अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने रविवार को भारत के वीनू मांकड़ सहित खेल के बड़े खिलाड़ियों को अपने ‘हॉल ऑफ फेम’ सूची में शामिल किया। इनमें क्रिकेट के शुरुआती समय से पांच युगों के दो-दो खिलाड़ियों को जगह दी गई है। यह घोषणा 18 जून से साउथम्प्टन में भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले जाने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के शुरुआती फाइनल से पहले की गई। वीनू मांकड़ हॉल ऑफ फेम शामिल होने वाले 7वें भारतीय हैं।

आईसीसी से जारी बयान के मुताबिक, ‘‘इसमें शामिल किए जाने वाले खेल के 10 दिग्गजों ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आईसीसी हॉल ऑफ फेम की शानदार सूची में शामिल हो गए हैं। इसमें शामिल लोगों की कुल संख्या 103 हो गई है।’’ सूची में जगह पाने वाले खिलाड़ियों में प्रारंभिक युग (1918 से पूर्व) के लिए दक्षिण अफ्रीका के ऑब्रे फॉल्कनर और ऑस्ट्रेलिया के मोंटी नोबल, दोनों विश्व युद्ध के बीच के समय के लिए (1918-1945) वेस्टइंडीज के सर लीरी कॉन्सटेंटाइन और ऑस्ट्रेलिया के स्टेन मैककेबे, युद्ध के बाद के युग (1946 -1970) के समय के लिए इंग्लैंड के टेड डेक्सटर और भारत के वीनू मांकड़ का नाम है।

हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले भारतीय

क्रिकेटरसाल
बिशन सिंह बेदी2009
कपिल देव2009
सुनील गावस्कर2009
अनिल कुंबले2015
राहुल द्रविड़2018
सचिन तेंदुलकर2019
वीनू मांकड़2021

वनडे युग (1971-1995) के लिए वेस्टइंडीज के डेसमंड हेन्स और इंग्लैंड के बॉब विलिस जबकि आधुनिक युग (1996-2016) के लिए जिम्बाब्वे के एंडी फ्लावर और श्रीलंका के कुमार संगकारा को इसमें जगह दी गई है। भारत के महानतम ऑलराउंडरों में से एक माने जाने वाले मांकड़ ने 44 टेस्ट में 31.47 की औसत से 2,109 रन बनाने के साथ 32.32 के औसत से 162 विकेट भी लिए है। वह एक सलामी बल्लेबाज और बाएं हाथ के स्पिनर थे। उनका सबसे यादगार मैच 1952 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ था। इसमें 72 और 184 रन की पारियां खेलने के साथ मैच में 97 ओवर गेंदबाजी की थी।

वह अपने टेस्ट करियर के दौरान हर स्थान पर बल्लेबाजी करने वाले केवल तीन क्रिकेटरों में से एक हैं। उन्होंने बाद में मुंबई में एक अन्य महान क्रिकेटर और बाद में आईसीसी हॉल ऑफ फेम के सदस्य बने सुनील गावस्कर को भी कोचिंग दी थी। हॉल ऑफ फेम में मांकड़ के शामिल होने पर गावस्कर ने कहा, ‘‘वीनू मांकड़ की विरासत यही है कि भारत के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखने वाले हर खिलाड़ी को खुद पर विश्वास करने के लिए कहते थे। वे आत्म-विश्वास के प्रबल समर्थक थे।’’