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Fact check: Expert says do not trust on social media claims of treatment of coronavirus from ayurveda home remedies
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फैक्ट चेक: क्या 'कपूर, लौंग और अजवाइन' सूंघने से वाकई बढ़ता है शरीर में ऑक्सीजन का स्तर!
राहुल संपाल, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 26 Apr 2021 04:43 PM IST
सार
इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज में साइकेट्री डिपार्टमेंट के असोसिएट प्रोफेसर डॉ ओमप्रकाश का कहना है कि अस्पताल में बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, श्मशान में जगह नहीं ऐसी खबरें लोगों को परेशान कर रही हैं...
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आयुर्वेद एवं कोरोना वायरस
- फोटो : Amar Ujala (File)
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विस्तार
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'नीम हकीम खतरा-ए-जान ' की कहावत अब पुरानी हो चुकी है। आज की कहावत होनी चाहिए 'सोशल मीडिया खतरा-ए-जान।' कोरोना महामारी के इस दौर में सोशल मीडिया पर डॉक्टरी सलाह देने वाले वीडियो और मैसेज तेजी से वायरल होते दिखाई दे रहे हैं। इनमें कोरोना से ठीक होने या उससे बचाव करने के नुस्खे लोगों को सिखाएं जा रहे हैं। खास बात यह है कि इन सभी को घरेलू उपायों के नाम पर प्रचारित किया जा रहा है। कोई ऑक्सीजन की जगह घर पर ही नेबुलाइजर के उपयोग करने का तरीका बता रहा है तो कोई हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पोटेशियम परमैंगनेट की प्रतिक्रिया से ऑक्सीजन तैयार करना सिखा रहा है। इन नुस्खों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि कई बार इस तरह के प्रयोग हानिकारक साबित हो सकते हैं। घरेलू दवाइयों के नुस्खों के रिएक्शन से मरीज की जान तक जा सकती है।
बढ़ते कोरोना संक्रमण में इन दिनों सोशल मीडिया पर कोरोना से बचाव करने और ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के तरीकों की बाढ़ सी लगी हुई है। अजवाइन, तुलसी पत्ता, काली मिर्च, अदरक का काढ़ा और लहसुन के इस्तेमाल से कोरोना ठीक होने के बेबुनियाद दावे किए जा रहे हैं। जबकि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने के लिए मुलेठी, अदरक का रस और नींबू के रस को उबालकर पीने की सलाह भी दी जा रही है।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए कपूर, लौंग और अजवाइन का मिश्रण बनाकर इसमें कुछ बूंदे नीलगिरी के तेल को मिलाकर एक सूती कपड़े की छोटी पोटली बनाने और दिनभर काम के दौरान बीच-बीच में सूंघते रहने के उपाय भी सुझाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर दावा किया जाता है कि ये मिश्रण ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने में मदद करता है।
इस तरह के दावों और नुस्खों पर जब अमर उजाला ने सफदरजंग अस्पताल के प्रोफेसर, निदेशक कम्यूनिटी मेडिसिन डॉ. जुगल किशोर से चर्चा की, तो उन्होंने कहा कि किसी भी बीमारी में पहले डॉक्टर के पास न जाने का और घर में ही नुस्खों से इलाज करने का प्रचलन सा बन गया है। वैज्ञानिक तौर पर देखें तो कोई भी सबूत और मजबूत तथ्य हमें नहीं मिलता है। कभी-कभी इन तरह के उपायों से मरीज को भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
डॉ. जुगल किशोर आगे बताते हैं कि घरों में ताजी हवा आने-जाने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए। अगर हम घर को बंद करके कोई भी ऐसी वस्तुएं जलाएं या रखें और कहें कि इससे ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ेगा तो यह साइंटिफिक तौर पर पूरी तरह से गलत है। जहां तक नेबुलाइजर के प्रयोग का सवाल है, तो इसका प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। अगर कोई मरीज मनमर्जी से इसमें कुछ डालकर प्रयोग करता है उसकी जान पर भी बन सकती है। जहां तक घरेलू मसालों के प्रयोग का सवाल है, तो घरेलू मसालों को सूंघने पर एरोमैटिक इफेक्ट ज़रूर होता है, लेकिन इन्हें बतौर दवाई बिल्कुल भी सुझाया नहीं जा सकता।
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एक साथ दो लड़ाई से लड़ रहे हैं लोग
इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज में साइकेट्री डिपार्टमेंट के असोसिएट प्रोफेसर डॉ ओमप्रकाश अमर उजाला को बताते हैं कि इन दिनों लोग मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। उनके सामने अब दो लड़ाई हैं। पहला अपने बचाव और दूसरा महामारी का दर्द भी उनके साथ है। अस्पताल में बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, श्मशान में जगह नहीं ऐसी खबरें उन्हें परेशान कर रही हैं। ऐसे में लोगों का बचने के तरीकों की ओर झुकाव होता है। फिर चाहे वह शरीर को नुकसान ही क्यों ना पहुंचा दे। जल्दबाजी में जानकरी पूरी जुटाते नहीं हैं और फिर इलाज के भ्रामक तरीकों पर यकीन कर बैठते हैं।
डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं, इस तनाव के दौर में हर व्यक्ति को इमरजेंसी के लिए तैयार होना चाहिए। जैसे ही बीमारी के लक्षण आए तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाए। पॉजिटिव हैं तो पूरा प्रोटोकाल का पालन करें। सोशल मीडिया से टिप्स अपनाकर या कई तरह की दवाइयां खाकर खुद ही इलाज न करें। सोशल मीडिया से कुछ दूरी जरूर बनाएं रखें। टीवी, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में ऑक्सीजन, बेड और प्लाज्मा की कमी देखकर चिंतित न हों।
गलत जानकारी है तो सोशल मीडिया पर रिपोर्ट करें
साइबर एक्सपर्ट आकाश कमल मिश्रा ने अमर उजाला से कहा, इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोरोना से बचाव या कोरोना के इलाज संबंधित कई पोस्ट या वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं। यूजर्स इस आगे फारवर्ड, शेयर करने और इस पर भरोसा करने से बचें। डॉक्टर और विशेषज्ञों से वैरीफाई करने के बाद इस पर भरोसा करें। अगर किसी पोस्ट का कंटेंट जांचना है तो फैक्ट चैक वेबसाइट्स का सहारा लें। अगर कोई गलत सूचना या जानकारी शेयर करता है तो उसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रिपोर्ट करें।
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