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बदल रहा महाराजगंज ​का मिजाज, तेजस्वी के बयान का कितना असर?

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग 3 नवंबर को होने वाली है. इस चरण में कई ऐसी सीटें हैं जहां का चुनाव प्रचार अब तक बेहद रोचक रहा है.

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जेडीयू से विधायक हैं हेमनारायण साह
जेडीयू से विधायक हैं हेमनारायण साह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराजगंज में 3 नवंबर को है वोटिंग
  • जेडीयू से हेम नारायण साह उम्मीदवार
  • कांग्रेस के विजय ​शंकर दुबे मैदान में

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग 3 नवंबर को होने वाली है. इस चरण में कई ऐसी सीटें हैं, जहां का चुनाव प्रचार अब तक बेहद रोचक रहा है. इनमें से एक सीट महाराजगंज विधानसभा है. सीवान जिले में पड़ने वाले इस विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार काफी चर्चा में है. दरअसल, इस विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू के उम्मीदवार और वर्तमान विधायक हेमनारायण साह को स्थानीय कहा जा रहा है, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी विजय शंकर दुबे को बाहरी बताया जा रहा है. 

लड़ाई कांग्रेस बनाम जेडीयू
महाराजगंज विधानसभा की लड़ाई कांग्रेस बनाम जेडीयू की है. स्थानीय मीडिया में इस बात की चर्चा है कि विधानसभा क्षेत्र में विजय शंकर दुबे की सक्रियता हेम नारायण साह के मुकाबले कम है. हेम नारायण साह डोर टू डोर पहुंच रहे हैं जबकि विजय शंकर दुबे बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. विजय शंकर दुबे अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हुए हैं. यही वजह है कि वर्तमान विधायक हेम नारायण साह इसे भुना रहे हैं और उन्हें बाहरी बता रहे हैं. हेमनाराण साह अपने 5 साल के कार्यकाल के विकास कार्य को भी जनता के बीच ले जाने में जुटे हैं. 

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तेजस्वी के बयान का असर!
इस सीट पर राजपूत वोटरों की स्थिति काफी अच्छी है. यही वजह है​ कि राजद नेता तेजस्वी यादव के ''बाबू साहब'' बयान का महाराजगंज में बड़ा असर पड़ने की आशंका है और इसका नुकसान महागठबंधन उम्मीदवार को हो सकता है. आपको बता दें कि एक सभा के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा था कि जब लालू यादव का राज था, तो गरीब सीना तान के बाबू साहब के सामने चलते थे.

इस बयान को स्थानीय स्तर पर अपने तरीके से परिभाषित किया जा रहा है.  वहीं, महाराजगंज विधानसभा पर बनिया वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं, जो हेमनारायण साह के लिए मजबूत वोट बैंक है. अति पिछड़ा वोट बैंक भी एनडीए उम्‍मीदवार के लिए मजबूत फैक्‍टर है.  खैर, महाराजगंज में तेजस्वी के बयान का कितना असर होता है, ये 10 नवंबर को चुनावी नतीजों के साथ साफ हो जाएगा.

और भी कई उम्मीदवार
महाराजगंज विधानसभा से महागठबंधन और एनडीए के अलावा अन्य दलों या निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं. इनमें लोजपा के डॉक्टर देवरंजन हैं. डॉक्टर देवरंजन अब तक बीजेपी के नेता थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर लोजपा का झंडा उठा लिया. इससे एनडीए के लिए वोट कटवा की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं. अन्‍य उम्‍मीदवारों में पप्पू यादव की पार्टी जाप के विश्वनाथ यादव, निर्दलीय प्रत्‍याशी विश्‍वम्‍बर सिंह, मनोरंजन सिंह भी चुनाव मैदान में हैं.

 

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