यूपी: दाढ़ी रखने पर एक मुसलमान सब-इंस्पेक्टर के निलंबन का पूरा मामला

  • दिलनवाज़ पाशा
  • बीबीसी संवाददाता
इंतेसार अली

उत्तर प्रदेश के बाग़पत में एक मुसलमान सब-इंस्पेक्टर को बिना अनुमति दाढ़ी रखने और अनुशासनहीनता के लिए निलंबित करने पर सवाल उठ रहे हैं.

मामले पर पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह का कहना है कि उन्होंने ये कार्रवाई क़ानून के दायरे में रहकर की है.

बीबीसी से बात करते हुए अभिषेक सिंह ने कहा, "यदि कोई इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ अदालत भी जाता है तो हम उसके लिए तैयार हैं."

लेकिन सब-इंस्पेक्टर इंतेसार अली का कहना है कि उन्होंने पिछले साल नवबंर में ही दाढ़ी रखने के लिए इजाज़त माँगी थी जो नहीं मिली. उन्होंने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर वो अदालत भी जाएंगे.

बाग़पत के थाना रमाला के सब-इंस्पेक्टर इंतेसार अली को दाढ़ी रखने पर निलंबित किए जाने की कार्रवाई पर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं और यूपी पुलिस पर धर्म से प्रेरित होकर पक्षपात करने के आरोप लगाए हैं.

अभिषेक सिंह इस तरह के सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहते हैं, "यूपी पुलिस एक अनुशासित फ़ोर्स है, बाग़पत ज़िले में पुलिस फ़ोर्स के कमांडिंग ऑफ़िसर के तौर पर अनुशासन का पालन कराना मेरी ज़िम्मेदारी है, सब-इंस्पेक्टर को दाढ़ी काटने के लिए नोटिस दिया गया था. उन्होंने नोटिस को नज़रअंदाज़ किया जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है."

सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा

सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए कई लोगों ने ये सवाल उठाया है कि इंतेसार अली को मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया गया है. इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने भी इस विषय पर ट्वीट किया है.

भीम आर्मी से जुड़े हिमांशु वाल्मीकि ने ट्वीट किया, "उत्तर प्रदेश के हर पुलिस थाने में मंदिर बने हैं मस्ज़िद, चर्च, गुरुद्वारे क्यों नहीं। भारत देश संविधान से चलता है, मनुस्मृति से नहीं?"

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ऐसे आरोपों पर अभिषेक सिंह कहते हैं, "यदि कोई हिंदू पुलिसकर्मी इस तरह की अनुशासनहीनता करता तो उस पर भी ऐसे ही कार्रवाई होती. जो लोग इसे धर्म से जोड़ कर देख रहे हैं वो ग़लती कर रहे हैं. दिक़्क़त उनके नज़रिए में हैं. पुलिस फ़ोर्स में सिर्फ़ सिखों को ही दाढ़ी रखने की अनुमति है."

अभिषेक सिंह कहते हैं, "जब हम पुलिस की नौकरी में आते हैं तब हम बहुत चीज़ों का त्याग करते हैं. हम एक सशस्त्र बल हैं. अनुशासन हमारी पहली ज़िम्मेदारी है. कोई भी पुलिसकर्मी यदि अनुशासनहीनता करेगा उस पर हम कार्रवाई करेंगे."

वो कहते हैं, "अनुशासनहीनता के लिए एक सब-इंस्पेक्टर का निलंबन पुलिस का अंदरूनी मामला है. जो लोग सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा कर रहे हैं उन्हें नियमों की जानकारी भी लेनी चाहिए."

पुलिस के नियमों के मुताबिक़ सिख पुलिसकर्मियों को छोड़कर सभी अन्य पुलिसकर्मियों को दाढ़ी रखने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है.

पत्रकार रोहिणी सिंह ने एक ट्वीट किया है जिसमें एक पुलिस अधिकारी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगे हाथ जोड़कर घुटनों पर बैठे हैं.

उन्होंने लिखा है, "यदि सर्विस नियम दाढ़ी रखने की अनुमति नहीं देते तो किसी राजनीतिक व्यक्ति के आगे झुकने की अनुमति भी नहीं देते. वास्तव में ये उससे भी बुरा है. इस पुलिसकर्मी को भी निलंबित किया जाना चाहिए."

