कृषि सुधारों को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बीच इंडिया टुडे की जांच से सामने आया है कि बड़ी बाजार शक्तियों को छोड़ भी दिया जाए तो मजबूत मंडी व्यवस्था वाले राज्यों में भी लाइसेंसधारी बिचौलिए किसानों को खरीद का मौसम न होने पर कम कीमत दे रहे हैं.
संसद से मंजूर नए कानून से ये रास्ता प्रशस्त हुआ है कि उत्पादों को सीधे संस्थागत खरीदारों, सुपरमार्केट चेन्स और ऑनलाइन ग्रासर्स (किराना) को बेचा जा सकेगा.
लेकिन किसानों को आशंका है कि इस कदम से जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था के तहत उन्हें जो आश्वस्त कीमतें मिलती थीं, वो सब अब खत्म हो जाएंगी. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि ऐसा नहीं होगा. केंद्र के मुताबिक नए कानून से किसानों के पास ये भी विकल्प होगा कि वे अपनी फसल को नियमित बाजारों (जैसे कि पंजाब और हरियाणा में हैं) से बाहर जा कर भी बेच सकते हैं.
अनाज का कटोरा माने जाने वाले राज्यों में आढ़तिए कौन हैं?
इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने अनाज का कटोरा माने जाने वाले दो राज्यों- पंजाब और हरियाणा में ये जानने के लिए जांच की- आढ़तिए किस तरह काम करते हैं. ये दरअसल किसानों और खऱीदार एजेंसियों/बॉयर्स के बीच मुख्य वैध कड़ी होते हैं.
मौजूदा व्यवस्था में, आढ़ती बिचौलियों को 2.5 प्रतिशत कमीशन प्राप्त होता है, जिसे पंजाब और हरियाणा राज्यों की ओर से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य खरीदारों पर प्रोक्युर्मेंट के राज्य टैक्स के तौर पर वसूला जाता है.
खरीद के सीजन में भारी सौदेबाजी
पंजाब में इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोटर्स ने पड़ताल के दौरान खुद को ऐसे किसानों के तौर पर पेश किया जो पिछले सीजन के अपने अनाज के स्टॉक को बेचने की कोशिश कर रहे थे.
यह जांच 22 सितंबर को की गई थी, जिसके दो दिन बाद राज्यसभा ने मोदी सरकार की ओर से पेश तीन कृषि बिलों में से दो को पास कर दिया.
खन्ना की एक मंडी में, विशाल जिंदल नाम के एक आढ़तिए ने स्टॉक खरीदने पर सहमति जताई लेकिन MSP से कम कीमत देने की शर्त रखी.
कमीशन एजेंट ने भारी मोल-तौल करना चाहा क्योंकि गेहूं के लिए राज्य की खरीद खिड़की लगभग चार महीने पहले बंद हो गई थी.
फसल के लिए, मौजूदा एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल था, जिंदल ने इसके लिए 1,650 रुपये प्रति क्विंटल देने की पेशकश की.जिंदल ने इंडिया टुडे के इंवेस्टीगेटिव रिपोर्टर्स से कहा, "जहां तक गेहूं का सवाल है, यह खुले बाजार में 1,650 रुपये प्रति क्विंटल है. एमएसपी पहले ही खत्म हो चुका है, यह सस्ता हो जाएगा, ऊंची किस्म के लिए 1,650 रुपये पर जाएगा, बाकी (किस्म) और सस्ती होंगी." बिचौलिया बिना किसी कागजी कार्रवाई के पूरे भुगतान को नकद में करने को तैयार दिखा.
जिंदल ने कहा, "भुगतान तब और वहां किया जाएगा."
रिपोर्टर- "नकद 100 प्रतिशत?"
जिंदल- “हां”
पानीपत के समालखा में, कमीशन एजेंट संजय गर्ग ने उच्च श्रेणी के धान की उपज के लिए 1,400-1,500 रुपये प्रति क्विंटल की पेशकश की. हालांकि इसकी मौजूदा एमएसपी1,888 रुपये है. इंडिया टुडे की जांच के दिन, 22 सितंबर को हरियाणा में धान खरीद शुरू नहीं हुई थी. लेकिन गर्ग ने एमएसपी से नीचे बेचे जाने पर स्टॉक खरीदने पर सहमति जताई.
रिपोर्टर- "सर, हमारे पास उच्च श्रेणी की धान हैं."
गर्ग ने कहा, "यह प्राइवेट (बाजार) के लिए 1,400/1,500 रुपये प्रति क्विंटल है."
कमीशन एजेंट ने हालांकि, नए कानूनों से अपने व्यवसाय को कोई खतरा नहीं माना. गर्ग के मुताबिक राज्य में किसान आढ़तियों पर बहुत अधिक निर्भर हैं.
रिपोर्टर-, हरियाणा में नए (कृषि) कानूनों के साथ सब कुछ बदल जाएगा, नहीं क्या?"
गर्ग- "मंडियों के बाहर (बिक्री) सुविधाएं नहीं हैं, यह एक हकीकत है."
रिपोर्टर-"इसका मतलब है कि आप जैसे लोगों का वजूद बना रहेगा?"
गर्ग- "हां"
गर्ग ने कहा कि कमीशन एजेंट्स का कारोबार सामान्य की तरह ही चलता रहेगा.
गर्ग ने भी एमएसपी से नीचे स्टॉक बेचे जाने पर नकद भुगतान की पेशकश की.
कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी में, ट्रेडर विनीत भाटिया ने प्रोक्युर्मेंट सीजन शुरू होने से पहले उच्च किस्म की धान के लिए 1,450 रुपये से अधिक कुछ नहीं देने की पेशकश की.
रिपोर्टर-"क्या आप 400-500 क्विंटल (धान) स्टॉक बेचने में हमारी मदद कर सकते हैं?"
भाटिया- "इसलिए हम यहां हैं. यदि यह हो सकता है, तो यह बिक जाएगा. यदि आप आज की कीमत पर बेच रहे हैं, तो यह 1,400-1,450 है." भाटिया ने भी किताबी लिखा-पढ़ी से दूर हार्ड कैश भुगतान की पेशकश की.