गाज़ीपुर बॉर्डर पर बिजली काटी गई, टिकैत ने कहा, 'डरा रही है सरकार'
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उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर
बॉर्डर पर कुछ देर पहले बिजली काटे जाने से जुड़ी जानकारी सामने आ रही है.
पत्रकार
समीरात्मज मिश्र ने जानकारी दी है कि गाज़ीपुर बॉर्डर पर स्थिति काफ़ी संवेदनशील
बताई जा रही है. बडी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं. और पुलिस की ओर से कार्रवाई किए जाने की आशंका भी जताई जा रही है.
समीरात्मज मिश्र के मुताबिक शाम छह सात बजे के बीच ही गाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस बल की संख्या बढ़ने लगी थी जिसके बाद देर रात गाज़ीपुर बॉर्डर पर ग़ाज़ियाबाद के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे. हालांकि ये सभी वरिष्ठ अधिकारी कुछ घंटों में लौट गए लेकिन बड़ी संख्या में पुलिस बल अभी भी बॉर्डर पर मौजूद है.
समीरात्मज मिश्र के मुताबिक पुलिस बल की तैनाती के बाद युवा किसानों का समूह भी रात में पहरेदारी कर रहा है और ट्रैक्टर एवं गाड़ियों की मदद से कैंप की जगहों को घेर दिया गया है.
इस दौरान राकेश टिकैत ने इस दौरान एक बयान भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बिजली काट दी गई है और पुलिस प्रशासन दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार को डराना बंद करना चाहिए.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के बागपत में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज करने की ख़बरें आई हैं.
बागपत पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस संबंध में जानकारी दी है.
बागपत पुलिस ने लिखा है कि NHAI के अनुरोध पर राष्ट्रीय राजमार्ग से अवैध अतिक्रमण शांतिपूर्ण ढंग से हटाया गया.
इसके साथ ही एडीएम की ओर से दी गई बाइट में बताया गया है कि किसी तरह का लाठीचार्ज नहीं किया गया है.
इससे पहले बीबीसी हिंदी से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन ने किसानों को कंफ्यूज़ करने वाला रूट दिया गया था. पुलिस ने जो रूट दिए उन्हीं रास्तों पर बैरिकैडिंग की गई थी, इससे किसानों में कंफ्यूज़न हुआ.
राकेश टिकैत के दावा किया कि बैरिकेडिंग जिन रास्तों पर की गई, उन्हें पुलिस प्रशासन ने 26 जनवरी की रात तक नहीं खोला गया.
अक्षरधाम की रोड पर किसानों को पहुंचने पर उन्होंने कहा कुछ किसान षड्यंत्र के तौर पर शामिल हो गए थे और उन लोगों को पुलिस ने भी सपोर्ट किया है.
लाल किला हिंसा: दिल्ली पुलिस ने बताया, दीप सिद्धू का नाम एफआईआर में शामिल
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दिल्ली पुलिस ने बताया है
कि 26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा के मामले में पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू और
गैंगस्टर लक्का सदाना के नाम एफआईआर में शामिल किए गए हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई ने
बताया है कि दिल्ली पुलिस ने अभिनेता दीप सिद्धू के इस मामले में शामिल होने की
पुष्टि की है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने किसान आंदोलन की हिंसा को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा.
एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "राहुल गांधी लगातार केवल समर्थन नहीं कर रहे थे बल्कि उकसा
रहे थे. सीएए के वक़्त भी ये ही हुआ था. वैसे ही ये भी आंदोलन है. कांग्रेस की
सरकार है पंजाब में, जानबूझकर किसानों को उकसाया गया. उन लोगों के ट्वीट्स भी हैं. एक ट्वीट
में कांग्रेस ने लिखा कि अहिंसक मार्च को हिंसक दिखाने की कोशिश हो रही है. ये जो
लाल क़िले पर हुआ, क्या वो अहिंसक था? नांगलोई में हुआ,
अहिंसक था? जिस तरह पुलिस को पीटा
गया क्या वो अहिंसक था?"
जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने तो बातचीत का रास्ता अपनाया लेकिन कांग्रेस किसानों को उकसा रही है.
उन्होंने कहा, "सरकार ने तो 10 राउंड की चर्चा की, साल-डेढ़ साल क़ानून
रोकने की भी तैयारी दिखाई. दिखाओ कि किसानों का कौन-सा हक़ कम हुआ है. इन क़ानूनों
में बस किसानों को विकल्प दिया गया है. ये कांग्रेस को भी पता है लेकिन कांग्रेस
समझौता नहीं होने देना चाहती."
"हम कांग्रेस की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते
हैं. पहले सीएए के वक़्त ऐसा आंदोलन किया, एक बार फिर कर रहे हैं लेकिन सफल नहीं
होंगे. देश की जनता इस सरकार के साथ खड़ी है. बाकी प्रदेशों में आंदोलन नहीं है. कांग्रेस
के प्रयासों के बावजूद अनेक राज्यों में नहीं हुआ है."
ब्रेकिंग न्यूज़1 फ़रवरी को किसानों का संसद मार्च स्थगित: बलबीर सिंह राजेवाल
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सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस
करते हुए भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि 1
फ़रवरी को किसान प्रदर्शनकारियों के संसद मार्च को स्थगित कर दिया गया है.
उन्होंने कहा, “शहीद
दिवस (30 जनवरी) पर किसानों के विरोध प्रदर्शनों के समर्थन में पूरे देश में रैलियां निकाली
जाएंगी. हम एक दिन का उपवास भी रखेंगे.”
राजेवाल ने कहा कि ट्रैक्टर रैली
सरकार की साज़िश का शिकार हुई है और इसको तोड़ने की कोशिशों के बावजूद 99.9 फ़ीसदी
किसान शांत थे, कुछ घटनाएं ज़रूर हुईं.
ब्रेकिंग न्यूज़25 से अधिक एफ़आईआर दर्ज, किसान नेताओं ने विश्वासघात किया: दिल्ली पुलिस
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26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर
रैली के एक धड़े की हिंसा के बाद बुधवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन.
श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की.
उन्होंने कहा कि अभी तक 25 से अधिक
आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. 19 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 50 लोगों
को हिरासत में लिया गया है, पुलिस के साथ हुए समझौते को किसान नेताओं ने न मानकर विश्वासघात किया है. किसी
भी साज़िशकर्ता को छोड़ा नहीं जाएगा और क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने बताया, “कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं कुछ अभी भी आईसीयू में भर्ती हैं.
