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बाइडन ने टिक-टॉक और वीचैट से हटाया बैन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन आदेशों को हटा दिया है, जिनके तहत टिक-टॉक और वीचैट पर रोक लगाई गई थी.
ट्रंप प्रशासन के दौरान चीनी कंपनियों के इन मोबाइल ऐप्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए बैन कर दिया गया था.
व्हाइट हाउस ने बैन को हटाने की जानकारी दी है.
मैक्रों थप्पड़ मामला: एक संदिग्ध के पास हथियार और हिटलर की किताब मिलने की ख़बर
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को
थप्पड़ मारने के मामले में गिरफ़्तार दो संदिग्धों में से एक के पास हथियार और हिटलर की आत्मकथा माइन काम्फ़ मिलने की ख़बर है.
फ्रांसीसी मीडिया के अनुसार, जांचकर्ताओं ने 28 साल के दोनों युवकों को हिरासत में लेने के बाद उनके
घरों की जांच की थी.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति को एक युवक ने उस समय थप्पड़ मार दिया था जब वह सड़क किनारे बैरियर के पार खड़े लोगों से मिल रहे थे.
किताब और हथियार कथित तौर पर उस शख़्स के घर पर मिले हैं
जिसने मैक्रों पर हमले का वीडियो फ़िल्माया था.
उसके घर
पर पुलिस को एक तलवार, एक खंजर और लाइसेंस वाली राइफ़ल मिली है.
चीन ने ताइवान के पास किया 'एंफ़िबियस लैंडिंग' का अभ्यास
चीनी
सेना ने ताइवान के क़रीब समंदर में एंफ़िबियस लैंडिंग एक्सराइसज़ की है. इस तरह के युद्धाभ्यास में थल, जल और वायु,
तीनों सेनाएं इस्तेमाल होती हैं.
चीन ने यह अभ्यास
ऐसे समय किया है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी सीनेट के सदस्य सेना के विमान में ताइवान
पहुंचे थे.
साउथ चाइना मॉर्निंग
पोस्ट के अनुसार, चीनी सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसके सैनिकों ने
एंफ़िबियस वाहनों को इस्तेमाल करते हुए फ़ूजियान प्रांत के दक्षिण में लैंडिंग का
अभ्यास किया. यह जगह ताइवान के क़रीब है.
ताइवान को चीन अपना
हिस्सा मानता है और उसे अपने में शामिल करने से लिए सैन्य कार्रवाई करने की
संभावनाओं को भी दोहराता रहता है.
सोमवार को चीन ने
अमेरिका के साथ राजनयिक स्तर पर आपत्ति जताकर अमेरिकी सीनेट के सदस्यों के ताइवान
पहुंचने का विरोध किया था. चीन का कहना है कि अमेरिका को इस द्वीप के साथ सारे रिश्ते
तोड़ लेने चाहिए.
चीन इस बात से भी
चिढ़ा हुआ है कि अमेरिकी सीनेटर वैक्सीन देने के लिए सेना के विमान से ताइवान
पहुंचे थे.
पहले विदेश दौरे में 'लोकतांत्रिक देशों को साथ लाने' निकले बाइडन
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अमेरिकी
राष्ट्रपति जो बाइडन की पहली विदेश यात्रा शुरू हो गई. बतौर राष्ट्रपति अपने पहले विदेश दौरे में वह यूरोप के
सहयोगी देशों के प्रमुखों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात करेंगे.
जो बाइडन का कहना है कि उनके इस दौरे का मक़सद 'दुनिया के लोकतंत्रों को साथ लाना है.'
बाइडन का आठ दिन का दौरा गुरुवार को ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मुलाक़ात के साथ
शुरू होगा. इसके बाद दोनों नेता जी-7 सम्मेलन में भाग
लेंगे जो इस बार इंग्लैंड में हो रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दौरा G7 सम्मेलन पर ही केंद्रित रहेगा. कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका इस संगठन के सदस्य हैं.
बाइडन यहां विंडसर कैसल में ब्रितानी महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय से भी मिलेंगे और फिर बतौर राष्ट्रपति पहली बार नेटो सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
अमेरिका
और रूस के बीच बाइडन के कार्यकाल का पहला सम्मेलन 16 जून को स्विट्ज़रलैंड
में होगा.
बीजेपी के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों को लामबंद करेंगी ममता बनर्जी
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी ने कहा है कि वह केंद्र के कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों के
समर्थन में ग़ैर-बीजेपी शासित प्रदेशों को एकजुट करेंगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, ममता ने यह भी कहा कि वह ‘नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से हटाना चाहती हैं.’
ममता बनर्जी ने राज्य
विधानसभा चुनावों के दौरान ही एलान कर दिया था कि वह इस राजनीतिक जंग को दिल्ली ले
जाएंगी.
किसान नेताओं राकेश
टिकैत और युधवीर सिंह के नेतृत्व में आए किसान नेताओं से बैठक के बाद टीएमसी प्रमुख
ने कहा कि ऐसा कोई मंच होना चाहिए जहां पर राज्य नीतिगत समस्याओं को लेकर बात कर
सकें.
समाचार एजेंसी पीटीआई
के मुताबिक, ममता ने कहा, “राज्यों को रौंदना संघीय ढांचे के लिए ठीक नहीं है.”
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विपक्ष को लामबंद करने की कोशिश
किसान नेता अपने लिए समर्थन जुटाने के इरादे से कोलकाता पहुंचे हुए थे. टीएमसी प्रमुख ने कुछ ही दिन पहले घोषणा की थी कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल से बाहर भी सक्रिय होगी.
अब उन्होंने कहा कि ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों को वह किसानों के समर्थन में लामबंद करेंगी.
किसान नेताओं से मुलाक़ात के बाद ममता ने पूछा- आख़िर किसानों से बात करने में इतनी दिक्कत क्यों है?
उन्होंने यह बात दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच संवाद न होने को लेकर कही.
ममता ने यह भी कहा कि किसानों का आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है.
क्या ईरान के क़रीब आ रहे हैं सऊदी अरब और यूएई?
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ईरान और वैश्विक शक्तियों के बीच हुए परमाणु
समझौते का हमेशा से विरोध करने वाले खाड़ी देशों के रुख़ मे बदलाव देखने को मिल
रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, सऊदी अरब और संयुक्त अरब
अमीरात ने अपनी सुरक्षा के पहलू पर विचार करते हुए अब ईरान के साथ तनाव घटाने और भविष्य
में संवाद बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.
दरअसल, विएना में 2015 के उस परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिशें चल रही
हैं, जिसके तहत ईरान से इस शर्त पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए गए थे कि वह अपने
परमाणु कार्यक्रम को सीमित कर देगा.
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से बाहर निकाल लिया था मगर
अब जो बाइडन प्रशासन इस समझौते को बहाल करना चाहते हैं.
खाड़ी में अमेरिका के सहयोगी देश हमेशा से कहते रहे हैं कि ये
समझौता नाकाफ़ी है क्योंकि इससे ईरान के मिसाइल निर्यात और अप्रत्यक्ष रूप दूसरे
देशों में मौजूद लड़ाकों का समर्थन करने जैसे कामों पर रोक नहीं लगती.
