समाचार एजेंसी रॉयटर्स
को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तन भारत के साथ बात करने के लिए
तैयार है लेकिन वह कश्मीर की पुरानी स्थिति लागू करने के लिए कोई रोडमैप मुहैया
कराए.
‘नई वजहों से निर्णय बदलना चाहिए’
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राष्ट्रपति अल्वी से
इमरान ख़ान के इन्हीं दो सवालों पर पूछा गया कि क्या यह प्रधानमंत्री के रवैये में
बदलाव नहीं दिखाते हैं तो इस पर राष्ट्रपति अल्वी ने कहा, “एक समय पर लोग इसे यू-टर्न बताते हैं
लेकिन किसी को अपना निर्णय परिस्थितियों और नए कारणों से बदलना ज़रूर चाहिए.”
उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि किसी नेता के कहे
गए शब्दों को पत्थर पर लिखा मान लिया जाए और मुख्य बात सिद्धांतों से समझौता नहीं
होना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने ख़ुद अपनी ज़िंदगी के
कई फ़ैसलों की समीक्षा की है.
अफ़ग़ानिस्तान में बदलते हालात और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों पर उन्होंने कहा कि
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ‘उभरती
परिस्थितियों’ के साथ बेहतर न्याय कर सकते हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि “भारत ने कश्मीर
कीविशेष स्थिति को हटाकर
और लोगों का दमन करके इस मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण किया है जो ‘बेवकूफ़ाना’ हरकत है.”
चिराग पासवान को झटका, पशुपति कुमार पारस बने लोजपा संसदीय दल के नेता
छह में से पांच लोजपा सांसदों के
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे पत्र के बाद पशुपति कुमार पारस को सोमवार को पार्टी
का संसदीय दल का नेता चुन लिया गया
अब तक पार्टी के संसदीय दल के नेता
राम विलास पासवान के बेटे और पारस के भतीजे चिराग पासवान थे.
लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को एक
अधिसूचना जारी करके सदन के नेताओं की एक नई सूची जारी की जिसमें पारस को लोक
जनशक्ति पार्टी का नेता बताया गया है.
पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान
के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को ही चिराग अपने चाचा से मिलने दिल्ली में
उनके आवास पर गए थे.
कल ही बिहार के हाजीपुर से लोजपा सांसद
पशुपति कुमार पारस ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “हमारी पार्टी में छह सांसद हैं.पांच सांसदों की इच्छा थी की पार्टी का
अस्तित्व खत्म हो रहा है इसलिए पार्टी को बचाया जाए. मैं पार्टी तोड़ा नहीं हूं
पार्टी को बचाया हूं. चिराग पासवान से कोई शिकायत नहीं है. कोई आपत्ति नहीं है वे
पार्टी में रहें.”
एनडीए के साथ गठबंधन पर उन्होंने कहा था, “मैं अकेला महसूस कर रहा हूं. पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गई. पार्टी के 99% कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और
समर्थक सभी की इच्छा थी कि हम 2014
में एनडीएगठबंधन
का हिस्सा बनें और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा बने रहें.”
नमस्कार!
बीबीसी हिन्दी
के इस लाइव पेज पर आपका स्वागत है. हम यहाँ आपको दिन भर की बड़ी ख़बरें और लाइव
अपडेट्स देते रहेंगे. यह लाइव पेज 24 घंटे उपलब्ध है. 14 जून, सोमवार के सभी बड़े अपडेट्स के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
लाइव रिपोर्टिंग
रिपोर्टर- वात्सल्य राय और कमलेश मठेनी
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ममता हिंसा पर ख़ामोश, धनखड़ का आरोप; टीएमसी बोली इसराइल और फ़लस्तीन जैसा दिखाना चाहते हैं
राज्यपाल जगदीप धनखड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के बीच आरोप- प्रत्यारोप का दौर जारी है.
आरोपों की नई बौछार मंगलवार को हुई. राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त करने को कहा.
वहीं, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यपाल प्रदेश की सही तस्वीर पेश नहीं कर रहे हैं. वो राज्य की स्थिति को ‘फ़लस्तीन और इसराइल के बीच हुई जंग’ जैसा बताने की कोशिश में हैं.
राज्यपाल धनखड़ से सोमवार को बीजेपी के विधायकों ने मुलाक़ात की थी और क़ानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया था. राज्यपाल से मिलने के लिए बीजेपी के करीब 50 विधायक पहुंचे थे. इस मुलाक़ात के बाद बीजेपी के बाकी विधायकों का राज्यपाल से मिलने नहीं जाने का मुद्दा बड़ी अटकल की वजह बन गया था.
