कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या और कुछ राज्यों में चल रहे चुनावों का एक-दूसरे से कुछ लेना देना नहीं है। ऐसा मानना है गृहमंत्री अमित शाह का। चुनाव प्रचार की भागम-भाग के बीच इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि इन दो बातों को जोड़ना ठीक बात नहीं। शाह ने अपनी बात के लिए तर्क दिया कि कोरोना का उभार तो वहां ज्यादा है जहां चुनाव नहीं हो रहे। उन्होंने कहा कि कोरोना के साथ पूर्ण युद्ध चल रहा है। हम निश्चिंत हैं कि हम जीतेंगे।

एक तरफ चुनावी रैलियों में उमड़ती जनता की भीड़ और दूसरी ओर उमड़ती कोरोना रोगियों की भीड़? इस सवाल पर गृहमंत्री बोले, “देखिए, महाराष्ट्र में चुनाव है क्या? उधर 60,000 केस हैं और इधर 4,000। महाराष्ट्र के लिए भी मेरे मन में पीड़ा है। और इस (बंगाल) के लिए भी। इसको चुनाव के साथ जोड़ना ठीक बात नहीं। किन-किन राज्यों में चुनाव हुआ? जहां चुनाव नहीं हुआ है, उधर (कोरोना के मरीज) ज्यादा बढ़े। अब बताइए आप क्या कहेंगे इस पर?”

पिछली बार, कोरोना की पहली लहर के दौरान केंद्र सरकार के अंदर एक तात्कालिकता यानी अरजेंसीऔर इमरजेंसी का भाव था। इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। संवाददाता द्वारा यह बात कहने पर शाह बोले, “यह सच नहीं। मुख्यमंत्रियों के साथ दो मीटिंग हुई थीं। उनमें मैं भी मौजूद था।….वैक्सीनेशन को लेकर वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श हुआ है। कोरोना से निपटने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।” गृहमंत्री ने बहरहाल, इतना माना कि इस बार कोरोना के संक्रमण की रफ्तार इतनी ज्यादा है कि उससे लड़ने में कठिनाई हो रही है। लेकिन जीतेंगे हम ही।

राज्यों में वैक्सीन की किल्लत और वैक्सीन को विदेशों को देने की शिकायतों पर शाह ने कहा, “हमारा वैक्सीनेशन प्रोग्राम दुनियां में सबसे तेज़ था। पहले दस दिन में भारत में जितने वैक्सीनेशन हुए वे सर्वाधिक थे।” उन्होंने समझाया कि पहले टीके और दूसरे टीके के बीच कुछ अंतर होना चाहिए। ऐसा नहीं कर सकते कि दूसरा टीका भी फटाफट लगा दें।“मैं किल्लत की बात नहीं मानता।”

कहीं ऐसा तो नहीं कि कोरोना पीड़ितों की घटती संख्या के कारण सरकार ढीली हो गई हो? शाह ने इस बात के जवाब में वाइरस के म्यूटेट होने का तर्क दिया। बोले, मुझे लगता है कि कोरोना लहर के पीछे नए म्यूटेंट वाइरस हैं। कई देशों में कोरोना उभार पर है। वैज्ञानिक सब बातों का अध्ययन कर रहे हैं। ऐसे में कोई निर्णय देना जल्दबाज़ी मानी जाएगी।