लेकिन जिस तरह से इस समझौते मे शामिल बाक़ी देश अमेरिका और ईरान के
बीच गतिरोध को दूर करने में जुटे हुए हैं, उसे देखते हुए खाड़ी के देशों ने अपने स्तर
पर ईरान के साथ रिश्ते सुधारने में जुट गए हैं.
'सऊदी अरब के रुख़ में बदलाव'
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सऊदी अरब कई सालों से यमन के युद्ध में उलझा हुआ है. लगातार वहां से उसकी तेल रिफ़ाइनयरियों और दूसरी जगहों पर ड्रोन और मिसाइल हमले होते रहे हैं जिनके लिए वह ईरान को ज़िम्मेदार बताता है.
दरअसल, ईरान यमन में हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है जिन्हें सऊदी पिछले छह साल से नहीं हरा पा रहा.
अनौपचारिक सऊदी-ईरान संवाद में शामिल रहे गल्फ़ रिसर्च सेंटर के अब्दुल अज़ीज़ सागेर ने इस हफ़्ते कहा, “खाड़ी के देशों का कहना है कि अमेरिका इस समझौते में शामिल होता है तो यह उसका फ़ैसला है, हम उसे नहीं बदल सकते. लेकिन हम चाहते हैं कि सभी क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर भी विचार करें.”
खाड़ी देशों का मानना है कि जितनी तवज्जो उन्हें ट्रंप के समय मिलती है, उतनी बाइडन के दौर में नहीं मिल रही. उन्होंने भी विएना में हो रही चर्चा में शामिल होने की कोशिश की थी मगर विफल रहे थे.
विएना में चल रहे विमर्श का नतीजा निकलने का इंतज़ार करने की बजाय, सऊदी अरब ने भी एक पहल की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो सूत्रों के हवाले से लिखा है सऊदी अरब ने अप्रैल में ईरान की ओर से दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वार्ता करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है.
सागेर कहतेहैं, “यमन में उलझने से ईरान का कुछ नहीं बिगड़ रहा मगर ये सऊदी अरब के लिए महंगा सौदा है. इसी कारण ईरान मोलभाव करने की बेहतर स्थिति मे है.”
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संयुक्त अरब अमीरात भी पड़ा नरम?
कोविड 19 के कारण पैदा हुए संकट के बाद अब खाड़ी देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना शुरू किया है. मगर रिकवरी के लिए ज़रूरी है कि सुरक्षा को कोई ख़तरा न हो.
रॉयटर्स ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि ‘खाड़ी के देश चाहते हैं कि अमेरिका अभी भी ईरान पर कुछ प्रतिबंध लगाए रखे. ऐसे प्रतिबंध जो आतंकवाद या हथियारों के प्रसार करने वाले देशों पर लगाए जाते हैं.’
मगर अपने स्तर पर शांति की कोशिशें काफ़ी पहले शुरू हो चुकी हैं. रॉयटर्स के मुताबिक़, जब से 2019 में यूएई के तट के पास टैंकरों पर हमला हुआ था, तभी से संयुक्त अरब अमीरात लगातार ईरान के संपर्क में है.
अमेरिका में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत यूसुफ़ अल ओताइबा ने अप्रैल में कहा था कि उन्हें परमाणु समझौते से खास उम्मीदें नहीं हैं. लेकिन उनका कहना था, “लेकिन हमें उनके साथ शांति के साथ रहना ही होगा. हम किसी तरह का दख़ल नहीं चाहते, न मिसाइलें चाहते हैं न छद्म युद्ध.”
बीबीसी हिन्दी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर', 9 जून 2021
जूही चावला ने बताया, 5जी के ख़िलाफ़ क्यों गई थीं दिल्ली हाई कोर्ट
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देश में 5जी टेक्नॉलॉजी की शुरुआत के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिका के दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज होने के कुछ दिनों बाद फिल्म अभिनेत्री जूही चावला ने इस बात की सफ़ाई दी है कि उन्होंने क्यों अदालत की शरण ली थी.
अदालत ने इस मामले में कहा था कि ये याचिका साफ़ तौर पर प्रचार पाने के मकसद से दायर की गई है और याचिकाकर्ताओं पर इसके लिए 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
इंस्टाग्राम पर जारी किए गए वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों में इतना शोर-शराबा हुआ कि मैं अपनी आवाज़ भी नहीं सुन पाई. इस शोर-शराबे में एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश कहीं खो गया."
"और वो ये था कि हम 5जी टेक्नॉलॉजी के ख़िलाफ़ नहीं है. सच तो ये है कि हम इसका स्वागत कर रहे हैं.... हम सरकार से बस ये पूछ रहे थे कि वे ये प्रमाणित करें कि 5जी टेक्नॉलॉजी सुरक्षित है या नहीं."
ईसीबी ने कहा- खिलाड़ियों के आपत्तिजनक ट्वीट पर होगी 'उचित कार्रवाई'
इंग्लैंड के कई क्रिकेट
खिलाड़ियों के पुराने ट्वीट्स पर सवाल उठने के बाद इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड
ने कहा है कि वह इस मामले में ‘उचित’ कार्रवाई
करेगा.
रविवार को ईसीबी ने गेंदबाज़ ओली रॉबिन्सन
को 2012 और 2013 में किए गए ‘नस्लभेदी’ ट्वीट्स की
जांच पूरी होने तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से निलंबित कर दिया था.
बाद में ईबीसी ने कहा कि वह ‘एक और खिलाड़ी की ओर से काफ़ी समय पहले
पोस्ट आपत्तिजनक सामग्री’ की ख़बरों की जांच कर रही है.
इसके बाद इयोन मॉर्गन, जेम्स एंडरसन और
जोस बटलर के पुराने ट्वीट्स पर भी सवाल उठे थे.
ईसीबी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमारे
खेल में भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है और जहां ज़रूरत होती है, वहां हम उचित कार्रवाई
करते हैं.”
27 साल के रॉबिन्सन को गुरुवार को न्यूज़ीलैंड के
ख़िलाफ़ खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट से ड्रॉप कर दिया गया था..
मंगलवार को विज़डन पत्रिका ने दावा
किया कि उसे नस्लभेदी शब्द वाला एक ट्वीट मिला है, जिसे एक खिलाड़ी ने 16 साल की उम्र
में पोस्ट किया था. पत्रिका ने खिलाड़ी की पहचान ज़ाहिर नहीं की थी.
पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर बोले- मैंने सेना को नहीं दी सफ़ाई
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सेना की आलोचना पर विवादों में घिरे पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने कहा है कि उनकी
ओर से खेद प्रकट करने का जो बयान आया था, वह सिर्फ मीडिया संस्थानों के लिए है. उन्होंने
यह भी कहा कि सेना या अपने चैनल को उन्होंने कोई सफ़ाई नहीं दी है.
जियो न्यूज़ पर एक
लोकप्रिय टॉक शो होस्ट करने वाले हामिद मीर को चैनल ने उस भाषण के बाद कार्यक्रम
से हटा दिया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर सेना की आलोचना की थी.
हामिद मीर ने 28 मई को पत्रकारों की ओर से
आयोजित एक प्रदर्शन में भाषण दिया था. यह प्रदर्शन इस्लामाबाद के पत्रकार और यूट्यूबर असद अली पर तीन अज्ञात लोगो के हमले के ख़िलाफ़ किया गया था.
