ईरान की धमकी, नतांज़ परमाणु संयंत्र पर 'इसराइल' के हमले का बदला लिया जाएगा
ईरान के विदेश मंत्री जव्वाद ज़रीफ़ ने कहा है कि उनका देश नतांज़ भूमिगत परमाणु संयंत्र पर हुए हमले का बदला लेगा. ईरान के मुताबिक़ इस हमले के पीछे इसराइल का हाथ था. रविवार को ईरानी अधिकारियों ने बताया था कि नतांज़ यूरेनियम संवर्द्धन संयंत्र 'परमाणु आंतकवाद' के निशाने पर आ गया.
हालांकि शुरुआती ख़बरों में कहा गया था कि वहां बिजली की आपूर्ति ठप हुई थी. हाल ही में वहां यूरेनियम संवर्द्धित करने वाले नए आधुनिक सेंट्रीफ़्यूज़ लगाए गए थे.
इसराइल ने आधिकारिक तौर पर तो किसी पर इस हमले का आरोप नहीं मढ़ा है. हालांकि वहां के सरकारी रेडियो ने ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से दावा किया कि इस घटना के पीछे इसराइली ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का हाथ था. उसने यह भी बताया कि ईरान ने जितना बताया है उससे कहीं ज़्यादा गंभीर नुक़सान हुआ है.
वहीं अमेरिकी ख़ुफ़िया अधिकारियों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया है कि नाभिकीय संयंत्र पर एक बड़ा धमाका हुआ. इससे भूमिगत संयंत्र के भीतर स्थापित सेंट्रीफ़्यूज़ों को बिजली पहुँचाने वाला पावर सिस्टम पूरी तरह बर्बाद हो गया. उनका अनुमान है कि इस धमाके के बाद वहां फिर से यूरेनियम का संवर्द्धन शुरू होने में कम से कम नौ महीने लग जाएंगे.
हाल ही में इसराइल ने ईरान को चेताया था कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को दोबारा न शुरू करे. दूसरी ओर अमेरिका में जो बाइडन के सत्ता में आने के बाद उन्होंने ईरान के साथ 2015 में हुए क़रार को फिर से लागू करने की कोशिश शुरू कर दी है. इसके लिए पिछले हफ़्ते वियना में बातचीत भी हुई.
हालांकि ईरान की माँग है कि वह उच्च गुणवत्ता वाले यूरेनियम का संवर्द्धन तभी बंद करेगा जब उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध ख़त्म कर दिए जाएंगे. उधर अमेरिका पहले परमाणु कार्यक्रमों को रोकने की माँग करता है. वैसे समझौते में अमेरिका के अलावा चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी सहित कुल छह देश शामिल हैं. यूरोपीय संघ इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है.
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
सोमवार को ईरान की सरकारी मीडिया ने विदेश मंत्री जव्वाद ज़रीफ़ के हवाले से कहा, "हमने पाबंदियों को ख़त्म करने की राह में प्रगति की है, इसलिए यहूदी समर्थक हमसे बदला लेना चाहते हैं. उन्होंने खुलेआम कहा है कि वे ऐसा नहीं होने देंगे."
इसके आगे विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान उनसे इसका बदला ज़रूर लेगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद ख़ातिब्ज़ादेह ने तेहरान में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि इस हमले के पीछे साफ़ तौर पर इसराइल का हाथ था. उन्होंने कहा कि सौभाग्य से इस घटना में किसी की जान या वातावरण को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा. लेकिन बड़ी तबाही हो सकती थी. यह घटना मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है.
प्रवक्ता ने कहा है कि यह हमला यहूदी शासन के स्वभाव के अनुसार ही था. उन्होंने बताया कि इस घटना में सबसे कम क्षमता वाले 'आईआर1' सेंट्रीफ़्यूज़ ही बर्बाद हुए जिसे आधुनिक सेंट्रीफ़्यूज़ों से बदल दिया जाएगा.
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अमेरिका और अन्य देशों से हुए समझौते में ईरान को केवल इसी सेंट्रीफ़्यूज़ के इस्तेमाल की अनुमति है. इस सेंट्रीफ़्यूज़ से केवल 3.7 फ़ीसद तक ही यूरेनियम का संवर्द्धन हो पाता है. इसका उपयोग बिजली बनाने में होता है.
हालांकि परमाणु बम बनाने के लिए जिस यूरेनियम की ज़रूरत होती है, वह 90 फ़ीसद या उससे ज़्यादा संवर्द्धित होता है. संवर्द्धित यूरेनियम सेंट्रीफ़्यूज़ों से यूरेनियम हेक्साफ़्लुओराइड गैस के गुज़ारने से बनता है. ऐसा करने पर नाभिकीय विखंडन के लायक़ सबसे ज़रूरी यूरेनियम के आइसोटोप U-235 प्राप्त होते हैं.
इससे पहले ईरान ने बताया था कि नतांज़ परमाणु केंद्र को 'आतंकी गतिविधि' से नुक़सान पहुँचा है. ये जानकारी ईरान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी थी. इससे ठीक एक दिन पहले ईरान ने यूरेनियम का और अधिक तेज़ी से संवर्धन करने वाले सेंट्रीफ्यूज़ को चालू कर दिया था.
