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महिला शक्ति को सलाम:10 माह की सिमरन को हादसे ने बनाया था दिव्यांग, लेकिन नहीं छोड़ी हिम्मत, पैरा नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में रचा इतिहास

फरीदाबाद3 वर्ष पहले
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पैरालंपिक नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 7वीं कक्षा की छात्रा सिमरन ने कांस्य पदक पर निशाना लगाया। - Dainik Bhaskar
पैरालंपिक नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 7वीं कक्षा की छात्रा सिमरन ने कांस्य पदक पर निशाना लगाया।
  • मानव रचना शूटिंग एकेडमी में संपन्न हुई पैरालंपिक नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप में जीता पदक

महज 10 माह की उम्र में सिमरन पर कुदरत का ऐसा कहर बनकर उस पर टूटा कि उसे जीवनभर के लिए दिव्यांग बना दिया। समय के साथ संघर्ष करतेे हुए सिमरन जीवन जीने का प्रयास करती रही, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपने सपने के हौंसलों को उड़ान दी और 12 साल की उम्र में पैरालंपिक नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुई। हाल ही में मानव रचना शूटिंग एकेडमी में संपन्न हुई पैरालंपिक नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 7वीं कक्षा की छात्रा सिमरन ने कांस्य पदक पर निशाना लगाया। उसने ये पदक 10 मीटर राइफल स्टैंडिंग महिला सीनियर वर्ग में जीता है।

गुजरात में हुए रोड हादसे ने बनाया था दिव्यांग

सूरजकुंड रोड स्थित चामुवुड विलेज सोसाइटी में रहने वाली सिमरन के पिता बृजेश शर्मा ने बताया कि जब सिमरन 10 माह की थी, तब वे और उनकी पत्नी प्रियंका उसे लेकर माउंट आबू से अहमदाबाद जा रहे थे। पालनपुर के पास ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी थी, जिसमें तीनों घायल हो गए थे। लंबे उपचार के बाद पति पत्नी तो ठीक हो गई थी, लेकिन सिमरन को मेजर स्पाइनल इंजरी हुई और ऑपरेशन के बाद उसकी गर्दन से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद लगातार फिजियोथैरेपी व अन्य मेडिकल गतिविधियों से अब सिमरन का कमर तक का हिस्सा काम करने लगा है, लेकिन टांगें अभी भी काम नहीं कर पाती।

होश संभालने के बाद सिमरन ने शूटिंग को चुना

बृजेश शर्मा ने बताया कि सिमरन जब 5 साल की थी, तभी से वह फिल्मों में अभिनेता व अभिनेत्रियांें को गोली चलाते देख रही है। इससे उसे भी शूटिंग करने का शौक हो गया और उसने शूटिंग की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। सिमरन अब पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लेती है। उसका छह साल का छोटा भाई श्लोक शर्मा है। मूलरूप से राजस्थान के जयपुर के रहने वाले बृजेश शर्मा अब हरियाणा के निवासी हो गए हैं। वह एक कार कंपनी में काम करते हैं, जबकि पत्नी प्रिंयका शर्मा कंप्यूटर इंजीनियर हैं।

मां ही निभाती हैं कोच का दायित्व

बृजेश शर्मा ने बताया कि सिमरन की मां प्रियंका ही उसकी कोच होने का दायित्व भी निभाती हैं। पैरालंपिक शूटिंग कमेटी के चेयरमैन नोटियाल और नेशनल पैरालंपिक शूटिंग कोच सुभाष राणा, दीपक सैनी की देखरेख में सिमरन लगातार प्रशिक्षण ले रही है। हाल ही में मानव रचना शूटिंग एकेडमी में संपन्न हुई पैरालंपिक नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में सिमरन ने कांस्य पदक पर निशाना लगाया। उसने ये पदक 10 मीटर राइफल स्टैंडिंग महिला सीनियर वर्ग में जीता है। आगे चलकर वह पैरालंपिक खेलों मंे दुिनया में भारत का नाम रोशन करना चाहती है। खास बात ये है कि सिमरन केवल शूटिंग में ही नहीं, बल्कि तैराकी में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी है।

प्रमुख उपलब्धियां

- 23 से 27 फरवरी को CRPF कादरपुर गुरुग्राम रेंज में आयोजित ऑल जोनल पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर राइफल स्टैंडिंग महिलाओं की प्रतियोगिता में एक गोल्ड मेडल जीता। - 10 मीटर राइफल प्रोन मिक्स में 1 सिल्वर और 50 मीटर राइफल प्रोन मिक्स इवेंट में भी एक सिल्वर मेडल जीता। - पिछले साल करनाल में आयोजित राज्यस्तरीय तैराकी चैंपियनशिप भी जीती थी। जिसमें उसे 50 मीटर फ्री स्टाइल में गोल्ड और 50 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में कांस्य पदक मिला।

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