इस दौरान मीर ने सेना की आलोचना करने वाले पत्रकारों पर इस तरह के हमलों की
जवाबदेही तय करने की मांग की थी. इसके बाद 30 मई को जियो न्यूज़ ने उन्हें कार्यक्रम से हटा दिया था.
फिर, मंगलवार को
रावलपिंडी इस्लामाबाद यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट, नेशनल प्रेस क्लब और मीर की ओर से
संयुक्त बयान आया था कि उनका 'सेना को बदनाम करने का इरादा नहीं था' और वे 'दिल से
सेना का सम्मान करते हैं.'
अब हामिद मीर ने कहा है, “मेरा
जो भी बयान आया है वो मीडिया संस्थानों के लिए है. मैंने
आर्मी या जियो न्यूज़ को कोई सफ़ाई नहीं दी है.”
हामिद मीर ने एक ट्वीट में कहा है, "मैंने पत्रकारों के संगठन के आगे यह बयान दिया है. मैंने जियो को यह बयान नहीं दिया क्योंकि मैंने उनका प्लेटफॉर्म इस्तेमाल नहीं किया था. अभी भी मैं पत्रकारों के ऊपर होने वाले हमलों के दोषियों की गिरफ़्तारी की मांग पर कायम हूं."
मोदी और उद्धव ठाकरे की मुलाक़ात के क्या हैं तीन मायने
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री अजित पवार और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की.
इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण कोटे पर रोक के फ़ैसले और महाराष्ट्र से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की. ठाकरे ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने 12 मांगें रखी हैं.
कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ठाकरे ने प्रधानमंत्री से अकेले में मिलने के लिए 10 मिनट मांगे थे जिसे मान लिया गया और दोनों अलग से भी मिले.
इस पर मुख्यमंत्री ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, "हम शायद राजनीतिक रूप से साथ न हों लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संबंध टूट चुके हैं. मैं नवाज़ शरीफ़ से मिलने नहीं गया था. अगर मैं उनसे अलग से व्यक्तिगत तौर पर मिला तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है."
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री अजित पवार और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की. वो पीएम से अकेले में भी मिले.
यरुशलम मार्च पर क्यों है विवाद: नेतन्याहू ने दी अनुमति, हमास नाराज़
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इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच पिछले महीने 11 दिनों की लड़ाई के बाद संघर्षविराम हो गया है मगर अब एक और वजह से दोनों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.
इसराइल में बिन्यामिन नेतन्याहू सरकार ने धार्मिक राष्ट्रवादियों के मुस्लिम इलाक़ों से होकर गुज़रने वाले एक मार्च यानी जुलूस को अनुमति दे दी है.
ग़ज़ा का नियंत्रण करने वाले फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने धमकी दी है कि अगर मार्च निकलता है तो आगे टकराव होगा.
ये मार्च गुरुवार नौ जून को होना था लेकिन सुरक्षा कारणों से पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी. अब यह मार्च अगले सप्ताह मंगलवार को निकाला जाएगा.
यरुशलम दिवस के मौक़े पर 10 मई को ही मार्च निकलना था मगर ग़ज़ा संघर्ष के कारण ये टल गया. अब नई सरकार के आने से पहले नेतन्याहू सरकार ने इसकी अनुमति दे दी है.
वेबसाइट का दावा- न के बराबर आयकर देते हैं अमेरिकी अरबपति
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एक
न्यूज़ वेबसाइसट ने दावा किया है कि अमेरिका के अरबपति बहुत कम आयकर देते हैं.
प्रोपब्लिका पर लीक हुई जानकारी
के मुताबिक़, अमेरिका के 25 सबसे अमीर लोग औसतन अपनी आय का मात्र 15.8 फ़ीसदी ही टैक्स देते हैं. यह अमेरिका के आम कामगारों की
तुलना में काफ़ी कम है.
प्रोपब्लिका का कहना है कि उसने जेफ़
बेज़ोस, एलन मस्क और वॉरेन बफ़े जैसे दुनिया के कुछ बेहद अमीर लोगों के इनकम टैक्स
रिटर्न की पड़ताल की है.
वेबसाइट ने आरोप लगाया
है कि ऐमज़ॉन के बेज़ोस ने साल 2007 और 2011 में कोई टैक्स नहीं भरा था जबकि टेस्ला के मस्क ने 2018 में आयकर नहीं भरा था.
बीबीसी इन दावों की पुष्टि
नहीं कर सकी है.
प्रोपब्लिका ने कहा कि आने
वाले हफ़्तों में अभी और जानकारियां सामने लाई जाएंगी.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता
ने इस लीक को ‘अवैध’ बताते
हुए कहा कि एफ़बीआई और टैक्स विभाग के अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं.
यह लीक उस समय हुआ है,
जब इस बात को लेकर बहस ज़ोर पकड़ रही है कि अमीर लोग कम टैक्स भरते हैं जिससे आर्थिक
विषमता की दरार और चौड़ी हो रही है.
सीरिया का दावा, इसराइल ने किया मिसाइल हमला
सीरिया के
सरकारी मीडिया ने दावा किया है कि आठ जून को सीरियाई लड़ाकू विमानों ने देश के मध्य
और दक्षिणी हिस्से में इसराइल की ओर से किए गए मिसाइल हमले को विफल किया है.
हालांकि,
सीरिया में चल रहे संघर्ष पर नज़र रखने वाले एक संगठन का कहना है कि राजधानी
दमिश्क और मध्य सीरिया के कुछ इलाक़ों पर हुए इन हमलों में कई लोगों की जान गई है.
सीरिया की सरकारी
समाचार एजेंसी सना ने सेना के एक सूत्र के हवाले से कहा है कि लेबनान के हवाई
क्षेत्र की ओर से कुछ इसराइली मिसाइलें आईं जिन्हें हवा में मार गिराया गया.
सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी
फ़ॉर ह्यूमन राइट्स संगठन (SOHR) ने कहा है कि नौ जून अल सुबह सीरियाई सैन्य
ठिकानों पर मिसाइल हमले हुए.
SOHR के
अनुसार, दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास ज़ोरदार धमाके सुनाई दिए और अल-दमीर
ज़िले में एयर डिफ़ेंस ब्रिगेड की इमारत को भी नुक़सान होने का दावा किया गया है.
इसके अलावा होम्स प्रांत के पास भी आवाज़ें सुनाई दीं.
मानवाधिकार संगठन
का कहना है कि होम्स में कई लोगों की मौत हुई है और अल दमीर में हथियारों का डिपो
नष्ट हुआ है.
इसके अलावा कुछ
और प्रांतों में भी धमाके सुनाई पड़े मगर माना जा रहा है कि ये मिसाइल हमले टालने
की कोशिश कर रहे सीरियाई विमानों के काऱण पैदा हुए.
SOHR के
मुताबिक़, सीरियाई सरकार के सुरक्षाबल और ईरान समर्थित लड़ाके जून की शुरुआत से ही
दमिश्क एयरपोर्ट के आसपास हाई अलर्ट पर थे।
पिछले महीने
ही सीरिया के मीडिया ने गोलान हाइट्स के सीरियाई इलाक़े में इसराइली हेलिकॉप्टर के
हमले का दावा किया था.
