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लाइव रिपोर्टिंग

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  1. ऑक्सीजन और दवाओं की उपलब्धता पर पीएम मोदी की उच्च स्तरीय बैठक

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बताया है कि उन्होंने देश में ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की है.

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    इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस बैठक में कोविड-19 से जुड़े विभिन्न पक्षों की भी समीक्षा की गई है.

    बैठक को लेकर जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि कोविड के साथ-साथ म्यूकरमायकोसिस के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं की सप्लाई को लेकर भी सरकार क़रीबी नज़र बनाए हुए है.

  2. पॉज़िटिविटी दर जिन ज़िलों में 10% से अधिक वहां लगे डेढ़-दो महीनों का लॉकडाउन: डॉक्टर बलराम भार्गव

    भारत में कोरोना महामारी

    भारत में कोरोना वायरस की स्थिति पर नज़र रखने वाली संस्था आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च) के निदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा है कि जिन ज़िलों में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं उन ज़िलों में और डेढ़ से दो महीनों के लिए लॉकडउन लगाया जाना चाहिए.

    समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार एक इंटरव्यू के दौरान डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा जिन ज़िलों में संक्रमण की दर 10 फीसदी से अधिक है उन ज़िलों में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अधिक पाबंदियां लगाने की ज़रूरत है.

    फिलहाल देश में ऐसे 718 ज़िले हैं जहां कोरोना टेस्ट में पॉज़िटिविटी दर 10 फीसदी से ज़्यादा दर्ज की गई है. इनमें दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू जैसे बड़े शहर शामिल हैं.

    माना जा रहा है कि डॉक्टर बलराम भार्गव की ये टिप्पणी किसी आला सरकारी अधिकारी की पहली ऐसी टिप्पणी है जो कोरोना संकट के दौर से निकलने के लिए लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने का समर्थन करती है.

    डॉक्टर बलराम भार्गव
    Image caption: डॉक्टर बलराम भार्गव

    बीते साल लगाए लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुक़सान के बाद मोदी सरकार देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाना चाहती और केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया था.

    कोरोना पर लगाम कसने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में अपने स्तर पर लॉकडाउन लगाया है और नियम जारी किए हैं. हर सप्ताह-दस दिन में इन नियमों की समीक्षा कर पाबंदियों को सप्ताह भर के लिए या फिर पंद्रह दिनों के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है.

    डॉक्टर भार्गव ने कहा, "जिन ज़िलों में कोरोना पॉज़िटिविटी दर अधिक है वहां पूरी तरह तालाबंदी होनी चाहिए. जिन ज़िलों में पॉज़िटिविटी दर पांच से दस फीसदी तक पहुंच गई है वहां राहत दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए इस दर तक पहुंचना होगा. और साफ़ तौर पर आने वाले छह से आठ सप्ताह के भीतर ऐसा होता नहीं दिखता."

    राजधानी दिल्ली का ज़िक्र करते हुए डॉक्टर भार्गव ने कहा, "अगर दिल्ली में आज पाबंदियों में राहत दे दी गई तो यहां तबाही आ जाएगी."

    दिल्ली में पॉज़िटिविटी दर 35 फीसदी तक पहुंच गई है लकिन अब ये 17 फीसदी तक नीचे आ गई है.

    भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. यहां रोज़ाना कोरोना संक्रमण के साढ़े तीन लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं जबकि क़रीब चार हज़ार मौतें हो रही हैं. हालांकि जानकारों का कहना है कि असल आंकड़े इससे करीब 10 गुना अधिक हैं.

    यहां के अस्पताल और शवगृह मरीज़ों और शवों से भरे पड़े हैं, स्वास्थ्यकर्मी बुरी तरह थके हुए हैं और प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन और दवाओं की कमी है.

    Video content

    Video caption: कोरोना से ठीक होने के बाद क्या करना चाहिए, क्या नहीं

    देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच धार्मिक आयोजनों और चुनावी रैलियों में कोविड-19 से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन न करने को लेकर राजनीतिक आयोजनों की मीडिया में आलोचना की गई है.

    डॉक्टर भार्गव ने मोदी सरकार की आलोचना तो नहीं की लेकिन उन्होंने कहा कि संकट को देखते हुए इस पर लगाम लगाने की कोशिश शुरू करने में देरी हुई.

    उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि 10 फीसदी से अधिक पॉज़िटिविटी दर वाले ज़िलों में पाबंदी लगाने को लेकर देरी हुई, लेकिन बाद में लॉकडाउन लगाया गया."

    उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल को कोविड-19 के लिए बनी नेशनल टास्क फोर्स की एक बैठक हुई थी जिसमें 10 फीसदी या उससे अधिक पॉज़िटिविटी दर वाले ज़िलों में लॉकडाउन लगाने की सिफारिश की गई थी.