पुलिस के 428 बैरिकेड, 30 पुलिस की गाड़ियां, 6 कंटेनर्स और 8 टायर किलर्स को
नुक़सान पहुंचा है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया.
लाल क़िले पर फहराए गए धार्मिक झंडे की घटना को गंभीरता से लिया गया है. फ़ेस
रिकगनिशन सिस्टम से लोगों की पहचान हो रही है, जिन पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.”
“308 ट्विटर हैंडल जिनका संबंध पाकिस्तान से है, उनको बैन किया गया था. पुलिस
कार्रवाई में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है और इस स्थिति को पुलिस ने बख़ूबी
संभाला. जो किसान नेता इसमें शामिल थे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.”
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि 2 जनवरी
को दिल्ली पुलिस को पता चला था कि किसान एक ट्रैक्टर मार्च करने जा रहे हैं.
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“संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया था कि उनके
समर्थक 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में आकर भाग लें. जैसे ही हमें इसकी जानकारी
मिली, हम लोगों ने किसानों के नेताओं से संपर्क किया और उनके साथ विस्तार से
बातचीत की, पांच राउंड की बैठक हुई और कई बार फ़ोन पर बातचीत हुई.”
“हमने उनसे अपील की कि वो 26 जनवरी को यह रैली न करके
किसी और दिन ट्रैक्टर रैली करें. इस पर उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद हमने
केएमपी पेरिफ़ेरल हाइवे पर उनसे रैली निकालने की अपील लेकिन उन्होंने दिल्ली में
ही ट्रैक्टर मार्च निकालने की ठान ली. पांच राउंड की बैठक के बाद उनसे तीन रूट पर
सहमति बनी थी. दिल्ली की जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह तय हुआ था कि
कुछ नियम एवं शर्तें लागू होंगी.”
“पहली शर्त थी कि किसान ट्रैक्टर रैली दोपहर 12 बजे
शुरू होगी और शाम पांच बजे तक ख़त्म होगी. दूसरी शर्त थी कि ट्रैक्टर मार्च किसान
नेता लीड करेंगे और आगे की पंक्ति में होंगे और यह भी तय हुआ कि हर जत्थे के साथ
उनके नेता चलेंगे. 5,000 से अधिक ट्रैक्टर नहीं होंगे और कोई भी हथियार, भाला,
तलवार आदि नहीं होगा. रैली पूरी तरह शांतिपूर्ण होनी चाहिए.”
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पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इसके लिए लिखित अनुमति दी गई थी और किसान नेताओं से शपथपत्र लिया गया लेकिन 25 जनवरी की शाम को यह पता चला कि वे अपने वादे से मुकर रहे हैं.
“उन्होंने उग्रवादी धड़े को आगे कर दिया और भड़काऊ भाषण दिए जिसके बाद उनकी मंशा साफ़ हो गई लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस ने संयम से काम लिया. सुबह साढ़े 6 बजे से बैरिकेड तोड़ना शुरू हो गया. सिंघु बॉर्डर पर सुबह साढ़े सात बजे रैली शुरू हो गई और उस रैली को मुकरबा चौक से बाएं नहीं मुड़ना था लेकिन वो मुड़ गए. सतनाम सिंह पन्नू ने मुकरबा चौक पर भड़काऊ भाषण दिया जिसके बाद उनके समर्थक बैरिकेड तोड़ने लगे. दर्शनपाल सिंह आकर वहां बैठ गए और उन्होंने दाहिने मुड़ने से मना कर दिया. टिकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से भी प्रदर्शनकारी साढ़े आठ बजे चलना शुरू हो गए.”
“पुलिस के पास सभी विकल्प थे लेकिन उसने संयम का रास्ता चुना क्योंकि हम जान-माल की हानि नहीं चाहते थे. हमारे और उनके बीच में समझौता था कि हम शांतिपूर्ण रैली करवाएंगे और यह जो हिंसा हुई है वो नियम और शर्तों के उल्लंघन के कारण हुई है. इस हिंसा में सभी किसान नेता शामिल हैं.”
ब्रेकिंग न्यूज़कोरोना: नए दिशानिर्देशों में सिनेमा हॉल और स्विमिंग पूल्स के लिए छूट
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार
को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र दिशानिर्देश जारी किए हैं जो 1 फ़रवरी से लागू
होकर 28 फ़रवरी तक जारी रहेंगे.
गृह मंत्रालय ने सिनेमाघरों में 50
फ़ीसदी दर्शकों के बैठने की सीमा को हटा दिया है और अब सिनेमाघर अपनी बैठने की
क्षमता के अनुसार दर्शकों को आने दे सकते हैं. हालांकि, इसको लेकर स्टैंडर्ड
ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जारी करेगा.
इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने
स्विमिंग पूल्स खोलने की ज़िम्मेदारी युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय को सौंप दी
है. वही इसको लेकर एसओपी जारी करेगा.
65 साल से अधिक आयु के वे व्यक्ति जिन्हें
अन्य बीमारियां हैं, गर्भवती महिलाएं और 10 साल से कम आयु के बच्चों को
ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति होगी. हालांकि उन्हें ज़रूरी
क़दम उठाने होंगे.
समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस
के हवाले से यह ख़बर दी है कि 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर
दर्ज की हैं और उन्हें मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया
है.
दिल्ली पुलिस की एक एफ़आईआर में
मेधा पाटकर, बूटा सिंह और योगेंद्र यादव का भी नाम है.
दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर में (किसान
ट्रैक्टर रैली के संबंध में एनओसी के उल्लंघन के लिए) किसान नेता दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह
उगराहां के नाम हैं.
एफ़आईआर में भारतीय किसान यूनियन के
प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नाम है. इस एफ़आईआर में 307 (हत्या की कोशिश) और 353 (सरकारी
काम में बाधा डालने) जैसी कई गंभीर धाराएं शामिल हैं.
आईसीएमआर का दावा- भारत बायोटेक की कोवैक्सीन यूके वेरिएंट पर भी कामयाब
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च
(आईसीएमआर) ने कहा है कि दवा कंपनी ‘भारत बायोटेक’ के साथ मिलकर उन्होंने जो कोविड वैक्सीन (कोवैक्सीन) विकसित की है, वो भारत में
पाये गए कोरोना के यूके और अन्य वेरिएंट्स पर भी कामयाब है.