हालांकि, राज्यपाल धनखड़ ने शुभेंदु अधिकारी की अगुवाई में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि वो प्रदेश में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति से वाकिफ हैं. उन्होंने इसी क्रम में मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दो पन्ने का पत्र लिखा और इसे ट्विटर पर पोस्ट भी किया.
राज्यपाल धनखड़ ने ट्विटर पर लिखा, “ममता बनर्जी को बताया कि चुनाव के बाद की हिंसा पर चुप्पी और कोई कदम नहीं उठाया जाना, मानवाधिकारों और महिलाओं के सम्मान पर हमला, संपत्ति को नुक़सान पहुंचाया जाना, विपक्ष के नेताओं का लगातार उत्पीडन उत्पीड़न लोकतंत्र के लिए सही नहीं है.”
उधर, ममता बनर्जी की पार्टी ने भी राज्यपाल पर पलटवार किया. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक टीएमसी ने आरोप लगाया, “राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक ऐसी तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं जैसे राज्य में वैसी जंग चल रही है जैसे फ़लस्तीन और इसराइल के बीच हुई थी.”
तृणमूल कांग्रेस के नेता पहले भी राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन पर आरोप लगाते रहे हैं.
टेस्ट चैंपियनशिप: ये हैं विराट की टीम के 15 खिलाड़ी
भारतीय क्रिकेट टीम ने आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के लिए 15 खिलाड़ियों के नाम तय कर लिए हैं. प्लेइंग इलेवन का चयन इन्हीं 15 खिलाड़ियों में से किया जाएगा.
न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 18 जून से इंग्लैंड के साउथैम्पटन में होने वाले टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के लिए 15 खिलाड़ियों में दो विकेटकीपर और पांच तेज़ गेंदबाज़ों को जगह दी गई है.
फ़ाइनल के लिए तय किए गए 15 खिलाड़ियों में कप्तान विराट कोहली और उप कप्तान अजिंक्य रहाणे के अलावा ओपनर रोहित शर्मा, शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा और हनुमा विहारी हैं. इनके अलावा विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत और ऋद्धिमान साहा को भी 15 खिलाड़ियों में जगह दी गई है.
स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रवीद्र जडेजा हैं. वहीं तेज़ गेंदबाज़ों में जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और मोहम्मद सिराज हैं. टीम में टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज़ों के नाम तो कमोबेश तय माने जा रहे हैं लेकिन बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनने वाले गेंदबाज़ों के नाम को लेकर अटकलें जारी हैं.
आईसीसी ने पहली बार टेस्ट क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन किया है. दो साल तक चले मुक़ाबलों के बाद भारत और न्यूज़ीलैंड ने फ़ाइनल में जगह बनाई है.
प्वाइंट टेबल में भारतीय टीम पहले नंबर पर रही लेकिन रैंकिंग में न्यूज़ीलैंड पहले नंबर पर है. इस मैच में जो भी टीम जीतेगी, वो रैंकिंग के पहले पायदान और चैंपियनशिप दोनों पर कब्ज़ा कर लेगी.
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिन भर' सुनिए संदीप सोनी के साथ
योगी आदित्यनाथ और राहुल गांधी बुजुर्ग की पिटाई के मामले में भिड़े
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच एक वायरल वीडियो को लेकर 'वार-पलटवार' देखने को मिला.
ये वीडियो एक बुजुर्ग मुसलमान की दिल्ली के करीब ग़ाज़ियाबाद में हुई कथित पिटाई और उनके साथ हुए कथित दुर्व्यवहार से जुड़ा था. राहुल गांधी ने मंगलवार को इस घटना से जुड़ी एक ख़बर के हिस्से साथ ट्विटर पर टिप्पणी की.
राहुल गांधी ने लिखा, “मैं ये मानने को तैयार नहीं हूं कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं. ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है.”
कुछ देर बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर ही पलटवार किया. उन्होंने राहुल गांधी पर मानवता को शर्मसार करने का आरोप लगाया.
योगी आदित्यनाथ ने लिखा, “प्रभु श्री राम की पहली सीख है-"सत्य बोलना" जो आपने कभी जीवन में किया नहीं. शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं.सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें.”
ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने भी मंगलवार को एक बयान जारी किया था. पुलिस के मुताबिक ये घटना पांच जून की थी और इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
चिराग समर्थकों का पटना में हंगामा, बाग़ी सांसदों पर बिफ़रे, नीतीश पर भी निशाना
नीरज सहाय
पटना से बीबीसी हिन्दी के लिए
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान के समर्थन में मंगलवार को पार्टी के पटना मुख्यालय में जमकर हंगामा हुआ.
चिराग पासवान के समर्थकों ने पार्टी के पांच सांसदों के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया और कार्यालय में लगे पोस्टर और बैनरों में लगे सांसद पशुपति नाथ पारस, महबूब अली कैसर, प्रिंस राज, वीणा सिंह और चंदन सिंह की तस्वीरों पर कालिख पोत दिया.
इसके पूर्व उन्होंनें पार्टी कार्यालय में सांसद पशुपति नाथ पारस का पुतला भी फूँका. एलजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अमर आज़ाद ने पूरे घटनाक्रम को एक साज़िश बताया.
उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिराग पासवान के परिवार को मिलाकर कटप्पा और विभीषण की तरह काम किया है. हमारे नेता चिराग हैं और आगे भी रहेंगे. अगर कोई दिक्कत थी ती उनको चिराग जी से बात करनी चाहिए थी, लेकिन उनको ही उलटे बेइज़्ज़त किया गया. रामविलास पासवान ने जिस पार्टी को खून पसीना बहाकर सींचा उसे ही बर्बाद करने में लग गए. दलित- पासवान के नेता पहले रामविलास पासवान थे और अब चिराग पासवान हैं. राज्य के दलित चिराग जी के साथ हैं उनके लिए जान देने के लिए तैयार हैं ".
उधर छात्र एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजीव सरदार ने कहा कि चिराग पासवान जी को न्याय दिलाने के लिए ही हमलोगों ने धोखेबाजों के चेहरे पर कालिख पोती है.
उन्होंने कहा, "रामविलास पासवान के सपनों को चिराग पासवान ही आगे ले जा सकते हैं. जो भी आज सांसद बने हैं वे चिराग पासवान की बदौलत हैं. हम लोग चिराग पासवान के साथ थे और आगे भी रहेंगे."
सोमवार को पार्टी में फूट के सतह पर आने के एक दिन बाद चिराग पासवान गुट ने पाँचों बाग़ी सांसदों को निष्कासित कर दिया.
वहीं चिराग पासवान के चाचा और पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस के गुट ने चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटा दिया.
दिल्ली में ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर पारस गुट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का एलान किया.
साथ ही ये चर्चा है कि आगामी चार- पांच दिनों के अंदर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा.
सोमवार को बाग़ी सांसदों ने पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता चुना था जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने मान्यता दे दी थी.
पारस गुट ने चिराग को अध्यक्ष पद से हटाया, चिराग गुट का भी पलटवार
लोक जनशक्ति पार्टी में ‘चाचा और भतीजा’ के बीच ‘सियासी जंग’ और तीखी हो गई है.
पार्टी में चिराग़ पासवान के धड़े ने पाँच बाग़ी सांसदों को निष्कासित कर दिया है.
वहीं बाग़ी सांसदों के गुट ने चिराग़ पासवान को अध्यक्ष पद से हटा दिया है.
एक दिन पहले सोमवार को चिराग़ के चाचा और पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस की अगुआई वाले गुट ने चिराग़ को हटाकर पारस को पार्टी के संसदीय दल का नेता चुन लिया था जिस पर लोकसभा से भी अधिसूचना जारी हो गई.
वहीं, चिराग़ गुट ने भी मंगलवार को दूसरे पक्ष पर पलटवार किया है. चिराग के समर्थन वाले धड़े ने पार्टी के पांच सांसदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
चिराग गुट की ओर से अब्दुल खालिक़ के हस्ताक्षर से एक प्रस्ताव जारी किया गया है.
इसमें बताया गया है, “ पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने एक मत से फ़ैसला किया है कि सांसद पशुपति कुमार पारस, सांसद बीना देवी, सांसद चौधरी महबूब अली, सांसद चंदन सिंह और सांसद प्रिंस राज को तत्काल प्रभाव से लोक जनशक्ति पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया है.”
पत्र में आगे बताया गया है, “ आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से सभी फ़ैसले लेने के लिए एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को अधिकृत किया गया है.”