    हालांकि इसके बाद 20 अप्रैल टेलीविज़न पर प्रसारित एक संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लॉकडाउन को "आख़िरी कदम के रूप में" देखा जाना चाहिए और राज्यों का ध्यान "माइक्रो कन्टेनमेन्ट ज़ोन" पर होना चाहिए.

    इससे पहले समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इसी महीने कहा था कि नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के प्रमुख ने एक प्राइवेट वर्चुअल कार्यक्रम में कहा था कि देश में अप्रैल की शुरुआत से ही सख़्त लॉकडाउन की ज़रूरत थी.

    डॉक्टर भार्गव ने किसी राजनेता की तरफ इशारा तो नहीं किया लेकिन कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने जैसे कार्यक्रम स्वीकार नहीं किए जाने चाहिए.

    उन्होंने कहा ये "ये कॉमन सेन्स है."

  3. सीएम ममता और राज्यपाल धनखड़ फिर आए आमने-सामने

    ममता और धनखड़

    लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच पिछले कुछ महीनों से चल रहा टकराव अब भी बरकरार है.

    ममता बनर्जी ने राज्यपाल धनखड़ के कूच बिहार जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है.

    मुख्यमंत्री ममता का कहना है कि चुनाव के बाद हिंसा प्रभावित इलाक़ों के राज्यपाल की यात्रा परंपरा के ख़िलाफ़ है.

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ ममता ने कहा, “आप अब भी राज्य के अधिकारियों को निर्देश देकर मुख्यमंत्री और मंत्रियों को नज़रअंदाज़ न करने की सलाह की लगातार अनदेखी कर रहे हैं.”

    पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले भी राज्य में कई मुद्दों को लेकर राज्यपाल धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आमने-सामने आ चुके हैं.

  4. ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्र में वैक्सीन की कमी के कारण 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण रोका गया

    टीकाकरण

    महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने जानकारी दी है कि वैक्सीन की कमी के कारण राज्य में 18-44 साल के आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण फ़िलहाल अस्थाई तौर पर बंद किया जा रहा है.

    उन्होंने बताया कि बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में फ़ैसला लिया गया है कि अभी मौजूद वैक्सीन को सिर्फ़ 45 साल से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण में ही इस्तेमाल किया जाएगा.

    उन्होंने बताया कि इस बैठक में लॉकडाउन को 15 दिनों के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया गया है लेकिन इसका अंतिम फ़ैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेना है.

    राजेश टोपे ने बताया कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से वादा किया है कि 20 मई के बाद राज्य को डेढ़ करोड़ कोविशील्ड की डोज़ उपलब्ध कराई जाएगी.

    उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन के मिलने के बाद ही 18-44 आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण शुरू किया जाएगा.

  5. बीबीसी हिन्दी का डिजिटल बुलेटिन दिनभर

    बीबीसी हिन्दी का डिजिटल बुलेटिन दिनभर, 12 मई 2021 सुनिए संदीप सोनी के साथ

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  6. पीएम केयर्स फंड का सारा पैसा मेडिकल उपकरणों में लगाएँ मोदी, 12 विपक्षी दलों की चिट्ठी

    नरेंद्र मोदी

    बारह विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रोकने की मांग की है.

    इसके अलावा इन नेताओं ने मुफ़्त टीकाकरण की भी मांग पीएम मोदी से की है.

    जिन विपक्षी नेताओं के इस पत्र पर हस्ताक्षर हैं, उनमें हैं- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और जेडी (एस) के एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी के प्रमुख शरद पवार, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, डीएमके नेता एके स्टालिन, जेएमएम के हेमंत सोरेन, नेशनल कॉन्फ़्रेंस के फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, सीपीआई के डी राजा और सीपीएम के सीताराम येचुरी.

    फ़ाइल फोटो

    देश में कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति का ज़िक्र करते हुए पत्र में लिखा गया है कि विपक्ष ने कई बार केंद्र सरकार को इस बारे में व्यक्तिगत या संयुक्त रूप से क़दम उठाने की सलाह दी, लेकिन दुर्भाग्य से आपकी सरकार ने या तो इसकी अनदेखी की या सभी सलाह को ख़ारिज कर दिया और इसके कारण ही मानव त्रासदी की ऐसी स्थिति आ गई है.

    विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी से मुफ़्त टीकाकरण की अपील की है और कहा है कि इसके लिए बजट से 35 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान करना चाहिए.

    विपक्षी नेताओं का पत्र

    विपक्ष ने सेंट्रल विस्टा का काम रोककर इसके पैसे से ऑक्सीजन और वैक्सीन ख़रीदने की सलाह दी है. विपक्ष ने पीएम केयर्स फंड में मौजूद पूरी राशि को निकालकर वैक्सीन, ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य मेडिकल उपकरण ख़रीदने की मांग भी की है.

