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दिल्ली: पानी के लिए बेमानी हो रहे कोरोना प्रोटोकॉल, प्यास बुझाएं या बीमारी से खुद को बचाएं

दिल्ली के लिए पानी की किल्लत और कोरोना संक्रमण अब दोहरी चुनौती के रूप में सामने हैं. दिल्ली के पॉश इलाके चाणक्यपुरी के करीब स्थित संजय कैम्प में जल संकट गहरा गया है.

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पानी के लिए उमड़ी भीड़ (फोटोः नासिर ए खान)
पानी के लिए उमड़ी भीड़ (फोटोः नासिर ए खान)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चाणक्यपुरी के करीब संजय कैम्प का हाल
  • केंद्रीय गृह मंत्री से पूछें जवाब- राघव चड्ढा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आज भी पानी के संकट से जूझ रही है. पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए भी आज भी लोगों को 8-8 घंटे तक सड़क पर खड़े होकर इंतजार करना पड़ रहा है. ये हकीकत है दिल्ली के कई इलाकों की, जो सरकार के हर घर तक नल से जल के दावे की पोल खोलती है. अब बरसात शुरू होने को है लेकिन दिल्ली के कई इलाकों में पानी का संकट बना हुआ है.

दिल्ली के लिए पानी की किल्लत और कोरोना संक्रमण अब दोहरी चुनौती के रूप में सामने हैं. दिल्ली के पॉश इलाके चाणक्यपुरी के करीब स्थित संजय कैम्प में जल संकट गहरा गया है. लोग तपती धूप में सड़क पर खड़े होकर दिल्ली जल बोर्ड के टैंकर इंतजार करते हैं. लोग बताते हैं कि कभी एक टैंकर आता है तो कई दफे ऐसा होता है कि कोई टैंकर नहीं पहुंचता.

यह हाल तब है जब संजय कैम्प के करीब स्थित चाणक्यपुरी में कई सरकारी भवन हैं, कई देशों के दूतावास हैं. संजय कैम्प में आलम ये है कि लोग बाल्टी और डब्बे तैयार रखते हैं. टैंकर के आते ही यहां अफरा-तफरी मच जाती है. पानी न मिलने के डर से कई लोग कोरोना प्रोटोकॉल्स को किनारे कर टैंकर के ऊपर भी चढ़ जा रहे हैं. पानी की जंग कोरोना के भय पर हावी है. न सोशल डिस्टेंसिंग और ना ही मास्क, तस्वीरों के जरिये आप समझ सकते है कि लोग किस तरह हर रोज अपनी जान हथेली पर लिए कोरोना के खतरे के बीच बूंद-बूंद पानी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

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संजय कैम्प में रहने वाले अभिषेक बताते है कि पानी का टैंकर सुबह 7 बजे और दोपहर 1 बजे के करीब आने का वक्त है. लोग सुबह 5.30-6 बजे से ही अपने डब्बे-बाल्टी लेकर कतार में लगकर बैठ जाते हैं. लोगों का कहना है कि यहां टैंकर शायद ही कभी समय पर आता है. टैंकर आते ही ज़्यादातर लोग बिना मास्क के भीड़ में घुसकर पानी भरने की कोशिश में लग जाते हैं. लोगों का कहना है पानी के बिना मर जाएं, उससे अच्छा कोरोना से मर जाए.

हालांकि, इनकी तकलीफ को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लोगों को अगर दो घूंट पानी भी न मिले तो गुजर-बसर कैसे होगा. आशा बताती हैं कि वो पिछले कई साल से यहां रह रही हैं. कितनी सरकारें आई और गईं. सबने पानी को लेकर तमाम वादे किए लेकिन कुछ नहीं हुआ. इलाके में नल तो लगे लेकिन टोटी का गला भी पानी के लिए तरस रहा है. पानी के चलते कई बार परिवार के लोगों को चोट भी लगी लेकिन क्या करें, बच्चे हों या बुजुर्ग हर कोई पानी का इंतजार करता रहता है.

दिल्ली जल बोर्ड ने झाड़ा पल्ला

संजय कैम्प इलाके में पानी की किल्लत को लेकर माहौल गरमाया तो दिल्ली जल बोर्ड ने उससे किनारा कर लिया. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कह दिया कि यह इलाका नई दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के तहत आता है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि इसको लेकर जवाब केंद्रीय गृह मंत्री से मांगना चाहिए. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने ट्वीट कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली. पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रही है बेचारी जनता.

 

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