अधिकारी ने यह नहीं बताया कि परमाणु केंद्र को नुक़सान पहुँचाने के लिए कौन ज़िम्मेदार है लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से 'परमाणु आतंकवाद' से निबटने की अपील की. ईरान के नतांज़ शहर में स्थित यह परमाणु केंद्र भूमिगत है.
इसराइल की मीडिया परमाणु केंद्र को पहुँचे नुक़सान को इसराइली साइबर अटैक का नतीजा बता रही है.
पिछले साल इसी परमाणु केंद्र में लगी थी आग
पिछले साल ईरान के इसी भूमिगत परमाणु केंद्र में आग लग गई थी. ईरानी अधिकारियों ने इसे साइबर हमले का नतीजा बताया था. ईरानी परमाणु केंद्र को ऐसे वक़्त में निशाना बनाया गया है जब अमेरिका के मौजूदा बाइडन प्रशासन की ओर से 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं.
शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने नतांज़ केंद्र पर यूरेनियम का और अधिक तेज़ी से संवर्धन करने वाले सेंट्रीफ्यूज़ का उद्घाटन किया था. यह सेंट्रीफ़्यूज़ ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम के लिए बेहद अहम है और इसके उद्घाटन का प्रसारण लाइव टीवी पर किया गया था.
इस पहल से ईरान ने 2015 के समझौते की एक शर्त को तोड़े जाने का संकेत दिया. इस परमाणु समझौते के मुताबिक़ ईरान संवर्धित यूरेनियम की एक सीमित मात्रा का ही उत्पादन कर सकता है और सीमित मात्रा में ही इसे स्टोर कर सकता है. इसके अलावा, समझौते के अनुसार संवर्धित यूरेनियम का इस्तेमाल कमर्शियल परमाणु संयंत्रों के लिए ही होना चाहिए.
ईरान का क्या कहना है?
रविवार को एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ ईरान (AEOI) के प्रवक्ता बेहरूज़ कमालवंदी ने पहले ये कहा था कि परमाणु केंद्र के पावर नेटवर्क में एक 'घटना' हुई है. बेहरूज़ ने इस बारे में और कोई जानकारी नहीं दी लेकिन वहाँ मौजूद ईरानी समाचार एजेंसी को उन्होंने बताया था कि इससे कोई 'लीक या बड़ा नुक़सान' नहीं हुआ है.
बाद में ईरान के सरकारी टीवी चैनल पर एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ ईरान के प्रमुख अली अकबर सलेही का बयान जारी किया गया. बयान में उन्होंने इस घटना को 'हमला' और 'परमाणु आतंकवाद' बताया.
सलेही ने कहा, "ईरान इस शर्मनाक घटना की निंदा करता है. हम ज़ोर देकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से इस परमाणु आतंकवाद से निबटने की अपील करते हैं."
उन्होंने कहा कि ईरान के पास हमलावरों के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई का अधिकार है.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि उसे इस घटना की ख़बरों से अवगत है लेकिन फ़िलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेगा.
इसके पीछे इसराइल का हाथ हो सकता है?
इसराइल के पब्लिक ब्रॉडकास्टर कैन का मानना है कि ईरानी परमाणु केंद्र पर हुआ हमला इसराइली साइबर ऑपरेशन का नतीजा हो सकता है.
कैन टीवी का अनुमान है कि साल 2010 में अमेरिका और इसराइल के बनाए स्टक्सनेट कम्यूटर वायरस से ईरान के नतांज परमाणु केद्र में सेंट्रीफ़्यूज़ को नष्ट करने की कोशिश की गई है.
इसराइली अख़बार हआरेत कने भी हमले में इसराइली साइबर अटैक का अंदेशा जताया है.
इसराइली रक्षा विश्लेषक बेन-यिशाई ने वाई नेट समाचार वेबसाइट से कहा कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की क्षमता विकसित कर रहा है और इस हमले के पीछे इसराइल का हाथ होने के बारे में सोचना तर्कपूर्ण ही है.
उन्होंने कहा, "यह सोचना जायज़ है कि परमाणु केंद्र को पहुँचे नुक़सान के पीछे कोई हादसा नहीं बल्कि सोचा-समझा हमला है ताकि अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिशें धीमी पड़ जाएं."
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जॉइंट कंप्रेहेंसिंव प्लान ऑफ़ एक्शन ने नाम से जाना जाने वाले ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था. तब से यह समझौता ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.
अब बाइडन प्रशासन इस समझौते को बहाल करने के लिए कूटनीतिक कोशिशों शुरू कर चुका है.
वहीं, इसराइल के राष्ट्रपति बिन्यामिन नेतन्याहू ने पिछले हफ़्ते ही समझौता बहाल होने के ख़िलाफ़ चेतावनी दी थी और कहा था कि इसराइल ईरान के साथ समझौते में वापस जाने के लिए बाध्य नहीं है.
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