    सभी बेरोज़गारों को कम से कम 6000 रुपए प्रति माह देने की भी मांग रखी है. साथ ही ज़रूरतमंदों को मुफ़्त खाद्यान्न देने की मांग पीएम मोदी से की गई है.

    विपक्षी नेताओं ने अपने पत्र में कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग भी की है और कहा है कि क़ानून वापस लेने से लाखों अन्नदाताओं को कोरोना महामारी से बचाया जा सकेगा और ये किसान खाद्यान्न की पैदावार में लग जाएँगे.

  7. कोरोना की लहर पर फ़ाउची ने कहा- भारत ने समय से पहले ढील दे दी थी

    एंथनी फ़ाउची

    अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फ़ाउची ने कहा है कि कोरोना वायरस को लेकर किए गए ‘ग़लत पूर्वानुमान’के कारण आज भारत ‘ख़तरनाक भंवर’में है. उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 के ख़त्म समझ लेने की ग़लती की और सबकुछ खोल दिया.

    भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बुरी तरह से जूझ रहा है. अस्पतालों में भरे बेड और ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार आम नज़ारे हो चले हैं.

    डॉक्टर फ़ाउची ने कहा, “भारत के आज इतने भयानक भंवर में उलझने की वजह यह है कि उसने यह मान लिया था कि यही असली लहर है और ग़लत पूर्वानुमान लगाते हुए यह समझ लिया कि अब सबकुछ ख़त्म हो चुका है.”

    “इसके बाद उन्होंने समय से पहले ही सबकुछ खोल दिया और उसके बाद यह लहर शुरू हो गई जिसको हम सब देख रहे हैं.”

    फ़ाउची ने कहा कि एक सबसे पहली महत्वपूर्ण चीज़ जो है वह यह कि कभी भी परिस्थितियों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.

    उन्होंने कहा, “दूसरी महत्वपूर्ण चीज़ है तैयारी, जो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिहाज़ से हमेशा करके रखनी चाहिए. तैयारी एक ऐसा सबक है जिसे हमें भविष्य की महामारियों को लेकर भी याद रखना चाहिए.”

    “हमें यह एहसास हो गया है कि हमें स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे बनाने की ज़रूरत है.”

  8. बिहार: पति के इलाज के दौरान महिला से छेड़छाड़ के मामले में एक शख़्स गिरफ़्तार

    रुचि और रोशन चंद्र दास
    Image caption: रुचि और रोशन चंद्र दास

    नीरज सहाय

    पटना से बीबीसी हिंदी के लिए

    बिहार में कोरोना के कारण गंभीर स्थिति के बीच एक और ख़बर आई है, जिसने सबको चौंका दिया है. मामला भागलपुर का है.

    भागलपुर के अस्पताल में अपने पति का इलाज कराने गई मधुबनी की एक महिला ने अस्पताल के एक कर्मचारी पर छेड़खानी का आरोप लगाया है.

    नोएडा से होली पर अपने घर आई रुचि रोशन के सॉफ़्टवेयर इंजीनियर पति रोशन चंद्र दास कोरोना संक्रमित हो गए थे, जिनकी मौत शनिवार आठ मई को हो गई.

    मृतक की पत्नी रुचि रोशन ने भागलपुर के दो निजी और पटना के एक निजी अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने और वहाँ काम करने वालों पर अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया है.

    रुचि की शिकायत पर पटना के राजेश्वर नर्सिंग होम के कर्मचारी और डॉक्टर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है और अब एफ़आईआर दर्ज करने के साथ ही पुलिस की जांच शुरू हो गई है.

    क्या था मामला

    रुचि रोशन के पति भागलपुर के ग्लोकल अस्पताल में 17 से 22 अप्रैल तक रहे. वहाँ 19 तारीख से उनको रेमेडेसिविर का इंजेक्शन लगना शुरू हुआ.

    23 तारीख़ को रुचि अपने पति को मायागंज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ले आईं और 26 अप्रैल को उन्हें पटना के राजेश्वर अस्पताल में भर्ती कराया गया.

    रूचि कहती हैं, “मेरे पति को सामान्य ऑक्सीजन फ़्लो पर ग्लोकल अस्पताल, भागलपुर में एडमिट किया गया. वहाँ रेमडेसिविर इंजेक्शन लेने को कहा गया, लेकिन दूसरा डोज़ देने के क्रम में इंजेक्शन की शीशी ज़मीन पर गिर गई और जब मैंने आपत्ति जताई तो बड़ा रूख़ा सा जवाब मिला. जबकि हमनें कई गुना ज़्यादा क़ीमत पर इंजेक्शन ख़रीदा था. उसी रात मेरी माँ और पति के सामने ज्योति कुमार नाम के कर्मी ने मेरे साथ बदसलूकी की.”

    रुचि और रोशन

    बिगड़ती हालत को देखते हुए रुचि अपने पति को मायागंज अस्पताल लेकर गईं. लेकिन वहाँ भी ठीक से देखभाल न होने के कारण रुचि अपने पति को पटना लेकर पहुँची.

