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एन. रघुरामन का कॉलम:किसी को प्रेरित करने के लिए परफेक्ट होना जरूरी नहीं, लोगों को इससे प्रेरित होने दें कि आप अपनी खामियां कैसे संभालते हैं

3 वर्ष पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

प्रेरक वक्ता एलेक्जेंडर डेन हीजर ने कहा है कि लोगों को प्रेरित करने के लिए उन्हें अपने सुपरपॉवर न दिखाएं, बल्कि उन्हें उनके सुपरपॉवर बताएं। इस बात से मुझे ऑटो ड्राइवर जैसे लोग याद आए, जो महामारी की दूसरी लहर में उम्मीद से बेहतर काम कर रहे हैं। ऑटो ड्राइवर किसे पसंद हैं? मुझे तो नहीं हैं, खासतौर पर चेन्नई, इंदौर, कोलकाता या इलाहाबाद के, जहां मैंने उन्हें एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर सवारियों को लूटते देखा है। लेकिन इस मुश्किल वक्त में उनकी उदारता देख मेरा दृष्टिकोण धीरे-धीरे बदल रहा है।

गुरुराज (35) का उदाहरण देखें जिसकी हालिया कहानी ने मेरे असंतोष को कम किया। स्कूल बीच में छोड़ने वाला गुरुराज पिछले 10 साल से ऑटो चला रहा है। समाज सेवा उसका स्वभाव है क्योंकि वह 20 साल की उम्र से रक्तदान कर रहा है और लॉकडाउन के दौरान उसने खाने के पैकेट बांटने में मदद की। उसने सामाजिक रूप से जागरूक युवाओं की टीम बनाई है।

पिछले 15 दिनों में जबसे उसके शहर मदुरै (तमिलनाडु) में सबसे ज्यादा संक्रमित आ रहे हैं, उसने मरीजों को मुफ्त में अस्पताल ले जाना शुरू किया है। उसे रोजाना करीब 10 फोन आते हैं। चार और दो वर्षीय, दो बच्चों का पिता गुरुराज मुफ्त सवारी कराने के बावजूद ईंधन का खर्चा निकालने के बाद बाकी सवारियों से कुछ सौ रुपए बचा लेता है। खासतौर पर एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन की सवारियों से!

हमने ऑटो रिक्शा में न्यूजपेपर स्टैंड, ठंडा-गर्म पेय रखने की जगह, पसंद का एफएम रेडियो होने के बारे में पढ़ा-सुना है। लेकिन शायद ही ऑटो में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के बारे में सुना हो। लखनऊ के एनजीओ स्माइल फाउंडेशन ने लखनऊ ऑटो थ्री व्हीलर एसोसिएशन के सहयोग से पांच ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए हैं, जिनकी शुरुआत इस मंगलवार से हुई।

हल्के लक्षण वाले ऐसे कोविड मरीज, जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है, वे यह सेवा मुफ्त ले सकते हैं। काम के दौरान पीपीई और डबल मास्क व ग्लव्स पहनकर इनके ड्राइवर सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करेंगे और पहले ही दबाव झेल रही शहर की एम्बुलेंस की मदद करेंगे। जल्द ही ऐसे तीन ऑटो और चलाए जाएंगे।

एक अन्य मामले में, लॉकडाउन में अस्पताल जाने के अलावा कोई किसी कारण से बाहर न निकले, यह सुनिश्चित करने के लिए डोड्डाबल्लापुर उपनगर में बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस ऑटो ड्राइवरों की मदद ले रही है। पुलिस ने हर वार्ड में प्रशिक्षण देकर ऑटो तैनात किए हैं, तो स्वेच्छा से लोगों तक 24/7 दवाएं और जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं, ताकि किसी को बाहर न निकलना पड़े।

पुलिस और ऑटो ड्राइवर कंटेनमेंट जोन में सब्जियां, खाने के पैकट, किराना भी जरूरतमंदों को बांट रहे हैं। ये ऑटो ड्राइवर हर वार्ड के 5 किमी के दायरे में घूमते रहते हैं। चूंकि मुश्किल वक्त है, इसलिए वे पैसे नहीं मांगते, लेकिन कुछ उदार लोग उन्हें न्यूनतम किराया दे दते हैं।

चूंकि बढ़ते मामलों के चलते फोकस अब बड़े मेट्रो शहरों से गांव पर आ गया है, ऑटो ड्राइवर देशभर में मसीहा की भूमिका निभा रहे हैं। डोड्डाबल्लापुर पुलिस ने ‘दया की दीवार’ भी बनाई है, जिसके सामने लोग कपड़े, फल और अन्य चीजें जरूरतमंदों के लिए रख रहे हैं। और इन चीजों को ऑटो ड्राइवर ही जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं।

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