बीजेपी शासित कर्नाटक में भी केंद्र के कृषि कानून का जोरदार विरोध, सड़क पर उतरे किसान

केंद्र सरकार की तरफ से तीन नए किसान कानूनों के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है. दक्षिण भारत में भी अब किसान सड़कों पर उतर आए हैं.

बेंगलुरु:

केंद्र सरकार की तरफ से तीन नए किसान कानूनों के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है. दक्षिण भारत में भी अब किसान सड़कों पर उतर आए हैं. बीजेपी (BJP)शासित राज्य होने के बावजूद कृषि बिल के साथ-साथ कर्नाटक (Karnataka) के भूमि सुधार बिल के खिलाफ राज्य में किसानों ने प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी किसान नेता माने जाते हैं ऐसे में उनके राज्य में शुरू हुए आंदोलन से उन्हें परेशानी हो सकती है. कर्नाटक में बेंगलुरू के साथ-साथ तक़रीबन सभी जगहों पर केंद्र सरकार के कृषि बिल के ख़िलाफ़ इसी तरह प्रदर्शन देखने को मिले. किसानों का आरोप है कि आलू प्याज़ दलहन को नया कानून आने के बाद से न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से लगातार इससे इनकार किया जाता रहा है.

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कर्नाटक किसान संघ के अध्यक्ष के चंद्रशेखर ने कहा हैं, "यह सरकार किसानों से झूठ बोल रही है, नरेंद्र मोदी झूठे हैं. इसे लागू करने की कोशिश कर रहे येदियुरप्पा झूठ में मोदी का साथ दे रहे हैं. यह सब किसानों के विरोधी हैं. इसके अलावा जो भूमि सुधार कानून लाया गया है वह भी किसानों के लिए नुकसानदेह ही है. सिर्फ कंपनियों को इससे फायदा होगा. इससे देश के लोगों को बहुत बड़ा झटका लगेगा इसलिए हमें आजादी की दूसरी लड़ाई लड़नी पड़ेगी." कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "नरेंद्र मोदी और बीएस येदियुरप्पा दोनों ही कृषि के लिए हानिकारक हैं" साथ ही उन्होंने कहा कि यह सरकार किसान-विरोधी है, किसान की आवाज़ को लगातार दबाने का प्रयास किया जा रहा है. हम भूमि सुधार बिल और APMC अधिनियम को वापस लेने तक किसान के साथ एकजुट रहेंगे, हमारा संघर्ष जारी रहेगा.

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किसानों का विरोध प्रदर्शन सुबह से ही देखने को मिला. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के साथ कन्नड़ संगठन भी आ खड़े हुए. बेंगलुरु के टाउन हॉल से मैसूर बैंक सर्किल तक कुछ इसी तरह शोर शराबा होता रहा. केंद्र सरकार के कृषि बिल और राज्य की बीजेपी सरकार के भूमि सुधार बिल को लेकर नाराज़गी दिखी. भूमि सुधार बिल के तहत किसानों की 4 एकड़ तक उपजाऊ भूमि  उद्योगपति किसानों से सीधे ख़रीद सकेंगे.