हज पर नहीं जा पाएंगे भारतीय: कमेटी
कोरोना महामारी की वजह से भारत के मुसलमान इस बार हज नहीं कर पाएंगे.
सऊदी अरब ने इस बार विदेशियों के लिए हज यात्रा रद्द कर दी है. सऊदी अरब ने ये फ़ैसला बीते हफ़्ते लिया था.
हज कमेटी ऑफ़ इंडिया ने इस फ़ैसले की जानकारी देते हुए बताया है कि इस साल हज के लिए जो आवेदन मिले थे, उन्हें रद्द करने का फ़ैसला किया गया है.
इस बार सिर्फ़ सऊदी अरब के लोगों को ही हज की इजाज़त मिली है. हज करने वाले लोगों की संख्या भी तय कर दी गई है. सिर्फ़ 1442 लोगों को इजाज़त मिली है.
पापा की बनाई पार्टी और परिवार को साथ रखने में असफल रहा: चिराग़ पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग़ पासवान ने पार्टी में फूट को लेकर निराशा जाहिर करते हुए एक ट्वीट किया है.
ट्वीट में उन्होंने कहा है कि वो पापा की बनाई पार्टी और परिवार को साथ रखने में सफल नहीं हो पाए.
चिराग पासवान ने लिखा, "पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं. एक पुराना पत्र साझा करता हूं."
चिराग पासवान ने इस ट्वीट के साथ एक पुराना पत्र भी शेयर किया है. पत्र में लिखी तारीख़ के मुताबिक ये पत्र उन्होंने अपने चाचा पशुपति पारस को 29 मार्च, 2021 को लिखा था.
पत्र में चिराग़ पासवान ने अपने चाचा के साथ संबंधों में आई खटास का ज़िक्र किया है. उनसे चल रही अनबन से जुड़ी कुछ घटनाएं भी लिखी हैं.
सोमवार को लोक जनशक्ति पार्टी के 6 में 5 सांसदों ने चिराग़ पासवान के खिलाफ़ बगावत कर दी थी और चिराग़ की जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित कर दिया था.
गलवान संघर्ष: सेना ने कहा- ‘याद रहेगा गलवान का बलिदान’, सोनिया ने दी सरकार को नसीहत
गलवान संघर्ष की पहली बरसी पर भारतीय सेना ने कहा है कि ‘सबसे दुर्गम’ ऊंचाई वाले इलाक़े में लड़ते हुए जान देने वाले सैनिकों का ‘सर्वोच्च बलिदान’ देश की यादों में ‘अनंतकाल’ तक बना रहेगा.
गलवान संघर्ष का एक साल पूरा होने के मौके पर सेना ने उन सैनिकों को याद किया, जिनकी संघर्ष में मौत हो गई थी.
भारतीय सेना ने ट्विटर पर जानकारी दी, “सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना की सभी रैंक ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने लद्दाख की गलवान घाटी में देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करते हुएसर्वोच्च बलिदान दिया.”
लेह स्थित 14वीं कोर में भी गलवान में मारे गए सैनिकों को याद किया गया.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मारे गए सैनिकों को याद किया है. वहीं कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संघर्ष में जान देने वाले सैनिकों के परिजन को अब भी ‘जवाब का इंतज़ार है.’
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बयान जारी कर कहा है कि कांग्रेस पार्टी ‘सरकार से गुजारिश करती है कि वो देश को भरोसे में लें और ये तय करें कि उनके उठाए कदम उन सैनिकों से किए गए वादों के मुताबिक हों जो बहादुरी और दृढ़ता के साथ सीमा पर डटे हैं.’
वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि 20 ‘शहीद जवानों के परिवार को अब भी जवाब का इंतज़ार है.’
लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी में बीते साल 15 जून को चीन की सेना के साथ हुए संघर्ष में भारतीय सेना के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी.
इस संघर्ष के कई महीनों बाद इस साल फरवरी में चीन ने जानकारी दी थी कि संघर्ष में उसके भी पांच सैनिक मारे गए थे. दोनों देशों के बीच करीब पांच दशक में पहली बार ऐसा संघर्ष हुआ था.
उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है. मामले को सुलझाने के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की कई बैठकें हो चुकी हैं.
गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ संघर्ष में भारतीय मोर्चे की अगुवाई 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफ़िसर कर्नल बी संतोष बाबू कर रहे थे. उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. चार अन्य सैनिकों को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने बीते महीने कहा था कि भारत ने विश्वास बहाली विकल्प खुले रखे हैं लेकिन भारतीय सेना किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
आप नेता संजय सिंह ने बीजेपी पर लगाया हमले का आरोप, पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया
आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बीजेपी ने उन पर हमला कराया है.
उन्होंने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने एक वीडियो जारी किया है जिसमें वो आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू के उनके आवास पर यह हमला किया गया है.
इसके बाद उन्होंने कहा, “मैं बहुत साफ़तौर पर भारतीय जनता पार्टी से कहना चाहता हूं कि आप जितने चाहे हमले करवा लो. चाहे मेरी हत्या करवा लो लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के नाम पर बनने वाले मंदिर में अगर चंदा चोरी करोगे तो एक नहीं एक हज़ार बार बोलूंगा. यह 115 करोड़ हिंदुओं का अपमान है, राम भक्तों का अपमान है जिन्होंने प्रभु श्रीराम के भव्य निर्माण के लिए चंदा दिया है. चंदा चोरों को पकड़कर जेल में डालना चाहिए.”
संजय सिंह के आरोपों के बाद नई दिल्ली के डीसीपी दीपक यादव ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा है कि ‘आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के घर के बाहर लगी नेमप्लेट को ख़राब करने की कोशिश की गई थी. दो लोगों को हिरासत में लिया गया है. किसी को कोई शारीरिक चोट नहीं आई है. आगे की जांच जारी है.”
सऊदी अरब और ईरान भाई की तरह, उन्हें मिलकर काम करना चाहिए- ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने सऊदी अरब के टीवी चैनल अल-अरबिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में सऊदी अरब और ईरान को भाई और पड़ोसी के तौर पर बताया है.
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तमाम असहमतियों के बावजूद कई ऐसी समानताएं हैं जिससे दोनों एकजुट रह सकते हैं.
उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा, “मैं सऊदी अरब और ईरान के बीच प्रतिद्वंद्विता को दोनों पक्षों के लिए अहितकर मानता हूं. हम भाई और पड़ोसी हैं और हमारे बीच समानताएं, मतभेदों की तुलना में कहीं अधिक हैं.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि तेहरान और रियाद को इलाक़े के प्रबंधन के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए.
अल अरबिया के वरिष्ठ समाचार प्रस्तुतकर्ता ताहेर बराक के साथ अपने विशेष साक्षात्कार के दौरान पूर्व ईरानी राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ की ही तरह एक क्षेत्रीय संघ की स्थापना का भी आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि लोगों के हितों के लिए संघ के निर्माण के लिए यूरोप ने लंबे समय तक बहुत संषर्ष किया है.
उन्होंने कहा अंतरराष्ट्रीय ताक़तें इस क्षेत्र को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं. यह क्षेत्र जो कि ऊर्जा और संस्कृति के लिहाज़ से समृद्ध है और इन ताक़तों के मक़सद के कारण इस क्षेत्र में समस्या पैदा हो रही है.
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने एकबार फिर चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया है लेकिन देश की गार्जियन काउंसिल ने उन्हें इसके लिए अयोग्य घोषित कर दिया है.
ब्रेकिंग न्यूज़बिहार- कोरोना के कारण लगी पाबंदियों में ढील
कोरोना संक्रमण के मामलों में बीते एक सप्ताह से गिरावट दर्ज की जा रही है. जिसके बाद कई राज्यों ने अपने यहां लागू सख़्त पाबंदियों में राहत देने की घोषणा की है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी आज राज्य में लागू पाबंदियों में राहत देने की घोषणा की.
इसके साथ ही अब बिहार राज्य में 16 जून से लेकर 22 जून तक प्रतिबंधों में ढील देते हुए सरकारी और ग़ैर-सरकारी कार्यालय शाम पांच बजे तक खुलेंगे.
दुकानें भी शाम छह बजे तक खुली रहेंगी.
हालांकि सावधानी बरतते हुए अभी भी रात्रि कर्फ़्यू लागू रहेगा. देर शाम आठ बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक रात्रि कर्फ़्यू लागू रहेगा.
ब्रेकिंग न्यूज़सुप्रीम कोर्ट ने इटली के नौसैनिकों के हाथों मारे गए मछुआरों के मामले को बंद करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इटली के दो नौसैनिकों द्वारा मारे गए दो मछुआरों की हत्या के सभी मामलों को बंद करने का आदेश दिया.