कनाडा में मुस्लिम परिवार पर हमले पर जस्टिन ट्रूडो बोले- पूरा देश दुखी है लेकिन साथ खड़ा है
ReutersCopyright: Reuters
कनाडा में एक ‘पूर्वनियोजित’ हमले
में एक मुस्लिम परिवार की मौत के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घटनास्थल पर
जाकर लोगों से मुलाक़ात की है.
इसके बाद उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि पूरे
देश में सभी कनाडाई इस पर दुखी हैं और एकसाथ खड़े हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, “जो भी अफ़ज़ाल
परिवार को जानते थे, उनके जीवित बचे बेटे को जानते थे, लंदन में मुसलमानों और
कनाडा में बसे सभी समुदायों को जानते हैं, जो सभी ग़ुस्सा या दुख या डर महसूस कर रहे हैं: आप अकेले नहीं हैं. पूरे देश के कनाडाई आपके साथ दुखी हैं
और आपके साथ खड़े हैं -आज रात, और हमेशा.”
कनाडा के
प्रधानमंत्री ने मंगलवार को संसद में ओंटारियो के लंदन शहर में मारे गए मुस्लिम
परिवार की पहचान सार्वजनिक की थी.
मदीहा सलमान
(44), उनके पति सलमान अफ़ज़ाल (46), उनकी 15 वर्षीय बेटी यमना अफ़ज़ाल और अफ़ज़ाल
की 74 वर्षीय मां शाम को टहलने के लिए निकले थे जब उन पर ट्रक चढ़ा दिया गया.
ट्रूडो ने
इसकी निंदा करते हुए कहा था कि यह आतंकी हरकत है.
इस घटना में
परिवार का 9 वर्षीय लड़का जीवित बचा है और घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती है.
20 वर्षीय कनाडाई
शख़्स पर चार लोगों की हत्या और एक शख़्स की हत्या का प्रयास का मुक़दमा दर्ज किया
गया है.
पुलिस का कहना है
कि ऐसी संभावना है कि उन्हें मुसलमान होने के कारण निशाना बनाया गया.
संसद में
मंगलवार को बोलते हुए ट्रूडो ने कहा कि ‘नफ़रत से
प्रेरित यह आतंकी हमला हमारे समुदायों के दिल में
हुआ है.’
उन्होंने
कहा, “अगर कोई सोचता है कि नस्लवाद और नफ़रत इस देश में मौजूद नहीं है तो
मैं कहना चाहता हूं कि हम इसको कैसे बता सकते हैं कि एक बच्चा हिंसा के कारण
अस्पताल में है? हम उन परिवारों की आंखों में कैसे देख सकते
हैं और कह सकते हैं कि ‘इस्लामोफ़ोबिया असली चीज़ नहीं है?”
काम न होने के कारण समय पर नहीं भर पा रही टैक्स: कंगना रणौत
अभिनेत्री
कंगना रणौत ने कहा है कि वह ‘काम न मिलने’ के कारण समय पर आयकर नहीं भर पा रही हैं.
मंगलवार रात
को इंस्टाग्राम स्टोरी के ज़रिये कंगना ने कहा कि उनका आधा टैक्स अभी बकाया है.
कंगना ने लिखा, “मैं सबसे ज़्यादा टैक्स भरने वाले वर्ग
में आती हूं और अपनी आय का लगभग 45 फ़ीसदी हिस्सा टैक्स के तौर पर चुकाती हूं. भले ही
मैं सबसे ज़्यादा टैक्स देने वाली अभिनेत्री हूं मगर काम न होने के काऱण मैं पिछले
साल का आधा टैक्स नहीं भर पाई हूं. मेरे जीवन में पहली बार हुआ है जब मैं
टैक्स चुकाने में लेट हुई हूं.”
कंगना ने कहा है कि बकाया रकम पर ब्याज़
लग रहा है लेकिन उन्हें इससे दिक्कत नहीं है. उन्होंने लिखा, “यह समय हम लोगों के लिए अपने स्तर पर भले ही
मुश्किल हो मगर एकजुट होकर हम और मज़ूबत होंगे."
काम के लिहाज़ से बात करें तो कंगना की फ़िल्म थलाइवी रिलीज़ होने का इंतज़ार कर रही है. कई भाषाओं में बनी इस फ़िल्म की रिलीज़ को भारत में कोरोना के मामलों में उछाल के कारण टाल दिया गया था.
ब्रेकिंग न्यूज़कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल, गांधी परिवार के क़रीबी थे
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. बुधवार को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में उनके बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की गई.
दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पहुंचने से पहले जितिन प्रसाद पहले गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात करने उनके घर पर पहुंचे थे.
जितिन प्रसाद गांधी परिवार के बेहद क़रीबी माने जाते हैं और दो बार उत्तर प्रदेश से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. वो उत्तर प्रदेश कांग्रेस का मुख्य चेहरा माने जाते रहे हैं. उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता रहे हैं.
माना जा रहा है कि जितिन प्रसाद पिछले कई दिनों से पार्टी हाईकमान से नाराज़ चल रहे थे. वो उन 23 वरिष्ठ नेताओं में शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस हाई कमान को चिट्ठी लिख पार्टी में बड़े बदलावों की बात की थी.
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए जितिन प्रसाद का कांग्रेस का साथ छोड़ने को पार्टी के लिए एक झटका समझा जा सकता है.
बीजेपी में शामिल
होने के बाद उन्होंने कहा, “यह
मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है. मेरा कांग्रेस पार्टी से तीन
पीढ़ियों का साथ रहा है, यह निर्णय मैंने बहुत विचार, मंथन और सोचने के बाद लिया
है. सवाल यह नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर आ रहा हूं, सवाल यह है कि मैं किस दल
में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं.”
“अगर आज कोई इस देश में कोई संस्थागत दल है तो
वो भारतीय जनता पार्टी है. बाक़ी दल व्यक्ति विशेष या क्षेत्रीय दल हैं लेकिन आज
भारत में सिर्फ़ एक राष्ट्रीय दल है और वो भारतीय जनता पार्टी है. जिस चुनौतियों
और परिस्थितियों से हमारा देश सामना कर रहा है तो उसके लिए अगर कोई दल और नेता
खड़ा है तो वो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं.”
“मैं कांग्रेस दल में रहकर अपने जनता के हितों के लिए काम नहीं कर पा रहा था.”
उनसे पहले बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “मुझे बड़ी खुशी है मेरे छोटे भाई हैं उनका स्वागत है बीजेपी में. अपनी तरफ से तहेदिल स्वागत करता हूं.”
ब्रेकिंग न्यूज़मुंबई में मानसून पहुंचा, भारी बारिश से रेलवे ट्रैक और सड़कें हुईं ठप
मुंबई
में बुधवार को मानसून ने दस्तक दे दी और वहां पर मुसलाधार बारिश हो रही है. आमतौर
पर दक्षिण पश्चिम मानसून मुंबई में 10 जून को आता है लेकिन यह एक दिन पहले ही
पहुंच गया.
केंद्रीय रेलवे की सीपीआरओ ने बताया है कि कुर्ला और
सीएसएमटी के बीच लोकल ट्रेन सेवा रोक दी गई है क्योंकि ट्रैक पर पानी भर गया है.