    रुचि बताती हैं, “पटना में इलाज के दौरान वहाँ के चिकित्सक मेरे पति को कभी क्रिटिकल या चमत्कारी सुधार की रिपोर्ट देते रहे. वहाँ नाईट शिफ्ट का एक कर्मी अपनी हरकतों से मुझे परेशान करते थे. अस्पताल को तो बिस्तर ख़ाली करवाने की जल्दी थी और आठ मई को वह दुनिया से चले गए.”

    पति की मौत से आहत रुचि रोशन के आरोप सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान बरती जा रही लापरवाही और गोरखधंधों के साथ अस्पताल में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं.

    इस संबंध में ग्लोकल अस्पताल, भागलपुर प्रबंधन से संपर्क किया गया और वहाँ से जवाब मिला कि अस्पताल का पक्ष जानने के लिए भागलपुर आना पड़ेगा.

    राजेश्वर अस्पताल, पटना के कर्मी रोहित कुमार ने कहा, “इतने मरीज़ यहाँ भर्ती हैं और किसी को कोई शिकायत नहीं है, लेकिन उनको है. ऐसा क्यों? इतने दिनों तक अस्पताल में रहीं तो कोई दिक्कत नहीं हुई. उनके सारे आरोप निराधार हैं.”

    प्रेस विज्ञप्ति

    भागलपुर पुलिस ने ख़ुद ही मामले की छानबीन के लिए तीन सदस्यीय जाँच टीम गठित कर, महिला थाना भागलपुर में प्राथमिकी दर्ज कर ली है.

    भागलपुर की वरीय पुलिस अधीक्षक निताशा गुड़िया ने बताया, “इस संबंध में मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज कर वार्ड बॉय ज्योति कुमार को गिरफ़्तार कर लिया है. साथ ही पीड़िता को समूचे प्रकरण पर लिखित शिकायत दर्ज करने का आग्रह किया गया है.”

    पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक उपेंद्र शर्मा ने भी कहा है कि अगर पीड़ित पक्ष से लिखित शिकायत मिलती है, तब कार्रवाई की जाएगी.

  9. ब्रेकिंग न्यूज़स्वतंत्र पैनल की रिपोर्ट में WHO को फटकार, कहा- रोकी जा सकती थी महामारी

    पुरुष

    कोरोना वायरस महामारी को लेकर दुनिया के विभिन्न देशों के काम करने के तरीक़े पर एक स्वतंत्र पैनल की रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और कई देशों की सरकारों पर नाकामी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

    WHO ने द इंडिपेंडेंट पैनल फ़ॉर पेंडेमिक प्रीपेर्डनेस एंड रेस्पॉन्स (IPPPR) नामक एक पैनल गठित किया था. इसने WHO के साथ-साथ यूरोप और अमेरिका पर कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने में देरी करने का आरोप लगाया है.

    पैनल का कहना है किइसे घोषित करने से पहले क़ीमती वक़्त बर्बाद किया गया. उसका कहना था कि कोविड-19 की भयावह पैमाने की महामारी को रोका जा सकता था.

    IPPPR का कहना है कि कोविड-19 को लेकर लिए गए कई ग़लत निर्णयों के कारण कम से कम 33 लाख लोगों की मौत हुई है और उसने अर्थव्यवस्था को तबाह करके रख दिया है.

    टीकाकरण

    पैनल की अध्यक्षता कर रहीं लाइबेरिया की पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ़ ने कहा कि ‘जिस स्थिति में आज हम ख़ुद को पा रहे हैं वो रोकी जा सकती थी.’

    “यह हज़ारों नाकामियों, देरी, तैयारियों और प्रतिक्रिया में कमी के कारण हुआ है.”

    इसके साथ ही उन्होंने कहा, “ख़राब रणनीतिक विकल्पों, असमानताओं से निपटने की अनिच्छा और एक अनियंत्रित प्रणाली ने महामारी को एक ज़हरीला कॉकटेल बनाया जिसने इसे एक भयावह मानव संकट में बदल दिया.”

    महिला

    कोरोना की अगली भयावह महामारी से बचने के लिए बदलाव के साथ-साथ WHO के नेतृत्व में एक वैश्विक स्वास्थ्य परिषद बनाने की सलाह दी गई है.

    इसके साथ ही बीमारी को लेकर एक सर्विलांस सिस्टम और वैक्सीन को ‘सार्वजनिक संपत्ति’घोषित करने की सलाह भी दी गई है.

  10. राहुल गांधी का ट्वीट- सकारात्मक सोच की झूठी तसल्ली मज़ाक़ है

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ख़बर की क्लिप शेयर करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर तंज़ करते हुए ट्वीट किया है कि सकारात्मक सोच की झूठी तसल्ली कोरोना पीड़ितों के साथ मज़ाक है.

