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  • The Bihar Regiment's Strongmen, Who Responded To China's Deception In The Galwan Valley, Still Narrate The Saga Of Their Martyrs On The LAC.

गलवान घाटी की खूनी झड़प का एक साल:गलवान घाटी में चीन के धोखे का जवाब देने वाले बिहार रेजीमेंट के बलवान आज भी LAC पर शहीदों की वीरगाथा सुनाते हैं

पटना3 वर्ष पहलेलेखक: कन्हैया सिंह
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दानापुर छावनी की ट्रेनिंग एरिया में जगह-जगह लिखा है...प्रशिक्षण में बहाया गया पसीना युद्धभूमि में खून बचाता है। पर युद्धभूमि का इतिहास गवाह है कि बिहार रेजिमेंट के जवानों ने पसीना ही नहीं, देश की आन-बान-शान के लिए लहू का कतरा-कतरा भी बहाया है। ताजा नजीर गलवान घाटी है।

आज से ठीक साल भर पहले 15 जून 2020 की शाम रेजिमेंट के जवानों ने चीनी सैनिकों को अपने अदम्य पराक्रम से परास्त करने के बाद शहादत को गले लगाया। गलवान घाटी की लड़ाई में देश के 20 जवान शहीद हुए, जिनमें 11 बिहार रेजिमेंट के थे।

गलवान घाटी में फिलहाल LAC पर यथास्थिति बरकरार है। भारतीय सेना और चीन की PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के साथ बातचीत जारी है। 15 जून 2020 को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में साथियों की शहादत के बाद भी भारतीय सैनिकों का मनोबल उफान पर है। अति दुर्गम हालात में भी जवान पेट्रोलिंग करते हुए 24 घंटे दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। अधिकारी जवानों को अपने रेजिमेंट की वीर गाथा सुनाते हैं।

1758 में हुई थी रेजिमेंट की स्थापना,1857 के संग्राम से कारगिल तक शौर्य गाथाएं

  • अप्रैल 1758 में पटना में स्थापना हुई थी। जुलाई 1857 में रेजिमेंट ने विद्रोह किया। इनकी मदद से बाबू कुंवर सिंह ने आरा पर कब्जा किया।
  • 1944 में 1 बिहार ने इम्फाल में दो पहाड़ियों को जापान से मुक्त कराया।
  • 16 दिसंबर 1971 को ढाका में प्रवेश करने वाली भारतीय सेना की पहली इन्फैंट्री बटालियन यही थी।
  • 1999 में बिहार रेजिमेंट ने बटालिक सेक्टर व प्वाइंट 4268 और जुबेर OP पर कब्जा जमाया।

क्या हुआ था 15 जून, 2020 को : वादा करके पीछे नहीं हटे चीनी सैनिक, निहत्थे भारतीय जवानों पर हमला किया
वरीय सैन्याधिकारियों के बीच बातचीत में हुई सहमति के मुताबिक पिछले साल 6 जून को तय हुआ था कि चीनी सैनिक लद्दाख की गलवान घाटी से अपने इलाके में वापस लौटेंगे। 15 जून तक LAC के सैनिक पीछे नहीं हटे तो 16 बिहार बटालियन के कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में एक निहत्थे गश्ती दल ने चीनी पक्ष के साथ शाम में वार्ता आयोजित की।

चीनी सैनिकों ने जब पीछे हटने से इंकार कर दिया। तीखी झड़प हुई और हाथापाई होने लगी। इस दौरान कई भारतीय सैनिक नदी में गिर गए। चीनी सैनिकों ने अचानक भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया जिसमें कर्नल संतोष बाबू गंभीर रूप से घायल हो गए। भारतीय सैनिक बाकी जवानों को मोर्चे पर छोड़कर कर्नल बाबू और एक घायल हवलदार को वहां से ले गए।

जो सैनिक मोर्चे पर बचे थे उन्होंने जवाबी कार्रवाई में चीन के कई सैनिकों को जख्मी कर दिया। एक मेजर के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों की एक यूनिट फिर झड़प वाले स्थान पर गई और चीन के पोस्ट पर हमला कर कई चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।

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