यह सेवा सुबह 9.50 बजे रोक दी गई जिसको पानी घटने के बाद दोबारा शुरू किया जाएगा.
लाइव रिपोर्टिंग
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बाइडन ने टिक-टॉक और वीचैट से हटाया बैन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन आदेशों को हटा दिया है, जिनके तहत टिक-टॉक और वीचैट पर रोक लगाई गई थी.
ट्रंप प्रशासन के दौरान चीनी कंपनियों के इन मोबाइल ऐप्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए बैन कर दिया गया था.
व्हाइट हाउस ने बैन को हटाने की जानकारी दी है.
मैक्रों थप्पड़ मामला: एक संदिग्ध के पास हथियार और हिटलर की किताब मिलने की ख़बर
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को थप्पड़ मारने के मामले में गिरफ़्तार दो संदिग्धों में से एक के पास हथियार और हिटलर की आत्मकथा माइन काम्फ़ मिलने की ख़बर है.
फ्रांसीसी मीडिया के अनुसार, जांचकर्ताओं ने 28 साल के दोनों युवकों को हिरासत में लेने के बाद उनके घरों की जांच की थी.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति को एक युवक ने उस समय थप्पड़ मार दिया था जब वह सड़क किनारे बैरियर के पार खड़े लोगों से मिल रहे थे.
किताब और हथियार कथित तौर पर उस शख़्स के घर पर मिले हैं जिसने मैक्रों पर हमले का वीडियो फ़िल्माया था.
उसके घर पर पुलिस को एक तलवार, एक खंजर और लाइसेंस वाली राइफ़ल मिली है.
चीन ने ताइवान के पास किया 'एंफ़िबियस लैंडिंग' का अभ्यास
चीनी सेना ने ताइवान के क़रीब समंदर में एंफ़िबियस लैंडिंग एक्सराइसज़ की है. इस तरह के युद्धाभ्यास में थल, जल और वायु, तीनों सेनाएं इस्तेमाल होती हैं.
चीन ने यह अभ्यास ऐसे समय किया है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी सीनेट के सदस्य सेना के विमान में ताइवान पहुंचे थे.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चीनी सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसके सैनिकों ने एंफ़िबियस वाहनों को इस्तेमाल करते हुए फ़ूजियान प्रांत के दक्षिण में लैंडिंग का अभ्यास किया. यह जगह ताइवान के क़रीब है.
ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और उसे अपने में शामिल करने से लिए सैन्य कार्रवाई करने की संभावनाओं को भी दोहराता रहता है.
सोमवार को चीन ने अमेरिका के साथ राजनयिक स्तर पर आपत्ति जताकर अमेरिकी सीनेट के सदस्यों के ताइवान पहुंचने का विरोध किया था. चीन का कहना है कि अमेरिका को इस द्वीप के साथ सारे रिश्ते तोड़ लेने चाहिए.
चीन इस बात से भी चिढ़ा हुआ है कि अमेरिकी सीनेटर वैक्सीन देने के लिए सेना के विमान से ताइवान पहुंचे थे.
पहले विदेश दौरे में 'लोकतांत्रिक देशों को साथ लाने' निकले बाइडन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की पहली विदेश यात्रा शुरू हो गई. बतौर राष्ट्रपति अपने पहले विदेश दौरे में वह यूरोप के सहयोगी देशों के प्रमुखों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात करेंगे.
जो बाइडन का कहना है कि उनके इस दौरे का मक़सद 'दुनिया के लोकतंत्रों को साथ लाना है.'
बाइडन का आठ दिन का दौरा गुरुवार को ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मुलाक़ात के साथ शुरू होगा. इसके बाद दोनों नेता जी-7 सम्मेलन में भाग लेंगे जो इस बार इंग्लैंड में हो रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दौरा G7 सम्मेलन पर ही केंद्रित रहेगा. कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका इस संगठन के सदस्य हैं.
बाइडन यहां विंडसर कैसल में ब्रितानी महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय से भी मिलेंगे और फिर बतौर राष्ट्रपति पहली बार नेटो सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
अमेरिका और रूस के बीच बाइडन के कार्यकाल का पहला सम्मेलन 16 जून को स्विट्ज़रलैंड में होगा.
बीजेपी के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों को लामबंद करेंगी ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह केंद्र के कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में ग़ैर-बीजेपी शासित प्रदेशों को एकजुट करेंगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, ममता ने यह भी कहा कि वह ‘नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से हटाना चाहती हैं.’
ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान ही एलान कर दिया था कि वह इस राजनीतिक जंग को दिल्ली ले जाएंगी.
किसान नेताओं राकेश टिकैत और युधवीर सिंह के नेतृत्व में आए किसान नेताओं से बैठक के बाद टीएमसी प्रमुख ने कहा कि ऐसा कोई मंच होना चाहिए जहां पर राज्य नीतिगत समस्याओं को लेकर बात कर सकें.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ममता ने कहा, “राज्यों को रौंदना संघीय ढांचे के लिए ठीक नहीं है.”
विपक्ष को लामबंद करने की कोशिश
किसान नेता अपने लिए समर्थन जुटाने के इरादे से कोलकाता पहुंचे हुए थे. टीएमसी प्रमुख ने कुछ ही दिन पहले घोषणा की थी कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल से बाहर भी सक्रिय होगी.
अब उन्होंने कहा कि ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों को वह किसानों के समर्थन में लामबंद करेंगी.
किसान नेताओं से मुलाक़ात के बाद ममता ने पूछा- आख़िर किसानों से बात करने में इतनी दिक्कत क्यों है?
उन्होंने यह बात दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच संवाद न होने को लेकर कही.
ममता ने यह भी कहा कि किसानों का आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है.
क्या ईरान के क़रीब आ रहे हैं सऊदी अरब और यूएई?
ईरान और वैश्विक शक्तियों के बीच हुए परमाणु समझौते का हमेशा से विरोध करने वाले खाड़ी देशों के रुख़ मे बदलाव देखने को मिल रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी सुरक्षा के पहलू पर विचार करते हुए अब ईरान के साथ तनाव घटाने और भविष्य में संवाद बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.
दरअसल, विएना में 2015 के उस परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिशें चल रही हैं, जिसके तहत ईरान से इस शर्त पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाए गए थे कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित कर देगा.
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से बाहर निकाल लिया था मगर अब जो बाइडन प्रशासन इस समझौते को बहाल करना चाहते हैं.
खाड़ी में अमेरिका के सहयोगी देश हमेशा से कहते रहे हैं कि ये समझौता नाकाफ़ी है क्योंकि इससे ईरान के मिसाइल निर्यात और अप्रत्यक्ष रूप दूसरे देशों में मौजूद लड़ाकों का समर्थन करने जैसे कामों पर रोक नहीं लगती.
लेकिन जिस तरह से इस समझौते मे शामिल बाक़ी देश अमेरिका और ईरान के बीच गतिरोध को दूर करने में जुटे हुए हैं, उसे देखते हुए खाड़ी के देशों ने अपने स्तर पर ईरान के साथ रिश्ते सुधारने में जुट गए हैं.
'सऊदी अरब के रुख़ में बदलाव'
सऊदी अरब कई सालों से यमन के युद्ध में उलझा हुआ है. लगातार वहां से उसकी तेल रिफ़ाइनयरियों और दूसरी जगहों पर ड्रोन और मिसाइल हमले होते रहे हैं जिनके लिए वह ईरान को ज़िम्मेदार बताता है.