साल 2012 में केरल के नज़दीक दक्षिणी तट पर मिलिमिलियानो लातोरे और सल्वातोरे जिरोने ने दो मछुआरों को गोली मार दी थी. उनका कहना था कि उन्होंने उन्हें समुद्री लुटेरे समझ लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 10 करोड़ रुपये का मुआवज़ा पहले ही इटली सरकार द्वारा दिया जा चुका है.
ब्रेकिंग न्यूज़दिल्ली दंगा: यूएपीए के तहत दर्ज मामले में पिंजड़ा तोड़ कार्यकर्ताओं और जामिया के छात्र को ज़मानत
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ़्तार किए गए पिंजड़ा तोड़ संगठन की कार्यकर्ताओं देवांगना कलीता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को ज़मानत दे दी.
इन लोगों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांप्रदायिक दंगा मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
बीबीसी संवाददाता कीर्ति दुबे के मुताबिक़, इन सभी को दंगों से जुड़ी एफ़आईआर नंबर 59 में ज़मानत मिली है जिसमें यूएपीए की धाराएं लगी थीं.
तीनों को कई और मामलों में ज़मानत मिल चुकी है जिसके बाद अब ये जेल से बाहर आ सकते हैं.
हाई कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपना पासपोर्ट जमा करें और न ही गवाहों को प्रभावित करें और न ही सबूतों से छेड़खानी करें.
दिल्ली दंगों में क्या-क्या हुआ और कितनी एफ़आईआर दर्ज हुईं और कौन लोग गिरफ़्तार हुए. पूरी क्रोनोलॉजी समझने के लिए क्लिक करें...
अमेरिका-रूस: मुलाक़ात से पहले बाइडन ने पुतिन को बताया 'क़ाबिल विरोधी'
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात से पहले उन्हें एक ‘क़ाबिल विरोधी’ बताया है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच 16 जून को जिनेवा में मुलाक़ात होने वाली है.
16 जून को होने वाली इस मुलाक़ात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि वह व्लादिमिर पुतिन के साथ मिलकर उन क्षेत्रों पर काम करने को लेकर आशांवित हैं जिससे दोनों देशों को फ़ायदा हो और जो दोनों देशों के हित में हो.
बेल्जियम में नाटो शिखर सम्मेलन में व्लादिमिर पुतिन संग अपनी पुरानी मुलाक़ातों का उल्लेख करते हुए जो बाइडन ने कहा कि रूस के नेता पुतिन तेज़-तर्रार, सख़्त और एक योग्य विरोधी रहे हैं.
अमेरिका और रूस के संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण हैं. दोनों देश मानते हैं कि उनके आपसी संबंध अब तक के सबसे ख़राब दौर में हैं.
रूस ने हाल ही में अमेरिका को ऐसे देशों की सूची में डाला दिया था, जिसके संबंध उनसे दोस्ताना नहीं है. इन्हें आधिकारिक तौर पर 'अनफ्रेंडली स्टेट' की संज्ञा दी जाती है. दोनों ही देशों में कोई राजदूत नहीं है.
वहीं, क्रीमिया पर कब्ज़ा करने से लेकर अमेरिकी चुनावों में कथित दखल तक, हर चीज़ के लिए रूसी अधिकारियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है.
मार्च में एक इंटरव्यू में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने व्लादिमीर पुतिन को “हत्यारा” तक कह दिया था.
ऐसे माहौल में, जब से जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पुतिन और बाइडन की ये पहली मुलाक़ात है.
ब्रेकिंग न्यूज़कोरोना संक्रमण के मामले 75 दिनों बाद सबसे कम पाए गए
देश में लगातार रोज़ाना कोरोना संक्रमण के मामलों की दर का गिरना जारी है. मंगलवार को देश में कोरोना संक्रमण के 60,471 नए मामलों का पता चला जबकि 2726 लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हुई है.
31 मार्च के बाद यह सबसे कम कोरोना संक्रमण के मामले हैं.
अब तक देश में कुल संक्रमण के मामले 2.95 करोड़ से अधिक हो चुके हैं जबकि इसके कारण 3.77 लाख लोगों की मौत हुई है.
वहीं, देश में अब तक 25 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है.
यरुशलम में आज यहूदियों का मार्च, हमास दे चुका है चेतावनी
यरुशलम में यहूदी राष्ट्रवादियों के मंगलवार को निकलने जा रहे मार्च से पहले 2,000 अतिरिक्त पुलिस बलों को पूर्वी यरुशलम में तैनात किया गया है.
