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Maratha Reservation Two Chhatrapati royals united after 300 years
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मराठा आरक्षण: 300 साल के बाद एकजुट हुए दो छत्रपति राजघराने
सुरेंद्र मुिश्र, अमर उजाला, मुंबई
Published by: प्रियंका तिवारी
Updated Tue, 15 Jun 2021 07:59 AM IST
सार
पुणे में एकदूसरे से मिले उदयनराजे भोसले और संभाजीराजे भोसले
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उदयनराजे भोसले (सातारा) और संभाजीराजे भोसले (कोल्हापुर)
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर शुरू विवाद के बीच छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े दो राजघराने 300 साल के बाद एकसाथ आए हैं। इसे सूबे के इतिहास में बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के दो राजपरिवार के एकजुट होने से मराठा आरक्षण को लेकर नई रणनीति बनी है जिससे राज्य की महा विकास आघाड़ी सरकार की नींद उड़ गई है।
उदयनराजे भोसले (सातारा) और संभाजीराजे भोसले (कोल्हापुर) छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज और उनकी राजगद्दी के वारिस हैं और दोनों भाजपा के राज्यसभा सदस्य भी हैं। मराठा आरक्षण की लड़ाई में दोनों राजे अगुवा हैं, लेकिन दोनों राजपरिवारों को एक साथ नहीं देखा गया। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में हुए जब 58 मराठा मूक मोर्चे निकले तब सातारा और कोल्हापुर राजघराने में आरक्षण के संदर्भ में विवाद की अटकले थीं, लेकिन सोमवार (14 जून) को सांसद उदयनराजे भोसले और सांसद संभाजीराजे भोसले की पुणे में एक बड़े व्यापारी संदीप पाटिल के घर पर मुलाकात हुई। करीब आधे घंटे तक बातचीत के बाद दोनों मीडिया के सामने आए। उदयनराजे ने कहा कि दोनों ही राजघराने ने समाज को दिशा दी है। भ्रम निर्माण करना हमारे खून में नहीं है। संभाजीराजे ने कहा, ‘हम दोनों के बीच मराठा आरक्षण के बारे में चर्चा हुई। मैं उदयनराजे भोसले से लंबे अरसे बाद मिला, लेकिन मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दोनों घराने एकसाथ आए हैं। इसकी मुझे खुशी है।'
16 जून को मराठा मूक मोर्चा
लाखों की संख्या में 58 मूक मोर्चा निकालने वाला मराठा समाज बुधवार (16 जून) को एक बार फिर सड़कों पर उतरेगा। संभाजी राजे ने एलान किया है कि 16 जून को कोल्हापुर के टाउन हॉल क्षेत्र में छत्रपति साहूजी महाराज की समाधि से एक विशाल मोर्चा निकाला जाएगा। यह छत्रपति साहूजी महाराज की भूमि है, जहां पहली बार उन्होंने बहुजन समाज को आरक्षण दिया था। इसके बाद नासिक, अमरावती, औरंदगाबाद और रायगढ़ जिले में आंदोलन होगा। यदि सरकार नहीं जागी तो पुणे से मुंबई के मंत्रालय तक मूक मोर्चा निकलेगा। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर मेरी छह मांगें हैं, जिसे मंजूर किया जाना चाहिए।
क्या है दोनों राजघराने का विवाद
सातारा और कोल्हापुर राजघराने का विवाद 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शुरू हुआ। इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के अनुसार शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद उनके पुत्र साहूजी महाराज को मुगलों ने कैद कर लिया था। औरंगजेब की मौत के बाद जब साहूजी महाराज महाराष्ट्र लौटे तब तक छत्रपति राजाराम की मृत्यु हो चुकी थी। उनकी मां ताराराणी ने साहूजी को राज सौंपने से इनकार कर दिया। जबकि मराठों ने साहूजी का स्वागत किया। 1707 में संभाजी ने खेड़ा के युद्ध में ताराराणी को पराजित किया और 1708 में छत्रपति बन गए। उधर, 1714 में छत्रपति राजाराम की दूसरी पत्नी रजसबाई ने अपने पुत्र को संभाजी द्वीतीय के नाम से छत्रपति घोषित कर दिया। हालांकि, 1731 में साहूजी महाराज ने कोल्हापुर में संभाजी द्वितीय की सत्ता को मान्यता दे दी लेकिन सातारा और कोल्हापुर के बीच विवाद बना रहा।
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