बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई का सेंसेक्स सोमवार को 51 हजार अंक पार कर गया। इससे पहले सेंसेक्स ने पिछले हफ्ते और अमेरिका में जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद 50 हजार को छुआ था। हालांकि, उसके बाद सेंसेक्स गिरता रहा, लेकिन एक फरवरी को बजट आने के बाद सेंसेक्स लगातार बढ़ता रहा।

बजट के दो दिन बाद यानी तीन फरवरी को सेंसेक्स पहली बार 50 हजार के ऊपर बंद हुआ। उसके बाद चार और पांच फरवरी को 50 हजार के ऊपर ही इसकी क्लोजिंग हुई। सेंसेक्स ने 40 हजार का आंकड़ा 23 मई 2019 को छुआ था। उस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे।

सेंसेक्स शब्द की शुरुआत स्टॉक मार्केट विश्लेषक दीपक मोहोनी ने साल 1989 में की थी। ये दो शब्दों से मिलकर बना है, सेंसिटिव और इंडेक्स यानी सेंसरी इंडेक्स (संवेदी सूचकांक)। भारत में सेंसेक्स भारतीय स्टॉक मार्केट का बेंच मार्क इंडेक्स है। ये बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टेड शेयर के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव को बताता है। इसकी शुरुआत एक जनवरी 1986 को हुई थी।

सेंसेक्स स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर की कीमत पर नजर रखता है। फिर दिनभर के काम के बाद एक शेयर की औसत मूल्य देता है। इससे हमें स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के भावों की सही जानकारी मिलती है। भारत के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में 5,155 कंपनियां लिस्टेड हैं। इन सभी कंपनियों के शेयर की कीमत पर शेयर मार्केट नजर रखता है।

इनमें से 30 बड़ी कंपनियों के शेयर से सेंसेक्स बनता है। 30 कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों से हैं और अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी मानी जाती हैं। इन कंपनियों का चयन स्टॉक एक्सचेंज की इंडेक्स कमेटी की तरफ से किया जाता है। इस कमेटी में कई तरह के लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें सरकार, बैंक सेक्टर और जाने-माने अर्थशास्त्री भी हो सकते हैं।

सेंसेक्स में होने वाला उतार-चढ़ाव 30 कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। अगर इन कंपनियों के शेयर की कीमत बढ़ रही है तो सेंसेक्स भी बढ़ जाता है और ऊपर चला जाता है। अगर इन कंपनियों के शेयर का मूल्य गिरता है तो सेंसेक्स भी गिर जाता है। शेयर का उतार-चढ़ाव कंपनी की कार्यक्षमता को दिखाता है। अगर कंपनी ने कोई नई परियोजना शुरू की है तो कंपनी के शेयर बढ़ने के आसार होते हैं। अगर कंपनी मुश्किल दौर में है, तो निवेशक कंपनी को छोड़ने लगते हैं। इससे सेंसेक्स नीचे आने लगता है।

जब 1986 में इसकी शुरुआत हुई, तब इसका बेस 100 रखा गया था। चार साल बाद ये चार अंकों पर पहुंचा। पांच अंकों तक पहुंचने में इसे 20 साल लगे। जब सेंसेक्स पहली बार बना तब इसमें सबसे पहले सेवा उद्योग, यानी बैंकिंग, टेलीकॉम और आइटी सेक्टर्स की कंपनियों को शामिल किया गया। फरवरी 2006 में सेंसेक्स 10 हजार के आंकड़े को पार कर गया।

दिसंबर 2007 में सेंसेक्स ने 20 हजार का आंकड़ा छू लिया। 2008 की आर्थिक मंदी में यह टूटकर दस हजार के करीब पहुंच गया। 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद यह तेजी से बढ़ने लगा और नवंबर 2010 में ये 21 हजार के आंकड़े तक पहुंच गया। दिसंबर 2019 को बाजार 45 हजार के आंकड़े को छू चुका था। इसके बाद कोरोना ने दस्तक दी और बाजार का गिरना शुरू हुआ। 23 मार्च 2020 यानी जनता कर्फ्यू के अगले दिन बाजार 25,981 के निचले स्तर तक पहुंच गया। करीब 20 हजार अंकों की गिरावट आई, लेकिन पूर्णबंदी के दौरान बाजार ने धीरे-धीरे बढ़ना शुरू किया।