किसानों के मुद्दे को लेकर टीवी चैनलों पर बहस के दौरा कई बार राजनीतिक दलों के प्रवक्ता आपस में ही लड़ने लगते हैं। इससे बहस का मुख्य मुद्दा पीछे छूट जा रहा है और इतर विषयों पर टकराव होने लग जा रहा है। इसकी वजह से कई बार कौन क्या कह रहा है, यह भी पता नहीं चलता है। प्रवक्ता अपने-अपने दल की नीतियों और मुद्दों को सही ठहराने के साथ ही इधर-उधर की बातें भी चैनलों के डिबेट में खूब बोल रहे हैं। इससे राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं की बातें बहस के बजाए उनके आपसी टकराव जैसी लगने लगती है।

टीवी चैनल आज तक पर बुधवार को टीवी डिबेट में एंकर रोहित सरदाना ने पूछा कि किसानों की समस्या क्यों नहीं दूर हो रही है। उनका आंदोलन कब खत्म होगा। लंबे समय से दिल्ली की सीमाएं जाम हैं और सड़क पर किसानों का डेरा लगा हुआ। उनके इस सवाल पर जब कांग्रेस के प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने बोलना शुरू किया तो भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया भी अपनी बात रखने लगे। उन्होंने कहा, “अरे छोड़ो भैया, केला खाओ केला, ओ लैला केला खाओ।” हालांकि एंकर रोहित सरदाना ने दोनों लोगों को एक-एक करके बोलने के लिए पहले ही कह दिया था, लेकिन बहस के दौरान वे आपस में एक-दूसरे को काटते हुए बोलते रहे

इस पर कांग्रेस प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने बोले, “अरे भाई तू रहेगा अकेला, ओ लैला। चुप होजा भाई, चुप हो जा।” दोनों लोग एक-दूसरे पर न बोलने देने के आरोप लगा रहे थे। रोहन गुप्ता ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि किसान लड़ता रहेगा, हम चाहते हैं कि शांतिपूर्ण ढंग से यह मामला हल हो जाए। शांतिपूर्ण ढंग से इस बात को मान ले, सरकार उनकी बात मान ले, नहीं तो इस सरकार का अहंकार टूटने वाला। मैं वादा करता हूं कि चाहे जितना सरकार आवाज दबा ले, अहंकार टूट जाएगा।

उनकी बात को बीच में काटते हुए एंकर रोहित सरदाना ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर भी इसी तरह शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन के वादे किए गए थे, लेकिन लाल किले पर शांति भंग हो गई थी।

इस बीच जेडीयू के नेता अजय आलोक ने लक्खा सिधाना और मुख्तार अब्बास नकवी के मुद्दे को उठा दिया और पूछा कि पंजाब सरकार इन्हें दामाद की तरह क्यों रखे हुई है? पंजाब सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती है?