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बाइस्कोप: जीवन भर की कमाई डुबा सड़क पर आ गए थे जीतेंद्र, मन घबराया तो कर डाली बैक टू बैक 60 फिल्में

पंकज शुक्ल
Updated Fri, 23 Oct 2020 01:06 AM IST
deedar e yaar this day that year series pankaj shukla 22 october 1982 bioscope jeetendra rekha rishi
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बिहार में चुनाव का बिगुल बज रहा है। और, मेरे दिमाग में राजेश खन्ना और मुमताज की हिट फिल्म ‘रोटी’ का गाना बज रहा है,
‘क्या नेता क्या अभिनेता,
जो जनता को दे धोखा,
पल में शोहरत उड़ जाए,
ज्यों एक पवन का झोंका,
अरे जोर न करना, अरे शोर न करना,
अपने शहर में शांति है,
ये जो पब्लिक है सब जानती है,
ये जो पब्लिक है...’


परदे पर जब ये गाना बजता है तो साथ में अभिनेता जीतेंद्र की झलक भी दिखती है। राजेश खन्ना के पक्के वाले दोस्त रहे जीतेंद्र ने दोस्ती की खातिर ही इस फिल्म में ये स्पेशल अपीयरेंस दी थी। दोनों साथ साथ स्कूल में पढ़े और कॉलेज भी दोनों ने साथ ही किया। जीतेंद्र को देखने के लिए दर्जनों लोग मैंने कुछ साल पहले तक जुहू के शनि मंदिर में खड़े देखे हैं। वह, राकेश रोशन और कुछ और मित्र नियमित रूप से हर शनिवार इस मंदिर जाते रहे हैं। वजह वही जानें, लेकिन जीतेंद्र अपने जीवन में किस्मत का काफी हाथ मानते हैं। जीवन में कम से कम दो बार ऐसा हुआ जब वह कंगाली के मुहाने पर आ खड़े हुए। एक तो तब जब फिल्मों में काम पाने के लिए वह संघर्ष कर रहे थे और दूसरा तब जब अपने जीवन भर की कमाई उन्होंने लगा दी फिल्म ‘दीदार ए यार’ बनाने में। ये फिल्म बनाने के लिए उन्होंने एहसान भी बहुत लिए। फिल्म के लिए कहानी, निर्देशक, कास्टिंग सब बढ़िया था। लेकिन, दोस्ती की खातिर ही उन्होंने फिल्म में एक खास रोल के लिए रेखा को न्यौता दे डाला। अब फिल्म में रेखा हो और दोनों हीरो टीना मुनीम पर मरते हों, बात कुछ हजम हुई नहीं। और, क्या क्या हुआ फिल्म ‘दीदार ए यार’ की मेकिंग में, आज का बाइस्कोप इसी पर है।

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एक ही दिन रिलीज हुईं स्टार’ और ‘दीदार ए यार’
फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप लिखने के लिए इस कॉलम के प्रशंसकों ने ही मुझे बाध्य किया। सुबह से मैंने मन बनाया था कुमार गौरव के करियर की एक अहम फिल्म ‘स्टार’ की मेकिंग लिखने का। इसके निर्देशक विनोद पांडे से इस पर लंबी बात भी हुई। फिल्म में विनोद खन्ना को साइन करने की कोशिशों पर बात हुई। बात हुई कि कैसे विनोद खन्ना अपनी पत्नी से लड़ने झगड़ने के बाद अपने एक दोस्त कर्नल कपूर के घर रहने लगे थे। उस दौर की सारी हीरोइनें उनसे मिलने इसी फ्लैट पर आतीं और कैसे विनोद खन्ना लोगों को परेशान करने के लिए बैठने की जगह पर एक ऐसा खिलौना चद्दर के नीचे छुपा देते, जिस पर बैठते ही तेज आवाज निकलती और बैठने वाला नरवस हो जाता। लेकिन, फेसबुक पर तमाम लोगों ने ‘स्टार’ के मुकाबले ‘दीदार ए यार’ के बाइस्कोप को तरजीह दी है। तो जनता की पसंद सर माथे पर रख शुरू करते हैं फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप। इस किस्से में कुछ उम्मीदें हैं, कुछ फरियादें हैं। कुछ उसूलों की बातें हैं और कुछ किस्मत की निकली बारातें हैं।