संस्थान ने दावा किया है कि
उन्होंने दुनिया में सबसे पहले यह करके दिखाया है.
विपक्ष का हमला, ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा को कहा- ‘सरकार की साज़िश’
कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को
ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज़िम्मेदार
ठहराते हुए, उनसे इस्तीफ़े की माँग की है.
बुधवार को कांग्रेस पार्टी के
प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि “किसान आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के लिए सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह ज़िम्मेदार
हैं. उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं.
उन्हें बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ये माँग है.”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में उपद्रव को रोकने में असफल रहे गृहमंत्री अमित
शाह के इशारे पर दिल्ली पुलिस उन उपद्रवियों पर मुक़दमा दर्ज़ करने की बजाय संयुक्त किसान
मोर्चा के नेताओं पर मुक़दमा दर्ज़ कर भाजपा सरकार की साज़िश को साबित करती है.”
बुधवार को किसानों के समर्थन में
विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने वाले अभय सिंह चौटाला ने भी कहा है कि
दिल्ली में हुई हिंसा केंद्र सरकार की साज़िश थी. विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के
लिए अभय सिंह चौटाला अपने ट्रैक्टर पर पहुँचे थे.
इस्तीफ़ा देने के बाद चौटाला ने
कहा, “जो किसान नेता आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे, उनके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार ने मुक़दमे दर्ज़ किये. कल
दिल्ली में जो हुआ वह केंद्र सरकार की साज़िश थी.”
ट्रैक्टर रैली में हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस ने लगभग 200 लोगों को पकड़ा
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किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान
हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने लगभग 200 कथित प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया
है.
मंगलवार को कृषि क़ानूनों के
ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की रैली में कई जगह हिंसा हुई थी.
पहले हज़ारों किसानों और
पुलिसकर्मियों के बीच दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर टकराव हुआ जिसके बाद भीड़ दिल्ली
के भीतर घुस आयी.
बाद में पुलिस और भीड़ के बीच आईटीओ,
अक्षरधाम और लाल क़िले समेत कुछ अन्य जगहों पर भी टकराव हुआ.
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इस घटना
में 300 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. साथ ही एक प्रदर्शनकारी किसान भी एक
दुर्घटना में मारा गया.
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दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उन पर दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने जैसे मुक़दमे लगाये गये हैं.
‘द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार’ ने पुलिस अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि ‘पुलिस पहचान के आधार पर ही गिरफ़्तारी कर रही है. लाल क़िले, आईटीओ और नांगलोई समेत अन्य जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे देखे जा रहे हैं और लोगों की पहचान की जा रही है.’
भारत सरकार ने दिल्ली में पैरा-मिलिट्री की 15 कंपनियाँ तैनात की हैं, ताकि सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत बनी रहे.
इस बीच रैली में हुई हिंसा के लिए असामाजिक तत्वों को दोष दे रहे तमाम बड़े किसान नेताओं ने आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है. पर राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के प्रमुख वीएम सिंह ने ख़ुद को मौजूदा किसान आंदोलन से अलग कर लिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर में (किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में एनओसी के उल्लंघन के लिए) किसान नेता दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्रा के नाम हैं. एफ़आईआर में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नाम है. इस एफ़आईआर में 307 (हत्या की कोशिश) और 353 (सरकारी काम में बाधा डालने) जैसी कई गंभीर धाराएं शामिल हैं.
वहीं ट्विटर ने ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद, अपने प्लेटफ़ॉर्म से साढ़े 500 से ज़्यादा अकाउंट रद्द कर दिये हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़किसान नेता वीएम सिंह ने ख़ुद को मौजूदा किसान आंदोलन से अलग किया
राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के प्रमुख और किसान नेता वीएम सिंह ने खुद को मौजूदा किसान आंदोलन से अलग कर लिया
है.
उन्होंने कहा है, “आंदोलन मुद्दों पर होता है, नेताओं पर नहीं होता. आंदोलन चलेगा
लेकिन इस स्वरूप में नहीं चलेगा मेरे साथ. उन लोगों के साथ बैठ कर आंदोलन नहीं चला
सकते जिनकी दिशा अलग हो. राकेश टिकैत मीटिंग में गए, एकबार भी उन्होंने यूपी के
किसानों के मुद्दे नहीं उठाए. मैं वीएम सिंह, राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन इस
आंदोलन को विदा करता है.”
उन्होंने कहा कि गणतंत्र
दिवस परेड के लिए जब वे लोग 10 बजे पहुंचे तो उससे पहले ही राकेश टिकैत बेरियर
तोड़ कर निकल चुके थे.
गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर किसान प्रदर्शनकारियों के झंडा फहराने को लेकर भी उन्होंने बात की.
उन्होंने कहा कि 'निशान साहिब' गुरूद्वारों के लिए होता है, वहीं अच्छा लगता है. साथ ही उन्होंने सरकार को भी
ग़लत ठहराया कि जब सरकार को पता था कि लाल क़िले पर झंडा फहराने वालों को कुछ
संगठनों ने करोड़ों रुपए देने की बात कही थी तो सरकार ने लाल किले की सुरक्षा
क्यों नहीं की.
उनके अलावा एक और किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन-भानू ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है.
संगठन के प्रमुख ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेस में कहा, "मैं कल की घटना से इतना दुखी और शर्मसार हूं कि मैं आज घोषणा करता हूं कि अपने संगठन के धरने को ख़त्म कर रहा हूं."
ये दोनों संगठन उत्तर प्रदेश के हैं और 40 संगठनों वाले किसान संयुक्त मोर्चा के हिस्सा नहीं हैं.
अभय सिंह चौटाला ने किसानों के समर्थन में हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफ़ा
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इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह
चौटाला ने किसानों के समर्थन में हरियाणा विधानसभा की अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा दे
दिया है.
उन्होंने कहा कि वे मोदी सरकार
द्वारा लाये गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हैं और मानते हैं कि हरियाणा-पंजाब
के किसान जो माँग कर रहे हैं वो जायज़ हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार,
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ने चौटाला का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है.
