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लाइव रिपोर्टिंग

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  1. सरोज सिंह

    बीबीसी संवाददाता

    किसान

    किसानों की माँग है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर ख़रीद को अपराध घोषित करे और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे. लेकिन सरकार कह तो रही है पर लिखित में नहीं दे रही. आख़िर क्यों?

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  2. Video content

    Video caption: पीएम मोदी ने एमएसपी के मुद्दे पर क्या कहा?

    पीएम मोदी वाराणसी के दौरे पर हैं, वहां उन्होंने प्रयागराज-वाराणसी को जोड़ने वाले हाइवे का उद्घाटन किया.

  3. ब्रेकिंग न्यूज़कृषि मंत्री ने किसान यूनियनों को बातचीत के लिए बुलाया

    किसान

    केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान यूनियनों को बातचीत के लिए मंगलवार शाम तीन बजे आमंत्रित किया है. कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने एक पत्र जारी कर किसान यूनियन के नेताओं को भारत सरकार के मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति से बातचीत के लिए नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में बुलाया है. कृषि मंत्रालय ने कुल 32 यूनियनों और उनके नेताओं को वार्ता के लिेए आमंत्रित किया है.

    केंद्र सरकार की इस पहल पर किसान यूनियनों के नेता मंगलवार सुबह बैठक करेंगे. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि जो पहले दौर की वार्ता में शामिल थे उन सभी यूनियनों और उनके नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया गया है.

    जिन किसान यूनियन और नेताओं को कृषि मंत्री ने बुलाया है उनके नाम नीचे की तस्वीर में देख सकते हैं.

    किसान
    किसान
  4. किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा, निर्णायक लड़ाई लड़ने दिल्ली आए हैं

    किसान  आंदोलन

    तीन नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि वो दिल्ली ‘निर्णायक लड़ाई’ लड़ने पहुँचे हैं. किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी ‘मन की बात’ सुनने का आग्रह किया.

    सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉफ्रेंस में विरोध कर रहे किसानों ने कहा कि वे तब तक अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं.

    भारतीय किसान यूनियन (दकाउंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, "हम अपनी मांगों के लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे."

    उन्होंने कहा कि अगर उनकी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो सत्तारूढ़ पार्टी को इसकी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.

    "हम यहाँ निर्णायक लड़ाई लड़ने आए हैं."

    उन्होंने कहा, "हम दिल्ली सीमा पर डटे रहेंगे और यहीं से अपनी रणनीति बनाएँगे. हम दिल्ली प्रधानमंत्री को अपनी ‘मन की बात’ सुनाने आए हैं. अगर वो नहीं सुने तो सत्तारूढ़ पार्टी को भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी."

    भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चादुनी ने बताया कि अब तक 31 मामले प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ आंदोलन को ‘दबाने’ के लिए दर्ज किए जा चुके हैं लेकिन जब तक किसानों की मांग नहीं मानी जाती है तब किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे.

    पूर्व आप नेता और अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों के बारे में पांच तरह के झूठ फैलाए जा रहे हैं. उनमें से एक झूठ यह है कि सिर्फ़ पंजाब के किसान ही प्रदर्शन कर रहे हैं.

    उन्होंने कहा कि कई राज्यों के किसानों के द्वारा किए जा रहे इस ‘ऐतिहासिक आंदोलन’ के ‘एतिहासिक परिणाम’ परिणाम आएँगे.

    गुरनाम सिंह चादुनी ने दावा किया कि केंद्र सरकार के इन तीन नए क़ानूनों की वजह से देश में खेती-किसानी पर कॉरपोरेट का कब्जा हो जाएगा.

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड में जमा होने की अपील की और कहा कि केंद्र सरकार बुराड़ी ग्राउंड में किसानों के पुहंचने के बाद उनसे बात करने को तैयार है.

    किसानों के 30 समूहों ने आपस में बैठक के बाद 3 दिसंबर के निर्धारित वक्त से पहले बातचीत के ऑफर को ठुकरा दिया है और बिना किसी शर्त के बात करने की मांग की है.

  5. किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर विरोध के बीच मनाया गुरु पर्व

    Video content

    Video caption: किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर विरोध के बीच मनाया गुरु पर्व

    दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान डटे हुए हैं. इन किसानों ने आज गुरु नानक जयंती भी मनाई.

    सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने गुरबानी का पाठ किया. मोमबत्तियां जलाई गईं और मिठाइयां बांटी गईं.

