International Day for Older Persons: घर-परिवार का संबल हैं बुजुर्ग, महसूस न होने दें अकेलापन
International Day for Older Persons डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में बुजुर्गों की सेहत का विशेष ख्याल रखना है। अगर आपको उनकी देखभाल करनी पड़ रही है तो कभी भी उन्हें यह अहसास न कराएं कि वे आप पर भार स्वरूप हैं...
नई दिल्ली, जेएनएन। वर्तमान में पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है। 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल ने नोवेल कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित किया था, तब से अब तक 200 से अधिक देशों के लोग इस बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं। इस वर्ष विश्व बुजुर्ग दिवस की थीम ‘महामारी: क्या बुजुर्ग लोग उम्र और बुढ़ापे का सामना करने के लिए अपने को बदलने के लिए तैयार हैं’ पर है। विश्व में लगभग 70 करोड़ एवं भारत में करीब 12 करोड़ व्यक्ति बुजुर्गों की श्रेणी में आते हैं। जानें क्या कहते है लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकांत।
अगले तीन दशकों में दुनियाभर में बुजुर्ग व्यक्तियों की संख्या दोगुनी से अधिक होने का अनुमान है, जो कि वर्ष 2050 में लगभग 150 करोड़ से अधिक पहुंच जाएगी। कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक बुजुर्ग लोग प्रभावित हुए हैं और जान गंवाने वालों में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग हैं। हालांकि इस तरह की महामारी से लड़ना इंसान के लिए कोई नई बात नहीं है। सभ्यता में परिवर्तन और शिक्षा का ग्राफ बढ़ने के साथ मानव अब यह जानने लगा है कि आखिर जिसकी चपेट में पूरा समाज आ रहा है, वह बीमारी कौन सी है, लेकिन शोध बताते हैं कि हजारों साल पहले भी इस तरह के वायरस या संक्रमण का सामना मानव करता रहा है।
सम्मान में न आए कमी: हम कितना भी पढ़-लिख क्यों न जाएं, लेकिन जो अनुभव बुजुर्गों के पास होते हैं, शायद उनकी हममें बहुत कमी होती है। बदले परिवेश का दूसरा पहलू यह भी है कि कई बार किसी निर्णय के समय हम यह भूल जाते हैं कि हमारे घर में बुजुर्ग मां-बाप भी हैं, जिनसे अगर किसी विषय में राय-मशविरा किया जाए तो उन्हें अपार खुशी मिलती। इस तरह की छोटी-छोटी बातें घर के बुजुर्गों के लिए बड़ा सम्मान होता है।
उम्र के साथ खतरे भी बढ़ेंगे: लंबी उम्र के साथ सेहत का ठीक होना बेहद जरूरी है। हमारे जीवन स्तर में हुए सुधार और स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहे नए-नए शोधों ने इंसान की उम्र की सीमा जरूर बढ़ा दी है, पर दूसरी ओर जीवनशैली में आए बदलाव ने कई तरह की बीमारियों, जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कैंसर, मोटापा, अस्थमा, ब्रांकाइटिस, तनाव, अवसाद आदि का उम्र बढ़ने के साथ खतरा भी बढ़ा दिया है। ऐसे में वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहे या घर के जो वृद्ध सदस्य हैं, उनकी देखभाल के साथ ही उन्हें स्वस्थ रखना हमारे लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन अगर आपको उनकी देखभाल करनी पड़ रही है तो कभी भी उन्हें यह अहसास न कराएं कि वे आप पर भार स्वरूप हैं। याद करिए कि आपकी परवरिश तो उन्होंने ही की थी।
खानपान का रखिए ख्याल: उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और इम्युनिटी का कमजोर होना सुनिश्चित है। इसलिए हमें अपने साथ-साथ घर के बुजुर्गों की सेहत का विशेष ख्याल रखना है। इसके लिए उनके खानपान में आवश्यक पोषक तत्वों का होना बेहद जरूरी है। यदि वे किसी तरह के व्यसन के आदी हैं तो उनका उपहास उड़ाने के बजाय उन्हें बच्चों की तरह समझाएं कि इससे उनको क्या नुकसान हो सकता है।
करनी होगी अतिरिक्त तैयारी: विकासशील देशों की तर्ज पर उम्र विस्तार के साथ भारत को वास्तव में यदि स्वस्थ बनाना है तो समस्याओं के बहुआयामी हल तलाशने होंगे। प्रशिक्षित चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ को बढ़ाना होगा। स्वस्थ रहने के लिए जागरूकता का वातावरण तैयार करना होगा, क्योंकि बीमारियों से बचने का पहला हथियार जागरूकता ही है। हमें सबसे पहले सक्रिय जीवनशैली अपनानी होगी। कोरोना से बचाव के लिए बुजुर्ग लोग घर पर ही रहें साथ ही शारिरिक दूरी बनाए रखें, साबुन-पानी से हाथ धोते रहें। घर से बाहर मजबूरी में ही निकलें तथा मास्क लगाकर ही बाहर जाएं। कोरोना के खिलाफ जब तक कोई प्रभावी वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक बचाव ही सर्वोत्तम वैक्सीन है।
महसूस न होने दें अकेलापन: बुजुर्गों के लिए सबसे कष्टप्रद होता है कि उनकी कोई बात नहीं सुनता है। इसलिए जिस तरह से बच्चों की बात सुनी जाती है, उसी तरह से बुजुर्गों को भी अपने पास बिठाएं और उनकी बातें सुनें। यदि कभी आपको लगता है कि उनकी फलां फरमाइश सही नहीं है तो नाराजगी जताने के बजाय उन्हें प्यार से समझाएं। इससे उन्हें कभी अपनेपन की कमी महसूस नहीं होगी।