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25 जनवरी को अभय सिंह चौटाला ने ट्विटर पर लिखा था, “मेरी रगों में चौधरी देवीलाल का ख़ून है. मैं उन्हीं की नीतियों पर चलूंगा. जब भी देश के किसान के हकों पर कुठाराघात हुआ, तो ना जननायक चौधरी देवीलाल जी ने कभी समझौता किया और ना ही मैं करूंगा.”
'तांडव' के कलाकारों और निर्माताओं को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
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सुप्रीम कोर्ट ने 'तांडव' वेब सिरीज़ के कलाकार मोहम्मद ज़ीशान अयूब, अमेज़न प्राइम वीडियो और तांडव के निर्माताओं को गिरफ़्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम ज़मानत के लिए हाई कोर्ट जाने को कहा है.
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने देश भर में इस वेब सिरीज़ के ख़िलाफ़ हुई कई एफ़आईआर को एक साथ क्लब करने और ट्रांसफर करने की अपील पर भी नोटिस जारी किया है.
मोहम्मद ज़ीशान अयूब, अमेज़न प्राइम इंडिया और तांडव के निर्माता गिरफ़्तारी से सुरक्षा और कई एफ़आईआर को एक जगह जोड़ने की अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.
सुनवाई के दौरान वेब सिरीज़ के मेकर्स की तरफ़ से वकील फली नरीमन ने कोर्ट को बताया कि आपत्तिजनक कंटेंट को हटा दिया गया है और माफ़ी भी मांगी जा चुकी है.
उन्होंने कहा, "तथाकथित धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले दृश्यों को हटाया जा चुका है. हर दिन अलग-अलग राज्यों में एफआईआर दर्ज की जा रही हैं. अहम को चोट पहुंची है और हमने कंटेट हटा दिया."
अमेज़न इंडिया क्रिएटिव हेड अपर्णा पुरोहित की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता कैसे अलग-अलग हाई कोर्ट जा सकते हैं क्योंकि कई राज्यों में बहुत सी एफ़आईआर हैं. इसलिए उनकी अपील है कि एफआईआर को एक साथ जोड़ कर मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए.
मुकुल रोहतगी ने कहा, "आजकल लोग किसी भी बात पर आहत हो जाते हैं. कंटेंट को हटा दिया गया है बिना किसी आपत्ति के. ये एक राजनीतिक तंज़ है. लोग इतने संवेदनशील होंगे तो आर्टिकल 19 (1)(a) ख़त्म ही हो जाएगा."
इस बात पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, उसमें कुछ प्रतिबंध भी हैं.
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने तीन हफ़्ते के लिए इन्हें अंतरिम ज़मानत दी थी.
ब्रेकिंग न्यूज़सौरव गांगुली सीने में दर्द की शिकायत के बाद दोबारा अस्पताल में भर्ती
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई)
के अध्यक्ष सौरव गागुंली को सीने में दर्द की शिकायत के बाद बुधवार को एक बार फिर अस्पताल
में भर्ती कराया गया है.
पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार
रात से ही सीने में दर्द की शिकायत के बाद उनको बुधवार सुबह महानगर के ईस्टर्न बाइपास
स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डाक्टरों के मुताबिक़, फ़िलहाल उनकी हालत स्थिर है.
इससे पहले इस महीने की दो तारीख़ को
सिर में चक्कर आने के बाद अचानक बेहोश हो जाने और सीने में तेज़ दर्द होने के बाद उनको
एक अस्पताल में भर्ती किया गया था. वहां जांच से पता चला था कि उनकी तीन धमनियों में
ब्लॉकेज है.
उसके बाद एक धमनी के ब्लॉकेज को हटाने
के लिए स्टेंट लगाया गया था. उस समय डाक्टरों ने कहा था कि गांगुली को दिल का हल्का
दौरा पड़ा है. बाक़ी दो धमनियो के ब्लॉकेज हटाने के लिए उनको कुछ दिनों बाद अस्पताल
जाना था.
लेकिन अब अचानक एक बार पिर सीने में
दर्द की वजह से अस्पताल से लौटने के बीस दिनों के भीतर ही उनको दोबारा अस्पताल में
भर्ती कराना पड़ा है.
बिहार के बीजेपी प्रवक्ता अज़फ़र शम्शी को बदमाशों ने मारी गोली
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नीरज प्रियदर्शी, बीबीसी हिंदी के लिए
बिहार बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता और राज्य में पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरे अज़फ़र शम्शी को मुंगेर में अपराधियों ने गोली मार दी है.
शम्शी की हालत इस वक्त नाजुक बताई जा रही है. उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
मुंगेर के एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने गोलीबारी की घटना की पुष्टि करते हुए बीबीसी से कहा, "गोली जमालपुर कॉलेज के कैंपस में चली है जहां शम्शी बतौर प्रोफेसर कार्यरत हैं. उनकी हालत स्थिर है मगर नाज़ुक बनी हुई है."
मुंगेर एसपी ने बताया, "गोली मारने वाले अभियुक्त व्यक्ति का नाम लल्लन प्रसाद है, वो भी इसी कॉलेज में कार्यरत है और प्रभार हस्तांतरण के दौरान यह घटना घटी है. अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है कि आखिर गोली चलाने की वजह क्या थी."
Neeraj PriyadarshiCopyright: Neeraj Priyadarshi
अपने प्रदेश प्रवक्ता के साथ हुई घटना को भारतीय जनता पार्टी ने गंभीरता से लिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने राज्य के डीजीपी एसके सिंघल से बात कर हमलावरों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई करने को कहा है.
बिहार में अपराध के मुद्दे पर राज्य सरकार पहले से घिरी है. हाल ही में इंडिगो के एयरपोर्ट स्टेशन हेड रुपेश कुमार सिंह की हत्या भी उनके घर के नीचे अज्ञात अपराधियों ने कर दी थी. हत्या के 15 दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस को अपराधियों का कोई सुराग़ नहीं मिल सका है.
दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा की जाँच क्राइम ब्रांच करेगीः दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में आईपीसी की धारा 395 (डकैती), 397 (चोरी या डकैती, हत्या या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ), 120 बी (आपराधिक साजिश की सज़ा) और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया.
लाइव रिपोर्टिंग
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लाइट कटने के बाद गाज़ीपुर बॉर्डर पर क्या हुआ?