फ़िल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने इस ट्वीट को रीट्वीट किया है.

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एक और ट्वीट में स्वरा भास्कर ने कहा है, 'आपको तथ्य जानने चाहिए, ये भेदभाव का मामला नहीं है.'

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पूर्व आईपीएस अफ़सर विभूति नारायाण राय कहते हैं, "एक इंस्पेक्टर के निलंबन को ज़बरदस्ती सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है. ये सीधे तौर पर पुलिस अनुशासन का मामला है."

राय कहते हैं, "मैं जब आईपीएस बना तो दो-तीन बार मुझे भी शेव न करने के लिए दंडित किया गया. मेरे ट्रेनर ने मुझे राइफ़ल सिर पर उठाकर दौड़ाया. पुलिस एक अनुशासित बल है, पुलिस अधीक्षक ने बिलकुल सही कार्रवाई की है."

राय कहते हैं, "जब मैं पुलिस अधीक्षक था तब सालाना दर्जनों आवेदन आते थे जिनमें दाढ़ी रखने की गुज़ारिश की गई होती थी. कुछ वक़्त के लिए अनुमति दे दी जाती है. मैं पूरी तस्दीक़ करके ही अनुमति देता था."

इस प्रकरण पर सांप्रदायिकता को लेकर हो रही बहस पर राय कहते हैं, "हर पुलिसकर्मी जो पुलिस की नौकरी में आता है वो जानता है कि उसे रोज़ शेव करना होगा. इस प्रकरण को ज़बरदस्ती धार्मिक रंग दिया जा रहा है और ऐसा करके लोग उन ताक़तों को ही मज़बूत कर रहे हैं जो धर्म के आधार पर समाज को बांटना चाहता हैं."

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राय कहते हैं, "सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले बहुत से लोग नियमों को नहीं जानते. वो बस बहस में कूद पड़ते हैं. इस मामले में भी यही हो रहा है."

बीबीसी से बात करते हुए इंतेसार अली ने कहा है, "मैं अपनी ड्यूटी भी करता हूं और नमाज़ भी पढ़ता हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि दाढ़ी रखने की वजह से मुझे इस तरह दंडित किया जाएगा. मुझे अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है."

वो कहते हैं, "मैं पच्चीस साल से पुलिस सेवा में हूं. इस दौरान मेरे कार्यकाल की जाँच कर ली जाए. मैंने पूरी ईमानदारी से अपनी नौकरी की है. मैं हमेशा से दाढ़ी रख रहा हूं कभी किसी अधिकारी ने मुझे नहीं टोका."

वो कहते हैं, "मैंने बीते साल नवंबर में अनुमति माँगी थी. अब मुझे निलंबित कर दिया गया है. दाढ़ी रखना मेरे धर्म से जुड़ा है. मैं अपने अधिकारियों से अनुमति माँगने के लिए अपील करूंगा. मुझे विश्वास है मेरी बात सुनी जाएगी."

अली कहते हैं, "मैं दाढ़ी नहीं कटवाउंगा. दाढ़ी रखना मेरे धर्म का मामला है. मैं अधिकारियों से गुज़ारिश करूंगा, अनुमति नहीं मिली तो अदालत भी जाउंगा. अपने धर्म का पालन करना मेरा संवैधानिक अधिकार भी है."

क्या इंतेसार अली अगर दाढ़ी रखने की अनुमति मांगेंगे तो उन्हें मिलेगी इस सवाल पर एसपी अभिषेक सिंह कहते हैं, "अब तो उनका निलंबन ही किया जा चुका है. वो जानते हैं कि पुलिस बल में रहते हुए वो दाढ़ी नहीं रख सकते हैं."

सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या एक मुसलमान पुलिसकर्मी फ़ोर्स में रहते हुए अपने धर्म का पालन नहीं कर सकता, इस पर विभूति नारायण राय कहते हैं, "दाढ़ी इस्लाम में फ़र्ज़ नहीं है. सुन्नत है. जो मुसलमान पुलिस फ़ोर्स में हैं वो जब नौकरी में आते हैं तब जानते हैं कि उनसे क्या अपेक्षाएं हैं और उनकी ज़िम्मेदारियां क्या-क्या हैं."

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