दरअसल, ईरान यमन में हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है जिन्हें सऊदी पिछले छह साल से नहीं हरा पा रहा.
अनौपचारिक सऊदी-ईरान संवाद में शामिल रहे गल्फ़ रिसर्च सेंटर के अब्दुल अज़ीज़ सागेर ने इस हफ़्ते कहा, “खाड़ी के देशों का कहना है कि अमेरिका इस समझौते में शामिल होता है तो यह उसका फ़ैसला है, हम उसे नहीं बदल सकते. लेकिन हम चाहते हैं कि सभी क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर भी विचार करें.”
खाड़ी देशों का मानना है कि जितनी तवज्जो उन्हें ट्रंप के समय मिलती है, उतनी बाइडन के दौर में नहीं मिल रही. उन्होंने भी विएना में हो रही चर्चा में शामिल होने की कोशिश की थी मगर विफल रहे थे.
विएना में चल रहे विमर्श का नतीजा निकलने का इंतज़ार करने की बजाय, सऊदी अरब ने भी एक पहल की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो सूत्रों के हवाले से लिखा है सऊदी अरब ने अप्रैल में ईरान की ओर से दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वार्ता करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है.
सागेर कहतेहैं, “यमन में उलझने से ईरान का कुछ नहीं बिगड़ रहा मगर ये सऊदी अरब के लिए महंगा सौदा है. इसी कारण ईरान मोलभाव करने की बेहतर स्थिति मे है.”
संयुक्त अरब अमीरात भी पड़ा नरम?
कोविड 19 के कारण पैदा हुए संकट के बाद अब खाड़ी देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना शुरू किया है. मगर रिकवरी के लिए ज़रूरी है कि सुरक्षा को कोई ख़तरा न हो.
रॉयटर्स ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि ‘खाड़ी के देश चाहते हैं कि अमेरिका अभी भी ईरान पर कुछ प्रतिबंध लगाए रखे. ऐसे प्रतिबंध जो आतंकवाद या हथियारों के प्रसार करने वाले देशों पर लगाए जाते हैं.’
मगर अपने स्तर पर शांति की कोशिशें काफ़ी पहले शुरू हो चुकी हैं. रॉयटर्स के मुताबिक़, जब से 2019 में यूएई के तट के पास टैंकरों पर हमला हुआ था, तभी से संयुक्त अरब अमीरात लगातार ईरान के संपर्क में है.
अमेरिका में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत यूसुफ़ अल ओताइबा ने अप्रैल में कहा था कि उन्हें परमाणु समझौते से खास उम्मीदें नहीं हैं. लेकिन उनका कहना था, “लेकिन हमें उनके साथ शांति के साथ रहना ही होगा. हम किसी तरह का दख़ल नहीं चाहते, न मिसाइलें चाहते हैं न छद्म युद्ध.”
बीबीसी हिन्दी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर', 9 जून 2021
बीबीसी हिन्दी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर', 9 जून 2021
सुनिए संदीप सोनी के साथ
जूही चावला ने बताया, 5जी के ख़िलाफ़ क्यों गई थीं दिल्ली हाई कोर्ट
देश में 5जी टेक्नॉलॉजी की शुरुआत के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिका के दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज होने के कुछ दिनों बाद फिल्म अभिनेत्री जूही चावला ने इस बात की सफ़ाई दी है कि उन्होंने क्यों अदालत की शरण ली थी.
अदालत ने इस मामले में कहा था कि ये याचिका साफ़ तौर पर प्रचार पाने के मकसद से दायर की गई है और याचिकाकर्ताओं पर इसके लिए 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
इंस्टाग्राम पर जारी किए गए वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों में इतना शोर-शराबा हुआ कि मैं अपनी आवाज़ भी नहीं सुन पाई. इस शोर-शराबे में एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश कहीं खो गया."
"और वो ये था कि हम 5जी टेक्नॉलॉजी के ख़िलाफ़ नहीं है. सच तो ये है कि हम इसका स्वागत कर रहे हैं.... हम सरकार से बस ये पूछ रहे थे कि वे ये प्रमाणित करें कि 5जी टेक्नॉलॉजी सुरक्षित है या नहीं."
ईसीबी ने कहा- खिलाड़ियों के आपत्तिजनक ट्वीट पर होगी 'उचित कार्रवाई'
इंग्लैंड के कई क्रिकेट खिलाड़ियों के पुराने ट्वीट्स पर सवाल उठने के बाद इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने कहा है कि वह इस मामले में ‘उचित’ कार्रवाई करेगा.
रविवार को ईसीबी ने गेंदबाज़ ओली रॉबिन्सन को 2012 और 2013 में किए गए ‘नस्लभेदी’ ट्वीट्स की जांच पूरी होने तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से निलंबित कर दिया था.
बाद में ईबीसी ने कहा कि वह ‘एक और खिलाड़ी की ओर से काफ़ी समय पहले पोस्ट आपत्तिजनक सामग्री’ की ख़बरों की जांच कर रही है.
इसके बाद इयोन मॉर्गन, जेम्स एंडरसन और जोस बटलर के पुराने ट्वीट्स पर भी सवाल उठे थे.
ईसीबी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमारे खेल में भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है और जहां ज़रूरत होती है, वहां हम उचित कार्रवाई करते हैं.”
27 साल के रॉबिन्सन को गुरुवार को न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट से ड्रॉप कर दिया गया था..
मंगलवार को विज़डन पत्रिका ने दावा किया कि उसे नस्लभेदी शब्द वाला एक ट्वीट मिला है, जिसे एक खिलाड़ी ने 16 साल की उम्र में पोस्ट किया था. पत्रिका ने खिलाड़ी की पहचान ज़ाहिर नहीं की थी.
पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर बोले- मैंने सेना को नहीं दी सफ़ाई
सेना की आलोचना पर विवादों में घिरे पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने कहा है कि उनकी ओर से खेद प्रकट करने का जो बयान आया था, वह सिर्फ मीडिया संस्थानों के लिए है. उन्होंने यह भी कहा कि सेना या अपने चैनल को उन्होंने कोई सफ़ाई नहीं दी है.
जियो न्यूज़ पर एक लोकप्रिय टॉक शो होस्ट करने वाले हामिद मीर को चैनल ने उस भाषण के बाद कार्यक्रम से हटा दिया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर सेना की आलोचना की थी.
हामिद मीर ने 28 मई को पत्रकारों की ओर से आयोजित एक प्रदर्शन में भाषण दिया था. यह प्रदर्शन इस्लामाबाद के पत्रकार और यूट्यूबर असद अली पर तीन अज्ञात लोगो के हमले के ख़िलाफ़ किया गया था.
इस दौरान मीर ने सेना की आलोचना करने वाले पत्रकारों पर इस तरह के हमलों की जवाबदेही तय करने की मांग की थी. इसके बाद 30 मई को जियो न्यूज़ ने उन्हें कार्यक्रम से हटा दिया था.
फिर, मंगलवार को रावलपिंडी इस्लामाबाद यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट, नेशनल प्रेस क्लब और मीर की ओर से संयुक्त बयान आया था कि उनका 'सेना को बदनाम करने का इरादा नहीं था' और वे 'दिल से सेना का सम्मान करते हैं.'