इसराइल की नई सरकार ने सोमवार को मार्च के नए रूट को अनुमति दे दी थी. यह मार्च अब शहर के मुस्लिम क्वार्टर से नहीं गुज़रेगा लेकिन अरब मार्केट से गुज़रेगा.
सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री ओमेर बार-लेव का कहना है कि जुलूस निकालना एक लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन फ़लस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायैह ने कहा है कि मार्च के ‘खतरनाक नतीजे’ होंगे.
हमास और अन्य फ़लस्तीनी समूह इसे पहले ही ‘क्रोध का दिन’घोषित कर चुके हैं. इस मार्च को इसराइल के नए प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बैनेट के नए गठबंधन के लिए शुरुआती परीक्षा बताया जा रहा है.
ये मार्च गुरुवार नौ जून को होना था लेकिन सुरक्षा कारणों से पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.
ग़ज़ा का नियंत्रण करने वाले फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने धमकी दी थी कि अगर मार्च निकलता है तो आगे टकराव होगा.
वैसे तो इस मार्च का आयोजन महीने भर पहले ही होना था लेकिन संघर्ष के कारण इसे टाल दिया गया था.
बीते महीने इसराइल और ग़ज़ा के बीच 11 दिनों तक चले संघर्ष में कम से कम 242 फ़लस्तीनियों की और इसराइल में 13 लोगों की मौत हुई थी.
यरुशलम मार्च को लेकर विवाद क्यों?
इस साल का यरुशलम दिवस पर मार्च रमज़ान महीने के आख़िरी दिनों में यानी 10 मई को निकाला जाना था जो कि ग़ज़ा संघर्ष के कारण नहीं निकाला जा सका.
सालों से इसराइल और फ़लस्तीनियों की आलोचना करने वाले मानते रहे हैं कि मार्च का ये रूट भड़काने वाला है. मार्च से पहले स्थानीय अरब लोगों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ती हैं ताकि मार्च के दौरान किसी तरह के विवाद को रोका जा सके.
यहूदी इस रूट में किसी तरह का बदलाव नहीं चाहते. लेकिन फ़लस्तीनी इसका विरोध में करते हैं.
यरुशलम दिवस के दिन हर साल इसराइलियों और फ़लस्तीनियों में विवाद होता है और अमूमन हर साल थोड़ी बहुत हिंसा भी होती है.
क्यों अहम है यरुशलम दिवस?
5 जून 1967 को अरब-इसराइल के बीच छह दिनों का युद्ध हुआ था जिसके बाद उसने पूर्वी यरुशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
इस युद्ध के लिए इसराइल ने पहले से काफी तैयारी की थी. वो परमाणु हथियार हासिल करने के क़रीब पहुंच गया था और उसने फ़्रांस से विमान और ब्रिटेन से टैंक हासिल किए थे.
युद्ध के पांच दिनों में इसराइल ने मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को उखाड़ फेंका. उसने मिस्र से गज़ा पट्टी और सिनाई, सीरिया से गोलन पहाड़ियों और जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम के इलाक़े छीन लिए.
इस युद्ध के बाद दो हज़ार साल में पहली बार यहूदियों के पवित्र स्थान यरूशलम पर यहूदियों का कब्ज़ा हुआ था. इसके बाद इसराइल ने पूरे शहर को अपनी राजधानी माना और यहां से फ़लस्तीनियों को बड़े पैमाने पर यहां से बेदखल होना पड़ा.
इसी दिन की याद में यहूदी हर साल यरुशलम दिवस के तौर पर मनाते हैं.हिब्रू कैलेंडर के अनुसार ये दिन अय्यार कैलेंडर के 28वें दिन पर पड़ता है. यहूदी मानते हैं कि इस दिन पश्चिमी यरुशलम और पूर्वी यरुशलम एक हो गए थे.
इस दिन हज़ारों की संख्या में इसराइली युवा झंडा मार्च (फ्लैग मार्च) निकालते हैं. वो हाथों में झंडे लिए राष्ट्रवादी गीत गाते हुए दमिश्क गेट से दाख़िल होते हैं और यरुशलम की पुरानी गलियों से होते हुए वेस्टर्न वॉल तक पहुंचते हैं.
