इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए टेस्टिंग के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके मुताबिक, अब बुखार, सिरदर्द, गले की खराश, सांस में कमी, बदनदर्द, थकान और स्वाद-गंध न ले पाने वाले लोगों को कोरोना का संदिग्ध केस माना जाएगा और उनकी टेस्टिंग की जाएगी। हालांकि, टेस्टिंग लैब्स पर बोझ कम करने के लिए आईसीएमआर ने कुछ केसों में आरटी-पीसीआर टेस्ट न करने के निर्देश भी दिए हैं।

कब नहीं होंगे आरटी-पीसीआर टेस्ट?: आईसीएमआर के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति रैपिड एंटीजन टेस्ट में संक्रमित पाया गया है, तो उसके आरटी-पीसीआर की जरूरत नहीं होगी। वहीं एक बार आरटी-पीसीआर में पॉजिटिव आने वालों का भी दोबारा टेस्ट नहीं होगा। इसके अलावा 10 दिन तक होम आइसोलेशन में रहने वाले ऐसे लोगों को टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी, जिन्हें लगातार तीन दिन तक बुखार न आया हो। अस्पताल से डिस्चार्ज किए गए लोगों को भी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी।

अंतरराज्यीय सफर करने वालों को नहीं होगी टेस्ट कराने की जरूरत: आईसीएमआर की सिफारिश में कहा गया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा करने वाले स्वस्थ लोगों के लिए आरटी-पीसीआर जांच कराने की जरूरत पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकती है क्योंकि ऐसी जांच प्रयोगशालाओं पर बोझ बढ़ा रही हैं।

क्यों लिया गया टेस्टिंग सीमित करने का फैसला?: कोविड-19 से प्रयोगशालाओं के कर्मचारियों के संक्रमित होने और मामलों के अत्यधिक बोझ के कारण संभावित जांच के लक्ष्य को पूरा करने में आ रही चुनौतियों के मद्देनजर यह परामर्श जारी किया गया है। परामर्श में कहा गया है कि प्रयोगशालाओं पर बोझ घटाने के मकसद से एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले स्वस्थ लोगों के लिए आरटी-पीसीआर जांच की जरूरत पूरी तरह खत्म की जा सकती है।