  6. स्वदेशी एयरक्राफ़्ट कैरियर का बेसिन परीक्षण सफल

    स्वदेशी एयरक्राफ़्ट कैरियर

    भारत में बन रहे स्वदेशी एयरक्राफ़्ट कैरियर (आईएसी) का आज कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में सफल बेसिन परीक्षण हुआ. कोरोना महामारी के कारण लगी कई पाबंदियों के बावजूद भारतीय नौसेना और सीएसएल की टीम ने मिलकर शानदार काम किया जिससे समय पर इसका परीक्षण हो सका.

    बेसिन ट्रायल, समुद्र में ट्रायल से पहले की कड़ी है और इसके सफल परीक्षण के बाद एयरक्राफ़्ट कैरियर को समुद्र में परीक्षण के लिए उतारा जाएगा.

    सफल बेसिन परीक्षण के बाद आईएसी प्रोजेक्ट अपने अंतिम फ़ेज़ में पहुँच गया है.

    इस स्वदेशी कैरियर का समुद्री परीक्षण साल 2021 के पहले हाफ़ में होगा.

    आईएसी प्रोजेक्ट 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की भी एक शानदार मिसाल है क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाले 75 फ़ीसद से ज़्यादा साज़-ओ-सामान भारत में बने हैं.

    इस परियोजना में 50 से ज़्यादा भारतीय कंपनियां सीधे तौर पर जुड़ी हुईं हैं जिससे रोज़गार भी उत्पन्न हुए हैं.

    क़रीब दो हज़ार लोगों को इस परियोजना के तहत रोज़ाना आईएसी पर काम मिलता है और क़रीब 40 हज़ार लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार पाया है.

    इसके अलावा इस परियोजना के कुल लागत क़रीब 20 हज़ार करोड़ का 80-85 फ़ीसद पैसा भारतीय अर्थव्यवस्था में वापस जुड़ गया,

  7. किसान आंदोलन का असर- दिल्ली को दूसरे राज्यों से होने वाली फल-सब्जी की आपूर्ति प्रभावित

    प्याज

    राजधानी दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पांच दिनों से चल रहे किसानों के आंदोलन की वजह से शहर को होने वाली सब्जी और फलों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

    दिल्ली की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आज़ादपुर में आपूर्ति आधी हो गई है. आपूर्ति कम होने की वजह से मौसमी सब्जियों की क़ीमत 50 से 100 रुपये तक बढ़ गई है.

    सब्जी और फल व्यापारियों का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से आने वाली फल-सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

    आज़ादपुर की कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमिटी के चेयरमैन आदिल खान का कहना है कि बंद बॉर्डर की वजह से मंडी तक पहुँचने वाली फल और सब्जी की आपूर्ति आधी हो गई है.

    उन्होंने बताया, "आम दिनों में करीब 2,500 सब्जी के ट्रक दूसरे राज्यों से आज़ादपुर मंडी पहुँचते हैं. अभी यह संख्या घटकर सिर्फ़ करीब 1000 ट्रकों की रह गई है और अगर कुछ दिन और यूँ ही बॉर्डर बंद रहा तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे."

    हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सब्जियों और फलों के दाम में अभी तक बहुत इजाफा नहीं हुआ क्योंकि पहले से मौजूद स्टॉक और स्थानीय उत्पाद इसकी भारपाई किए हुए हैं.

    लेकिन कुछ व्यापारियों का कहना है कि मौसमी सब्जियों की क़ीमत तकरीबन 50 से 100 रुपये तक आपूर्ति कम होने की वजह से बढ़ गई है.

  8. किसान आंदोलन: पीएम मोदी ने एमएसपी के मुद्दे पर क्या कहा?

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    Video caption: पीएम मोदी ने एमएसपी के मुद्दे पर क्या कहा?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के दौरे पर हैं. पीएम ने प्रयागराज-वाराणसी को जोड़ने वाले हाइवे का उद्घाटन किया.

    इस दौरान उन्होंने कृषि क़ानून और न्यूनत समर्थन मूल्य का ज़िक्र किया.

    पीएम ने कहा कि किसानों को सालों तक MSP के नाम पर छला गया.

  9. एनडीए के एक और सहयोगी ने कृषि क़ानून पर अलग होने की दी धमकी

    हनुमान बेनीवाल
    Image caption: हनुमान बेनीवाल

    केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के एक और सहयोगी ने कहा है कि अगर कृषि क़ानून को वापस नहीं लिया जाता है तो वो एनडीए छोड़ने पर विचार कर सकते हैं.

    राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को संबोधित करते हुए सोमवार को दो ट्वीट किए.

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    बेनीवाल ने कहा कि तीनों क़ानूनों को फ़ौरन वापस लिया जाए और स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफ़ारिशों को लागू किया जाए.