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर बॉर्डर पर बीती रात लाइट कटने के बाद पुलिस बल की कार्रवाई की आशंका जताई जा रही थी.
समीरात्मज मिश्र ने बीबीसी के लिए मौके पर जाकर हालत का जायजा लिया और किसान नेता राकेश टिकैत से बात करके उनकी चिंताओं को समझने की कोशिश की.
देखें वीडियो -
गाज़ीपुर बॉर्डर पर बिजली काटी गई, टिकैत ने कहा, 'डरा रही है सरकार'
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर बॉर्डर पर कुछ देर पहले बिजली काटे जाने से जुड़ी जानकारी सामने आ रही है.
पत्रकार समीरात्मज मिश्र ने जानकारी दी है कि गाज़ीपुर बॉर्डर पर स्थिति काफ़ी संवेदनशील बताई जा रही है. बडी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं. और पुलिस की ओर से कार्रवाई किए जाने की आशंका भी जताई जा रही है.
समीरात्मज मिश्र के मुताबिक शाम छह सात बजे के बीच ही गाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस बल की संख्या बढ़ने लगी थी जिसके बाद देर रात गाज़ीपुर बॉर्डर पर ग़ाज़ियाबाद के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे. हालांकि ये सभी वरिष्ठ अधिकारी कुछ घंटों में लौट गए लेकिन बड़ी संख्या में पुलिस बल अभी भी बॉर्डर पर मौजूद है.
समीरात्मज मिश्र के मुताबिक पुलिस बल की तैनाती के बाद युवा किसानों का समूह भी रात में पहरेदारी कर रहा है और ट्रैक्टर एवं गाड़ियों की मदद से कैंप की जगहों को घेर दिया गया है.
इस दौरान राकेश टिकैत ने इस दौरान एक बयान भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बिजली काट दी गई है और पुलिस प्रशासन दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार को डराना बंद करना चाहिए.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के बागपत में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज करने की ख़बरें आई हैं.
बागपत पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस संबंध में जानकारी दी है.
बागपत पुलिस ने लिखा है कि NHAI के अनुरोध पर राष्ट्रीय राजमार्ग से अवैध अतिक्रमण शांतिपूर्ण ढंग से हटाया गया.
इसके साथ ही एडीएम की ओर से दी गई बाइट में बताया गया है कि किसी तरह का लाठीचार्ज नहीं किया गया है.
इससे पहले बीबीसी हिंदी से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन ने किसानों को कंफ्यूज़ करने वाला रूट दिया गया था. पुलिस ने जो रूट दिए उन्हीं रास्तों पर बैरिकैडिंग की गई थी, इससे किसानों में कंफ्यूज़न हुआ.
राकेश टिकैत के दावा किया कि बैरिकेडिंग जिन रास्तों पर की गई, उन्हें पुलिस प्रशासन ने 26 जनवरी की रात तक नहीं खोला गया.
अक्षरधाम की रोड पर किसानों को पहुंचने पर उन्होंने कहा कुछ किसान षड्यंत्र के तौर पर शामिल हो गए थे और उन लोगों को पुलिस ने भी सपोर्ट किया है.
लाल किला हिंसा: दिल्ली पुलिस ने बताया, दीप सिद्धू का नाम एफआईआर में शामिल
दिल्ली पुलिस ने बताया है कि 26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा के मामले में पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू और गैंगस्टर लक्का सदाना के नाम एफआईआर में शामिल किए गए हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि दिल्ली पुलिस ने अभिनेता दीप सिद्धू के इस मामले में शामिल होने की पुष्टि की है.
ब्रेकिंग न्यूज़अमेरिका ने जारी की नेशनल टेरेरिज़्म एडवायज़री
अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी ने अमेरिकी चुनाव के बाद एक बड़ा ख़तरा पैदा होने की चेतावनी जारी की.
इस चेतावनी में बताया गया है कि फिलहाल किसी साजिश को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं है.
लेकिन ये ज़रूर बताया गया है कि राष्ट्रपति पद के स्तर पर सत्ता परिवर्तन और सरकारी अधिकारों के इस्तेमाल से चिढ़े लोग ख़तरा पैदा कर सकते हैं.
बीती 6 जनवरी को यूएस केपिटल हिल पर ट्रंप समर्थकों के हमले के बाद काफ़ी लोगों की गिरफ़्तारियां हुई हैं.
दिल्ली हिंसा पर क्या कहना है किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का
बीजेपी ने कहा, 'राहुल गांधी ने उकसाया किसानों को'
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने किसान आंदोलन की हिंसा को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा.
एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "राहुल गांधी लगातार केवल समर्थन नहीं कर रहे थे बल्कि उकसा रहे थे. सीएए के वक़्त भी ये ही हुआ था. वैसे ही ये भी आंदोलन है. कांग्रेस की सरकार है पंजाब में, जानबूझकर किसानों को उकसाया गया. उन लोगों के ट्वीट्स भी हैं. एक ट्वीट में कांग्रेस ने लिखा कि अहिंसक मार्च को हिंसक दिखाने की कोशिश हो रही है. ये जो लाल क़िले पर हुआ, क्या वो अहिंसक था? नांगलोई में हुआ, अहिंसक था? जिस तरह पुलिस को पीटा गया क्या वो अहिंसक था?"
जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने तो बातचीत का रास्ता अपनाया लेकिन कांग्रेस किसानों को उकसा रही है.
उन्होंने कहा, "सरकार ने तो 10 राउंड की चर्चा की, साल-डेढ़ साल क़ानून रोकने की भी तैयारी दिखाई. दिखाओ कि किसानों का कौन-सा हक़ कम हुआ है. इन क़ानूनों में बस किसानों को विकल्प दिया गया है. ये कांग्रेस को भी पता है लेकिन कांग्रेस समझौता नहीं होने देना चाहती."
"हम कांग्रेस की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हैं. पहले सीएए के वक़्त ऐसा आंदोलन किया, एक बार फिर कर रहे हैं लेकिन सफल नहीं होंगे. देश की जनता इस सरकार के साथ खड़ी है. बाकी प्रदेशों में आंदोलन नहीं है. कांग्रेस के प्रयासों के बावजूद अनेक राज्यों में नहीं हुआ है."