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    दरअसल हाल ही में सूत्रों के ज़रिए ऐसी ख़बरें मीडिया में प्रकाशित हुई थीं कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस पर आलोचनाओं के बीच सकारात्मक ख़बरों को अधिक प्रसारित करेगी.

    इस पर राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “सकारात्मक सोच की झूठी तसल्ली स्वास्थ्य कर्मचारियों व उन परिवारों के साथ मज़ाक़ है जिन्होंने अपनों को खोया है और ऑक्सीजन-अस्पताल-दवा की कमी झेल रहे हैं.रेत में सर डालना सकारात्मक नहीं, देशवासियों के साथ धोखा है.”

    वहीं, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी ट्वीट करके केंद्र सरकार की आलोचना की है.

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    उन्होंने ट्वीट किया है, “जब शोकग्रस्त राष्ट्र और त्रासदियां हमारे चारों ओर घट रही हैं तब सकारात्मकता के नाम पर लगातार झूठ और प्रोपेगैंडा फैलाने का काम घिनौना है. सकारात्मक होने के लिए, हमें सरकार का अंधा प्रचारक नहीं बनना है.”

  11. ब्रेकिंग न्यूज़मोदी सरकार ने B.1.617 को कोरोना का ‘भारतीय वैरिएंट’ कहे जाने पर जताई आपत्ति

    वायरस

    कोरोना वायरस के B.1.617 वैरिएंट को ‘भारतीय वैरिएंट’ कहे जाने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी किया है.

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) नेकोरोना के B.1.617 वैरिएंट को कभी भी ‘भारतीय वैरिएंट’ नहीं कहा है.

    दरअसल, WHO ने हाल ही में कहा था कि कोरोना का B.1.617 ‘वैरिएंट ऑफ़ ग्लोबल कंसर्न’ है.

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसे ‘भारतीय वैरिएंट’ बताया गया था जबकि यह बिना किसी आधार के है क्योंकि WHO के 32 पेजों के दस्तावेज़ में इसका इस्तेमाल कहीं नहीं हुआ है.

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    वहीं, WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया कार्यालय ने बयान जारी करके कहा है कि वह किसी भी वैरिएंट को देश के नाम से नहीं बुलाता है.

    WHO ने कहा है कि वह वायरस को वैज्ञानिक नाम से ही पुकारता है और वही सबको करने का निवेदन भी करता है.

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  12. इसराइली हमलों के ख़िलाफ़ मुस्लिम देश आए आगे, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांगा समर्थन

    हमला

    ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कॉपरेशन (OIC) के सदस्य देशों के संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधियों ने घोषणा की है कि वे फ़लस्तीनियों पर पूर्वी यरुशलम में इसराइली हमलों के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाएंगे.

    न्यूयॉर्क में मुस्लिम देशों के संगठन OIC के स्थायी प्रतिनिधियों की हुई बैठक में “शेख़ जर्राह और अल-अक़्सा मस्जिद में इसराइली सुरक्षाबलों के बल प्रयोग में 300 से अधिक फ़लस्तीनियों के घायल होने की निंदा की है.”

    बयान में कहा गया है कि तुर्की, सऊदी अरब और पाकिस्तान समेत OIC के मुख्य समूह के सदस्यों ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का मुख्य सत्र बुलाने की मांग की है.

    इसमें कहा गया है कि OIC के स्थायी प्रतिनिधि अल-अक़्सा मस्जिद में मुस्लिम श्रद्धालुओं और यरुशलम और ग़ज़ा में हुई हिंसा पर चर्चा के लिए सहमत हुए हैं.

    पूर्वी यरुशलम के शेख़ जर्राह से फ़लस्तीनी लोगों को निकालने के इसराइली कोर्ट के फ़ैसले के बाद तनाव चरम पर है. फ़लस्तीनी शेख़ जर्राह के निवासियों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे जब इसराइली सुरक्षाबलों से उनकी झड़पें हुईं.

    बयान के मुताबिक़ OIC राजदूतों ने बैठक में कहा कि इसराइल का हालिया हमला ‘सभी मानवीय नियमों और मानवाधिकार क़ानूनों के विरुद्ध है’और ख़ासकर के मुसलमानों के पवित्र महीने रमज़ान में.

    राजदूतों ने कहा, “विशेष रूप से यह बात उठाई गई थी कि शेख़ जर्राह के निवासी जो दशकों से वहां रह रहे हैं, उनको जबरन निकाले जाने का ख़तरा है.” इसके साथ ही राजदूतों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फ़लस्तीनी लोगों की सुरक्षा के लिए तुरंत क़दम उठाने की मांग की.

    पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि‘सभी फ़लस्तीनियों के साथ स्पष्ट और मज़बूत एकजुटता दिखाए जाने की ज़रूरत है.’