अब हामिद मीर ने कहा है, “मेरा जो भी बयान आया है वो मीडिया संस्थानों के लिए है. मैंने आर्मी या जियो न्यूज़ को कोई सफ़ाई नहीं दी है.”
हामिद मीर ने एक ट्वीट में कहा है, "मैंने पत्रकारों के संगठन के आगे यह बयान दिया है. मैंने जियो को यह बयान नहीं दिया क्योंकि मैंने उनका प्लेटफॉर्म इस्तेमाल नहीं किया था. अभी भी मैं पत्रकारों के ऊपर होने वाले हमलों के दोषियों की गिरफ़्तारी की मांग पर कायम हूं."
मोदी और उद्धव ठाकरे की मुलाक़ात के क्या हैं तीन मायने
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री अजित पवार और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की.
इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण कोटे पर रोक के फ़ैसले और महाराष्ट्र से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की. ठाकरे ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने 12 मांगें रखी हैं.
कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ठाकरे ने प्रधानमंत्री से अकेले में मिलने के लिए 10 मिनट मांगे थे जिसे मान लिया गया और दोनों अलग से भी मिले.
इस पर मुख्यमंत्री ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, "हम शायद राजनीतिक रूप से साथ न हों लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संबंध टूट चुके हैं. मैं नवाज़ शरीफ़ से मिलने नहीं गया था. अगर मैं उनसे अलग से व्यक्तिगत तौर पर मिला तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है."
मोदी और उद्धव ठाकरे की मुलाक़ात के क्या हैं तीन मायने
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री अजित पवार और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की. वो पीएम से अकेले में भी मिले.
और पढ़ेंयरुशलम मार्च पर क्यों है विवाद: नेतन्याहू ने दी अनुमति, हमास नाराज़
इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच पिछले महीने 11 दिनों की लड़ाई के बाद संघर्षविराम हो गया है मगर अब एक और वजह से दोनों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.
इसराइल में बिन्यामिन नेतन्याहू सरकार ने धार्मिक राष्ट्रवादियों के मुस्लिम इलाक़ों से होकर गुज़रने वाले एक मार्च यानी जुलूस को अनुमति दे दी है.
ग़ज़ा का नियंत्रण करने वाले फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने धमकी दी है कि अगर मार्च निकलता है तो आगे टकराव होगा.
ये मार्च गुरुवार नौ जून को होना था लेकिन सुरक्षा कारणों से पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी. अब यह मार्च अगले सप्ताह मंगलवार को निकाला जाएगा.
यरुशलम मार्च पर क्यों है विवाद: नेतन्याहू ने दी अनुमति, हमास नाराज़
यरुशलम दिवस के मौक़े पर 10 मई को ही मार्च निकलना था मगर ग़ज़ा संघर्ष के कारण ये टल गया. अब नई सरकार के आने से पहले नेतन्याहू सरकार ने इसकी अनुमति दे दी है.
और पढ़ेंवेबसाइट का दावा- न के बराबर आयकर देते हैं अमेरिकी अरबपति
एक न्यूज़ वेबसाइसट ने दावा किया है कि अमेरिका के अरबपति बहुत कम आयकर देते हैं.
प्रोपब्लिका पर लीक हुई जानकारी के मुताबिक़, अमेरिका के 25 सबसे अमीर लोग औसतन अपनी आय का मात्र 15.8 फ़ीसदी ही टैक्स देते हैं. यह अमेरिका के आम कामगारों की तुलना में काफ़ी कम है.
प्रोपब्लिका का कहना है कि उसने जेफ़ बेज़ोस, एलन मस्क और वॉरेन बफ़े जैसे दुनिया के कुछ बेहद अमीर लोगों के इनकम टैक्स रिटर्न की पड़ताल की है.
वेबसाइट ने आरोप लगाया है कि ऐमज़ॉन के बेज़ोस ने साल 2007 और 2011 में कोई टैक्स नहीं भरा था जबकि टेस्ला के मस्क ने 2018 में आयकर नहीं भरा था.
बीबीसी इन दावों की पुष्टि नहीं कर सकी है.
प्रोपब्लिका ने कहा कि आने वाले हफ़्तों में अभी और जानकारियां सामने लाई जाएंगी.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इस लीक को ‘अवैध’ बताते हुए कहा कि एफ़बीआई और टैक्स विभाग के अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं.
यह लीक उस समय हुआ है, जब इस बात को लेकर बहस ज़ोर पकड़ रही है कि अमीर लोग कम टैक्स भरते हैं जिससे आर्थिक विषमता की दरार और चौड़ी हो रही है.
सीरिया का दावा, इसराइल ने किया मिसाइल हमला
सीरिया के सरकारी मीडिया ने दावा किया है कि आठ जून को सीरियाई लड़ाकू विमानों ने देश के मध्य और दक्षिणी हिस्से में इसराइल की ओर से किए गए मिसाइल हमले को विफल किया है.
हालांकि, सीरिया में चल रहे संघर्ष पर नज़र रखने वाले एक संगठन का कहना है कि राजधानी दमिश्क और मध्य सीरिया के कुछ इलाक़ों पर हुए इन हमलों में कई लोगों की जान गई है.
सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी सना ने सेना के एक सूत्र के हवाले से कहा है कि लेबनान के हवाई क्षेत्र की ओर से कुछ इसराइली मिसाइलें आईं जिन्हें हवा में मार गिराया गया.
सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स संगठन (SOHR) ने कहा है कि नौ जून अल सुबह सीरियाई सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले हुए.
SOHR के अनुसार, दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास ज़ोरदार धमाके सुनाई दिए और अल-दमीर ज़िले में एयर डिफ़ेंस ब्रिगेड की इमारत को भी नुक़सान होने का दावा किया गया है. इसके अलावा होम्स प्रांत के पास भी आवाज़ें सुनाई दीं.
मानवाधिकार संगठन का कहना है कि होम्स में कई लोगों की मौत हुई है और अल दमीर में हथियारों का डिपो नष्ट हुआ है.
इसके अलावा कुछ और प्रांतों में भी धमाके सुनाई पड़े मगर माना जा रहा है कि ये मिसाइल हमले टालने की कोशिश कर रहे सीरियाई विमानों के काऱण पैदा हुए.
SOHR के मुताबिक़, सीरियाई सरकार के सुरक्षाबल और ईरान समर्थित लड़ाके जून की शुरुआत से ही दमिश्क एयरपोर्ट के आसपास हाई अलर्ट पर थे।
पिछले महीने ही सीरिया के मीडिया ने गोलान हाइट्स के सीरियाई इलाक़े में इसराइली हेलिकॉप्टर के हमले का दावा किया था.
कनाडा में मुस्लिम परिवार पर हमले पर जस्टिन ट्रूडो बोले- पूरा देश दुखी है लेकिन साथ खड़ा है
कनाडा में एक ‘पूर्वनियोजित’ हमले में एक मुस्लिम परिवार की मौत के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घटनास्थल पर जाकर लोगों से मुलाक़ात की है.
