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फैक्ट चेक: फ्रांस में मारे गए टीचर के नाम पर ब्रिटेन के एक प्रदर्शनकारी की तस्वीर वायरल

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें कुछ युवा एक प्लेकार्ड लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्लेकार्ड पर लिखा है, “शरणार्थियों का स्वागत है”.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
फ्रांस के टीचर सैमुअल पैटी की तस्वीर जिसका पिछले हफ्ते पेरिस में सिर काट दिया गया. कुछ साल पहले वह फ्रांस में श​र​णार्थियों का स्वागत कर रहा था.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
तस्वीर में मौजूद व्यक्ति सैमुअल पैटी नहीं है. सैमुअल की हत्या 16 अक्टूबर को पेरिस में की गई, जबकि ये तस्वीर ब्रिटेन के केंट में खींची गई थी जिसे 17 अक्टूबर को “गुड चांस” नाम के एक संगठन ने पोस्ट किया था.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें कुछ युवा एक प्लेकार्ड लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्लेकार्ड पर लिखा है, “शरणार्थियों का स्वागत है”. दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में मौजूद लोगों में वह फ्रांसीसी टीचर सैमुअल पैटी भी है, जिसकी पिछले हफ्ते पेरिस में सिर कटी लाश मिली थी.

खबरों के मुताबिक, सैमुअल पैटी ने अपनी क्लास में छात्रों को मुहम्मद साहब पर एक कार्टून दिखाया था, जिसके बाद कथित तौर पर “अल्लाहु अकबर” का नारा लगाते हुए पैटी की हत्या कर दी गई.  

बीजेपी से जुड़े मेजर सुरेंद्र पुनिया ये तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “फ़ोटो में जो बीच में खड़ा है वो वही टीचर है जिसका एक जिहादी ने पेरिस में सर काट दिया था...कुछ साल पहले वो फ़्रांस में आने वाले Refugees का स्वागत कर रहा था पर उसे क्या पता था कि वो refugee उसी का गला काट देंगे. ये उनके लिये है जो भारत में रोहिंग्या को बसाना चाहते हैं”

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल तस्वीर में मौजूद व्यक्ति सैमुअल पैटी नहीं है. फ्रांसीसी टीचर पैटी की हत्या 16 अक्टूबर को पेरिस में की गई थी, लेकिन वायरल तस्वीर यूनाइटेड किंगडम के केंट में खींची गई है. ये तस्वीर पैटी की हत्या के एक दिन बाद “गुड चांस” नाम की एक संस्था की ओर से पोस्ट की गई थी.
 
कई फेसबुक यूजर्स इस तस्वीर को ऐसे ही दावे के साथ पोस्ट किया है. इनके आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
 
वायरल तस्वीर की पड़ताल

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रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमने पाया कि ये तस्वीर 17 अक्टूबर को “गुड चांस” नाम के एक ट्विटर यूजर ने पोस्ट की थी. इस ट्वीट में तस्वीर के साथ लिखा गया, “आज गुड चांस की टीम रिफ्यूजियों का स्वागत करने के लिए फोकस्टोन में है. केंट के लोग नेपियर बैरक में लोगों को यह बताने के लिए निकले हैं कि उनका स्वागत है.”

 

इस ​ट्वीट के कुछ कीवर्ड्स का इस्तेमाल करते हुए हमने पाया कि इस घटना के बारे में उसी दिन ब्रिटेन की कई न्यूज वेबसाइट ने खबरें छापी थीं.  

इन खबरों के मुताबि​क, 17 अक्टूबर को सैकड़ों लोग फोकस्टोन की सड़कों पर शरणार्थियों का स्वागत करने के लिए इकट्ठा हुए थे. यहां नेपियर बैरक में ऐसे लोगों को रखा गया है जो ब्रिटेन में शरण लेने के लिए दूसरे देशों से आए हैं.

मूल रूप से ये तस्वीर पोस्ट करने वाले “गुड चांस” की वेबसाइट के अनुसार, ये लंदन में एक कला और थिएटर से जुड़ा संगठन है. यह संगठन अपनी कला के जरिये शरणार्थियों के लिए तमाम तरह के कल्याणकारी कार्यक्रम करता है.
 
हमने पाया कि प्लेकार्ड की वायरल तस्वीर में भी “गुड चांस” लिखा हुआ है.

वायरल दावा भ्रामक है
 
मेजर सुरेंद्र पूनिया और अन्य यूजर्स ने जो दावा किया है, उसमें कई बातें हैं जो गलत हैं. दावे के मुताबिक, ये तस्वीर 'कुछ साल पहले' ली गई है. लेकिन तस्वीर को देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता है कि प्रदर्शनकारी मास्क लगाए हुए हैं. मतलब ये तस्वीर महामारी के दौरान की है.  

पैटी की हत्या पेरिस में चेचन्या के एक 18 वर्षीय युवक अब्दुल्लाख अंजोरोव ने की थी. लेकिन शरणार्थियों का स्वागत करने वाला ये प्रदर्शन उसके अगले दिन कैंट में हुआ था.

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दावे में कहा गया है कि वह टीचर फ्रांस में शरणार्थियों का स्वागत कर रहा था. लेकिन वायरल तस्वीर में प्लेकार्ड अंग्रेजी में लिखे हैं और बैकग्राउंड में “केंट पुलिस” की गाड़ी खड़ी है, जिससे साफ होता है कि ये तस्वीर फ्रांस की नहीं है.

बीबीसी न्यूज” ने सैमुअल पैटी की जो तस्वीर छापी है, उससे वायरल तस्वीर में मौजूद व्यक्ति की तुलना करने पर भी साफ होता है कि दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं.  

सैमुअल पैटी की तस्वीर
 

वायरल तस्वीर में मौजूद व्यक्ति

वायरल तस्वीर में मौजूद व्यक्ति के बारे में हम जानकारी नहीं जुटा सके. हमने “गुड चांस” से संपर्क किया है और अगर इस बारे में कोई जानकारी मिलती है तो यहां अपडेट कर दिया जाएगा. इन तथ्यों के आधार पर हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है. वायरल तस्वीर में मौजूद व्यक्ति फ्रांस का वह टीचर नहीं है जिसकी पेरिस में हत्या कर दी गई.

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