  13. प्रियंका गांधी का आरोप, भारत में 30 दिनों में टीकाकरण में 82% की गिरावट

    कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने अप्रैल में ‘टीका उत्सव’ मनाया लेकिन वैक्सीन की कोई व्यवस्था नहीं की और इसके कारण टीकाकरण में गिरावट दर्ज की गई है.

    उन्होंने ट्वीट किया, “भारत सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक देश है.भाजपा सरकार ने 12 अप्रैल को टीका उत्सव मना दिया, लेकिन वैक्सीन की कोई व्यवस्था नहीं की और इन 30 दिनों में हमारे टीकाकरण में 82% की गिरावट आई.”

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    “मोदी जी वैक्सीन फ़ैक्ट्रियों में गए, फोटो भी खिंचाई मगर उनकी सरकार ने वैक्सीन का पहला ऑर्डर जनवरी 2021 में क्यों किया? अमरीका और अन्य देशों ने हिंदुस्तानी वैक्सीन कंपनियों को बहुत पहले ऑर्डर दे रखा था. इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? घर-घर वैक्सीन पहुंचाए बिना कोरोना से लड़ना असम्भव है.”

  14. ब्रेकिंग न्यूज़भारत बायोटेक ने कहा, नहीं दे सकते अतिरिक्त वैक्सीनः मनीष सिसोदिया

    दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने दिल्ली सरकार को बताया है कि वो राजधानी दिल्ली को वैक्सीन की अतिरिक्त डोज़ नहीं दे सकते.

    उन्होंने बताया कि दिल्ली में कोवैक्सीन ख़त्म हो चुकी है और इस वजह से 17 स्कूलों में स्थापित 100 वैक्सीन सेंटर बंद कर दिए गए हैं.

    सिसोदिया ने कंपनी से मिली चिट्ठी को ट्वीट करते हुए इसे वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार के कुप्रबंधन का उदाहरण बताया और कहा कि कंपनी ने लिखा है कि वो केंद्र के अधिकारी के निर्देश पर वैक्सीन नहीं दे सकती, और इसका मतलब ये है कि केंद्र सकार वैक्सीन की सप्लाई को कंट्रोल कर रही है.

    उन्होंने लिखा, "मैं एक बार फिर कहना चाहता हूँ कि 6.6 करोड़ वैक्सीन का निर्यात करना सबसे बड़ी भूल थी."

    सिसोदिया ने कहा कि सरकार को वैक्सीन के निर्यात पर तत्काल रोक लगाकर देश में वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों के फ़ॉर्मूले को दूसरी कंपनियों के साथ साझा करना चाहिए ताकि बड़े पैमाने पर उनका उत्पादन हो सके.

    उन्होंने साथ ही केंद्र से आग्रह किया कि वो वो अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उपलब्ध वैक्सीन को मंज़ूरी दे और राज्यों को तीन महीने के भीतर सभी को टीका देने का निर्दश जारी करे.

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  15. इसराइल में हमास के हमले में भारतीय नर्स सौम्या संतोष की मौत

    इसराइल

    हरिंदर मिश्रा

    यरुशलम से बीबीसी हिंदी के लिए

    फ़लस्तीनी चरमपंथियों और इसराइली सेना के बीच रॉकेट और हवाई हमलों में ग़ज़ा और इसराइल में कई लोगों की मौतें हुई है.

    मंगलवार को ग़ज़ा से दक्षिणी इसराइल के तटीय शहर अश्कलोन पर भी रॉकेट दागे गए. इस हमले में भारत के केरल राज्य की रहने वाली मलयाली महिला सौम्या संतोष की मौत हो गई है. 30 वर्षीय सौम्या केरल के इडुक्की ज़िले की रहने वाली थीं.

    केरल के इडुक्की ज़िले के आदिमाली के पास कांजीरामनाथम की रहने वाली सौम्या यहां अश्कलोन में एक घर में एक बूढ़ी महिला के यहां नर्स के तौर पर काम करती थीं. यह इलाक़ा ग़ज़ा पट्टी की सीमा पर है और हमले में बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

    सौम्या के बारे में लोगों का कहना है कि वह बीते सात सालों से इसराइल में रह रही थीं. उनका नौ साल का एक बेटा भी है जो उनके पति के साथ केरल में ही रहता है.

    स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, जिस घर में वो काम करती थीं उस घर की बुज़ुर्ग महिला का आरोप है कि उनके घर पर सीधा हमला हुआ. उन्हें गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है.

    चैनल12 के मुताबिक़, रॉकेट शेल्टर महिला के घर से महज़ एक मिनट की दूरी पर था.

    अश्कलोन के मेयर टोमर ग्लाम ने कहा कि जब शहर पर रॉकेट से हमला हुआ तो लगभग पच्चीस फ़ीसदी निवासी सुरक्षित जगहों पर नहीं पहुंच सके.