ब्रेकिंग न्यूज़1 फ़रवरी को किसानों का संसद मार्च स्थगित: बलबीर सिंह राजेवाल
सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करते हुए भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि 1 फ़रवरी को किसान प्रदर्शनकारियों के संसद मार्च को स्थगित कर दिया गया है.
उन्होंने कहा, “शहीद दिवस (30 जनवरी) पर किसानों के विरोध प्रदर्शनों के समर्थन में पूरे देश में रैलियां निकाली जाएंगी. हम एक दिन का उपवास भी रखेंगे.”
राजेवाल ने कहा कि ट्रैक्टर रैली सरकार की साज़िश का शिकार हुई है और इसको तोड़ने की कोशिशों के बावजूद 99.9 फ़ीसदी किसान शांत थे, कुछ घटनाएं ज़रूर हुईं.
ब्रेकिंग न्यूज़25 से अधिक एफ़आईआर दर्ज, किसान नेताओं ने विश्वासघात किया: दिल्ली पुलिस
26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के एक धड़े की हिंसा के बाद बुधवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की.
उन्होंने कहा कि अभी तक 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. 19 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है, पुलिस के साथ हुए समझौते को किसान नेताओं ने न मानकर विश्वासघात किया है. किसी भी साज़िशकर्ता को छोड़ा नहीं जाएगा और क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने बताया, “कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं कुछ अभी भी आईसीयू में भर्ती हैं. पुलिस के 428 बैरिकेड, 30 पुलिस की गाड़ियां, 6 कंटेनर्स और 8 टायर किलर्स को नुक़सान पहुंचा है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. लाल क़िले पर फहराए गए धार्मिक झंडे की घटना को गंभीरता से लिया गया है. फ़ेस रिकगनिशन सिस्टम से लोगों की पहचान हो रही है, जिन पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.”
“308 ट्विटर हैंडल जिनका संबंध पाकिस्तान से है, उनको बैन किया गया था. पुलिस कार्रवाई में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है और इस स्थिति को पुलिस ने बख़ूबी संभाला. जो किसान नेता इसमें शामिल थे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.”
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस को पता चला था कि किसान एक ट्रैक्टर मार्च करने जा रहे हैं.
“संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया था कि उनके समर्थक 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में आकर भाग लें. जैसे ही हमें इसकी जानकारी मिली, हम लोगों ने किसानों के नेताओं से संपर्क किया और उनके साथ विस्तार से बातचीत की, पांच राउंड की बैठक हुई और कई बार फ़ोन पर बातचीत हुई.”
“हमने उनसे अपील की कि वो 26 जनवरी को यह रैली न करके किसी और दिन ट्रैक्टर रैली करें. इस पर उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद हमने केएमपी पेरिफ़ेरल हाइवे पर उनसे रैली निकालने की अपील लेकिन उन्होंने दिल्ली में ही ट्रैक्टर मार्च निकालने की ठान ली. पांच राउंड की बैठक के बाद उनसे तीन रूट पर सहमति बनी थी. दिल्ली की जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह तय हुआ था कि कुछ नियम एवं शर्तें लागू होंगी.”
“पहली शर्त थी कि किसान ट्रैक्टर रैली दोपहर 12 बजे शुरू होगी और शाम पांच बजे तक ख़त्म होगी. दूसरी शर्त थी कि ट्रैक्टर मार्च किसान नेता लीड करेंगे और आगे की पंक्ति में होंगे और यह भी तय हुआ कि हर जत्थे के साथ उनके नेता चलेंगे. 5,000 से अधिक ट्रैक्टर नहीं होंगे और कोई भी हथियार, भाला, तलवार आदि नहीं होगा. रैली पूरी तरह शांतिपूर्ण होनी चाहिए.”
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इसके लिए लिखित अनुमति दी गई थी और किसान नेताओं से शपथपत्र लिया गया लेकिन 25 जनवरी की शाम को यह पता चला कि वे अपने वादे से मुकर रहे हैं.
“उन्होंने उग्रवादी धड़े को आगे कर दिया और भड़काऊ भाषण दिए जिसके बाद उनकी मंशा साफ़ हो गई लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस ने संयम से काम लिया. सुबह साढ़े 6 बजे से बैरिकेड तोड़ना शुरू हो गया. सिंघु बॉर्डर पर सुबह साढ़े सात बजे रैली शुरू हो गई और उस रैली को मुकरबा चौक से बाएं नहीं मुड़ना था लेकिन वो मुड़ गए. सतनाम सिंह पन्नू ने मुकरबा चौक पर भड़काऊ भाषण दिया जिसके बाद उनके समर्थक बैरिकेड तोड़ने लगे. दर्शनपाल सिंह आकर वहां बैठ गए और उन्होंने दाहिने मुड़ने से मना कर दिया. टिकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से भी प्रदर्शनकारी साढ़े आठ बजे चलना शुरू हो गए.”
“पुलिस के पास सभी विकल्प थे लेकिन उसने संयम का रास्ता चुना क्योंकि हम जान-माल की हानि नहीं चाहते थे. हमारे और उनके बीच में समझौता था कि हम शांतिपूर्ण रैली करवाएंगे और यह जो हिंसा हुई है वो नियम और शर्तों के उल्लंघन के कारण हुई है. इस हिंसा में सभी किसान नेता शामिल हैं.”
ब्रेकिंग न्यूज़कोरोना: नए दिशानिर्देशों में सिनेमा हॉल और स्विमिंग पूल्स के लिए छूट
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र दिशानिर्देश जारी किए हैं जो 1 फ़रवरी से लागू होकर 28 फ़रवरी तक जारी रहेंगे.
गृह मंत्रालय ने सिनेमाघरों में 50 फ़ीसदी दर्शकों के बैठने की सीमा को हटा दिया है और अब सिनेमाघर अपनी बैठने की क्षमता के अनुसार दर्शकों को आने दे सकते हैं. हालांकि, इसको लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जारी करेगा.
इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने स्विमिंग पूल्स खोलने की ज़िम्मेदारी युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय को सौंप दी है. वही इसको लेकर एसओपी जारी करेगा.
65 साल से अधिक आयु के वे व्यक्ति जिन्हें अन्य बीमारियां हैं, गर्भवती महिलाएं और 10 साल से कम आयु के बच्चों को ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति होगी. हालांकि उन्हें ज़रूरी क़दम उठाने होंगे.
