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भ्रामक दावे: भारत में फेसबुक-ट्विटर पर कोरोना के इलाज के भ्रामक दावों की भरमार, फैक्ट चेक नहीं

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: सुरेंद्र जोशी Updated Fri, 11 Jun 2021 10:10 PM IST
सार

ये सोशल साइट भारत में विज्ञापन से कम राजस्व मिलने के कारण फैक्ट चेकिंग नहीं के बराबर कर रही हैं। इन भ्रामक दावों को करोड़ों लोग फॉलो कर रहे हैं। 
 

Misleading claims: Facebook-Twitter in India full of misleading claims of corona treatment, no fact check
सांकेतिक चित्र - फोटो : amarujala

विस्तार
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भारत में फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोरोना के इलाज के भ्रामक दावों की भरमार है। ऐसे दावे हिंदी भाषा में अधिक हैं, क्योंकि इन कंपनियों के पास हिंदी भाषा से जुड़ी फैक्ट चेकिंग का कोई ठोस सिस्टम नहीं है। 



यह खुलासा ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की रिपोर्ट में हुआ है। इसके मुताबिक अप्रैल से मई के बीच 150 ऐसी पोस्ट सामने आईं, जिनमें कोरोना से इलाज के देशी तरीके बताए गए थे। बड़ी बात यह है कि इन्हें 10 करोड़ से अधिक लोग फॉलो कर रहे थे। 


इन पर निगरानी का आलम यह है कि जून तक ऐसी 150 में से बमुश्किल 10 पोस्ट को या तो हटाया गया या झूठी जानकारी देने का लेबल लगाया गया। इसी तरह ट्विटर पर भी एक हफ्ते में 60 से अधिक दावे सामने आए, जिन्हें 35 लाख लोगों ने फॉलो किया।

मुनाफाखोरी के कारण नहीं कर रहे चेकिंग: सिन्हा
फैक्ट चेक साइट ऑल्ट न्यूज के प्रतीक सिन्हा के अनुसार फेसबुक और अन्य कंपनियों को गलत सूचनाओं से लड़ने के लिए अधिक स्टाफ की जरूरत है। लेकिन मुनाफाखोरी के कारण ऐसा नहीं किया गया है। भारत और अमेरिका में विज्ञापन कीमतों में अंतर है। यहां उतना पैसा नहीं मिलता। इसलिए कंपनी स्टाफ में निवेश करने में रुचि नहीं रखती और पोस्ट फिल्टर नहीं हो पातीं।

यूट्यूब : भाप लेने से कभी-भी कोरोना न होने के दावे
यूट्यूब पर इलाज के तरीकों का प्रसार खूब होता है। एक वीडियो में स्वामी इंद्रदेवजी महाराज भाप लेने से कभी कोरोना न होने का दावा करते दिखे। यह भी कहा कि पूरा परिवार भाप ले तो बिना मास्क, सैनिटाइजर के यह शरीर को अंदर से सैनिटाइज करेगा। फेफड़े ठीक हो जाते हैं। जबकि डब्लूएचओ ने पिछले साल ही इसे लेकर चेतावनी जारी की थी। कई अध्ययनों में भी इसे खतरनाक बताया गया।

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