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अगले साढ़े तीन साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट, रामायण म्यूजियम भी बनेगा

मॉडल के तौर पर अभी जो भगवान राम की प्रतिमा 12 फीट की नजर आ रही है, अगले साढ़े तीन साल में हू-ब-हू इसी के जैसी ढाई सौ मीटर से ज्यादा ऊंची भगवान राम की प्रतिमा सरयू तट पर खड़ी होगी.

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भगवान राम की प्रतिमा
भगवान राम की प्रतिमा

  • कांसे से बनी 200 मीटर ऊंची प्रतिमा पूरी तरह से स्वदेशी होगी
  • भगवान राम की प्रतिमा की आकृति मंदिर मॉडल के सामने भी मौजूद

राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम के साथ अयोध्या पर देश-विदेश का फोकस है. सिर्फ मंदिर को ही नहीं बल्कि अयोध्या को भी भव्य से भव्य रूप देने की तैयारी है. कोशिश यही है कि तीर्थ पर्यटन के तौर पर अयोध्या दुनिया के नक्शे पर अलग चमके. इसी दिशा में अयोध्या में सरयू नदी के तट पर भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना है.

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मॉडल के तौर पर अभी जो भगवान राम की प्रतिमा 12 फीट की नजर आ रही है, अगले साढ़े तीन साल में हू-ब-हू इसी के जैसी ढाई सौ मीटर से ज्यादा ऊंची भगवान राम की प्रतिमा सरयू तट पर खड़ी होगी. प्रतिमा 200 मीटर की होगी और उसके नीचे करीब 50 मीटर ऊंचाई के भवन का आधार होगा. वहीं रामायण म्यूजियम बनाने का प्लान है. जमीन से प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 251 मीटर होगी. रामलला का मंदिर और सरयू नदी के तट पर लगाई जाने वाली भगवान राम की प्रतिमा के साथ ही आकार लेने की संभावना है.

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आजानुबाहु राम

कांसे से बनी 200 मीटर ऊंची प्रतिमा पूरी तरह से स्वदेशी होगी. यानी परिकल्पना से लेकर ढलाई और फिटिंग तक सारा काम अपने देश में ही होगा. प्रतिमा में ‘आजानुबाहू’ धनुषधारी राम का सौम्य मुस्कान वाला स्वरूप होगा. आजानुबाहु यानि जिसकी भुजाएं उसके घुटनों के भी नीचे तक पहुंचती हो. हिंदू मान्यता के मुताबिक, आजानुबाहु केवल श्रीराम ही हुए हैं. राम का आजानुबाहु होना उनकी धनुर्विद्या के लिए वरदान सिद्ध हुआ था.

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कौन हैं शिल्पकार?

भगवान राम की भव्य प्रतिमा की कल्पना को साकार करेंगे शिल्पकार नरेश कुमावत. वे दिन रात इस मिशन में जुटे हैं. दुनिया के 60 देशों में भगवान के विभिन्न अवतारों, स्वरूपों की प्रतिमाओं का साकार करने का कुमावत को अनुभव है. इसके अलावा वो राजनेताओं, चर्चित हस्तियों की विशाल प्रतिमाओं का शिल्प भी कर चुके हैं.

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भगवान राम की ऐसी प्रतिमा की आकृति मंदिर के मॉडल के सामने भी मौजूद है. भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस प्रतिमा की आकृति भेंट की जानी है. इसे नरेश कुमावत और उनके भतीजे आकाश कुमावत ने तीन दिन में तैयार किया.

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कुमावत के शिल्प में शिमला के जाखू मंदिर की प्रसिद्ध हनुमान प्रतिमा, महात्मा गांधी की अनेक प्रतिमाएं भी शामिल हैं. कुमावत ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले रणबांकुरों की प्रतिमाओं को भी आकार दिया. वो भी बिना कोई मेहनताना लिए. कुमावत इसे सेना और सैनिकों को सम्मान देने के लिए अपनी छोटी सी कोशिश मात्र बताते हैं. फिलहाल तो कुमावत का पूरा ध्यान श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन पर ही है!

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