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NGO के जरिए टेरर फंडिंग: श्रीनगर और दिल्ली में 9 ठिकानों पर NIA की छापेमारी

जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की छापेमारी आज भी जारी है. एनजीओ के जरिए टेरर फंडिंग के आरोपों के बाद श्रीनगर और दिल्ली में 9 ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है.

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एनआईए की छापेमारी जारी (फाइल फोटो-PTI)
एनआईए की छापेमारी जारी (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • NGO के जरिए टेरर फंडिंग का खुलासा
  • श्रीनगर और दिल्ली में NIA की छापेमारी
  • कल कश्मीर से लेकर बेंगलुरु तक मारे गए थे छापे

जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की छापेमारी आज भी जारी है. एनजीओ के जरिए टेरर फंडिंग के आरोपों के बाद श्रीनगर और दिल्ली में 9 ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है. इससे पहले बुधवार को भी एनआईए की टीम ने छापेमारी की थी. 

आतंक की फंडिंग करने वाले एनजीओ पर एनआईए ने आईपीसी की धारा 124A यानी राष्ट्रद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज किया है. साथ ही एनआईए ने इस पूरे मामले में यूएपीए के तहत भी मामला दर्ज किया है. इसमें यूएपीए कानून की धारा 17,18,22A,22C,38,39 और 40 लगाई गई है. 

सूत्रों के मुताबिक,  एनआईए ने कल जिन एनजीओ पर छापा मारा है, उसमें पाकिस्तान और यूरोपीय देशों से पैसा आया है. एनआईए सूत्रों के मुताबिक, 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के एनजीओ फलाह ए इंसानियत (एफआईएफ) के जरिये जम्मू कश्मीर में आए पैसे से स्थानीय लोगों ने देश के कई शहरों में प्रॉपर्टीज भी खरीदीं.

अब एनआईए इन लोगों से पूछताछ करेगी. एनआईए सूत्रों ने जानकारी दी कि देश -विदेशों से बिजनेस,धार्मिक कार्यो और दूसरे सोशल वर्क के नाम पर फंड लेकर टेरर फंडिंग हो रही थी. पाकिस्तान और यूरोपियन देशों से आने वाले पैसे को हवाला चैनल के जरिये कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए बड़ी फंडिंग की गई.

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आपको बता दें कि एनआईए ने बुधवार को जम्मू कश्मीर और बेंगलुरु में 10 जगहों पर एनजीओ के जरिये टेरर फंडिंग के मामले में बड़ा क्रैक डाउन किया था. जिन एनजीओ पर कल छापेमारी हुई थी, वह जेकेसीसीएस, एपीडीपीके, अथरोट और जीके ट्रस्ट शामिल है. 

एनआईए ने अथरोट नामक एनजीओ के कार्यालय से उसके वित्तीय लेनदेन और गतिविधियों से संबंधित दस्तावेजों को जब्त किया है. जेकेसीसीएस के कोऑर्डिनेटर खुर्रम परवेज के कार्यालय और घर की भी तलाशी ली गई. साथ ही इनके सहयोगी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटका और बंगलुरु बेस्ट सहयोगी स्वाति सहयाद्री, जो कि कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, उनके ठिकानों पर भी छापेमारी हुई.

 

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