कर्नाटक में ऑक्सीजन की कमी से 12 लोगों की मौत की जाँच के आदेश

  • इमरान क़ुरैशी
  • बेंगलुरू से बीबीसी हिंदी के लिए
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कर्नाटक में मैसुरू से 60 किलोमीटर दूर चामराजनगर में मेडिकल ऑक्सीजन के लो प्रेशर की वजह से एक अस्पताल में भर्ती 12 मरीज़ों की मौत हो गई है. यह सभी कोरोना के मरीज़ थे.

ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के अलावा अस्पताल में 11 और लोगों की मौत हुई है. ये सभी मौतें पिछले 24 घंटे में हुई हैं. सरकार ने इन सभी मौतों के कारण की जाँच के आदेश दे दिए हैं.

चामराजनगर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के एक डॉक्टर ने कहा कि यहाँ पिछले दिनों 12 ग़ैर-कोविड मरीज़ भी भर्ती कराए गए थे. लेकिन वे ऑक्सीजन पर नहीं थे.

सरकार ने दिए जाँच के आदेश

पर्याप्त ऑक्सीजन न होने की वजह से हुई इन मौतों से दहशत फैल गई है. लोगों में इस डर को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने मामले की जाँच के आदेश दिए हैं. अब एक सीनियर अफ़सर चामराजनगर में दो मई सुबह नौ बजे से लेकर तीन मई के सुबह सात बजे तक हुई सभी मौतों की जाँच करेंगे.

इसके साथ ही राज्य सरकार ने ऑक्सीजन के उत्पादन और इसके लिए री-फ़िलर्स की सप्लाई के लिए प्रोटोकोल जारी कर दिए हैं. कर्नाटक में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का यह पहला मामला है.

केंद्र की ओर से राज्य को 800 टन ऑक्सीजन दी गई है. राज्य सरकार की ओर से इसकी सप्लाई का प्रबंधन हाथ में लेने के बाद पहली बार इस तरह का हादसा सामने आया है.

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चामराजनगर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइसेंज के डीन डॉ. जीएम संजीव ने कहा, "इंस्टीट्यूट के अस्पताल में रात 12 बजे से तड़के दो बजे तक ऑक्सीजन का प्रेशर कम था. यहाँ ऑक्सीजन पर 122 मरीज़ थे. इनमें से जिन 12 कोविड मरीज़ों की मौत हुई है, वे और भी दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे. हमने ज़रूरी ऑक्सीजन लेवल को बरक़रार रखने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन सुबह तक 12 मरीज़ों की मौत हो गई."

उन्होंने कहा, "इनके अलावा कुछ ग़ैर-कोविड मरीज़ों की भी मौत हुई है, उनकी दूसरी वजहें रही हैं. ये मरीज़ ऑक्सीजन पर नहीं थे."

'ऑक्सीजन की कमी ने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया'

इंस्टीट्यूट के नज़दीक एक गाँव के रहने वाले राजन्ना ने रिपोर्टरों से कहा, "मेरे भांजे ने मुझे रात साढ़े बारह बजे फ़ोन कर बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन की दिक़्क़त है. उसने मुझे मैसेज भी किया. हम जल्दी से यहाँ आए. लेकिन हमें अंदर घुसने नहीं दिया गया. इसके बाद मैंने उसे फ़ोन किया. और फिर मैसेज भी किया. लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया. जब मैसेज का जवाब नहीं आया तो हमें लगा कि वह गुज़र चुका है."

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राजन्ना ने अपने भांजे की मौत पर दुख जताते हुए कहा, "वह मेरी बड़ी बहन का बेटा था. उनका इकलौता बेटा. दो महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी. ऑक्सीजन न मिलने से पूरा परिवार बर्बाद हो गया."

डॉ. संजीव ने कहा कि जिस वक़्त यह हादसा हुआ, उस वक़्त ऑक्सीजन की सप्लाई पर्याप्त नहीं थी.

उन्होंने कहा, "हर 35 मिनट या इसके आसपास हमें 10 ऑक्सीजन सिलेंडरों की ज़रूरत पड़ती है. लेकिन ऑक्सीजन की डिलीवरी में देर हुई. रात 12 बजे से लेकर तड़के दो बजे तक ऑक्सीजन के प्रेशर में कमी आ गई."

उन्होंने कहा, "आधी रात तक हमारे पास 40 ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँच चुके थे. दो घंटे के बाद और 80 सिलेंडर आ गए. उस दिन हमें 200 सिलेंडर मिले थे. इस वक़्त हमारे पास स्टॉक में 50 सिलेंडर हैं. हमें जल्दी ही और ज़्यादा सिलेंडरों की ज़रूरत पड़ेगी. दरअसल लॉजिस्टिक से जुड़ी दिक़्क़तों की वजह से हमारे पास जल्दी सिलेंडर नहीं आ पाए. हमारे पास ऑक्सीजन मैसुरू प्लांट से आती है."

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मैसुरू में दो ऑक्सीजन प्लांट हैं. यहीं से चामराजनगर के लिए भी सप्लाई होती है. चामराजनगर में ऑक्सीजन की सप्लाई बेल्लारी से भी होती है. संयोग से यह सप्लाई ज़िले में सोमवार सुबह ही पहुँची है.

राज्य के प्राथमिक शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार के पास चामराजनगर ज़िले का प्रभार है.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, "हमें पता है मैसुरू में ऑक्सीजन की काफ़ी मांग है लेकिन इसका मतलब तो यह नहीं होना चाहिए कि चामराजनगर को इसकी सप्लाई न की जाए."

सुरेश कुमार ने बीबीसी हिंदी से कहा, "जो हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर के साथ तुरंत चामराजनगर पहुँच रहा हूँ. मैंने डॉक्टरो से हर मरीज़ की ऑडिट रिपोर्ट मांगी है. मैंने उनसे मारे गए हरेक मरीज़ को हुई दूसरी बीमारियों के अलावा और ऑक्सीजन के कम प्रेशर का ब्योरा मांगा है. मैंने उनसे पूछा है कि 12 बजे से दो बजे और फिर इसके बाद कितने मरीज़ों की मौत हुई."

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