Please enable javascript.vaccine can be taken after 3 months of recovery from corona said new guidelines of government: कोरोना से ठीक होने के 3 महीने बाद लगा सकते हैं कोविड वैक्सीन, सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन

कोरोना से ठीक होने के 3 महीने बाद लगवा सकते हैं कोविड वैक्सीन, सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन

Authored byपूनम पाण्डे | नवभारतटाइम्स.कॉम | 19 May 2021, 6:09 pm

केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें उसने कोरोना वैक्‍सीन लगवाने से जुड़ी कई उलझनों को साफ किया है। राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की सिफारिश पर इन्‍हें जारी किया गया है। पहले कहा गया था कि संक्रमित होने के 6 महीने के बाद तक कोरोना से प्रोटेक्‍शन मिलता है।

हाइलाइट्स

  • स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी लगा सकती हैं वैक्सीन
  • गर्भवती महिलाएं वैक्सीन लगा सकती हैं या नहीं, अभी चर्चा जारी
  • कोविड वैक्सीन लेने के 14 दिन बाद ब्लड किया जा सकता है डोनेट
vaccine
अगर किसी को कोई भी दूसरी गंभीर बीमारी हुई और हॉस्पिटल या आईसीयू में एडमिट हुआ तो वह भी 4 से 8 हफ्तों के बाद कोविड वैक्सीन ले सकता है।
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने अब कहा है कि कोरोना मरीज पूरी तरह रिकवर होने के 3 महीने बाद वैक्सील लगा सकते हैं। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की सिफारिश पर यह फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी कोविड वैक्सीन लगवा सकती हैं।
केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा है कि जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया गया है, वे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के 3 महीने बाद वैक्सीन ले सकते हैं। अगर किसी ने कोविड वैक्सीन की पहली डोज ली है और फिर उसके बाद संक्रमित हुआ है तो रिकवर होने के 3 महीने बाद दूसरी डोज ली जा सकती है।

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गाइडलाइन के मुताबिक, अगर किसी को कोई भी दूसरी गंभीर बीमारी हुई और हॉस्पिटल या आईसीयू में एडमिट हुआ तो वह भी 4 से 8 हफ्तों के बाद कोविड वैक्सीन ले सकता है। हालांकि, गर्भवती महिलाएं वैक्सीन लगवा सकती हैं या नहीं इसे लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि इस पर चर्चा जारी है।

कब डोनेट कर सकते हैं ब्‍लड?
गाइडलाइन के अनुसार, कोविड वैक्सीन लेने के 14 दिन बाद ब्लड डोनेट किया जा सकता है। इसी तरह अगर कोई कोरोना संक्रमित है तो रिपोर्ट नेगेटिव आने के 14 दिन बाद ब्लड डोनेट कर सकता है।

इसमें कहा गया है कि वैक्सीन लगाने से पहले रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर कहा है कि वह इसका संज्ञान लें। साथ ही इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। राज्यों से कहा गया है कि वे वैक्सीन देने वाले कर्मचारियों को भी ट्रेनिंग दें।

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पहले क्‍या था कहना?
पिछले हफ्ते ही नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने कहा था कि एनटीएजीआई में चर्चा हुई कि कोरोना संक्रमित कितने वक्त बाद वैक्सीन ले सकते हैं। उन्होंने कहा था कि साइंटिस्टों का मानना है कि एक बार अगर संक्रमण हो जाए तो शरीर में एंटीबॉडी रहती हैं और 6 महीने तक प्रोटेक्शन होता है। उन्होंने तब कहा था कि इस आधार पर कहा गया है कि रिकवर होने के 6 महीने बाद कोविड वैक्सीन लगाएं।

इसके बाद कई लोगों ने सवाल भी उठाए थे। यह सवाल भी उठे कि शायद वैक्सीन की कमी की वजह से ऐसा कहा जा रहा है। आईसीएमआर के समीरन पांडा से इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि 6 महीने बाद वैक्सीन लेने को लेकर आधिकारिक गाइडलाइन जारी नहीं की गई थी। बस कई तरह की चर्चाएं हो रही थीं। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर ने जो स्टडी की उसमें पाया गया कि फिर से इंफेक्शन होने के चांस तीन महीने बाद हो सकते हैं। इसलिए रिस्क नहीं लिया जा सकता।
पूनम पाण्डे
लेखक के बारे में
पूनम पाण्डे
पूनम पाण्डे नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह बीजेपी, आरएसएस और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले कवर करती हैं।... और पढ़ें
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