इंसान के शरीर का तापमान घट रहा है। लगभग 170 साल पहले 1851 में हमारे शरीर का औसत मानक तापमान 98.6 फारेनहाइट रहा करता था, जो अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। अभी मानक तापमान 98.6 फारेनहाइट (37 डिसें.) से घटकर 97.5 फारेनहाइट (36.3 डिसें.) हो गया है। इस बात से वैज्ञानिक भी हैरान हैं।

मानव शरीर का तापमान घटने के बारे में यह दावा स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोध में किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ती मेडिकल सुविधाएं, गर्मी के कारण लगातार बढ़ा हुआ तापमान और वातानुकूलन इसकी वजह हो सकती है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी इस बात के आंकड़ें जुटा रहे हैं कि शरीर के मानक तापमान के घटने से सेहत पर क्या असर पड़ रहा है। फिलहाल, इस बारे में किसी तरह का ब्योरा उपलब्ध नहीं है।

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में मेडिसिन की प्रोफेसर डॉ. जूली पर्सोनेट के मुताबिक, शोध के लिए तीन तरह के डेटाबेस का अध्ययन किया गया। पहला डेटाबेस 1863 से 1930 के बीच हुए गृह युद्ध के 23,710 पूर्व सैनिकों (वॉर वेटरंस) का था। दूसरे में 1971 से 1975 के बीच अमेरिका में किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे के 15,301 रेकॉर्ड्स शामिल थे। तीसरे डेटाबेस में 2007 से 2017 के बीच स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के 1,50,280 लोगों के डेटाबेस का अध्ययन किया गया। हर दशक औसतन 0.03 डिग्री सेल्सियस तापमान घटा है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि हर दशक में शरीर का औसत तापमान 0.03 डिग्री सेल्सियस घटा। हालांकि शरीर का औसत तापमान क्यों घट रहा है इसका सटीक कारण शोधकर्ताओं को अब तक नहीं मिला है। शोधकर्ता जूली पर्सोनेट के मुताबिक, अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि हमारे आसपास की चीजें बदल रही हैं। मानव शरीर के लिहाज से हमने अपनी और लंबाई और वजन में बदलाव होते हुए देखा है। तापमान घटने से हमारा शरीर ठंडा हो रहा है। इसका सेहत पर कितना असर पड़ेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है।

दूसरी ओर, वैज्ञानिकों ने अनिद्रा से निजात बारे के उपायों के बारे में भी हाल में कुछ शोध किए हैं। एरिजोना विश्वविद्यालय ने शोध में पाया है कि सांस लेने और छोड़ने के कुछ खास तरीकों से शरीर को आराम दिया जा सकता है। एरिजोना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. एंड्रयू वेल ने जो 4-7-8 तकनीक तैयार की है, वह प्राणायाम पर आधारित है। घर पर आसानी से इसका प्रयोग किया जा सकता है।

लंबे समय तक इस तकनीक को अपनाते हैं तो जल्दी नींद आने लगती है। डॉ. एंड्रयू वेल के मुताबिक, 4-7-8 तकनीक का प्रयोग करने के लिए किसी अच्छे स्थान पर आरामदायक स्थिति में बैठ अथवा लेट जाएं। पॉश्चर सही हो। अगर नींद के लिए इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं तो लेटना ज्यादा बेहतर है। अब जीभ के अगले हिस्से को दांतों के ठीक पीछे तालू से लगा लें। पूरी प्रैक्टिस के दौरान इसे ऐसे ही लगाकर रखें।

इससे शरीर में आॅक्सीजन की कमी पूरी हो जाती है। सांस लेने की ज्यादातर तकनीक शरीर को आरामदायक स्थिति में ले जाती हैं। खासकर वो तकनीक, जिनमें सांसों को एक तय समय के लिए रोका जाता है। ये शरीर के अलग-अलग अंगों में आॅक्सीजन की कमी को पूरा करती है। 4-7-8 की यह तकनीक आपके मस्तिष्क और शरीर को सांसों के जरिए कंट्रोल करने की कोशिश करती है। नियमित प्रयोग करने के बाद यह तरीका आपकी आदत बन जाता है।

डॉ. वेल कहते हैं, सांस लेने की 4-7-8 तकनीक की तुलना योग की चार क्रियाओं से की जा सकती है। पहला है, अनुलोम विलोम, जिसमें एक बार में नाक के एक ही छिद्र से सांस ली जाती है, जबकि दूसरा बंद रहता है। दूसरा है, ध्यान, जिसमें सांसों पर ध्यान लगाने में जोर दिया जाता है। इंसान वतर्मान क्षण में रहता है। तीसरी कल्पना और चौथा मार्गदर्शी कल्पना है।