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भाई हो तो ऐसा
शुरू करते हैं वहां से जहां से फिल्म ‘दीदार ए यार’ की बुनियाद पड़ी। जीतेंद्र ने अपने भाई प्रसन्न कपूर को आगे कर फिल्म निर्माण में हाथ डाला था। प्रोडक्शन कंपनी का नाम था तिरुपति पिक्चर्स। पहली फिल्म बनाई लीना चंदावरकर, शशिकला, प्राण और महमूद के साथ ‘हमजोली’। फिल्म सुपर हिट रही, लोगों ने दोनों भाइयों की निर्माता और अभिनेता की बनी इस जोड़ी की खूब तारीफ की। और दोनों भाइयों ने इसके बाद बैक टू बैक हिट फिल्म्स की लाइन लगा दी। इसके बाद दोनों भाइयों ने जो फिल्में बनाईं उनमें शामिल रहीं, ‘खुशबू’, कसम खून की’,  ‘ज्योति बने ज्वाला’, ‘प्यासा सावन’, ‘दीदार ए यार’, ‘सरफरोश’, ‘आग और शोला’ और ‘तमाचा’। प्रसन्न कपूर के बेटे अभिषेक कपूर भी फिल्म निर्देशक हैं। जीतेंद्र का एक किस्सा यहां और, उनकी डेब्यू फिल्म वैसे तो वी. शांताराम की फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ को ही माना जाता है लेकिन कैमरे के सामने जीतेंद्र इस फिल्म से पांच साल पहले पहली बार आए थे वी शांताराम की ही फिल्म ‘नवरंग’ में। जीतेंद्र के पिता अमरनाथ कपूर की नकली जेवरात की दुकान थी और जीतेंद्र इन्हें फिल्मों के सेट पर पहुंचाने का काम करते थे। वी शांताराम ने जो पहला मौका जीतेंद्र को फिल्म ‘नवरंग’ में दिया था, वह था फिल्म की हीरोइन साधना के बॉडी डबल का। बॉडी डबल का मतलब उस शख्स से होता है जो फिल्म की शूटिंग के दौरान असली कलाकार के कपड़े पहनकर फ्रेम में यूं खड़ा रहता है कि उसका चेहरा नजर नहीं आता। आमतौर पर इनका प्रयोग दूसरे कलाकार के क्लोज अप में संवाद रिकॉर्ड करते समय या फिर ओवर द शोल्डर शॉट लेने के लिए किया जाता है।

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हैट्रिक डायरेक्टर एच एस रवैल
तो जीतेंद्र और प्रसन्न कपूर ने ‘दीदार ए यार’ बनाने की तैयार कर ली और साइन किया उस वक्त के सुपरहिट डायरेक्टर हरनाम सिंह रवैल यानी एच एस रवैल को। ये बात सन 1977 की है। एस एस रवैल की बनाई ऋषि कपूर और रंजीता स्टारर फिल्म ‘लैला मजनू’ ने हर तरफ कामयाबी के झंडे गाड़ रखे थे। एच एस रवैल फिल्म निर्देशक राहुल रवैल के पिता थे। फिल्मों में तो वह सिनेमा के भारत में शुरूआती दौर में ही आ गए थे। उनकी 1949 में फिल्म ‘पतंगा’ का गाना ‘मेरे पिया गए रंगून, वहां से किया है टेलीफून, तुम्हारी याद सताती है..’ लोगों को अब भी याद है। गोप और निगार सुल्ताना पर फिल्माया गया ये गाना अब भी ब्लैक व्हाइट फिल्मों के दौर का क्लासिक गाना माना जाता है। उसके पहले और बाद में मिलाकर एच एस रवैल ने करीब डेढ़ दर्जन फिल्में और निर्देशित कीं, लेकिन पब्लिक को उनकी फिल्मों का असली मजा आना शुरू हुआ पिछली सदी के सातवें दशक की शुरूआत यानी साल 1963 में रिलीज हुई राजेंद्र कुमार, साधना और अशोक कुमार की फिल्म ‘मेरे महबूब’ से। इसके बाद उन्होंने दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला को लेकर 1968 में बनाई ‘संघर्ष’ और राजेश खन्ना नाम के सुपरसितारे का जब हिंदी सिनेमा के आसमान पर उदय हुआ तो उनके साथ एच एच रवैल ने बनाई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘महबूब की मेहंदी’। ‘लैला मजनू’ उनकी लगातार चौथी हिट फिल्म थी। इतना शानदार करियरनामा होने के चलते जीतेंद्र और प्रसन्न कपूर ने उन्हें साइन किया और उनके साथ ख़ड़ी कर दी लेखकों की पूरी एक फौज।

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ऋषि कपूर का अलबेला अंदाज
फिल्म ‘दीदार ए यार’ की कहानी एच एस रवैल के बेटे राहुल रवैल ने लिखी है। डॉ. राही मासूम रजा ने फिल्म के संवाद लिखे। गीतकारों में साहिर लुधियानवी, कैफी आजमी, इंदीवर और अमीर मीनाई के नाम शामिल हैं। संगीतकार रहे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल। ये उन दिनों की बात है जब हिंदी सिनेमा पूरी तरह सेकुलर था और हर साल दो चार बड़ी मुस्लिम सोशल फिल्में जरूर बनती थीं। देश की 35 फीसदी के करीब आबादी इन फिल्मों की तयशुदा दर्शक होती और अगर फिल्म में जरा भी दम होता तो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खूब पैसे बटोरती। ऋषि कपूर ने तो ‘अमर अकबर एंथनी’ में अकबर बनकर जमाना लूट लिया था। ‘लैला मजनू’ उससे पहले की फिल्म है। कैस के किरदार में लोगों ने उन्हें खूब पसंद किया। ‘दीदार ए यार’ में उनका सेलेक्शन हुआ भी इन्हीं दो फिल्मों की वजह से। हालांकि, ऋषि कपूर ने इन फिल्मों के अलावा ‘तवायफ’, ‘नकाब’, ‘अजूबा’, ‘फना’, ‘टेल मी ओ खुदा’, ‘अग्निपथ’, ‘डी डे’ और ‘मुल्क’ में भी मुस्लिम किरदारों में शानदार अभिनय किया है। फिल्म ‘दीदार ए यार’ में तो बारीक मूंछों वाले जावेद के किरदार में ऋषि कपूर ने कमाल का अभिनय किया है।

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