    आर्मी रेडियो से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह कितना अविश्वसनीय है कि एक सामान्य ज़िंदगी और जन-जीवन मिनटों में देखते-देखते आपातकाल में तब्दील हो जाता है.”

    उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “वहां पर 1960 के दशक के घर हैं. जहां बुनियादी सुरक्षा तक नहीं है. यह वो समय है जब ट्रेज़री और फ़ैसले लेने का अधिकार रखने वाले अधिकारियों को सेचना चाहिए कि आख़िर यहां क्या हो रहा है.”

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    भारत में इसराइल के राजदूत रॉन माल्का ने इसराइल की ओर से सौम्या संतोष के परिवार के प्रति गहरा दुख जताया है.

    उन्होंने ट्वीट करके सौम्या संतोष के नौ साल के बेटे के लिए भी अपना दुख ज़ाहिर किया है. उन्होंने लिखा है, "हमरा दिल उस नौ साल के बच्चे का सोचकर रो रहा है जिसने इस क्रूर चरमपंथी हमले में अपनी मां को खो दिया."

  16. कोरोनाः गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने माना, अस्पताल के पास नहीं थी पर्याप्त ऑक्सीजन

    कोरोना

    गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने स्वीकार किया है कि जिस सरकारी अस्पताल में मंगलवार सुबह 26 कोरोना मरीज़ों की मौत हुई वहाँ ऑक्सीजन की कमी हो गई थी.

    स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,"मंगलवार की सुबह क़रीब दो-छह बजे के बीच जीएमसीएच में 26 कोरोना मरीज़ों की मौत हो गई. सोमवार को अस्पताल में बारह सौ जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी लेकिन सप्लाई सिर्फ़ चार सौ की ही हुई थी. परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी थी."

    राणे ने इससे पहले कहा था कि इस घटना में हाइकोर्ट को इस मामले की जांच करनी चाहिए और ऑक्सीजन सप्लाई से जुड़ा एक श्वेत पत्र बनाना चाहिए ताकि सही बात सामने आ सके.

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    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी ऑक्सीजन की कमी की बात स्वीकारी है.

    उन्होंने कहा कि "कुछ देर दे लिए कोविड-19 वॉर्ड में ऑक्सीजन की कमी हुई थी जिसके कारण मुमकिन है मरीज़ों को कुछ परेशानी हुई हो."

  17. तरुण तेजपाल मामले में फ़ैसला 19 मई को, कोरोना की वजह से देर

    गोवा की एक अदालत ने कहा है कि वो तरुण तेजपाल मामले में 19 मई यानी एक सप्ताह बाद फ़ैसला सुनाएगी.

    तहलका पत्रिका के पूर्व एडिटर-इन-चीफ़ तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक आलीशान होटल में लिफ़्ट के भीतर अपनी महिला सहयोगी पर यौन हमला करने का आरोप है.

    इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और फ़ैसला 27 अप्रैल को ही आना था, मगर तब न्यायाधीश क्षमा जोशी ने इसे 12 मई तक टाल दिया.

    बुधवार को अदालत ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से फ़ैसले को और एक हफ़्ते के लिए मुल्तवी करना पड़ रहा है.

    अदालत ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से न्यायाल में मात्र 15 प्रतिशत कर्मचारी काम कर रहे हैं.

    गोवा पुलिस ने नवंबर 2013 में तरुण तेजपाल के विरुद्ध मामला दर्ज किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.

    मई 2014 में उन्हें ज़मानत मिल गई जिसके बाद से वो बाहर हैं.

    गोवा पुलिस ने अपने आरोप पत्र में उनके ख़िलाफ़ यौन हिंसा से जुड़ी कई धाराएँ लगाई हैं.

    तरुण तेजपाल ने आरोप पत्र पर रोक लगवाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी मगर अदालत ने उनकी याचिका को निरस्त कर दिया.

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  18. ब्रेकिंग न्यूज़भारत में कोरोना से पिछले 24 घंटों में 4,205 लोगों की मौत

    कोरोना

    भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण से 4,205 लोगों की जान गई है. इसके साथ ही 3 लाख 48 हज़ार कोरोना संक्रमण के नए मामले दर्ज किए गए हैं. भारत में अब तक 23,340,938 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इससे मरने वालों की संख्या भी 254,197 पहुँच गई है.

    भारत में कोरोना से संक्रमित होने के बाद कुल 193,826,42 लोग ठीक हुए हैं. अभी देश में कोरोना के कुल 37,040,99 सक्रिय मामले हैं. भारत में कोविड से ठीक होने की दर 82.75 फ़ीसदी है.

  19. कोरोना पीड़ितों की मदद करने के मामले में आप MLA दिलीप पांडे से पूछताछ

    कोरोना

    दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे से पूछताछ की है. दिलीप पांडे ने मंगलवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.