    उन्होंने आगे लिखा कि उनकी पार्टी की ताक़त किसान और जवान हैं, इसलिए अगर इस मामले में फ़ौरन कार्रवाई नहीं हुई तो किसान हित में उन्हें एनडीए में बने रहने पर पुनर्विचार करना पड़ेगा.

  10. FB LIVE: पंजाब और हरियाणा के आंदोलनरत किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर कैसे मनाया गुरुपरब

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  11. किसान आंदोलन पर नीतीश कुमार क्या बोले?

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    Video caption: किसान आंदोलन पर नीतीश कुमार क्या बोले?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि कृषि क़ानूनों को लेकर हो रहा विरोध ग़लतफ़हमी की वजह से है.

    उन्होंने कहा कि इस बारे में लोगों में बातचीत होनी चाहिए.

    साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार भी कह रही है कि वो किसानों से बातचीत को तैयार है.

  12. भारत में अगस्त तक कितने लोगों को मिलेगी कोरोना वैक्सीन?

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    Video caption: भारत में अगस्त तक कितने लोगों को मिलेगी कोरोना वैक्सीन?

    देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का कहना है कि साल 2021 के शुरुआती दो-चार महीनों में कोरोना से निपटने वाली वैक्सीन आ जाएगी.

    उन्होंने ये भी कहा कि अगले साल अगस्त के महीने तक 25-30 करोड़ लोगों को ये वैक्सीन लगा दी जाएगी.

  13. हैदराबाद और निज़ाम कल्चर पर क्या बोले अमित शाह?

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    Video caption: हैदराबाद और निज़ाम कल्चर पर क्या बोले अमित शाह?

    देश के गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने कहा है कि भाजपा हैदराबाद को ‘निज़ाम और नवाब कल्चर’ से मुक्त बनाएगी.

    उन्होंने कहा कि रोड शो का उत्साह देखकर उन्हें अंदाज़ा हो गया है कि इस बार हैदराबाद का मेयर भाजपा से ही होगा.

  14. किसान आंदोलन: प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिसकर्मियों को भी बांटा प्रसाद

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    Video caption: प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिसकर्मियों को भी बांटा प्रसाद

    दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान डटे हुए हैं. इन किसानों ने आज गुरु नानक जयंती भी मनाई. टिकरी बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने प्रार्थना की और प्रसाद बनाया.

    प्रदर्शनकारी किसानों ने वहां मौजूद सुरक्षाबलों को भी प्रसाद बांटा. सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने गुरबानी का पाठ किया. इन किसानों ने भी इस मौके पर मिठाइयां बांटी.

  15. चीन ने नेपाल को सुरक्षा का दिलाया भरोसा, वन चाइना नीति के समर्थन के लिए की तारीफ़

    नेपाल चीन संबंध
    Image caption: चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग नेपाल यात्रा के दौरान

    चीन ने नेपाल को सुरक्षा का दिलाया भरोसा चीन ने नेपाल से उसकी स्वायत्ता और अखंडता की रक्षा करने का भरोसा दिलाया है.

    चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग ने नेपाल के नेतृत्व की वन चाइना नीति का समर्थन करने को लेकर तारीफ करते हुए कहा कि चीन नेपाल की स्वात्यत्ता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर दृढ़ संकल्पित है और उसका समर्थन करता है.

    वेई फेंग ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा से सोमवार को मुलाकात कर आपसी हितों पर बातचीत की.

    उन्होंने नेपाल के आर्मी चीफ़ जनरल पूर्ण चंद्र थापा से भी मुलाकात की और कोविड-19 की वजह से प्रभावित हुए सैन्य सहयोग को फिर से बहाल करने को लेकर बात की.

    चीनी रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक वेई ने नेपाली नेताओं की वन चाइना नीति के समर्थन में सख्त रवैया अपनाने को लेकर तारीफ की है.

    बयान में कहा गया है कि चीन इस बात पर जोर देता है कि दूसरे देश भी वन चाइना नीति के तहत ताइवान और तिब्बत को चीन का हिस्सा माने. नेपाल की सीमा तिब्बत के साथ जुड़ती है.

    चीन ने भारी निवेश और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए नेपाल के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ किया है.

    चीन चाहता है कि नेपाल तिब्बतियों को नेपाल के रास्ते भारत में धर्मशाला जाने से रोके ताकि वो अपने सबसे बड़े आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा से ना मिल सके. नेपाल में भी बड़ी संख्या में तिब्बती रहते हैं.

