महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार को एक साल पूरा होने जा रहा है. पिछले साल 28 नवंबर को शिवसेना ने अपनी धुर विरोधी कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी. 288 सीटों वाली विधानसभा में सौ से ज्यादा विधायकों वाली बीजेपी बस देखती रह गई. लेकिन अब पार्टी के नेता खुलेआम उद्धव सरकार की विदाई की तारीख का ऐलान कर रहे हैं. शिवसेना इसे खीझ बता रही है लेकिन राज्य में जिस तरह के सत्ता समीकरण हैं उसमें किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने दावा किया है कि बीजेपी महाराष्ट्र में अगले दो-तीन महीने में सरकार बना लेगी. दानवे ने औरंगाबाद स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में विधान परिषद चुनाव के लिए परभणी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि हम सिर्फ विधान परिषद चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. राज्य में सरकार कैसे बनेगी यह मैं आपको नहीं बताऊंगा, यह उन्हें बताऊंगा वो भी सरकार स्थापित करने के बाद.
इससे पहले बीजेपी सांसद नारायण राणे तो उद्धव सरकार की डेडलाइन तक बता चुके हैं. उनका कहना है कि यह साल खत्म होने से पहले ही 30 नवंबर तक सरकार गिर जाएगी. सरकार में शामिल तीन दल एक-दूसरे को शक की नजर से देख रहे हैं. ऐसे में इस सरकार की उम्र नवंबर तक ही है.
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी सोमवार को कहा, ' महाराष्ट्र में यदि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर जाती है तो उसकी जगह आने वाली सरकार का शपथ समारोह सुबह नहीं होगा जैसा कि एक साल पहले हुआ था, लेकिन ऐसे वाकयों को याद नहीं किया जाना चाहिए'.
बीजेपी पर शिवसेना का पलटवार
बीजेपी नेताओं के इन बयानों पर शिवसेना ने पलटवार किया है. राज्यसभा सांसद संजय राउत कहते हैं कि हमारी सरकार एक साल का कार्यकाल पूरा कर रही है और अभी 4 साल और सत्ता में रहकर शासन करेगी. पिछले साल जो तीन दिन की सरकार बनी थी, ये लोग उसकी बरसी मना रहे हैं, क्योंकि उनके द्वारा किए गए सभी तरह के प्रयास फेल हो गए हैं.
दरअसल, 2019 में महाराष्ट्र में हुए चुनाव के बाद शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रही थी तभी देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने 23 नवंबर की सुबह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. हालांकि, वो सरकार सिर्फ 80 घंटे टिक पाई. बहुमत साबित करने से पहले ही अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया. इसी के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर लड़ा था. चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत भी मिल गया था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना का बीजेपी से टकराव हो गया. लंबी कशमकश के बाद शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली.
महाराष्ट्र विधानसभा की स्थिति
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सदस्य हैं, जिनमें से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी को 170 विधायकों का समर्थन हासिल है. इनमें शिवसेना के 57, एनसीपी, 54, कांग्रेस के 44, सपा के 2, बीवीए के 3, पीजीपी के 2, एसडब्ल्यूपी और पीडब्ल्यूपीआई के 1-1 और 6 निर्दलीय विधायक शामिल हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष के पास 114 विधायकों का समर्थन है. इनमें बीजेपी के 105, आरएसपी के 1, जेएसएस के 1 और निर्दलीय 7 विधायक शामिल हैं. इसके अलावा चार अन्य दल के विधायक हैं, जिनमें दो AIMIM, एक एमएनएस और एक सीपीआई (एम) से हैं.
इस फॉर्मूले से बन सकती है बीजेपी सरकार
बीजेपी को महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. इस लिहाज से उसे 28 विधायकों के समर्थन जुटाना होगा. बीजेपी के लिए यह तभी संभव हो सकेगा जब कांग्रेस, शिवसेना या फिर एनसीपी के एक तिहाई विधायक पार्टी से बगवात कर अपनी पार्टी बनाएं और फिर बीजेपी को समर्थन दें. इसके अलावा दूसरा विकल्प यह है कि महा विकास अघाड़ी के करीब 60 विधायक अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दें. साफ है कि दोनों विकल्प आसान नहीं हैं, यही वजह है कि बीजेपी के बयानों पर शिवसेना गंभीरता से लेने के बजाय उसे पार्टी की खीझ ज्यादा बता रही है.