इस सालाना मार्च में हज़ारों यहूदी यरुशलम के मुसलमान बहुल इलाक़ों से होते हुए वेस्टर्न वॉल की तरफ जाते हैं. वेस्टर्न वॉल यहूदियों की सबसे पवित्र मानी जाने वाले माउंट मंदिर की दीवार है.
यहूदी मानते हैं कि यह मंदिर उस पवित्र पत्थर (डोम ऑफ़ रॉक) की जगह है जहां से दुनिया की शुरुआत हुई थी.
अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार ये तारीख़ हर साल बदलती है. इस साल यरुशलम दिवस 10 मई को मनाया जाना था.
पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़ा करने के बाद साल 1980 में इसराइल ने यरुशलम क़ानून पारित कर दोनों जगहों के एक होने को क़ानूनी तौर पर वैध बनाया.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका समर्थन नहीं करता. फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आज़ाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते हैं.
इमरान ख़ान के कश्मीर पर बदलते बयान पर राष्ट्रपति अल्वी बोले
पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ़ अल्वी ने कहा है कि भारत प्रशासित कश्मीर पर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयानों में बदलाव कोई यू-टर्न नहीं है बल्कि एक नेता को अपना रवैया परिस्थितियों के हिसाब से बदलते रहना चाहिए.
राष्ट्रपति अल्वी ने यह बात डॉन न्यूज़ टीवी को दिए अपने इंटरव्यू में कही.
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बीते महीने यह कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ तब तक संबंध सामान्य करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ेगा जब तक कि वह कश्मीर की अर्ध-स्वायत्तता दोबारा लागू नहीं करता जो कि उनसे छीनना एक ‘विश्वासघात’ था.
इसके बाद इस महीने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कहा कि पाकिस्तन भारत के साथ बात करने के लिए तैयार है लेकिन वह कश्मीर की पुरानी स्थिति लागू करने के लिए कोई रोडमैप मुहैया कराए.
‘नई वजहों से निर्णय बदलना चाहिए’
राष्ट्रपति अल्वी से इमरान ख़ान के इन्हीं दो सवालों पर पूछा गया कि क्या यह प्रधानमंत्री के रवैये में बदलाव नहीं दिखाते हैं तो इस पर राष्ट्रपति अल्वी ने कहा, “एक समय पर लोग इसे यू-टर्न बताते हैं लेकिन किसी को अपना निर्णय परिस्थितियों और नए कारणों से बदलना ज़रूर चाहिए.”
उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि किसी नेता के कहे गए शब्दों को पत्थर पर लिखा मान लिया जाए और मुख्य बात सिद्धांतों से समझौता नहीं होना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने ख़ुद अपनी ज़िंदगी के कई फ़ैसलों की समीक्षा की है.
अफ़ग़ानिस्तान में बदलते हालात और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ‘उभरती परिस्थितियों’ के साथ बेहतर न्याय कर सकते हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि “भारत ने कश्मीर कीविशेष स्थिति को हटाकर और लोगों का दमन करके इस मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण किया है जो ‘बेवकूफ़ाना’ हरकत है.”
चिराग पासवान को झटका, पशुपति कुमार पारस बने लोजपा संसदीय दल के नेता
छह में से पांच लोजपा सांसदों के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे पत्र के बाद पशुपति कुमार पारस को सोमवार को पार्टी का संसदीय दल का नेता चुन लिया गया
अब तक पार्टी के संसदीय दल के नेता राम विलास पासवान के बेटे और पारस के भतीजे चिराग पासवान थे.
लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी करके सदन के नेताओं की एक नई सूची जारी की जिसमें पारस को लोक जनशक्ति पार्टी का नेता बताया गया है.
पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को ही चिराग अपने चाचा से मिलने दिल्ली में उनके आवास पर गए थे.
कल ही बिहार के हाजीपुर से लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “हमारी पार्टी में छह सांसद हैं.पांच सांसदों की इच्छा थी की पार्टी का अस्तित्व खत्म हो रहा है इसलिए पार्टी को बचाया जाए. मैं पार्टी तोड़ा नहीं हूं पार्टी को बचाया हूं. चिराग पासवान से कोई शिकायत नहीं है. कोई आपत्ति नहीं है वे पार्टी में रहें.”
एनडीए के साथ गठबंधन पर उन्होंने कहा था, “मैं अकेला महसूस कर रहा हूं. पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गई. पार्टी के 99% कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और समर्थक सभी की इच्छा थी कि हम 2014 में एनडीएगठबंधन का हिस्सा बनें और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा बने रहें.”
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