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर'
सुनिए वात्सल्य राय से
ब्रेकिंग न्यूज़37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने दर्ज की एफ़आईआर: एएनआई
समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस के हवाले से यह ख़बर दी है कि 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की हैं और उन्हें मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.
दिल्ली पुलिस की एक एफ़आईआर में मेधा पाटकर, बूटा सिंह और योगेंद्र यादव का भी नाम है.
दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर में (किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में एनओसी के उल्लंघन के लिए) किसान नेता दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उगराहां के नाम हैं.
एफ़आईआर में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नाम है. इस एफ़आईआर में 307 (हत्या की कोशिश) और 353 (सरकारी काम में बाधा डालने) जैसी कई गंभीर धाराएं शामिल हैं.
आईसीएमआर का दावा- भारत बायोटेक की कोवैक्सीन यूके वेरिएंट पर भी कामयाब
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि दवा कंपनी ‘भारत बायोटेक’ के साथ मिलकर उन्होंने जो कोविड वैक्सीन (कोवैक्सीन) विकसित की है, वो भारत में पाये गए कोरोना के यूके और अन्य वेरिएंट्स पर भी कामयाब है.
संस्थान ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया में सबसे पहले यह करके दिखाया है.
विपक्ष का हमला, ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा को कहा- ‘सरकार की साज़िश’
कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज़िम्मेदार ठहराते हुए, उनसे इस्तीफ़े की माँग की है.
बुधवार को कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि “किसान आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के लिए सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह ज़िम्मेदार हैं. उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं. उन्हें बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ये माँग है.”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में उपद्रव को रोकने में असफल रहे गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर दिल्ली पुलिस उन उपद्रवियों पर मुक़दमा दर्ज़ करने की बजाय संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं पर मुक़दमा दर्ज़ कर भाजपा सरकार की साज़िश को साबित करती है.”
बुधवार को किसानों के समर्थन में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने वाले अभय सिंह चौटाला ने भी कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसा केंद्र सरकार की साज़िश थी. विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के लिए अभय सिंह चौटाला अपने ट्रैक्टर पर पहुँचे थे.
इस्तीफ़ा देने के बाद चौटाला ने कहा, “जो किसान नेता आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे, उनके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार ने मुक़दमे दर्ज़ किये. कल दिल्ली में जो हुआ वह केंद्र सरकार की साज़िश थी.”
ट्रैक्टर रैली में हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस ने लगभग 200 लोगों को पकड़ा
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने लगभग 200 कथित प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया है.
मंगलवार को कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की रैली में कई जगह हिंसा हुई थी.
पहले हज़ारों किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर टकराव हुआ जिसके बाद भीड़ दिल्ली के भीतर घुस आयी.
बाद में पुलिस और भीड़ के बीच आईटीओ, अक्षरधाम और लाल क़िले समेत कुछ अन्य जगहों पर भी टकराव हुआ.
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इस घटना में 300 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. साथ ही एक प्रदर्शनकारी किसान भी एक दुर्घटना में मारा गया.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उन पर दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने जैसे मुक़दमे लगाये गये हैं.
‘द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार’ ने पुलिस अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि ‘पुलिस पहचान के आधार पर ही गिरफ़्तारी कर रही है. लाल क़िले, आईटीओ और नांगलोई समेत अन्य जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे देखे जा रहे हैं और लोगों की पहचान की जा रही है.’
भारत सरकार ने दिल्ली में पैरा-मिलिट्री की 15 कंपनियाँ तैनात की हैं, ताकि सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत बनी रहे.
इस बीच रैली में हुई हिंसा के लिए असामाजिक तत्वों को दोष दे रहे तमाम बड़े किसान नेताओं ने आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है. पर राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के प्रमुख वीएम सिंह ने ख़ुद को मौजूदा किसान आंदोलन से अलग कर लिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर में (किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में एनओसी के उल्लंघन के लिए) किसान नेता दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्रा के नाम हैं. एफ़आईआर में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नाम है. इस एफ़आईआर में 307 (हत्या की कोशिश) और 353 (सरकारी काम में बाधा डालने) जैसी कई गंभीर धाराएं शामिल हैं.
वहीं ट्विटर ने ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद, अपने प्लेटफ़ॉर्म से साढ़े 500 से ज़्यादा अकाउंट रद्द कर दिये हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़किसान नेता वीएम सिंह ने ख़ुद को मौजूदा किसान आंदोलन से अलग किया
राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन के प्रमुख और किसान नेता वीएम सिंह ने खुद को मौजूदा किसान आंदोलन से अलग कर लिया है.
उन्होंने कहा है, “आंदोलन मुद्दों पर होता है, नेताओं पर नहीं होता. आंदोलन चलेगा लेकिन इस स्वरूप में नहीं चलेगा मेरे साथ. उन लोगों के साथ बैठ कर आंदोलन नहीं चला सकते जिनकी दिशा अलग हो. राकेश टिकैत मीटिंग में गए, एकबार भी उन्होंने यूपी के किसानों के मुद्दे नहीं उठाए. मैं वीएम सिंह, राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन इस आंदोलन को विदा करता है.”
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए जब वे लोग 10 बजे पहुंचे तो उससे पहले ही राकेश टिकैत बेरियर तोड़ कर निकल चुके थे.
गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर किसान प्रदर्शनकारियों के झंडा फहराने को लेकर भी उन्होंने बात की.
उन्होंने कहा कि 'निशान साहिब' गुरूद्वारों के लिए होता है, वहीं अच्छा लगता है. साथ ही उन्होंने सरकार को भी ग़लत ठहराया कि जब सरकार को पता था कि लाल क़िले पर झंडा फहराने वालों को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपए देने की बात कही थी तो सरकार ने लाल किले की सुरक्षा क्यों नहीं की.
उनके अलावा एक और किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन-भानू ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है.
संगठन के प्रमुख ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेस में कहा, "मैं कल की घटना से इतना दुखी और शर्मसार हूं कि मैं आज घोषणा करता हूं कि अपने संगठन के धरने को ख़त्म कर रहा हूं."
ये दोनों संगठन उत्तर प्रदेश के हैं और 40 संगठनों वाले किसान संयुक्त मोर्चा के हिस्सा नहीं हैं.