  16. गुरु नानक ने जब जनेऊ पहनने से किया इनकार

    गुरुनानक

    आज (30 नवंबर 2020) सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 551वीं जयंती गुरु परब है. उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था.

    नानक ने सिख धर्म में हिन्दू और इस्लाम दोनों की अच्छाइयों को शामिल किया. हालांकि सिख धर्म हिन्दू और इस्लाम का महज संकलन नहीं है.

    गुरु नानक एक मौलिक आध्यात्मिक विचारक थे. उन्होंने अपने विचारों को ख़ास कविताई शैली में प्रस्तुत किया. यही शैली सिखों के धर्मग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब की भी है.

    गुरु नानक के जीवन के बारे में बहुत कुछ लोगों को पता नहीं है.

    हालांकि सिख परंपराओं और जन्म सखियों में उनके बारे काफ़ी जानकारियां हैं. गुरु नानक के अहम उपदेश भी हम तक जन्म सखियों के ज़रिए ही पहुंचे हैं.

    गुरु नानक ने जब जनेऊ पहनने से किया इनकार

    गुरुनानक

    गुरु परब के अवसर पर एक नज़र गुरु नानक के जीवन की कुछ अहम बातों पर. नानक 11 साल की उम्र में ही विद्रोही बन गए थे.

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  17. किसान आंदोलन: MSP पर माँग मान क्यों नहीं लेती मोदी सरकार?

    किसान

    भारत की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के धरना प्रदर्शन का सोमवार को पाँचवा दिन है.

    पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तरफ़ कूच कर रहे किसान हाल ही केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं.

    अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के मुताबिक़ उनकी अहम माँगों में से एक है, "सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर ख़रीद को अपराध घोषित करे और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे."

    एमएसपी पर ख़ुद प्रधानमंत्री ट्वीट कर कह चुके हैं, "मैं पहले भी कहा चुका हूँ और एक बार फिर कहता हूँ, MSP की व्यवस्था जारी रहेगी, सरकारी ख़रीद जारी रहेगी. हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं. हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे."

    किसान आंदोलन: MSP पर माँग मान क्यों नहीं लेती मोदी सरकार?

    किसान

    किसानों की माँग है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर ख़रीद को अपराध घोषित करे और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे. लेकिन सरकार कह तो रही है पर लिखित में नहीं दे रही. आख़िर क्यों?

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  18. किसान आंदोलन पर बोले पीएम मोदी, सालों तक MSP को लेकर छल किया गया

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नेशनल हाइवे नंबर 19 पर प्रयागराज-वाराणसी को जोड़ॉने वाली छह लेन के हाइवे का उद्घाटन किया. प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वाराणसी को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिल रहा है. प्रधानमंत्री इस मौके पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में भी बोले.

    उन्होंने कहा, "किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं. लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे. यानी योजनाओं के नाम पर छल. MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक MSP को लेकर छल किया गया."

    प्रधानमंत्री के भाषण की ख़ास बातें

    • सामान्य चावल जहां 35-40 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपये तक बिक रहा है. बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है. पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपये किलो के हिसाब से.
    • चंदौली के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 2 साल पहले काले चावल की एक वैरायटी का प्रयोग यहां किया गया था. पिछले साल खरीफ के सीज़न में करीब 400 किसानों को ये चावल उगाने के लिए दिया गया. इन किसानों की एक समिति बनाई गई, इसके लिए मार्केट तलाश किया गया.
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    • सरकार के प्रयासों औऱ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है. ये चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है. भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं. क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए?
    • अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं. पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे. अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है.
    • किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है. सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं. नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है. ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है.
    • लेकिन पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है. पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था. लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है.
    • प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है. जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है. ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है.
    • किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं. लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे. यानी योजनाओं के नाम पर छल. MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक MSP को लेकर छल किया गया. किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे.
    • लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे. यानी कर्ज़माफी को लेकर भी छल किया गया. जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें स्वभाविक हैं. पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है.
    • दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है. जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखेंगे तो सच अपने आप सामने आ जाएगा. हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाज़ारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे. बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी.
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    • यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बंद थी, तब भी दिक्कत नहीं आने दी गई. हमने वादा किया था कि स्नामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा MSP देंगे. ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है. सिर्फ दाल की ही बात करें तो 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग साढ़े 6 सौ करोड़ रुपये की ही दाल किसान से खरीदी गईं.
    • लेकिन इसके बाद के 5 सालों में हमने लगभग 49 हज़ार करोड़ रुपये की दालें खरीदी हैं यानी लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी. 2014 से पहले के 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये का धान खरीदा था. लेकिन इसके बाद के 5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपये धान के MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचाए हैं. यानी लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है. 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपये के आसपास ही किसानों को मिला.
    • वहीं हमारे 5 सालों में 3 लाख करोड़ रुपये गेहूं किसानों को मिल चुका है यानी लगभग 2 गुणा. अब आप ही बताइए कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर ये लोग सवाल उठाते थे.
    • ये लोग अफवाह फैलाते थे कि चुनाव को देखते हुए ये पैसा दिया जा रहा है और चुनाव के बाद यही पैसा ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा. एक राज्य में तो वहां की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है. देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है.
    • अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपये किसानों तक पहुंच भी चुका है. मुझे एहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है. लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है. आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है.
    • जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं, तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लगते हैं. जिन किसान परिवारों की अभी भी कुछ चिंताएं हैं, कुछ सवाल हैं, तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है. मुझे विश्वास है, आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे.
  19. किसान आंदोलन: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रशासन ने कंक्रीट बैरियर लगाया

    दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा

    तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाणा के हज़ारों किसान पिछले पाँच दिनों से हरियाणा-दिल्ली के टिकरी और सिंघु सीमा पर डटे हुए हैं.

    केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी मैदान में आकर विरोध प्रदर्शन करने की इजाज़त दी थी लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और वो सीमा पर ही बैठे हैं.

    इधर, उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों ने भी पंजाब और हरियाणा के किसानों के समर्थन में दिल्ली आने का फ़ैसला किया है और वो ग़ाज़ीपुर के रास्ते दिल्ली में दाख़िल होने की कोशिश कर रहे हैं.

    समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार दिल्ली पुलिस उन्हें दिल्ली में आने से रोक रही है और इसके लिए प्रशासन ने ग़ाज़ीपुर सीमा पर कंक्रीट बैरियर लगा दिया है. सोमवार को बड़ी संख्या में यूपी के किसान ग़ाज़ीपुर सीमा पर जमा हो गए हैं.

    हालात के मद्देनज़र प्रशासन ने कंक्रीट बैरियर के अलावा सुरक्षा और बढ़ा दी है. किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो वो दिल्ली में दाख़िल होने के सभी पाँच हाईवे को जाम कर देंगे.

    दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार ग़ाज़ीपुर सीमा पर हालात अभी शांतिपूर्ण बने हुए हैं. सिंघु और टिकरी बॉर्डर पूरी तरह सील कर दिए गए हैं लेकिन ग़ाज़ीपुर बॉर्डर अभी सील नहीं किया गया है.

    पुलिस के अनुसार किसान दिल्ली के जंतर-मंतर पर जमा होना चाहते हैं.

    टिकरी सीमा पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान सुखविंदर सिंह ने कहा, "हमलोगों के पास अगले छह महीने के लिए राशन उपलब्ध है. हमलोग बुराड़ी नहीं जाना चाहते हैं. अगर हम यहां से हटेंगे तो सीधे जंतर-मंतर जाएंगे. हमलोग कहीं और नहीं जाना चाहते हैं."

    उन्होंने आगे कहा, "हमलोग ठंड का मुक़ाबला करने के लिए तैयार हैं. हमलोग हर चुनौती का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है. लेकिन जब तक हमलोगों की माँग पूरी नहीं हो जाती, हमलोग यहां से हटने को तैयार नहीं हैं."

    इस बीच गुरुग्राम की रहने वाली डॉक्टर सारिका वर्मा और एक दूसरे डॉक्टर करण जुनेजा ने निजी स्तर पर सिंघु बॉर्डर पर मेडिकल कैंप भी लगा दिया है.

    डॉक्टर वर्मा कहती हैं, "हमलोग यहां आज ही आएं हैं. हमलोगों निजी स्तर पर किसानों की मदद करना चाहते हैं. हमारे पास ब्लड प्रेशर मशीन, पीसीएम, क्रोसीन और दूसरी दवाएं हैं. किसानों को कोरोना के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है. कई किसानों ने मास्क नहीं पहना है. इससे कोरोना का ख़तरा बढ़ता है. हमलोग मास्क भी बांट रहे हैं ख़ासकर उनको जो बुज़ुर्ग हैं और जिन्हें खांसी की शिकायत है."

    डॉक्टर जुनेजा ने कहा कि उन्होंने अब तक क़रीब तीन सौ किसानों को बेसिक दवाएं दी हैं. उनके अनुसार सीमा पर मौजूद किसानों का कोरोना टेस्ट भी किया जाना चाहिए.