    दिलीप पांडे पर कोविड पीड़ितों के बीच 'कोविड दवाइयों के अवैध वितरण' का आरोप है. कहा जा रहा है कि यूथ कांग्रेस के प्रमुख श्रीनिवास बी.वी. और बीजेपी सांसद गौतम गंभीर को भी समन भेजा जा सकता है.

    दिलीप पांडे ने ट्वीट कर कहा है, ''किसी की मदद करना भी मोदी राज में गुनाह हो गया है. मेरा पूरा परिवार कोविड की त्रासदी से परेशान है लेकिन मेरे पास क्राइम ब्रांच की पूछ ताछ आई “लोगों की मदद कैसे कर दी? जवाब दो?”एक नहीं एक हज़ार बार पीड़ितों की मदद करूँगा, भले ही इस गुनाह के लिए मोदी-अमित शाह मुझे फाँसी चढ़ा दें.''

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    उधर दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मोय बिसवाल ने अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, ''यह कार्रवाई अदालत के निर्देश पर हो रही है. डॉ दीपक सिंह ने दिल्ली हाइ कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है कि नेता कोविड दवाइयों के अवैध वितरण में शामिल हैं. हाई कोर्ट ने ही दिल्ली पुलिस को जाँच करने का निर्देश दिया है. इस मामले में कई लोगों की जांच की जा रही है. दिलीप पांडे से आज संपर्क किया गया लेकिन उनका फ़ोन बंद था. बाद में उनके पीए से बात हुई और उन्हें जवाब देने के लिए कहा गया है.''

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    दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने दिलीप पांडे के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ''आपके पास अकेले नहीं आए दिलीप पांडे मेरे पास भी आए थे. लेकिन यह मोदी ने नहीं कोर्ट के आदेश से हुआ और वो भी आपके इमरान हुसैन की वजह से हुआ. किसी ने कोर्ट में याचिका डाली है की 10 लोग हैं, जिनमें मैं और आप दोनो हैं, वो भी आपके हुसैन की तरह होर्डिंग कर रहे हैं. गुमराह मत करो दिलीप भाई.''

    याचिकाकर्ता ने जिन लोगों के नाम दिए हैं, उनमें दिलीप पांडे के अलावा, यूथ कांग्रेस के श्रीनिवास, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, दिल्ली के कांग्रेस विधायक मुकेश शर्मा, बीजेपी सांसद सुजय विखे भी शामिल हैं.

    दिलीप पांडे
  20. गंगा में और दर्जनों लाशें मिलीं, मोदी सरकार के मंत्री बोले- निर्मल गंगा को लेकर प्रतिबद्ध

    कोरोना

    बिहार के चौसा में गंगा नदी के महादेव घाट के आसपास कई शव मिलने के एक दिन बाद मंगलवार को 71 और शव मिले, जिन्हें बक्सर ज़िला प्रशासन ने पोस्टमॉर्टम के बाद दफ़्न करवाया.

    बक्सर ज़िला प्रशासन ने अपनी तरफ़ से जारी एक प्रेस रिलीज़ में कहा है, ''हमें 71 शव मिले, जिन्हें पोस्टमॉर्टम के बाद दफ़्न करवा दिया गया. डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिया गया है. भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों इसके लिए ज़िला प्रशासन सतर्क है. अधिकारियों से कहा गया है कि गंगा नदी के किनारे गश्त दल को सक्रिय किया जाए.''

    बक्सर ज़िला प्रशासन ने कहा है कि चौसा में शवों की अंत्येष्टि के लिए लड़की की कोई कमी नहीं है जबकि ग्रामीणों का कहना है कि लकड़ी की ऊंची क़ीमत ली जा रही है इसलिए लोग नदी में फेंक दे रहे हैं. इससे पहले बक्सर ज़िला के एसपी नीरज कुमार सिंह ने मीडिया से कहा था कि शवों की हालत बहुत ख़राब थी और घाट पर ही पोस्टमॉर्टम किया गया.

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    मोदी सरकार में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गंगा नदी में शव फेंके जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने राज्यों से कहा है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें.

    गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ''यह निश्चिच तौर पर जांच का मामला है. मोदी सरकार माँ गंगा की निर्मलता और अविरल प्रवाह को लेकर प्रतिबद्ध है. इस तरह से अधजले शवों को गंगा में फेंकने से न केवल नदी प्रदूषित होगी बल्कि संक्रमण फैलने का भी डर है.''

    लेकिन यह मामला केवल बिहार के चौसा का ही नहीं है. मंगलवार को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले में भी क्षत-विक्षत अवस्था में कम से कम दो दर्जन शव मिले. ज़िला प्रशासन शवों की शिनाख्त करने की कोशिश कर रहा है कि ये कोविड पीड़ित थे या नहीं. ज़िला प्रशासन का कहना है कि ये शव 10 से 15 दिन पुराने हैं. उधर बलिया बिहार की सीमा पर भी गंगा नदी के किनारे दर्जनों शव मिलने की बात कही जा रही है.

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