इसके बाद उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि पूरे देश में सभी कनाडाई इस पर दुखी हैं और एकसाथ खड़े हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, “जो भी अफ़ज़ाल परिवार को जानते थे, उनके जीवित बचे बेटे को जानते थे, लंदन में मुसलमानों और कनाडा में बसे सभी समुदायों को जानते हैं, जो सभी ग़ुस्सा या दुख या डर महसूस कर रहे हैं: आप अकेले नहीं हैं. पूरे देश के कनाडाई आपके साथ दुखी हैं और आपके साथ खड़े हैं -आज रात, और हमेशा.”
कनाडा के प्रधानमंत्री ने मंगलवार को संसद में ओंटारियो के लंदन शहर में मारे गए मुस्लिम परिवार की पहचान सार्वजनिक की थी.
मदीहा सलमान (44), उनके पति सलमान अफ़ज़ाल (46), उनकी 15 वर्षीय बेटी यमना अफ़ज़ाल और अफ़ज़ाल की 74 वर्षीय मां शाम को टहलने के लिए निकले थे जब उन पर ट्रक चढ़ा दिया गया.
ट्रूडो ने इसकी निंदा करते हुए कहा था कि यह आतंकी हरकत है.
इस घटना में परिवार का 9 वर्षीय लड़का जीवित बचा है और घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती है.
20 वर्षीय कनाडाई शख़्स पर चार लोगों की हत्या और एक शख़्स की हत्या का प्रयास का मुक़दमा दर्ज किया गया है.
पुलिस का कहना है कि ऐसी संभावना है कि उन्हें मुसलमान होने के कारण निशाना बनाया गया.
संसद में मंगलवार को बोलते हुए ट्रूडो ने कहा कि ‘नफ़रत से प्रेरित यह आतंकी हमला हमारे समुदायों के दिल में हुआ है.’
उन्होंने कहा, “अगर कोई सोचता है कि नस्लवाद और नफ़रत इस देश में मौजूद नहीं है तो मैं कहना चाहता हूं कि हम इसको कैसे बता सकते हैं कि एक बच्चा हिंसा के कारण अस्पताल में है? हम उन परिवारों की आंखों में कैसे देख सकते हैं और कह सकते हैं कि ‘इस्लामोफ़ोबिया असली चीज़ नहीं है?”
काम न होने के कारण समय पर नहीं भर पा रही टैक्स: कंगना रणौत
अभिनेत्री कंगना रणौत ने कहा है कि वह ‘काम न मिलने’ के कारण समय पर आयकर नहीं भर पा रही हैं.
मंगलवार रात को इंस्टाग्राम स्टोरी के ज़रिये कंगना ने कहा कि उनका आधा टैक्स अभी बकाया है.
कंगना ने लिखा, “मैं सबसे ज़्यादा टैक्स भरने वाले वर्ग में आती हूं और अपनी आय का लगभग 45 फ़ीसदी हिस्सा टैक्स के तौर पर चुकाती हूं. भले ही मैं सबसे ज़्यादा टैक्स देने वाली अभिनेत्री हूं मगर काम न होने के काऱण मैं पिछले साल का आधा टैक्स नहीं भर पाई हूं. मेरे जीवन में पहली बार हुआ है जब मैं टैक्स चुकाने में लेट हुई हूं.”
कंगना ने कहा है कि बकाया रकम पर ब्याज़ लग रहा है लेकिन उन्हें इससे दिक्कत नहीं है. उन्होंने लिखा, “यह समय हम लोगों के लिए अपने स्तर पर भले ही मुश्किल हो मगर एकजुट होकर हम और मज़ूबत होंगे."
काम के लिहाज़ से बात करें तो कंगना की फ़िल्म थलाइवी रिलीज़ होने का इंतज़ार कर रही है. कई भाषाओं में बनी इस फ़िल्म की रिलीज़ को भारत में कोरोना के मामलों में उछाल के कारण टाल दिया गया था.
ब्रेकिंग न्यूज़कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल, गांधी परिवार के क़रीबी थे
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. बुधवार को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में उनके बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की गई.
दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पहुंचने से पहले जितिन प्रसाद पहले गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात करने उनके घर पर पहुंचे थे.
जितिन प्रसाद गांधी परिवार के बेहद क़रीबी माने जाते हैं और दो बार उत्तर प्रदेश से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. वो उत्तर प्रदेश कांग्रेस का मुख्य चेहरा माने जाते रहे हैं. उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता रहे हैं.
माना जा रहा है कि जितिन प्रसाद पिछले कई दिनों से पार्टी हाईकमान से नाराज़ चल रहे थे. वो उन 23 वरिष्ठ नेताओं में शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस हाई कमान को चिट्ठी लिख पार्टी में बड़े बदलावों की बात की थी.
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए जितिन प्रसाद का कांग्रेस का साथ छोड़ने को पार्टी के लिए एक झटका समझा जा सकता है.
बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, “यह मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है. मेरा कांग्रेस पार्टी से तीन पीढ़ियों का साथ रहा है, यह निर्णय मैंने बहुत विचार, मंथन और सोचने के बाद लिया है. सवाल यह नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर आ रहा हूं, सवाल यह है कि मैं किस दल में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं.”
“अगर आज कोई इस देश में कोई संस्थागत दल है तो वो भारतीय जनता पार्टी है. बाक़ी दल व्यक्ति विशेष या क्षेत्रीय दल हैं लेकिन आज भारत में सिर्फ़ एक राष्ट्रीय दल है और वो भारतीय जनता पार्टी है. जिस चुनौतियों और परिस्थितियों से हमारा देश सामना कर रहा है तो उसके लिए अगर कोई दल और नेता खड़ा है तो वो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं.”
“मैं कांग्रेस दल में रहकर अपने जनता के हितों के लिए काम नहीं कर पा रहा था.”
उनसे पहले बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “मुझे बड़ी खुशी है मेरे छोटे भाई हैं उनका स्वागत है बीजेपी में. अपनी तरफ से तहेदिल स्वागत करता हूं.”
ब्रेकिंग न्यूज़मुंबई में मानसून पहुंचा, भारी बारिश से रेलवे ट्रैक और सड़कें हुईं ठप
मुंबई में बुधवार को मानसून ने दस्तक दे दी और वहां पर मुसलाधार बारिश हो रही है. आमतौर पर दक्षिण पश्चिम मानसून मुंबई में 10 जून को आता है लेकिन यह एक दिन पहले ही पहुंच गया.
मुंबई के स्थानीय मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों के मौसम के लिए चेतावनी जारी की है.
केंद्रीय रेलवे की सीपीआरओ ने बताया है कि कुर्ला और सीएसएमटी के बीच लोकल ट्रेन सेवा रोक दी गई है क्योंकि ट्रैक पर पानी भर गया है. यह सेवा सुबह 9.50 बजे रोक दी गई जिसको पानी घटने के बाद दोबारा शुरू किया जाएगा.
वहीं भारी बारिश के कारण शहर में कई जगहों पर ट्रैफ़िक जाम लग गया है और कई जगहों पर काफ़ी जलभराव हो गया है.
मौसम विभाग के मुताबिक़ सुबह 8.30 बजे तक 24 घंटों के दौरान कोलाबा में 77.4 मिलिमीटर बारिश हुई है
वहीं पुणे में आज शाम से भारी गरज के साथ बारिश शुरू होने की संभावना है.