पिछले महीने कोरोना का कहर झेलने वाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ससंदीय क्षेत्र वाराणसी अब इस महामारी से उबरता नजर आ रहा है. कोरोना के रोजाना के केस काफी हद तक कम हो गए हैं. कोरोना पर नियंत्रण के लिए वाराणसी मॉडल एक मिसाल बनकर उभरा है और उम्मीद है कि जल्द ही यहां पर महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा.
वाराणसी में अब ईद की खरीददारी और शराब दुकान पर भीड़ जुटने लगी है. अब बढ़ती भीड़ को देखते हुए लगता ही नहीं कि ये शहर महज कुछ दिन पहले ही कोरोना की भयंकर चपेट में था. कुछ दिन पहले वाराणसी के अस्पतालों में चीख-पुकार मची थी. श्मशान घाटों पर अनवरत चिताएं जल रही थीं.
लेकिन महज 20-25 दिन के भीतर पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र कोरोना के खिलाफ जंग में जीत के करीब पहुंच गया है. भगवान शंकर की नगरी में कोरोना को रोजाना के मामले अब काबू में आ गए हैं. हालांकि, अभी ये दावा करना जल्दबाजी हो सकता है कि वाराणसी महामारी से लड़ाई जीत गया है लेकिन फिलहाल यह कहा जा सकता है कोरोना की दूसरी लहर का पीक वाराणसी से गुजर चुका है.
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वाराणसी उत्तर प्रदेश के उन चार शहरों में शामिल था जहां अप्रैल के पहले हफ्ते में ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई थी. यहां संक्रमण की दर काफी तेज थी. 14 अप्रैल से 23 अप्रैल तक की यहां कोरोना की लहर अपने चरम पर थी. केस बढ़े तो अवस्थाएं शुरू हुई. ऑक्सीजन वाले बेड की कमी पर हाहाकार मचा.
लेकिन प्रशासन ने कोरोना की इस चुनौती को स्वीकार किया. जिन विकास खंडों में ज्यादा संक्रमण था उनके 76 गांव को चिन्हित किया गया. उसमें भी दवाइयों के वितरण का काम शुरू हुआ. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कर 72,000 परिवारों तक दवाइयां पहुंचाई गई.
इस बीच जिले में टेस्टिंग भी बढ़ा दी गई. सैंपलिंग के लिए 100 टीमों को बनाकर रोजना 8,000 से 9,000 सैंपल कलेक्ट किए गए. सैंपलिंग के जल्दी नतीजों के लिए आरएनए एक्सट्रैक्टर मशीन भी मंगाई गई.
25 अप्रैल से लेकर मई के पहले हफ्ते तक सतत प्रयास से संक्रमण को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली. अब नतीजा यह है कि वाराणसी की पॉजिटिविटी 10 से 11% ही रह गई है. जहां 1 दिन में संक्रमण 2,000 और 2,100 तक आने लगे थे और 2,700 तक गए थे. वह केस घटकर 700 से 800 ही प्रतिदिन रह गए हैं.
एक समय संक्रमण दर 38-39% हो गई थी और वो घटकर 21-22% पर आ गई.
जहां तक ऑक्सीजन की सप्लाई का सवाल तो पहले जहां 1,900 सिलेंडर की सप्लाई होती थी अब वो 4,500 सिलेंडर की हो गई है. वाराणसी और आसपास के इलाके में ऑक्सीजन के जितने प्लांट बंद पड़े थे उन्हें चालू करा दिया गया. ऑक्सीजन एक्सप्रेस और टैंकर के माध्यम से भी ऑक्सीजन की सप्लाई लगातार बरकरार है.
वाराणसी मॉडल ने साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं. अगर ये सिलसिला जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भगवान शंकर की नगर फिर अपने पुराने रंग में लौट आएगा.
(आजतक ब्यूरो)