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  • It Is Necessary To Give Children Two Values, When They Become Big And Capable, Then They Have The Passion To Serve Others And The Responsibility Towards The Country

आज का जीवन मंत्र:बच्चों को दो संस्कार देना जरूरी है, जब वे बड़े और सक्षम बनें तो उनमें दूसरों की सेवा करने का जज्बा हो और देश के प्रति जिम्मेदारी

3 वर्ष पहले
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महात्मा गांधी का बच्चों को समझाने का अपना एक तरीका था। वे जब भी बच्चों से बात करते, उनके सवालों का जवाब देते तो इस बात का पूरा ध्यान रखते कि उनके जवाब बच्चों में एक संस्कार के बीज का काम करें।

एक बार गांधी जी से मिलने एक बच्चा आया। उन्होंने पूरी आत्मीयता से बच्चे से बात की। गांधी जी हमेशा की तरह अपने शरीर पर सिर्फ एक धोती ही पहने थे। उनके ऊपर से खुले शरीर को देखकर बच्चे ने मासूमियत के साथ गांधी जी से पूछा आप कि आप पूरे कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं।

गांधी जी ने बड़ी गहराई से विचार करके जवाब दिया, मैं पूरे कपड़े इसलिए नहीं पहनता हूं क्योंकि मैं बहुत गरीब हूं। बच्चे ने गांधी जी से कहा- ऐसी बात है तो मैं अपनी मां से कहूंगा वो आपके लिए एक कुर्ता सिल देंगी।

गांधी जी ने जवाब दिया, एक कुर्ते से मेरा काम नहीं होगा, मेरा पूरा परिवार ही गरीब है। बच्चे ने फिर कहा तो मेरी मां आपके पूरे परिवार के लिए कुर्ते सिल देंगी। गांधी जी ने जवाब दिया, मेरा परिवार बहुत बड़ा है। तुम्हारी मां सबके लिए कपड़े नहीं बना पाएंगी।

बच्चे ने फिर पूछा, कितना बड़ा परिवार है आपका? गांधी जी ने कहा, 40 करोड़ लोगों का। ये पूरा देश ही मेरा परिवार है। और, इस परिवार में ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनके पास तन ढंकने के लिए पूरा कपड़ा भी नहीं है।

बच्चा कुछ देर मौन रहा, फिर उसने कहा। तब तो वाकई मेरी मां इतने लोगों के लिए कपड़े नहीं बना पाएगी, लेकिन जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो मैं ऐसे काम करूंगा जिससे सभी लोगों को पहनने के लिए कपड़े मिलें।

गांधी जी समझ गए कि बच्चे में देश भक्ति और सेवा के संस्कार का बीज पड़ गया है। उनका जवाब बच्चे को देश से जोड़ देने वाला था।

सीख - बच्चों को जब भी उनके सवालों के जवाब दें, कोशिश करें कि वो जवाब उनके संस्कार का हिस्सा बन जाए। बच्चों को दूसरों की मदद करने और देश सेवा का संस्कार देना आवश्यक है।

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