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आज का इतिहास:73 साल पहले दुनिया का इकलौता यहूदी देश इजराइल अस्तित्व में आया, बनने के 24 घंटे के अंदर ही लड़ना पड़ा था पहला युद्ध

3 वर्ष पहले
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इजराइल - वो देश जिसने दुश्मनों से घिरे होने के बाद भी उनकी नाक में दम कर रखा है। क्षेत्रफल में भारत के केरल से भी छोटा ये देश आज हर मामले में दुनिया के बड़े-बड़े देशों से आगे है। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का जिक्र होते ही दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं। आज ही के दिन 1948 में इजराइल ने खुद को आजाद राष्ट्र घोषित किया था।

आज दुनिया के नक्शे में इजराइल जिस आकार में है इसके पीछे सालों पुराना इतिहास है। कभी इजराइल की जगह तुर्की का ओटोमान साम्राज्य हुआ करता था, लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की की हार के बाद इस इलाके में ब्रिटेन का कब्जा हो गया। ब्रिटेन उस समय एक बड़ी शक्ति था और द्वितीय विश्वयुद्ध तक ये इलाका ब्रिटेन के कब्जे में ही रहा। द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका और सोवियत संघ दो नई ताकत बनकर उभरे। ब्रिटेन को इस युद्ध में काफी नुकसान उठाना पड़ा। 1945 में ब्रिटेन ने इस इलाके को यूनाइटेड नेशन को सौंप दिया।

1947 में यूनाइटेड नेशन ने इस इलाके को दो हिस्सों में बांट दिया। एक अरब राज्य और एक इजराइल। यरुशलम शहर को अंतरराष्ट्रीय सरकार के प्रबंधन के अंतर्गत रखा गया। अगले ही साल इजराइल ने अपनी आजादी का ऐलान किया। इसी के साथ आज ही के दिन 1948 में दुनिया के एक शक्तिशाली देश का गठन हुआ।

इजराइल ने जैसे ही अपनी आजादी का ऐलान किया, इसके महज चौबीस घंटे के अंदर ही अरब देशों की संयुक्त सेनाओं ने उस पर हमला कर दिया। इजराइल के लिए ये लड़ाई कठिन जरूर थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। करीब अगले एक साल तक ये लड़ाई चलती रही। नतीजा ये हुआ कि अरब देशों की सेनाओं की हार हुई।

युद्ध समाप्त होने के साथ ही इजराइल की 120 सदस्यीय संसद के लिए 25 जनवरी 1949 को पहला चुनाव हुआ, जिसमें यहां के नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और डेविड बेन गुरियन देश के पहले प्रधानमंत्री चुने गए। इस वक्त दुनिया की कुल यहूदी आबादी के 40% से ज्यादा लोग इजराइल में रहते हैं। इजराइल दुनिया का अकेला यहूदी देश है।

वारसा का प्रेसिडेंशियल पैलेस। यहीं पर वारसा की संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
वारसा का प्रेसिडेंशियल पैलेस। यहीं पर वारसा की संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।

1955: वारसा की संधि

1945 में दूसरा विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद सोवियत संघ और अमेरिका दो नई ताकतें दुनिया के सामने थीं। इन दोनों के बीच शीतयुद्ध शुरू हो गया था। दोनों ही देश अपने आप को शक्तिशाली साबित करना चाहते थे। इसके लिए दोनों ने लॉबी बनाना शुरू कर दिया। 1948 में सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप से अपनी सेनाएं हटाने से इनकार कर दिया और बर्लिन की नाकेबंदी कर दी। सोवियत संघ के इस कदम से अमेरिका सहित यूरोप के देशों को झटका लगा और उन्होंने सोवियत संघ को रोकने के लिए एक संगठन बनाने की पहल की। इसमें अमेरिका, फ्रांस और यूके समेत कई देश शामिल थे। आज ये संगठन नाटो के नाम से जाना जाता है।

सोवियत संघ ने जब देखा कि उसके खिलाफ देश संगठित हो रहे हैं तो उसने भी ऐसा ही संगठन बनाने की ठानी। पूर्वी यूरोप के कुछ देशों को साथ लेकर सोवियत संघ ने आज ही के दिन 1955 में वारसा की संधि की। अमेरिका के नाटो के जवाब में ये सोवियत संघ का अपना संगठन था। सोवियत संघ के अलावा इसमें 7 अन्य देश शामिल थे। संधि में कहा गया था कि संगठन के किसी भी देश पर हमला होने की स्थिति में बाकी देश उसकी मदद करेंगे। इस दौरान नाटो और सोवियत संघ के देशों में शीतयुद्ध चलता रहा। 25 फरवरी 1991 के दिन हंगरी में हुई एक बैठक में इस संधि को समाप्त कर दिया गया।

1984 में आज ही के दिन फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग का जन्म हुआ। 2015 में भारत यात्रा के दौरान जकरबर्ग ताजमहल भी घूमने गए थे।
1984 में आज ही के दिन फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग का जन्म हुआ। 2015 में भारत यात्रा के दौरान जकरबर्ग ताजमहल भी घूमने गए थे।

1984: फेसबुक के जनक का जन्म

4 फरवरी 2004 को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट ने एक वेबसाइट लॉन्च की। इसके पीछे उसका मकसद था कि यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स आपस में एक-दूसरे से जुड़े। ये आइडिया चल निकला। अगले ही दिन उस साइट पर एक हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स ने रजिस्टर किया। ये तो बस शुरुआत थी। आज उस वेबसाइट पर 2 अरब से भी ज्यादा यूजर्स हैं। उस स्टूडेंट का नाम था- मार्क जकरबर्ग, जिनका आज जन्मदिन है।

अगले 4 महीनों में फेसबुक पर ढाई लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स ने रजिस्टर किया। नतीजा ये हुआ कि फेसबुक को संभालने के लिए जकरबर्ग को यूनिवर्सिटी की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसी साल के अंत तक फेसबुक पर एक्टिव यूजर्स का आंकड़ा 10 लाख को पार कर गया।

2006 में फेसबुक को 13 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए ओपन किया गया। इसके बाद तो फेसबुक ने रॉकेट की रफ्तार से तरक्की की। 2012 में फेसबुक दुनिया की पहली सोशल मीडिया साइट बनी जिस पर एक्टिव यूजर्स की संख्या 1 करोड़ को पार कर गई। आज फेसबुक दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया साइट है और जकरबर्ग दुनिया के 5वें सबसे अमीर इंसान।

इतिहास में आज के दिन को और किन-किन वजहों से याद किया जाता है-

2013: ब्राजील ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी।
2010: भारत और रूस के बीच रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष समेत कई क्षेत्रों में व्यापार एवं निवेश के लिए 22 समझौते हुए।
1991: दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला की पत्नी विनी मंडेला को चार युवकों के अपहरण के मामले में 6 साल की सजा सुनाई गई।
1981: भारतीय आविष्कारक और कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रणव मिस्त्री का जन्म हुआ।
1981: नासा ने स्पेस व्हिकल S-192 लॉन्च किया।
1973: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं के समान अधिकार को मंजूरी दी।
1973: अमेरिका के पहले स्पेस स्टेशन स्कायलैब को लॉन्च किया गया।
1923: भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक मृणाल सेन का जन्म हुआ।
1796: एडवर्ड जेनर ने स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन का पहला डोज दिया।

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