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फैक्ट चेक: अरब का चार साल पुराना वीडियो फ्रेंच प्रोडक्ट्स के बहिष्कार से जोड़कर वायरल

वीडियो में एक रेगिस्तान में कुछ ट्रक खड़े दिख रहे हैं जिनमें से सफेद रंग के पैकेटों को बाहर फेंका जा रहा है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह अरब के देश फ्रांस के सामान का बायकॉट कर रहे हैं
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये सऊदी अरब का 2016 का वीडियो है. वीडियो में ट्रकों में से खराब हो चुके चिकन के पैकेटों को फेंका जा रहा है.

इस्लाम को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयानों के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में काफी नाराजगी है. भारत सहित कई देशों में मैक्रों के बयान को लेकर मुस्लिम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ मुस्लिम देशों में फ्रेंच प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की मुहिम भी चलाई जा रही है.

इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. वीडियो में एक रेगिस्तान में कुछ ट्रक खड़े दिख रहे हैं जिनमें से सफेद रंग के पैकेटों को बाहर फेंका जा रहा है. ट्रकों के पास पैकेटों के ढेर जमा हो गए हैं. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि अरब के देश इस तरह से फ्रांस के सामान का बायकॉट कर रहे हैं.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. ये सऊदी अरब का 2016 का वीडियो है. वीडियो में ट्रकों में से खराब हो चुके चिकन के पैकेटों को फेंका जा रहा है.

वीडियो के साथ कैप्शन में सोशल मीडिया यूजर्स लिख रहे हैं, "फ्रांस के सामान का बायकॉट, अरब देशों में कुछ इस तरह हो रहा है,,,,, ये सब देख कर, फ़्रांस जल्द ही पागल होने वाला है।" वीडियो को भ्रामक दावे के साथ फेसबुक पर तीन हजार से भी ज्यादा लोग साझा कर चुके हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

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वायरल वीडियो को इन-विड टूल की मदद से खोजने पर हमें अरब टीवी चैनल Al Arabiya की एक रिपोर्ट मिली. नवंबर 2016 में प्रकाशित हुई ये रिपोर्ट वायरल वीडियो के बारे में ही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ये वीडियो सऊदी अरब के अल कासिम क्षेत्र का है, जहां 25 ट्रकों में लाए गए लगभग 80000 चिकन के पैकेटों को रेगिस्तान में डिस्पोज किया गया था. चिकन के ये पैकेट एक्सपायर हो चुके थे और लोगों के खाने लायक नहीं बचे थे. अल कासिम के प्रशासन को खराब हो चुके चिकन के ये पैकेट एक रेड के दौरान मिले थे.

अरब के कई और मीडिया संस्थान जैसे Almowaten और Al Riyadh के वेब पोर्टल पर भी इसे लेकर खबर प्रकाशित हुई थी.

यहां साबित हो जाता है कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. ये वीडियो चार साल पुराना है और इसका फ्रांस को लेकर चल रहे बवाल से कोई लेना-देना नहीं है.

हालांकि ये बात सच है कि टर्की, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित कुछ अन्य देशों में फ्रेंच प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की मुहिम चल रही है. ये विवाद राष्ट्रपति मैक्रों के इस्लाम पर दिए गए कुछ बयानों के बाद शुरू हुआ. कुछ दिनों पहले फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक इस्लामिक कट्टरपंथी ने पैगम्बर मोहम्मद पर बने एक कार्टून को लेकर एक शिक्षक की हत्या कर दी थी. इसके बाद राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लाम के बारे में कुछ टिप्पणी की थी, जिसे इस्लाम विरोधी माना गया और ये विवाद खड़ा हो गया. 29 अक्टूबर को भी फ्रांस के नीस शहर के एक चर्च में एक शख्स ने चाकू से हमला किया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.

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