अभय सिंह चौटाला ने किसानों के समर्थन में हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफ़ा
इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने किसानों के समर्थन में हरियाणा विधानसभा की अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है.
उन्होंने कहा कि वे मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हैं और मानते हैं कि हरियाणा-पंजाब के किसान जो माँग कर रहे हैं वो जायज़ हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ने चौटाला का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है.
25 जनवरी को अभय सिंह चौटाला ने ट्विटर पर लिखा था, “मेरी रगों में चौधरी देवीलाल का ख़ून है. मैं उन्हीं की नीतियों पर चलूंगा. जब भी देश के किसान के हकों पर कुठाराघात हुआ, तो ना जननायक चौधरी देवीलाल जी ने कभी समझौता किया और ना ही मैं करूंगा.”
'तांडव' के कलाकारों और निर्माताओं को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने 'तांडव' वेब सिरीज़ के कलाकार मोहम्मद ज़ीशान अयूब, अमेज़न प्राइम वीडियो और तांडव के निर्माताओं को गिरफ़्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम ज़मानत के लिए हाई कोर्ट जाने को कहा है.
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने देश भर में इस वेब सिरीज़ के ख़िलाफ़ हुई कई एफ़आईआर को एक साथ क्लब करने और ट्रांसफर करने की अपील पर भी नोटिस जारी किया है.
मोहम्मद ज़ीशान अयूब, अमेज़न प्राइम इंडिया और तांडव के निर्माता गिरफ़्तारी से सुरक्षा और कई एफ़आईआर को एक जगह जोड़ने की अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.
सुनवाई के दौरान वेब सिरीज़ के मेकर्स की तरफ़ से वकील फली नरीमन ने कोर्ट को बताया कि आपत्तिजनक कंटेंट को हटा दिया गया है और माफ़ी भी मांगी जा चुकी है.
उन्होंने कहा, "तथाकथित धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले दृश्यों को हटाया जा चुका है. हर दिन अलग-अलग राज्यों में एफआईआर दर्ज की जा रही हैं. अहम को चोट पहुंची है और हमने कंटेट हटा दिया."
अमेज़न इंडिया क्रिएटिव हेड अपर्णा पुरोहित की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता कैसे अलग-अलग हाई कोर्ट जा सकते हैं क्योंकि कई राज्यों में बहुत सी एफ़आईआर हैं. इसलिए उनकी अपील है कि एफआईआर को एक साथ जोड़ कर मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए.
मुकुल रोहतगी ने कहा, "आजकल लोग किसी भी बात पर आहत हो जाते हैं. कंटेंट को हटा दिया गया है बिना किसी आपत्ति के. ये एक राजनीतिक तंज़ है. लोग इतने संवेदनशील होंगे तो आर्टिकल 19 (1)(a) ख़त्म ही हो जाएगा."
इस बात पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, उसमें कुछ प्रतिबंध भी हैं.
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने तीन हफ़्ते के लिए इन्हें अंतरिम ज़मानत दी थी.
ब्रेकिंग न्यूज़सौरव गांगुली सीने में दर्द की शिकायत के बाद दोबारा अस्पताल में भर्ती
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गागुंली को सीने में दर्द की शिकायत के बाद बुधवार को एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार रात से ही सीने में दर्द की शिकायत के बाद उनको बुधवार सुबह महानगर के ईस्टर्न बाइपास स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डाक्टरों के मुताबिक़, फ़िलहाल उनकी हालत स्थिर है.
इससे पहले इस महीने की दो तारीख़ को सिर में चक्कर आने के बाद अचानक बेहोश हो जाने और सीने में तेज़ दर्द होने के बाद उनको एक अस्पताल में भर्ती किया गया था. वहां जांच से पता चला था कि उनकी तीन धमनियों में ब्लॉकेज है.
उसके बाद एक धमनी के ब्लॉकेज को हटाने के लिए स्टेंट लगाया गया था. उस समय डाक्टरों ने कहा था कि गांगुली को दिल का हल्का दौरा पड़ा है. बाक़ी दो धमनियो के ब्लॉकेज हटाने के लिए उनको कुछ दिनों बाद अस्पताल जाना था.
लेकिन अब अचानक एक बार पिर सीने में दर्द की वजह से अस्पताल से लौटने के बीस दिनों के भीतर ही उनको दोबारा अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.
बिहार के बीजेपी प्रवक्ता अज़फ़र शम्शी को बदमाशों ने मारी गोली
नीरज प्रियदर्शी, बीबीसी हिंदी के लिए
बिहार बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता और राज्य में पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरे अज़फ़र शम्शी को मुंगेर में अपराधियों ने गोली मार दी है.
शम्शी की हालत इस वक्त नाजुक बताई जा रही है. उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
मुंगेर के एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने गोलीबारी की घटना की पुष्टि करते हुए बीबीसी से कहा, "गोली जमालपुर कॉलेज के कैंपस में चली है जहां शम्शी बतौर प्रोफेसर कार्यरत हैं. उनकी हालत स्थिर है मगर नाज़ुक बनी हुई है."
मुंगेर एसपी ने बताया, "गोली मारने वाले अभियुक्त व्यक्ति का नाम लल्लन प्रसाद है, वो भी इसी कॉलेज में कार्यरत है और प्रभार हस्तांतरण के दौरान यह घटना घटी है. अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है कि आखिर गोली चलाने की वजह क्या थी."
अपने प्रदेश प्रवक्ता के साथ हुई घटना को भारतीय जनता पार्टी ने गंभीरता से लिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने राज्य के डीजीपी एसके सिंघल से बात कर हमलावरों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई करने को कहा है.
बिहार में अपराध के मुद्दे पर राज्य सरकार पहले से घिरी है. हाल ही में इंडिगो के एयरपोर्ट स्टेशन हेड रुपेश कुमार सिंह की हत्या भी उनके घर के नीचे अज्ञात अपराधियों ने कर दी थी. हत्या के 15 दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस को अपराधियों का कोई सुराग़ नहीं मिल सका है.
दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा की जाँच क्राइम ब्रांच करेगीः दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में आईपीसी की धारा 395 (डकैती), 397 (चोरी या डकैती, हत्या या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ), 120 बी (आपराधिक साजिश की सज़ा) और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया.
क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच करेगी.